तपोभूमी नर्मदा - अनुभव ग्रन्थ
शूलपाणि झाड़ी से जानेवाले पैदल मार्ग
तपोभूमी नर्मदा - अनुभव ग्रन्थ
"तपोभूमी नर्मदा" - ६ साल की नर्मदा परिक्रमा का अनुभव ग्रन्थ ...
(रचनाकार - स्वर्गीय शैलेन्द्रनारायण घोषाल शास्त्रीजी)
"माता नर्मदा" के वरपुत्र, "तपोभूमि नर्मदा" ग्रन्थ के रचनाकार स्वर्गीय शैलेन्द्रनारायण घोषाल शास्त्रीजी को मेरा सश्रद्ध प्रणाम...पंडित श्री शैलेंद्रनारायण घोशाल शास्त्री (कलकत्ता, पश्चिम बंगाल) ने सन १९५0 ते १९५६ तक माँ नर्मदाजी की ६ साल की पैदल सम्पूर्ण परिक्रमा करी है.....इनके पिताजी श्री श्री नारायण शास्त्रीजी ये अपने समय के बड़े सिध्द अवतारी महापुरुष थे और योगाचार्य थे. उनको बड़ी बड़ी सिद्धि प्राप्त थी........
सन १९८८ में जबलपुर के पास, माँ नर्मदा जी पर "बरगी बांध" (डैम) बना उसमे काफी सरे पुराने तीर्थ-स्थल, घाट डूब गए जिनकी जानकारी आज किसी के पास उपलब्ध नहीं है.
सन १९९९ में गुजरात में, माँ नर्मदाजी पे "सरदार सरोवर बांध" (डैम) बन गया जिसमे काफी सरे तीर्थस्थल, घाट डूब गए जिनकी जानकारी आज किसी के पास उपलब्ध नहीं है.
सन १९९० में माँ नर्मदाजी पे "पुनासा बांध" (डैम) बन गया जिसमे काफी सरे तीर्थस्थल, घाट डूब गए जिनकी जानकारी आज किसी के पास उपलब्ध नहीं है.
सन 2005 में माँ नर्मदाजी पे "ओम्कारेश्वर बांध" (डैम) बन गया जिसमे काफी सरे तीर्थस्थल, घाट डूब गए जिनकी जानकारी आज किसी के पास उपलब्ध नहीं है.
श्री शैलेन्द्रनारायण घोषाल शास्त्रीजी ने यह परिक्रमा १९५० से १९५६ इन ६ सालो में पूर्ण की है. और उस वक़्त माँ नर्मदाजी के पे कोई बांध (डैम) नहीं नहीं बना था. माँ नर्मदाजी के सभी पुराने घाटों का वर्णन इस किताब में दिया गया है. यह केवल "नर्मदा परिक्रमा अनुभव" की किताब नहीं है, यह तो माँ नर्मदाजी के गुणगान का अमृत है, जितने बार पढ़ो, उतना आनंद बढ़ जाता है...
पंडित श्री शैलेंद्रघोशाल नारायण शास्त्री इन्होंने अपने ऋषितुल्य पिताजी श्री नारायण शास्त्रीजी के आदेशानुसार माँ नर्मदाजी की ६ साल की पैदल सम्पूर्ण परिक्रमा करी है....इस परिक्रमा में उनको जो दिव्य अनुभव हुए, जिन महान संत ऋषि मुनियो दर्शन हुए , जो वार्तालाप हुए यह सब का वर्णन उन्होंने "तपोभूमी नर्मदा" इस किताब में वर्णित किया है.......यह किताब ८ खंड (भाग) में लिखा गया है...यह किताब बंगाली, इंग्लिश और हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है....
माँ नर्मदाजी के परिक्रमा अनुभवों पर आज तक जो भी किताबे आयी है उनमेसे सबसे अच्छी और बढीया किताब यही है...इस किताब में नर्मदा-खंड के पुराने साधु संत सिद्ध महात्माओ नाम और उनका वर्णन किया गया है, जो आज समय के साथ विलुप्त हो गया है. नर्मदा-खंड की बहुत सारी अद्भुत, रोचक जानकारी दी गयी है.
जिस किसी को भी यह किताब चाहिए उन्होंने पहले इस किताब के प्रकाशक श्री आनंदमोहन घोषाल शास्त्री जी को e-mail से संपर्क करे. tapobhuminarmada15@gmail.com और tapobhumi.Narmada.10@gmail.com
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— with Amarkantak Darshan.