तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा - वंदना परांजपे - Part 1
शूलपाणि झाड़ी से जानेवाले पैदल मार्ग
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा - वंदना परांजपे - Part 1
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा - वंदना परांजपे - Part 1 - 1-100
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा प्रस्तावना
सारे घरमें सबसे छोटी थी मै।बहुत लाड प्यारसे गया मेरा बचपन। सिधासाधा बचपन।बचपनमे कन्या आरोग्यमंदिर शाखामें श्री.एम.जी.जोशीमास्तर हम लडकियोंको तलवार, जंबिया,तीरकमान चलाना,लेझिम खेलना,कबड्डी, खोखो जैसै खेल सिखाते थे।उसके साथही लॉंग जम्प,हाय जम्प,बडी रिंगमेंसे जम्प,थाली फेंक,गोला फेंक आदि वैयक्तिक खेलभी सिखाते थे। हमारे गांव पनवेलमें श्रीधूतपापेश्वर आयुर्वेदिक औषधी कारखाना है,उसके मालिक श्री.काकासाहेब पुराणिक संस्कृती मंदिर चलाते थे उसमें हम बच्चोंको आचार्य गुरुजींसे श्रीमद् भगवद्गीता, दासबोध, मनाचे श्लोक(अपने मन को उपदेश),रामरक्षा,बहुत सारी अलग अलग स्तोत्रे सिखाते थे। हमारे शालेय जीवनमें विविध वक्तृत्व स्पर्धा,गणेशोत्सव में प्रबोधक कार्यक्रम होते थे,चातुर्मासमें मंदिरोंमें कथापुराण श्रवण करनेका मौका मिलता था।बचपनमें मिले इसी पौष्टिक खुराकसे शादी के बाद संसाररथ चलाना मुश्किल नही था। जीवनमें स्थिरता आने लगी थी।मुझे बचपनसेही पढ़नेका बहुत शौक रहा है।हमारे राष्ट्रगुरु समर्थ रामदास स्वामी कहते है,दिसा माजी काहीतरी ते लिहावे,अन् अखंडित वाचीत जावे(दिनभरमें थोडा कुछ लिखना चाहिये,और सतत पढ़ते रहना चाहिये) एक दिन नारायण आहिरे गुरुजी(वियोगी नारायण)ने लिखी नर्मदा परिक्रमा ये पुस्तक मुझे मिला।एकही बैठकमें मैने पढ़ लिया,और मुझे समझा की मोरया के साथ साथ ये नर्मदा ही मेरा आराध्य है। मुझे इसको मिलना है,इससे संवाद साधना है,परिक्रमा करनी है।आंखों के सामने आती थी हमारे पनवेलकी गाढीनदी,आपटे गांवकी पातालगंगा,पाली गांवकी अंबा,कर्जत गांवकी उल्हास। सब स्वच्छ सुंदर जलवाहिनी।ऐसी ही होगी नर्मदा?जिसको भारतमाता की कटीमेखला कहा जाता है,जिससे भारत के उत्तरभारत और दक्षिण भारत ऐसे दो भाग हुए है? मनको एकही छंद लगा नर्मदा नर्मदा और नर्मदा। श्री.सुहास लिमये,श्री. जगन्नाथ कुंटे,सुश्री भारती ठाकूर सबकी लिखी पुस्तके पढ़ ली,अनेकबार अनेकबार पढ़ती गयी।रोज प्रार्थना करती थी,मैया!मुझे बुला लो,दर्शन दो,परिक्रमा करवाओ। आंखे बंद करतेही सारा परिक्रमामार्ग,प्रत्येक घाट,प्रत्येक गांव आंतरद्रुष्टी के सामनेसे सरकते जाते थे। रोज मानसिक परिक्रमा करती थी।नर्मदे हर नर्मदे हर यही ध्यास,मोरया!आपकी बहन ग्रेट है,मेरे तनमन पर कब्जाही कर लिया है।कब दर्शन होंगे?कब स्पर्श करने मिलेगा? फिर दिल्ली जाते आते समय होशंगाबाद बुधनीमें मैया के सुंदर श्मामल दर्शन होते थे।१९९३ से दिन महिने साल गुजरते गये और २०११ के श्रावणमासमें मैयाने बुलाही लिया। इंदोर से ओंकारेश्वर जाते समय बडवानी नावघाट खेडी के पुलसे मैया के दर्शन हो गये।भयंकर रौद्ररुप था,संतापसे लाल - पिली बनी नागिन जैसी खुंखार।मगर मुझे डर नही लगा,मनमें आया,मेरी सुंदर श्यामल शीतल मैया इतना गुस्सा क्यूं आया होगा?बांधमें बांधके रखा है मनुष्यने गुस्सा जायज है।नर्मदे हर!प्रणाम किया।ओंकारेश्वर पहुँचे। गजानन महाराज मंदिर भक्तनिवास में आसन जमाया,श्री. जितेंद्र शास्रीजीसे मिले और फिर उनसे रिश्ताही बन गया।तीन दिन,मैया दर्शन,ओंकारेश्वर ममलेश्वर पुजन दर्शन,अभिषेक, ओंकार मांधाता परिक्रमा,बहुतही आनंददायी यात्रा थी। और मैयाने मेरी सालोंसे चली प्रार्थना मान ली और सौ सालमें आनेवाला योग साधते हमसे ११/११/२०११ को सुबह ११ बजकर ११ मिनिट को परिक्रमा उठवायी।
नर्मदे हर। नर्मदे हर हर। नर्मदे हर हर हर!
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।।तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा।। भाग-1
आज दशहरा है।मेरी गाडी विलासपुर स्टेशनपर राइटटाइम पहुँची।कटनी पॅसिंजर सुबह छे बजे थी,वेटिंग रूममे बैठ गयी।वहॉ गोंदियामे बॅंकमे काम करनेवाला,अमरकंटकका रहनेवाला राम नामका लडका मिला,अच्छी सोबत मिल गयी।उसने मेरा भी पेड्रारोडका तिकीट लिया।
गाडी पहाडी जंगलसे गुजर रही थी।बहुत सुंदर घना जंगल है।थंडी हवा चल रही थी।पहाड के पिछेसे पेडोंकी आडसे सुरजचाचू आ गये।मैया!कितना प्यारा है देश तुम्हारा।
सुबह 9बजे गाडी पेड्रारोड पहुँची। बोलेरो खडी थी।मै और राम बैठ गये।गाडीवाले भाईसाब को कल्याण आश्रम के सामनेके निवासी स्कूलमे जाना था,उधरतक छोडुंगा ठीक है।
सुंदर निसर्ग दर्शन कराती घाटोंसे गुजरती बोलेरो मुझे मेरी मैयाके पास ले जा रही थी।ज्वालेश्वर,अमरेश्वर,दुर्गाधारा होते हुए अमरकंटक पहुँची।राम का घर बसस्टॅंडके पास था,वो उतर गया।मुझे कल्याण आश्रमके सामने उतार दिया।हडबडीमे मेरी काठी गाडीमें रह गयी।
मृत्युंजय आश्रममे रूम ले ली।स्नान पुजापाठ करके महाराजके दर्शन किये।भोजनप्रसाद ग्रहण करके थोडा आराम किया।
शामको मंदिर समुह,नर्मदाकुंडके दर्शन करने गयी।पुजारी धर्मेंद्र द्विवेदीसे मिलके कल मैयाकी परिक्रमा के बारेमे पुछा,उन्होने संकल्पपुजा और कढाईके 351रू.बताये नाम,पता,गोत्र,फोन नंबर,आश्रमका रूम नंबर सब लिख लिया और सुबह 8-30बजे आनेको बोला। पैसे देके,पुनः दर्शन करके मै वापस आश्रम आ गयी।
शामको मैयाके घाटपर रावणदहन का कार्यक्रम हुआ। मैने पहिली बार ऐसा कार्यक्रम प्रत्यक्ष देखा।
कलसे मैयाके साथसाथ परिक्रमामे चलना है।मगर मेरे पास तो काठी नही है कठीण रास्तेपे कैसे चलूँ?आश्रमके एक बंधुको पुछा,उन्होने एक बडा दंडा दिया बहूत भारी था कैसे चलुंगी?नर्मदे हर!मैया देख लेगी।
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-2
सुबह जल्दी स्नान पुजापाठ करके (आजसे थंडे पानीसे नहानेकी आदत डालनी है)आश्रममे चायप्रसाद लेके,महाराजको प्रणाम करके रूम छोडके मंदिर मे गयी। आज एकादशी दर्शनकेलिये भीड होने लगी थी।पुजारीजी श्री.धर्मेंद्र द्विवेजीसे मिली तो उन्होने मुझे पहचानाही नही,संकल्पका बताने के बाद एक दुसरे गुरूजी को बताया,वो गुरूजीने कुण्डसे नर्मदाजल लानेको कहा,कुण्डका जल बहुतही प्रदुषित था मगर क्या करती इस मानवी अपराध के लिए मैयासे क्षमा याचना करके जल कुपीमे भरके मंदिरमे आ गयी,शिवजीके मंदिरमे वो गुरूजी बहुतही अशुद्ध मंत्र बोलते संकल्प बताने लगे जो संकल्पमंत्र न होके शिव पंचाक्षरी स्तोत्र था।उनको लगा इसको क्या समझेगा,मै पंडीत की बेटी हूँ बचपनसे स्तोत्र मंत्र पठण करती आयी हूँ।ऐसे खडे खडे संकल्प नही किया जाता।मगर क्या करती ये परिस्थिती भारतके हर बडे तीर्थक्षेत्रकी है।पंडे भक्तोंको ठगाते है।मैयासे क्षमा याचना करके खुदने संकल्पमंत्र बोले और गुरूजीके हाथमे 101रू.दक्षिणा देके उनको प्रणाम किया।पंडीतजी मेरी तरफ देखते रह गये।वापस द्विवेदीके पास आकर कढाईप्रसाद के बारेमे पुछा,वो बोले हम करेंगे कढाई।क्या बोलती?मैयाको चढानेके लिए लायी साडी भगवान आषुतोषजी की शाल-धोती उनके हाथमे दे दी।वो देखने के बाद गुरूजी एकदमसे बदल गये।फिर उस गुरूजीको बुलाकर मुझे ऑफिससे परिक्रमा प्रमाणपत्र दिलवाकर दक्षिणद्वारसे विदा करवानेको कहा।नर्मदे हर!
सील लेके गुरूजीको नर्मदेहर किया और आगे चल पडी।
बाहर आके चाय पिया वही मैयाका प्रसाद समझा। 1,2कि.मि.कच्चे जंगल रास्तेसे चलकर हायवेपर आ गयी तब घडीमे सुबह के दस बज रहे थे।
सात कि.मि.कबीरचबुतरा पहुँचकर टपरीपर चाय लिया खानेकेलिए वहॉं समोसे,चिप्स वगैरे था,वो मै नही खा सकती थी।आगे चली रास्ता अच्छा था,दोनो तरफ घना जंगल,सुंदर पंछी,खेलते कुदते बंदर और मनमे ॐनमो नर्मदा माई रेवा पार्वतीवल्लभ सदाशिवा धूनमें दंग मै।बहुत अच्छा लग रहा था।
हाथमे लीहुयी काठी भारी थी,मेरे हाथमे नही समा रही थी।मगर क्या करती?अपनी बेटीकी तकलीफ मैया कैसी देख सकती?उन्होने रूंजा नामके आदिवासी बंधूको भेजा,वो मेरे पास आकर बोले मैया इतनी मोटी लाठी लेके कैसे चलोगी?थक जाओगी,ये मेरी लाठी आप लेओ और आपकी मुझे दे दो।नर्मदे हर!
जगतपुर आ गया उधरके सुंदरलाल बघेल का नाम मेरे पास था मगर उनका घर बंद था।फिर वही आंगनबाडीके बरामदेमे बैठी।राय नामकी आंगनबाडी सेविका थी,उन्होने पानी दिया बच्चोंका भोजन हो गया था इसलिए वो भोजन देनेको असमर्थ थी,इसलिये वो बारबार खेद जता रही थी।वो करंजिया की रहनेवाली थी उन्होने उनके घर बुलाया और वो बससे आगे गयी। एक घंटा आराम करके मेरी विनोबा भावे एक्सप्रेस आगे चली।बोंदर के बाद करमंडलमे एक टपरीपर चाय लिया।
रास्तेमे एक कार रूक गयी मेरी पुछताछ करके मै पैदल परिक्रमा कर रही हूँ ये देखकर अचंबित होकर आदरसे मेरे पैर छुने लगे।मेरे समझमे नही आ रहा था की मै क्या करूँ?नर्मदे हर।
शामके पांच बजे मै करंजिया पहुंची।कोई आश्रम या राय मॅडमका घर पुछनेही वाली थी,एक थ्री व्हिलर मे बैठे भाईसाबने नर्मदे हर किया और उनके घर आनेका आमंत्रण दिया।वो थे रिटायर मलेरिया इंस्पेक्टर श्रीयुत प्रेमकुमार बुनकर।बुनकर भाईसाब एक पैरसे दिव्यांग है फिर भी ये मेरे हिम्मतबहाद्दर भैयाने पत्नीके साथ इस थ्रीव्हिलरसे पाटी-बोखराटा के कठीण कच्चे जंगलमार्गसे परिक्रमा की है।
घर फोन करना था मगर मेरे फोन को रेंज नही थी,शिफा मेडिकलके नसीम भाईने उनके फोनसे मेरी घर बात करवायी और मैयाके प्रति श्रद्धा रखनेमे धर्म आडे नही आता इसकी प्रचिती दे दी।
बुनकर भैयाके घर मुझे मायके जैसा ही लगा ।
क्रमश:
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-3
स्नान पुजाआरती के बाद भाभीने दिया चाय लेकर आगे प्रस्थान किया।तरेरा,रामनगरमे एक नालेके पास ब्रिजके पास श्री.लल्लूदास सौ.चंपाबाई ने अपने वानप्रस्थ कुटी मे बुलाया,तुलसीके पत्ते,गुड डाला हुआ काला चाय दिया।मैने ऐसा चाय इसके पहिले कभी पिया नही था इसलिए वो काला चाय पिनेकेलिये थोडा हिचकिचाई,थोडाही देनेको बोला।डर डर के एक घुंट पिया,और बहुत बढिया लगा,और थोडा दे दू?माताजीने पुछा।जी,चलेगा और चाय पिया,एकदम रिफ्रेश हो गयी।चलो आगे।
अमलदिह,बरबजपुर,रूसा गांव आया।स्कुलके सामने राय भोजनालयमे गयी।भुक लगी थी मगर वहॉं सिर्फ समोसे थे,मुझे समोसा बिलकुल पसंद नही क्या करू सोचमे पड गयी।सौ.कमलेश दिनेश राय आयी,भोजनालय उन्हीकाही है।मै परिक्रमा वासी हूँ ये जानने के बाद मुझे घरमे लेके गयी और पुरा भोजन करवाया,रहनेका बहुत आग्रह किया,बहुत अच्छे सेवाभावी लोग है,एक कुटुंब मेरे रिश्तेदार बन गया। विश्रांति लेके आगे चल पडी।
पाटणगड मे सिवनीमैया ब्रिजपरसे क्रॉस की।शाम को पाच बजे गोरखपुर पहुँची।मेरे पास सिर्फ एक नाम था जिनके घर मेरी सहेलियाँ परिक्रमामे रही थी।एक दुकानमे पुछा,सतीश शर्मा कहाँ रहते है?वो दुकान उन्हीकी थी।भारती ठाकुर का संदर्भ दिया,बहुत सहर्ष स्वागत हुआ।सतीश,पत्नी सतकिर्ति,माताजी,बेटा हम ऐसे घुलमिल गये मानो एकही घरके सदस्य है।
सुबह गरम पानीसे स्नान,पुजाके बाद चाय-नास्ता करके माताजी का आशिर्वाद लेके आगे चली सतीश सतकिर्ति दो-तीन कि.मि.मेरे साथ आए।हनुमान मंदिर मे दर्शन करके वो घर गये और एक रिश्तेदारी झोलीमे समेटे मै आगे बढ गयी।
चंदना,मोहतरा,पिंजराहटोला,डोंगरीटोला,रामनगर,कनकधारा यहॉं सुरेंद्र चायकी दुकानमे चाय लेके आगे चली।मोहतरा रत्ना यहॉ एक सिद्ध बाबा मंदिर है,देखा तो महाराष्ट्रके शेगाव के संत गजाननमहाराज का मंदिर था।उनको इधर सिद्धबाबा कहते है।आज गाडासराईमे सतीश शर्माने बताए डॉक्टर विजय चौरासिया के घर जाना था।
गाडासराईका घाट पार करके फॉरेस्ट ऑफिसके प्रांगणमे थोडी देर विश्रांती लेके आगे चली।कुकडाटोला के बाद आया गाडासराई। एक भाईसाबको डॉक्टर चौरासिया के बारेमें पुछा तो वो मुझे बडी अदबसे उनके हॉस्पिटल ले गया।
डॉक्टरसाब बाहरही खडे थे कही बाहर जानेकी तैयारीमे लग रहे थे।मैने मेरा परिचय दिया।बोले मै और आपकी भाभी जबलपुर जा रहे है रातको वापस आएंगे।आप आज यही अपने घर रहना,मेरा बेटा नवीन,बहू सविता है।पोता अर्पित और पोति अंशिका भी है ।विना संकोच रहो।
नवीनने मेरी बॅग उपर घरमे भिजवायी।बच्चे दौडके मुझे लेने निचे आ गये।और फिर ऐसे चिपक गये जैसे मानो हमारा जनम जनम का रिश्ता है।
क्रमशः
तीर्थ जननी नर्मदा परिक्रमा भाग4
डॉक्टर साब बडे भाग्यशाली है,इतना प्यारा परिवार है।बहू ने बहुत बढिया भोजन प्रसाद खिलाया।नवीन भी बार बार दुकानसे फुरसत निकालकर ऊपर आकर मेरी पुछताछ करता रहा।बच्चे तो इतने घुलमिल गये थे,उनके दादाजी ने लिखी पुस्तके ,उनको मिले प्राइज सब मुझे दिखाया,अपने स्कूलके बारेमे,दोस्तोंके बारेमे बताते रहे,शामको टेरेसपे जाके हम तिनो खेल भी खेले।बच्चोंको ये महाराष्ट्रीय दादी बहुत पसंद आयी,रातको कहानी सुनते सुनते मेरेपासही सो गये।
डॉक्टरभाईसाब और भाभि बहुत देर रात वापस आए।
सुबह जल्दी ही मैने सब को अलविदा किया क्योकी बच्चे उठ जाते तो मेरा निकलना असंभव हो जाता।नर्मदे हर!
सुबह का सुहाना मौसम था,रास्तेके दोनो तरफ के खेत लहराती हसी के साथ मेरे चलनेका हौसला बढा रहे थे।जैसे कह रहे थे,पैदल धीरे धीरे चलो मुखसे जय मैया बोलो।
तीनएक कि.मि.सागरटोला गांव तक आयी थी,पिछेसे गाडीका हॉर्न बजा एक गाडी मेरे पास रूक गयी और दरवाजा खोलके अंशिका अर्पित दोनो बच्चे मुझसे ऐसे लिपट गये मानो जैसे मै उनको छोडके कही भाग रही थी।मुखसे रट लगा रखी थी,घर वापस चलो आपने कही नही जाना हमारे साथही रहना।
बच्चोंका प्यार देखकर मेरे ऑंखोंसे बहते आंसू थमने नाम नही ले रहे थे,मैया किस जनम का नाता है हमारा?एकही दिनमें इतना प्यारा लगाव हुआ।
नवीन बोला,निंद खुलतेही मेरे बारेमे पुछा और मै चली गयी ये समझने पर रो रो के हंगामा खडा कर दिया आखिर ज्यादा दूर नही गयी होगी ऐसा सोचकर बच्चोंको लेकर आ गया था।
परिक्रमामे वापस पिछे नही जा सकते,परिक्रमा पुरी होनेके बाद आऊंगी,बर्थ डे को आऊंगी गॉड प्रॉमिस पक्का आऊंगी ऐसा वैसा बहुत समझाने के बाद रोते रोते कैसे तो गाडीमे बैठ गये।मै भी आंखोंमे आंसू लिये नर्मदे हर करते आगे चल पडी।
आगे सिद्धार्थ यादव की टपरी पर चाय लिया उसने पैसे नही लिये।बोंदर हर्रा के बाद कारोपानि यहॉं से थोडी दुरीपर कृष्णमृग अभयारण्य है।वहॉं जाना मुमकिन नही था सो आगे निकली,डॉक्टर भाईसाबने स॑जीव मरकाम का नाम बताया था गिधागाव के बॉर्डरपर उनका बंगला है।अंदर गयी मगर वो कही गाव जानेवाले थे।चाय पिके आगे नर्मदे हर'
गोमती मैया के किनारे महेंद्रसिंग का हॉटेल है।उनके बेटे को बचपनमे मॅनेनजायटीस हुआ था।नानीने बच्चा ठीक होने दो उसको लेके परिक्रमा करूंगी ऐसी मैयासे मन्नत मांगी,बेटा ठीक हुआ तो दस सालके बेटेको लेके नानीने पैदल परिक्रमा की।नर्मदे हर। शाम को गिधा गांव मे श्री.फुलसिंग राठौर के घर आसन लगाया।बहुत सेवाव्रती परिवार है।पुजा पाठ भोजनप्रसाद लेके अब विश्रांती ।
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-5
आज सुबह पाच बजे फुलसिंग राठौरजी को नर्मदे हर करके निकल पडे,गोमतीके किनारे स्नान करके महेंद्रसिंग के ढाबेमे बैठकर मैयाकी आराधना पुजा आरती की,महेंद्रजीने पोहे-चाय नास्ता दिया।नर्मदे हर!
कुडा,बिछिया,महावीर टोला,सिमरिया फाटा,घानाघाट पार करके दिंडोरी पहुंचे।अमरकंटक के बाद मैयाका दर्शन नही हुआ था इसलिए मैयाके घाटपर गये।मगर अफसोस!सारा परिसर गंदगीसे भरा पडा था।मन बहुत नाराज हुआ।किनारेसे नही जा सकते ऐसा लोगोने बताया इसलिए वापस मंडला रोडसेही जाना ठीक समझा।
मेरे पैरोंमे ब्लिस्टर आये है,मडिकल स्टोअर से बॅण्डेड और कुछ ऍन्टिबायोटीक खरीदे,मुझे डायबेटीस है प्रिकॉशन लेना जरूरी है।
किरहाटोला,जमुनिया,रहंगी,रयपुरा पिछे छोडके इमलयको स्कूलके आगे पिपलका पेड है वहॉ बैठे।स्कुलके सर बोले बच्चोंका भोजन होने बाद आपको भोजन कराएंगे।नर्मदे हर!दो बजे दाल-चावलका भोजनप्रसाद लेके विनोबा एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखायी।
दिंडोरी डिस्ट्रिक ये सारा प्रदेश रूक्ष है।पेडपौधे बिलकूल नही।दिंडोरी शहरका शायद कचराडंपिंग झोन है,कचरेके पहाड बन गये है।मैया इधरसे पाच कि.मि.दूरीपर है फिरभी सारा प्रांत उजडा हुआ क्युं है पता नही। कडी धूप थी,घाटका रास्ता था पानी पानी हो रहा था प्याससे,अपने पासका पानी खतम?सॉरी एक महाराजने बोला था,खतम नही बोलना पुरा हो गया बोलनेका,तो हमारा पानी पुरा हुआ था।रैपुरा पिछे छोडके हम छपरी आगये थे।रास्तेपास एक घर था।नर्मदे हर।मैया!पानी मिलेगा? जरूर मिलेगा।मैयाने बैठक बिछायी,थंडगार पानी कांसेके लोटेमे दिया साथमे एक प्लेटमे गुडभी दिया बोली सिर्फ पानी नही पिना पहले गुड खाओ बादमे पानी पिना।नर्मदे हर मैया!कितने आतित्थ्यशील है आपके बच्चे।माताजी का नाम था रनियाबाई।जुल्दानिया फाटा,तलैया तक घाट चढाई थी बादमे उतरना था।तलैयामे चायटपरीमे चाय लिया।पासमे एक मंदिर था मगर रहने सुविधा नही थी।आगे जानाही पडेगा।वापस एक छोटा घाट चढके किसलपुरी गांव आया।एक स्कूल,हॅण्डपंप के पास सौ.भानुमती थानिलाल गर्ग का घर था।शामके छे बजनेवाले थे आज गिधा से किसलपुरीतक 25-30कि.मि.चले थे,बहुत थक गये थे इसलिये माताजी के पास निवासभिक्षा मांगी,वो उन्होने सहर्ष दे दी।घरमे एक नया कमरा बनाया था उसमे हमे ठहराया।
भानुमतीजीके पुत्र प्रमोद गर्ग बहू कामिनी,बच्चे प्रिया,प्रफुल्ल,दुसरा पुत्र विरेंद्र बहू अल्पना बच्चे हर्षिता,सत्यम तिसरा पुत्र राघवेंद्र।पिंजराटोलामे जिस हरीप्रसाद तिवारी और गयाप्रसाद तिवारी के यहॉ हमने चायपान किया था,अल्पना उन्ही की बेटी है।परिक्रमावासियोंके प्रति इतना आदर,अपनेपास जो सर्वोत्तम है वह उनको देनेकी आस ये देखके मन भर आता है।मैया ये आपका प्यार।बोलनेको शब्द नही है।
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-6
भोर समयी पाच बजे गर्ग फॅमिली को अलविदा करके हमारी विनोबा एक्सप्रेस छुटी।सक्का,कचनारी,बरगा घाट चढाई शुरू।रास्तेके दुतर्फा पहाडपर घनदाट जंगल है फिरभी चलनेवाले को छांव नही मिलती क्योंकी जंगल पर्वतीय ढलानपर है।राई गांव आया दुर्गामंदिर के सामने अनिलसाहू के हॉटेलमे नास्ता किया उन्होने चायके पैसे नही लिये।अब घाट उतरना था।
मुझे बुखार आया है,पैरके ब्लिस्टर चलने नही दे रहे।एक जगह मॉं वनदेवी मंदिर है,वहॉके महाराजने हलवाप्रसाद दिया। 2014मे यहॉ एक जलस्त्रोत का उद्गम हुआ,एक पंचमुखी नागदेवताने दर्शन दिया ऐसा महाराजने बताया।वो बोले नर्मदामैया प्रकट हो गयी है कुण्ड भी बनाया है।
हर्राटोला के बाद हर्रा गांव आया स्कूलके शिक्षक श्री सारदा गोप आये हमे बुलाया,बोले आज उनके पत्नीने ज्यादा डबा दिया था और बोली आज आपको माताजींको खिलाना है।नर्मदे हर!मैया तेरी लिला अगाध है।
थोडी चढाई के बाद अब घाट उतरना था।गिधलौंडी,एक नदी किनारे गर्द झाडीमें एक हनुमानमंदिर और एक कुटी थी काशिगिरी महाराजने बगिचासे तोडके अमरूद दिये मधुर अमरूद।अंतरात्मा तृप्त हुआ।
कोयलीघॉंस,अंडियामाल के बाद चाबी गाव आ गया मेरे पास रूसा के कमलेश रायने बताया माया बघेल शिक्षिका ये एक सिर्फ नाम था।बुखार से बेहाल हो गयी थी।आगे चल पडे ।एक माताजी अपने घरके बाहर बैठी थी जोरजोरसे मुँहसे आवाज करते हातोंसे इशारा करके हमको बुलाने लगी पास जातेही मेरा हाथ पकडके अपने पासकी खुर्सीपर बिठाया,मेरे सरपर,गलेपर हाथ लगाकर इशारेसे बुखार आया है,पैर दुख रहा है,आज इधर हमारे घरही रहो ऐसा कहती रही। उनके घरके सदस्य भी आ गये और बडा आग्रह करने लगे हम मान गये।मैयाने आज अपने इस पुत्रके घर हमारी व्यवस्था तय की थी।ये घर था गप्पू खडगडे का।
खडगडे कुटुंब बैतुल जिल्हा आमला जो मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र सीमापर है वहॉंके रहनेवाले है।बहूँए महाराष्ट्रके छिंदवाडा की है।फिर क्या हम उनके मायकेवाले,मराठीमें बाते,महाराष्ट्रीय भोजन।गरमपानीमे नमक डालके पैर सेंकना।बहुत आराम मिला।
तबियत ठीक नही मगर चलना तो पडेगाही।साडेपांच बजे विनोबाएक्सप्रेस को ग्रिन सिग्नल दिया।खैरी के बाद गिठौरीमे श्री शर्मणकुमार झारिया के चायटपरीपर चाय लिया उन्होने पैसे नही लिये मैया कितने सेवाव्रती है आपके बच्चे।नर्मदे हर।
खाल्हेगिठौरी,अंडियादर,मोहगांव रैयत,मोहगांव नाकेपर गोविंद बैरागी के हॉटेलमे उडददालके वडे-चाय नास्ता किया,दवा कॅप्सुल लेली।बैरागीजीने पैसे लेनेसे इन्कार कियाउपरसे तबियत ठीक नही इसलिए आज यही रहो कहने लगे।आगे जाना जरूरी था इसलिए नर्मदे हर।
धूप कड़ी हो रही थी,पैर बहुत दुख रहा था,बुखार बढ रहा था।इंद्रागाव आया,सोनादास माणिकपुरी इस कबीरपंथी गृहस्थके घर ॐभवति भिक्षां दे हि किया उन्होने सहर्ष घरमे बुलाया,भोजनप्रसादके बाद दवा लेके विश्राम किया।
दो बजे आगे चल पडे।बुखार है,सर भी फटा जा रहा था,पैर चलनेसे मना कर रहा था।देवगांव पहुँचे तब पाच बज चुके थे।सौ.लिलाबाई संतकुमार झारिया,उनकी बेटी श्रीमती लक्ष्मी के घर निवास भिक्षा मांगी,मैयाके बच्चे आतिथी देवो भव ये उनका परम धर्म है ना बोलने का सवालही नही था।झारियाजी के दो जवान बेटे किसी कारणवश भगवानको प्यारे हो गये थे ये क्या कम था लक्ष्मी के पतीको भी देवाज्ञा हो गयी थी।लक्ष्मी के दो बच्चे सोमनाथ और कविता बहुत स्कॉलर है।
एक छोटासा दुकान निर्वाहका साधन है।संतकुमार रोज सुबह-शाम मैया को दुध-अगरबत्ती चढाए बिना अन्न ग्रहण नही करते।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-7
लक्ष्मी के बच्चे स्कॉलर है,परिक्रमामे रहते उनके लिए ज्यादा कुछ करना संभव नही था इसलिए स्कूलको लगनेवाले मटेरिअल के लिए कुछ पैसे दे दिये वो नही ले रहे थे हमने कहा ये कन्या पुजन है तब जाके स्वीकार किया।परिक्रमा पुर्ति के बाद हमने उनके लिए और मदत भेज दी।
पावणे छे बजे प्रस्थान किया।नर्मदा-बुढनेर संगममे स्नान किया जल बहुत सुहाना गुनगुना था।बुखार होने के बावजूद स्नान के बाद मुझे बहुत बढ़िया महसूस हो रहा था।मंदीरमे दर्शन करके घाटपर बैठकर मैया की आरती करके बुढी माई पार करनी थी,पानी ज्यादा गहरा नही था मगर फिसलन का डर लग रहा था,मोहित नंद नामके छोटे नर्मदापुत्र ने मेरा हाथ पकडकर मुझे वो बडी चौडी बुढीमाई पार करवा दी।नर्मदे हर।
नदीकी दरड चढकर उपर आए,परिक्रमापथ ऐसा बोर्ड था थोडा तेढा था आगे चल पडे कुडोपानि गांवमे पहुँचे।गलती हुई थी,बोर्डके बाजूसे जाना चाहिए था अब सफर लंबा होना था।जंगलतक पहुँचते पहुँचते मेरी दमछाक हो गयी।घाट चढना मुझे नामुमकिन लग रहा था।मै वही बैठ गयी। वहॉ कुछ बच्चे जंगलमे महुआ के फूल इकठ्ठा कर रहे थे। उनको मदतके लिए बिनती की हिमांशु वरकडे नामके बच्चेने मेरी सॅक उठायी और हम घाट चढने लगे,घनदाट जंगल बडेबडे पत्थरोंके बिचमेसे चलते घाट चढके उतरकर रास्तेपर आ गये।थोडीदेर विश्राम करके सामनेही के खेतमेसे पगदंडी से बिलगांव पहुँचे।मुझे बुखार आया था पैर भी बहुत दुख रहा था।गावमे डॉक्टर विनोद शुक्ल,डॉक्टर अरविंद शुक्ल की डिस्पेंसरी थी,उधर गये मुझे 102बुखार था।डॉक्टर बोले रामनगर दूर है आज आप हमारे घरही रहो,मेडिसिन लेके आराम करना अगर ठीक लगा तो कल आगे बढ़ना नही तो दो-तीन दिन यही रहना।हम रूक गये।आज सिर्फ दस कि.मि.चलना हुआ था।
दुसरे दिन सुबह छे बजे प्रस्थान किया।आजका रास्ता सिधा था।सालिवाडा,चंदवारा फाटा पिछे छोडके रेवाखण्डे सेकंडरी स्कूल पलेहरा बोर्ड पाससे दाहिने बाजूसे पलेहरा गांवमेसे सिमेंटका रास्ता खतम होतेही सामनेके पगदंडीसे खेतोंके बांधोंपरसे चलते झिना गांवमे आ गये।
अब डांबर रोड आ गया।चौगान गावमे मध्यप्रदेश सरकारका पर्यटन रेस्टहाऊस है।यहॉं रहके रामनगर किला,मोतिमहल,काला पहाड वगैरे पर्यटन स्थल देख सकते है।एक टपरीपर चाय लेके आगे चल पडे।
चौगान की मढ़िया ये एक ऐतिहासिक वास्तू देखनेको मिली।रामनगर बड़ा गांव है।ऐतिहासिक धरोहर है मध्यप्रदेश की।रामभक्तकी गढ़ी,राममंदिर,मोतीमहल,मैयाका घाट है।हमारेलिए अभिमानास्पद बाब,यहॉं बॅंक ऑफ महाराष्ट्र की शाखा है।नास्ता करके दवा लेके आगे चले।नर्मदे हर।
मुगली गाव,यहॉसे कालापहाड जा सकते है।काला पहाडमे नैसर्गिक बने अष्टकोनी,षटकोनी पिलर्स बने है।एक गुंफामे शिवपिंडी है,पहाडमे मिट्टी बिलकूलभी नही फिरभी बडे बडे वृक्ष है।ऐसा हमे बताया गया मगर समय नही था,फिर कभी आएंगे।अब चलो आगे।
कुरिया टोला का घाट चढके मधुपुरी पहुँचे।ॐशिवमंदिर,यहॉ परिक्रमावासीओंको भोजनप्रसादकी सुविधा मिलती है।नर्मदे हर!गीताबाई होलकर पटेल सेवाव्रती है।सहर्ष स्वागत हुआ।भोजनप्रसाद के बाद थोडा विश्राम करके आगे प्रस्थान।
घुघरागांवके बाद एक तलावके आगेसे दाहिने तरफ कॅनॉल रोडसे शॉर्टकटसे चल रहे थे।कड़ी धूप थी मगर कॅनॉलके पानीके उपरसे चलनीवाली थंडी हवा सुकून दे रही थी।आमगमा गांव पिछे छोडके खडदेवरा गांवके शासकीय प्रार्थमिक स्कूलके पाससे सुंदर मैया दर्शन हुआ।बहुत खुशी हुई।स्कूल शिक्षक श्री.मनोज तिवारी,जितेंद्र ठाकूर,चाय-पानी होनेके बाद नर्मदे हर।
खडदेवरीमे कॅनॉल क्रॉस करके स्कूलके पाससे पगदंडीसे आगे निकले थोडी दुरीपर रोड मिल गया।दाहिने बाजूसे सुरजकुण्ड के दर्शन करने गए।सुंदर मंदिर परिसर,मैया किनारे कुण्ड।कुछ लोग इधर रहो बोल रहे थे मगर हमने महाराजपुर जाना मुनासिफ समझा नर्मदे हर।
पुरवा चौराहा,चाय पिके बंजर-नर्मदा संगमपर आए।बंजरमैयापर कच्चा छोटा ब्रिज है मराठीमे हम उसको सांडूवा या सेतू कहते है।
बडे शहरोंमे नदियोंका जो हाल होता है वही हाल यहॉं भी था,सारे शहरका कुड़ा-कचरा शायद यहॉं लाकर पटक दिया था। उसी गंदगीमेसे आवागमन चल रहा था।हम भी गये महाराजपुर।कही रहनेका इंतजाम न हो सका तो गाडीसे परिक्रमा करनेवाले जिस रमा-रमण लॉज मे ठहरते है वहॉं जानेके लिए चले लॉज के बाजूमेही भा.ज.पा.पार्षद रितेश राय,सौ.प्रिती राय का घर था गये अंदरग,निवास भिक्षा मांगी,उन्होने सहर्ष दे दी।बहुत बढ़िया आदर सत्कार किया हमारा।नर्मदे हर।
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-8
नर्मदे हर!तबियत ठीक नही थी।बुखार के कारण थकावट थी,पैर भी दुख रहा था इसलिए प्रितीजी,रितेशजीने हमे आगे जाने नही दिया,दो दिन आराम किया। कल शामको हर्रा स्कूल टीचर श्री.सारदा गोप के घर भोजन प्रसादके लिए गये थे।
सुबह स्नान आरतीके बाद टेरेसमे जाके दूर दिखनेवाली नर्मदामैया का दर्शन करके प्रणाम किया,सुखरूप रखो,चलनेके लिए ताकद दो ऐसी प्रार्थना की,चाय पिके राय फॅमिली को नर्मदे हर करके चल पडे।बाहर आतेही सारदा गोप मिले।वो हमारे साथ श्री.शरद साठे,सो.शोभा साठे के घर तक आके फिर स्कूल जानेवाले है।साठे तथा गोळवलकर महाराष्ट्रीय कुटुंब है। हम चल ही रहे थे,पिछेसे रितेश राय शॉर्टकट दिखाने आ गये।उनको हमने साठेजी के घर जा रहे है ऐसा बताया।ठीक है,वो चले गये।हम साठेजींके घर गये।नर्मदे हर कहके सारदा गोप भी अपने स्कूलके लिए गये।शुभदाताई,शरद भाऊजीने बडे प्यारसे स्वागत किया।नास्तेके लिए पोहे बनाये,चाय दिया।एक रिश्तेदारी हो गयी।नर्मदे हर!
मानादेही के बाद आया घुंगरूवाले बाबाका रेवासंतकुटी आश्रम।दर्शन लिया,बाबा बहुत वृद्ध है शायद 100के उपर आयु होगी।चाय लेके आगे चले।सहस्त्रधारा दर्शन हो रहा था,पानी नही था जब बर्गीडॅमसे पानी छोडते है तब धाराए दिखती है ऐसा बताया किसीने।
शॉर्टकटसे मैया किनारेसे सुरंगदेवरी गावके देवबाप्पा माऊलीधाम सेवाश्रमे आ गये।ये आश्रम हमारे त्र्यंबकेश्वरके फरशीवाले बाबाजींका है।बाबाके शिष्य सत्चितानंद महाराज यहॉंके व्यवस्थापक है।तो क्या अपने घर जैसाही लगा,मराठीमे बातचित होने लगी।स्वयंपाक होने तक महाराजजीने सारा परिसर दिखाया,बहुत सुंदर बाग-बगिचा,थोडी खेती,केले,पपिता,आम के पेड,यज्ञशाला,मंदिर,सामने सुंदर नीलश्यामल नर्मदामैया पवित्र शांत वातावरण।महाराज बोले रहो आज कल जाना आगे।इतनी सुंदर मैया कलसे थोडे दिन नजरसे ओझल होनेवाली थी,यहॉंसे जानेको मनभी नही कह रहा था सो आसन लगाया बरामदेमे।
सुबह सव्वा छे बजे स्नान पुजा आरती करके चाय लेके मैय्याको ऑंखोमे भरके साश्रू नयनोंसे आगे चलने लगे।सिलपुरा-मॉं रेवाश्रममे श्री.सुंदरदास महाराज-चित्रकुट गादी तथा सौ.मुन्निबाई ने स्वागत किया।छोटीसि कुटिया,सामने छोटासा सुंदर बगिचा प्यारीसी वृद्ध जोडी अपना वानप्रस्थाश्रमी जिंदगी बडे सुखसे राम नामस्मरणमे मग्न रहकर बसर कर रहे थे।देखके बहुत अच्छा लगा।क्या कभी हम ऐसा रह पाएंगे?
सिलपुरा,रथटोला,सुनपुरी,भैसादाहके बाद घागा आयुष औषधालयके प्रांगणमे जलपान करके थोडा विश्राम करके आगे डॉक्टर साब ने बोला घागागांवमे जानेकी जरूरत नही सामनेसे जाके थोडी दुरीपर तालाबके बाजुसे अहमदपुर सिर्फ चार कि.मि.पडता है,इसलिए वैसे चलने लगे।
आज सुबहसेही मौसम थोडा खराब था,बादल आ रहे थे जा रहे थे।तालाब बडा था,पानी स्वच्छ था,आजुबाजुमे गंदगी नही थी।शहरवासी लोगोंने गांववालोंसे कुछ सिखना चाहिये। तालाबके बाजूसे कच्चा रास्ता था,मगर सिर्फ थोडा।अब खेतके बांधपरसे चलना था।और मौसम ज्यादाही खराब होने लगा बारिश कभिभी जमके बरसने लगेगी।हम जल्दी जल्दी चलने लगे।जैसे तैसे अहमदपुरगांवमे प्रवेश किया। समाजमंच के पास एक टपरीपर कुछ लोग खडे थे।आज गांवमे कृषिमेला हुआ था।बादल कभिभी बरसने लगेंगे चार बजे थे आगेका गांव कितना दूर था,रास्ता कैसा है मालूम नही था।आज इसी गांवमे रहना उचित था।हमने गांववालोंको पुछा,वो बोलले मंचपर रहो,सदाव्रत ले लो।नर्मदे हर!हमने बारिशमे मंचपर खुलेमे रहना और सदाव्रत लेकर भोजन बनानेमें हमारी असमर्थता जतायी।और किसीके घरमे व्यवस्था होगी क्या ये पुछा।श्री.बाबुराव यादवने नर्मदे हर करके बोले मैया हमारे घर आ रही है ना कैसे कहे?चलिए हमारे घर।और हम पासमेंही उनके घर गये।हमने घरमे जैसेही प्रवेश किया,बारिश जोरसे शुरू हो गयी।नर्मदे हर!
बाबुराव का कुटुंब सेवाभावी है।पैर धोनेके लिए गरम पानी,भोजनमे पुरी-सब्जी,चावल,खीर बड़ा थाट था।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-9
बाबुराम की बहन पेट दुखनेसे परेशान थी मुझे राइट युरेटेरीक कॉलिक लग रहा था,सोनोग्राफी के बिना कुछ बताना ठीक न होता और मै यहॉं व्हिलेजमे कर भी क्या सकती थी,मेरे पास कुछ गोली थी,दे दी और सुबह महाराजपुर मंडला ले जानेको बोला।नर्मदे हर।
सुबह जल्दी घरके सामनेके हॅण्डपंपके पानीसे स्नान करके पुजा आरती करके चाय लेके विनोबाएक्सप्रेस को हरी झंडी दिखायी।बाबुराम दूरतक हमारे साथ आये थे।नर्मदे हर।
. सुरजपुरा,ठाडा,साल्हेदंडामे नौजिलाल तिलगाम आग्रह करके अपने घर लेके गये बहुत अच्छे लोग है।बर्गीडॅम घर गांव डब गया,अच्छी उपजाऊ जमीन गयी और यहॉं पहाडमे पुनर्वसित होना पडा है। फिर भी आनंदी है।चाय-नास्ता करके आगे बढे।नर्मदे हर!
रंगमंचके सामनेसे पगदंडीके रास्ते बंधारा क्रॉस करके कच्चे रास्तेपर आये।दोनो तरफ घना जंगल है।बारिशके दिन अभी अभी ही गुजरे है इसलिए पहाड हरियालीसे भरेपुरे है।नदीनालोंमे स्वच्छ जल भरा है।बडे बडे पेडोंमेसे नीचे जमीन पर आनेमे सुर्यकिरनोंको बडी मुश्कीले झेलनी पड रही है।और कच्चा रास्ता गायब हो गया पगदंडी दायें बायें दोनो तरफ जा रही थी,किस तरफ जाना समझ नही आ रहा था।नर्मदे हर!नर्मदे हर!नर्मदे हर! हमारा पुकारना मैयाजी तुरंत सुनती है,एक आदमी पिछेसे आया बाए तरफसे चलो नर्मदे हर कहके आगे निकल गया।हम भी उसके पिछे हो लिये मगर वो इतने जल्दी गया की देखतेही हमारी नजरसे ओझल हो गया। आगे एक पेडपर परिक्रमापथ बोर्ड लगाया था।चलो आगे।
एक नाला आ गया पानी था मगर पत्थर डालके पगदंडी बनायी थी,आसानीसे पार हो गये। अब सुरू हो गयी खडी चढाई,बडे बडे पत्थरोंमेसे चलते चलते पहाडकी चोटीपर आ गये।जंगल समाप्त हो गया अब नीचे उतरना था,रास्ता नही था पगदंडीसे उतरकर भूमकागांवमे आ गये।स्कूलके पास विश्वकर्माजीके घर आंगनमे नर्मदे हर करके बैठ गये।बडी खुशीसे भाभीजीने स्वागत किया।थक गये थे,जलपान चायपान किया विश्वकर्माजीके आंगनमे हमने एक अलग तरह का चुल्हा देखा। वैसेभी हमे कहॉं मिलता है मिट्टीका चुल्हा देखनेको।नर्मदे हर। आगे चले थोडी दुरीपर डॉक्टर जसवंत यादवने बुलाया मलेरिया इन्स्पेक्टर है।नर्मदे हर!चाय को मना किया तो लड्डू लेके आए।मैया क्या कहे इस प्यारको?आपके प्रति ये आस्था,भक्ति,प्यार देखके हम सिर्फ इतनाही कह सकते है नर्मदे हर!
आगे भुमकागांवमे अंदर अहमदपुरके बाबुराम यादवके पत्नीका मायका था,वृंदावन यादव के घर।हमे कपडे धोने थे,यादवजी को बाबुरामभाईने फोन किया था इसलिए वो हमारी राह देख रहे थे।सहर्ष स्वागत हुआ।कड़ी धूप थी।माताजीने पंप चालू किया,तीन तरफ कृष्णकमल के फुलोंकी बेल बांबुपर चढाकर दिवारसी बनायि थी और परदेका दरवाजा,इस अनोखे बाथरूम मे नयी सोपडिश,कपडे धोनेकेलिएभी बारसोप भरपूर पानी,मनसोक्त स्नान हुआ,कपडे धोये।दिल खुश हुआ।भोजन का क्या बतांए? दाल-चावल,पुरी,फ्लॉवर टोमॅटोरस्सा,पकोडे,पापड,बिजौरी,और खीर ऐसा आगत-स्वागत मैया शब्द नही मेरे पास।
विश्राम के बाद आगे चलो।अब अच्छा रास्ता था।केवलारी,कुकराके बाद बादल आ गये,जोरकी हवा चलने लगी शायद कल जैसी बारीश के आसार दिख रहे थे।हम जल्दी जल्दी चलने लगे।केदारपुरमे प्रवेश किया।चौराहेपर दांए बाजू एक दुकान था हमारेपास केशव सोनी ये एक नाम था,सोचा दुकानमे पुछेंगे और बरसात थमनेके बाद उनके घर जाएंगे।नर्मदे हर! मैयाकी बडी कृपा है।वो दुकान केशव सोनीजीकीही थी।
दुकानके पिछेही घर था।सहर्ष स्वागत हुआ।केशवजी की माताजी,पत्नी,बेटा,बेटी सब बहुत अच्छे है।बारिश हो रही थी,पांच कबके बज चुके थे।माताजीने हमे आज यही रहनेको कहा,इसलिए आज मुक्काम।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा - भाग -१० -
।।नर्मदे हर।।
सुबह पावणे पांच बजे केदारपुरको अलविदा किया क्योंकी हायवेसे चलना था।चरगांव,बरेली,किंदर ईमें रोहन टी स्टॉलमें चायप्रसाद लेकर आगे चलने लगे तब सुबहके साडे छे बजे थे। पौडीमें श्री.कमलाप्रसाद अग्निहोत्रीजीने नर्मदे हर किया और चायप्रसाद दिया। आंगनवाडीके बाजूसे शॉर्टकट बताया।चलने लगे,खेतोंमेंसे पगदंडीसे आगे गये तो सामने बहुत सारे पत्थरोंसे भरा उतार दिखायी दिया लगा,गलत जा रहे है।दुरवर खेतोमें लोग काम कर रहे थे इसलिये उधर जाकर पुछा तो वही पत्थरोंवालाही शॉर्टकट रास्ता था।नर्मदे हर।वापस पिछे आये। पत्थरोंमेंसे चलनेसे मेरी एढ़ी दुखने लगेगी ऐसा सोचकर मैने हिलपँड लगाके उपरसे सॉक्स पहनकर बूट पहन लिये और वह कठीण पत्थरोंसे भरी पगदंडी उतरने लगी।एक आदिवासी बंधू हमें रास्ता दिखा रहा था। जैसे तैस वह घाट उतरकर बघोडा नाला किनारे पहुँचे। नाला पार करने बूट सॉक्स उतारे तो मेरी दोनो एढ़ियोंके पिछेकी तरफ ब्लिस्टर आ गये थे।हिलपँड लगानेका निर्णय गलत हुआ था।नर्मदे हर।महेश नामके लडकेकी मदतसे बघोडानाला पार किया और कुडोठार पहुँचे। दरड चढकर एक घरके आंगनमें बैठे,जलपान किया बूट पहनकर आगे चल दिये। दलकामें सरजुकुमार यादव मिल गया मगर उसका घर दूर टेकरीपर था इसलिये स्कुलमे जाकर बैठे।भूक लगी थी,क्या करें?शिक्षक श्री.टी.आर.चौधरीजीने खिचडीका सदाव्रत दिया और सौ.लक्ष्मी आधवानजीको खिचडी बनाके देनेको कहा।नर्मदे हर। भोजनप्रसाद के बाद थोडा विश्राम करके एक बजे विनोबा एक्स्प्रेस आगे निखल पड़ी। पांडी दलका के बाद फिरसे बघोडा नाला आया मगर इधर पुल था।पार करनेके बाद कठीण चढाई उतराई ,एक दो जगह रास्ताभी भटक गये मगर मार्ग वापस मिलता गया। एक नाला पार किया।उसपार पगदंडीपर सफेद गोल मार्किंग किया था इसलिये अब चलना आसान हुआ।दूरवर बच्चोंकी आवाज आ रही थी।घोडे दिख रहे थे मगर बच्चे नही दिख रहे थे।धूप बहुतही कड़ी हो गयी थी।पानीभी खतम हुआ था।बहुतही थक गये थे।मैया! आसरा दिला दो।और एक झोपडी दिखायी दी।नर्मदे हर। श्री.बबलू यादवजी का घर था,गये अंदर। आंगनमें एक खटिया थी।मै अक्षरशः उसपर गिरही गयी। अढाई बजे से चार बजेतक आराम किया।मै तो वही रहना चाहती थी मगर साल्हेपानीका जंगल था,छोटीसी झोपडी थी इसलिये माताजीने कहा।नीचे एकही किलोमीटर फर साल्हेपानी गांव है,मेराही घर है,बेटा मुरारी बहू आरती है,अच्छी व्यवस्था होगी इसलिये चलो जाओ।नर्मदे हर। गये पगदंडीसे साल्हेपानी गांवमें।मुरारी आरतीने सहर्ष स्वागत किया। नर्मदे हर। फ्रेश होना,सायंनित्यपाठ,भोजनप्रसाद सारा बैजवार हुआ।अब निद्रादेवीकी आराधना। नर्मदे हर।
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-11
अरूणोदय समयी सव्वापांच बजे हमारी दो डिब्बोंकी विनोबा एक्सप्रेसने साल्हेपानी स्टेशन छोडा।छोटीसी घाटी चढके उपरके साल्हेपानीमे आ गये।मगर अंधेरा लालबावटा लेके खडा था,आगे शायद रास्ता नही था,पैरोंतले कुछ नही दिख रहा था।सूरज चाचू के सिग्नलका इंतजार करनेमेही समझदारी थी।सो एक घरके बाहर बैठ गये।नर्मदे हर!
पावणेछे बजे थोडासा धुंदला धुंदलासा दिखने लगा चलो मिल गया सिग्नल।उबड खाबड पगदंडी थी,एक जगह वो भी तूटी थी।जंप मारके खाईमे उतरे थोडा इधर उधर देखा कहॉंसे उपर चढनेमे आसानी होगी,फिर थोडा बांएकी तरफ जगह मिली पहले सॅक मैयाकी क्षमा मांगके उपर फेंकी सॅकमे शिशीमे मैया थी फेकनेसे उसको लगनेवाला था। फिर हायजंप मारके हम उपर कैसे तो गये सफेद ड्रेस लाल हो गया,मिट्टी लाल जो थी।प्रशांतकी लुंगी थोडी फट गयी,जाने दो चलता है।नर्मदे हर!
वापस जहॉं रस्ता टुटा था उधरतक कांटोमेसे कैसे तो आ गये।चढाई शुरू।आज कलसे बहुतही बेहतर रास्ता था।बडे बडे पत्थर कम थे।ये सारा प्रांत पुनर्वसित है,सारी व्यवस्था होनेमे समय तो लगेगा ही।
चढाई खतम डांबर रोड शुरू।घाटमाथा आया।एकही घर था।विजय यादवजी का।उन्होने देखतेही नर्मदे हर कहके बुलाया।नर्मदे हर!
बहू मालती,बेटा सुशीलने बैठनेको चटाई बिछायी,चाय बनाती हूँ मगर दूध नही है,काली चाय चलेगी? क्युं नही चलेगी?अरे भाई दौडेगी।चाय नही,काली महारानी होती है।इतने दिनोमे हम दूध की चाय मानो भुलही गये थे।अदरक तुलसीवाली चाय बहुत अच्छी लगती है।सिर्फ चिनी कम डालो ये बताना पडता है,बहुत मिठी चाय पिते है इधरके लोग।
चाय पिके उन्हीके खेतमेंसे पगदंडीके शॉर्टकटसे हम बिछुआगांव पहुँचे।छोटेलाल धर्मकजीने नर्मदे हर किया।आओ मैया तनिक बैठो।इतने प्यारभरे बुलावे को टालही नही सकते।नर्मदे हर।बैठे,इस गांवमे सारे धर्मकही है।यहॉं तो माताजी पोहे लेके आयी नास्तेके लिये,बडी डिश भरके पोहे बादमे दूधवाला स्पेशल चाय कम चिनीवाला,बोली,हमको मालूम है आप लोग कम मिठी चाय पिते हो।मुझे हसी आयी,तो बोली क्या सही बोला ना मैने?नर्मदे हर!
आगे परासपानीगावके स्कूलके पाससे कच्चे रास्तेसे दुर्जनपुर। कड़ी धूप लगने लगी थी,कही भी एकभी पेड नही था। हमारे पास एक नाम था गोंटिया। पुछते पुछते गये।पंडीतजी का घर है,बडा घर है।गांवभी बडा है।नल-पानी योजना है।पानी आया हुआ था।हमारा स्नान होना बाकी था,कपडेभी बहुत गंदे हुए थे।सो पुछा,माताजी हां बोली,वो अभी अभी बिमारीसे बाहर आयी है।बुढी अम्मा ब्रेन स्ट्रोक हुआ था।स्नान,कपडे हो गये,मैया की पुजा आरती करके निकलेंगे ऐसा सोचा उतनेमे बडे पंडीतजीबाबा आ गये,हमारा स्तोत्र पठन सुनके पुछा पंडीत हो?मैने कहा,नही ब्राह्मण है।बाबा बोले ब्राह्मणही तो पंडीत होते है।अच्छा!हमारे यहॉ सिर्फ विद्वान,शास्त्रीओंको पंडीत कहते है बाकी सिर्फ ब्राह्मण।बाबा हसने लगे बोले संस्कृत अच्छा बोलती हो,बचपनके संस्कार है।
कपडे घडी करके सॅक पॅक कर दी और पंडीतजीको प्रणाम करके बोला चलते है।अरे?भोजन पा लिया?नही रहने दो,माताजी बिमार है हमने नास्ता किया है अभी भूक नही है।अरे वा!ऐसे कैसे चलेगा?बहू!! दमदार आवाज।हमे आके इतनी देर हो गयी थी,हमने किसीको नही देखा सिवाय माताजीके और एक लडकेके,वो लडका भी बादमे घरके अंदर गायब हुआ था।
और बडी बहू थाली परोसके लेके आयी,आपने देखा नही था परिक्रमावासी आए है?बाबाजी।बहू बिना जवाब दिये अंदर चली गयी।दुसरी बहू मिठाई लेके आयी।मुझे बोली,दिदी मै पुछनेवालीही थी,मेरे सरदर्द था,सोचा आपका स्नान होनेके बाद पुछुंगी।कोई बात नही बेटा।कुछ गोली वगैरे ली की नही?मै दे दू? मैने पुछा।बाम लगाया है कहके अंदर चली गयी।नर्मदे हर!
भोजन के बाद हमने सोचा इतने बुजुर्ग ब्राह्मण पती-पत्नी पंडीत है पुजन करना चाहिए।सो हमने दोनोंको बिठाकर प्रणाम करके दक्षिणा प्रदान की,उन्होने आशिर्वाद दिया।माताजी रोने लग गयी,मै बिमार क्या हो गयी...देखा तुमने क्या हो गया।मै क्या बोलती? नर्मदे हर।
पंडीतबाबाजी रहनेको कह रहे थे,हमने नर्मदे हर कहा।प्रणाम करके प्रस्थान किया।जंगलमे रहनेवाले गरीब आदिवासी तेरे बच्चे मैया सचमे बहुत बहुत धनवान है।
मेन रोडपर आनेके बाद एक टपरीपर चाय लिया।एक बच्चेने खेतमेसे जानेवाला शॉर्टकट दिखाया। पनारझीरगांवमे पहुँचे।अब स्टेट हायवेसे चलना था।जम्होरी,जम्होरीखुर्द,दिवारामार्गे दिवारीगांव पहुँचे शामके छे बजनेवाले थे।आज गांवका बाजार था। सरपंचका घर पिछे दिवारामे था,हमे कल यहींसे आगे जाना था।पंडीत श्री.जवाहरलाल दुबेजी का घर पासमेही था।गये उनके घर।सहर्ष स्वागत हुआ।सौ.पद्मा और दो बेटियॉं,बडा प्यारा परिवार है।हमने कन्यापुजन किया।आरतीके बाद पद्माने गरम गरम दाल-चावल,पुरी-सब्जी,पापड,खीर सुंदर भोजन प्रसाद परोसा।भोजनके बाद कहानी सुनानेके बाद अब विश्राम।
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-12
भोर होतेही स्नान,पुजा आरती करके पद्माने दिया चाय पिके उनको नर्मदे हर किया,बच्चीयॉं भी हमे टाटा करने के लिये इतनी जल्दी उठी थी।पंडीतजींके साथ हमे निरोप देने दुरतक आयी।हम निकले तब पांच बजे थे।
शिकाराफाटा,नहरतला,सुरजपुरा,कलकुही के बाद आया पायलीफाटा,यहॉंसे इको फ्रेंडली पर्यटन क्षेत्र है।गेटका परिसर इतना सुंदर है तो अंदर कितना सुंदर होगा? अंदर रिसॉर्ट है।ऑन लाइन बुकींग होता है।अभी परिक्रमामे है,बादमे कभी आ जाएंगे।
यहॉंसे घाट उतरना चालू हुआ।सुंदर जंगल,बिच बिच मे छोटे छोटे वॉटरफॉल थे।रास्ताभी अच्छा था।गढ़गोरखपुर फाटा,बीमाफाटा,सालिवाडा,सालिवाडा तुनिया आया।ओ हो!मैया!दुरवर सुंदरमैया दर्शन हुआ।सहस्त्रधारासे घागातक मैयाका दर्शन हो रहा था उसके बाद आज दर्शन हुआ था,मन उत्साहित हो गया,थकावट भाग गयी। संकटमोचनधाम हनुमानमंदिर था।ज्ञानलालनाथ महाराज थे।दर्शन करने अंदर गये।सुंदर बाग,तुलसीबन था।दर्शन लिया मराठी मारूतिस्त्रोत्र भीमरूपी महारूद्रा बोला।महाराजने तुलसीके पत्ते,अदरक डालके चाय बनायी,कालिमहारानी बहूत बढ़िया। दस मिनिटं विश्राम करके चले,नर्मदे हर!
घुल्लापाठ,यहॉ पहाडमे दादामहाराजका स्थान है।भाद्रपद अमावस को मेला लगता है।गागनदागांवके शुरूमें एक खेतमें सितारामबाबा और सौ.शामबाई वानप्रस्थी दंपतीने नर्मदे हर करके बुलाया,जलपान कराया नर्मदे हर।
गागनदा गांवमे रघुवीरसिंह लोधीजींके घर आए,सहर्ष स्वागत हुआ।घरके पिछेही बर्गीडॅम है।इसलिये सुपीक ज़मीन,बारमाही अनेकोप्रकारकी फ़सल होती है। सारा पुराना गागनदा बर्गीडॅममे डुब गया है,यहॉ उनका पुनर्वसन हुआ है।माताजींनी दूरवर पानीमें एक टीला दिखाया वहॉं था उनका पहला गागनदा।दिखाते समय माताजीके ऑंखोंमे पानी था,यहॉं सब है फिरभी गांव तो गांव था,वहॉ छोटीसी उमरमे नवीनवेली दुल्हन बनके आयी थी,संसार फला-फुला था।माताजी एकदमसे रोने लगी।
सही है!कुछ अच्छा पानेके लिये कितना बहुत कुछ अच्छा खोना पडता है।नर्मदे हर!हमारी भी ऑंख भर आयी थी।
कपडे धो लिये।भोजनप्रसाद के बाद लोधी पटेलजी की परपोती राधिकाके साथ थोडी देर खेलनेबाद बर्गीकॉलनी जानेके लिये प्रस्थान किया।
घाट रास्ता था,दाहिनेहाथ विशाल सुंदर रेवामैया साथमें चल रही थी।कह रही थी,जीवन चलनेका नाम चलते रहो सुबह शाम!
कॉलनीके गणेशमंदिरमे आ गये।मंदिर सुंदर है।आरतीमे सहभाग लिया।सुंदर गोबीके पराठे-अचार भोजनप्रसाद मिला।
वहॉंकी गाय बछडेको छोडके कही गयी थी,वो रो रहा था मॉं को बुला रहा था मैने उसको घॉंस खिलानेका प्रयत्न किया मगर शायद उसको घॉंस खाना नही आता था।बहुत देर रात गाय आ गयी तब कही जाके बछडा शांत हो गया और भी सो सके।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-13
आज बहुत जल्दी साडेचार बजे गणेशभगवानके दर्शन करके,बछड़ेको लाडप्यार किया और निकल पडे।मगर एक घंटा हुआ,कॉलनीके बाहर जानेका रास्ताही नही मिल रहा था क्या करे कहॉंसे जाए?मैया!नर्मदे हर!
मैया हमारी गंमत कर रही थी,मनही मनमे हँस रही थी।कैसा भुलभुलैया है?घुम फिर के वही पहले जगह ही आ गये थे।और फिर मैयाने संध्या नायक और उसकी मॉं को भेजा।उन्होने हमे बर्गीगांव जानेवाले रास्तेपर लाया।नर्मदे हर!
सुरजपुरी वनचेक नाका था मगर बंद कोई वॉचमन,सिक्युरिटी नही थी।नर्मदे हर!
सुरजपुरीसे बर्गीडॅमका प्रकाशमय नजारा देखतेही बनता था।लाइटका नजारा,पानीमे पडा प्रतिबिंब।सुंदर।वर्णनातीत।
चौराई,रास्तेके बाजूमे हनुमान-साई मंदिर था।दर्शन करके महाराजने दिया कालिमहारानी चायपान किया।उनको प्रणाम करके आगे।
टेमरमैया ब्रिजपरसे पार करके बर्गीगांव पहुँचे।स्टेटहायवे है,जबलपुर जानेवाला।आज मेरा चतुर्थीका व्रत है।प्रशांतने नास्ता किया,मैने सिर्फ चाय लिया।वहॉं लोगोने बताया घाटपिपरिया रोडसे जाना,थोडा आगे जाके लेफ्टको घाटपिपरिया रोडसे आगे चल पडे।रेल्वे क्रॉसिंग पार करके चल रहे थे। अब धूप बढने लगी थी।रास्तेमे जबलपुर मेडिकल कॉलेजके डॉक्टर अश्विनी पाठकजीके निर्माणाधिन फॉर्महाऊसके वॉचमन श्री.पंचमलाल यादवजी को पुछा और बैठे।सुंदर वृक्षराजी,एक बड़ासा कुवॉं।फल-फुलोंके पेडपौधे।सुंदर स्थान।पंचमलालजीने चायपान करवाया।नर्मदे हर!चलो आगे।
महरपाठा गांव आया।एक बसस्टॉप दुकान था बच्चे बसकेलिये रूके थे।हम भी रूक गये विश्राम के लिये।पिछेही सुखवतीबाई गौड का घर था,उन्होने बुलाया।सुखवतीबाई स्कूलमे भोजन बनाती है।प्रशांतको रोटी-सब्जी और मेरे लिये भूनि मुंगफली चाय बडे प्यार आदरसे दिया।उनके परसमे टोमॅटो लगे थे मैने कच्चे टोमॅटोकी चटनी बनानेकी विधी बतायि तो सरस्वतीने तुरंत बनायी,उनको बहुत पसंदभी आयी।नर्मदे हर!
आगे पुरानापानीमे रास्तेमे बडादेव(महादेव)मंदिर,धरमशाला है।सामने एक नदीमैया बह रही थी।यहॉं श्रीरामजी साधुमहाराज है।कपडे सुखाने डालकर विश्राम करने पेडके निचे आसन लगाया।
थोडी धूप कम हो गयी,महाराजने चायपान करवाया।प्रणाम करके नर्मदे हर!जमुनिया,घाटपिपरियामे सौ.कल्लुबाई गंगाराम पटेल के घर निवासभिक्षा मांगी,उन्होने सहर्ष दे दी।आसन लगाया।शामको आरतीमे घरके सभी सदस्य शामिल हुए।बढ़िया भोजन,कढ़ी-पकोडे,पुरी-सब्जी,चावल,खीर।अब निद्रादेवीकी आराधना।नर्मदे हर!
. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-14
जल्दी सुबह साडेचार बजे पटेल माताजी को नर्मदे हर करके निकल पडे,चंदेरी तक अच्छा रास्ता था बादमे कच्चा जंगलका रास्ता शुरू हुआ।थानामे सुखदेव ठाकूर के यहॉ जलपान करके जंगलघाटसे नीचीगांवमे पहुँचे।अशोककुमार पटेलने चायपान कराया।नर्मदे हर! बजरंग मंदिरके सामनेसे खेतकी पगदंडीसे हिरापुर,फिर एकबार जंगलमार्ग,एक नाला पार करनेके लिये पत्थर डाले थे।आगे जाके डांबररोड आया।घुगरी पहुँचे।बसस्टॉप-धुर्वे जलपान गृहमे बैठे।प्रथम समोसा-चायका नास्ता किया।धूप कड़ी थी,वही एक बडासा लकडीका पलंग था आरामसे बैठ गयी।प्रशांत निचे चटईपर सो गया।थोडी देर बाद हॉटेल मालिक श्री.शिवराज धुर्वे और सौ.यशोदा धुर्वे हमारे लिये घरसे पुरी-सब्जी लेके आए,नर्मदे हर।हॉटेल के पिछे एक घर था,मै उधर गयी और पुछा,क्या हम आपके यहॉं स्नान करके कपडे धो सकते है?त्रिवेणा ठाकूर ने खुशी खुशी संमती दे दी।इतनाही नही मेरे ड्रेस को नील भी दे दी।ये लडकी यशोदा-शिवराजजीकी बेटी है।तीन बजे आगे प्रस्थान किया।आज आंध्र ओरिसा के किनारपट्टीपर हुद हुद नाम का तुफान आनेवाला था शायद उसिकी वजह धूपने ज्यादा परेशान नही किया था।बढैयाखेडा के बाद चरगवॉं आ गया।बडा गांव है।बूटमें इनरसोल डलवा लिये क्योंकि मेरे पैरोंके ब्लिस्टर बढ़ रहे थे और अभी बहुत लंबा सफर तय करना था।भडरी जानेका सोच रहे थे।दिलीप सेन ने चायपान करवाया,रहनेका आग्रह कर रहा था मगर हम नर्मदेहर करके आगे चल पडे।दोएक कि.मि.आगे आये एक मंदिर था,बाजुमें एक रूमभी थी।मगर रहने लायक नही लगी। पिछेही श्री.राजकुमार राजपूत का घर था,उन्होने बताया की भडरी बहुत दूर है,पहुँचते रात होगी इसलिए आप आज यही रहो।नर्मदे हर!मैयाने आज यहॉं हमारा निवास तय किया था।बडा घर,बडे दिलवाले लोग।सुंदर आदर सत्कार हुआ। नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-15
सुबह साडेचार बजे पुजा आरती चाय होनेके बाद राजपूत फॅमिलीको नर्मदे हर करके हम यमनपुरसे आगे चल पडे।आज हायवेसे चलना था।सेमरीमैयाके ब्रिजपर एक ट्रक बंद पडा था।आजूबाजुका सारा परिसर जंगल है,ऐसे सुनसान जगहपर ड्रायव्हर-क्लीनर रातभर अकेले रहे थे।कमाल है।
चलो आगे। संपुर्ण घाट रस्ता,दोनो तरफ जंगल और चलनेवाले सिर्फ हम बहनभाई। भरडीगांव आया,रास्ते पासही लालसिंग राजपुतजी का घर है,माताजीने नर्मदे हर कहा,आओ दूध ले लो।नर्मदे हर! गरम दुध,मैयाका प्रसाद लेके बहुत अच्छा लगा।आधा घंटा विश्राम करके आगे चल पडे।
आजभी हुदहुद तुफानके कारण आकाश बादलोंसे भरा है,कभिभी बारीश शुरू होगी ऐसा लग रहा था।कुकलाह के बाद सिमरिया रेल्वे क्रॉसिंगपर एक मंदिरमे दर्शन करके बैठ गये।बाजुमे चायकी टपरी थी,विजयसिंगने चाय दिया।नर्मदे हर! आगे निकलही रहे थे की बारिश शुरू हो गयी।एक घंटा रूकना पडा।आगे चलने लगे,रास्ता बहुत खराब सारे रास्तेमे खडी डाली थी,रास्ता बन रहा था।चलना बहुत मुश्किल हो रहा था।बगलाई तक ऐसाही था।
गोटेगांव आ गया।पंतप्रधान नरेंद्र मोदीके स्वच्छता अभियान का मानो मज़ाक उडाने वाला भयानक गंदगी भरा शहर,एक सांसदके बंगलेके गेटके बाहरही गंदे कचरेका बडा ढेर था।और स्मशान नया बन रहा था,बगिचेकाभी काम चल रहा था।
नरसिंहपुर-जबलपुर हायवेपर आ गये।हॉटेलके बाहर रखे बेंचपर बैठे।पहलेसे गंदगी थी ही उपरसे बारीश हो गयी थी, भुक लगी थी नास्ता करना जरूरी था,न चाहते भी बैठे रहे।नास्ता करके महाकाली मंदिरमे आ गये।दर्शन करके वही विश्राम किया।यहॉंसे सांकल घाट जाके मैया किनारेसे जा सकते है मगर वो थोडा कठीण होता है,इसलिये हमने हायवेसेही नरसिंहपुर जाना निश्चित किया।
कुम्हडाखेडा,रेल्वे क्रॉसिंग,बोचर,कमती के बाद उमन मैया ब्रिजसे क्रॉस करके इमालियागांव आ गये।शाम हो गयी थी आज यही रहना जरूरी था।पुछताछ करनेपर सुनील उपाध्याय पंडीतजी का पता मिल गया।पासमेंही घर था।निवास भिक्षा मांगी,बडे आदरसे सहर्ष स्वागत हुआ।प्रशस्त घर है,खेती-बाडी है,सुनीलजी एल.आय.सी.एजंट है।बहुत अच्छे,सेवाव्रती लोग है।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-16
सुनील उपाध्याय परिवारको नर्मदे हर करके सुबह पांच बजे हमारी दो डिब्बोंकी विनोबा एक्सप्रेस चल पडी।आज मौसम खराब है।रिमझिम रिमझिम बरसात हो रही है,रास्ता हायवे है।इसलिये चलना सुखद है।मानेगांव,गुंदरई,सुरवारीमे एक टपरीवाले संतोषकुमारने नर्मदे हर किया।उसका छोटासा टायर पंक्चर निकालनेका और गॅरेज है,चायकी भी दुकान है।कुछ दिन वो मुंबईमें रहा था इसलिये हमसे मराठी बोल रहा था।चाय दिया।
नर्मदे हर!देखो!मैयाके भक्त बच्चोंका मैयाके प्रति,परिक्रमावासीओंके प्रतिका भक्तिभाव।हम संतोषकुमारको नर्मदे हर करके आगे चल रहे थे,पिछेसे किसीने थकानभरे आवाजमे पुकारा,माताजी नर्मदे हर!देखा तो सुशील उपाध्याय के मामाजी पंडीत तिवारीजी सायकलसे उतर रहे थे।नर्मदे हर! आप?हां!सुशील ने कहा,आप जल्दी चले गये,प्रणाम करना,दक्षिणा देना रह गया इसलिये आ गया।हमसे उमरमे बड़े सत्तर सालकी उमरवाले पंडीतजी हमारे पैर छुने लगे,ये क्या कर रहे हो भाईसाब हम छोटे है आपसे पैर तो हम छुएंगे आपके।नही नही आप मैया हो,पैदल परिक्रमा कर रही हो,प्रणाम करना,दक्षिणा देना हमारा फर्ज है।नर्मदे हर!इस श्रद्धाके आगे हम नतमस्तक है।
आगे दुर्गाप्रसाद कोतवाल गॅरेजवाले बंधुने नर्मदे हर करके चाय दिया,नही चाहिये ऐसा भी नही कह सकते।
बेलखेडी शेर गावके आगे शेरमैयाका ब्रिज है।बाजुमेही लुडकानाबाबा मंदिर है।छोटासा सुंदर बगिचा,हॅण्डपंप है।शेरमैया,किनारेलगत के हरेभरे पहाड सुंदर नजारा। परिक्रमावासी रूक सकते है।
बोहरीपार,यहॉ हनुमानमंदिर है।छोटीसी धरमशाला भी है।सुबह के बादल भाग गये थे,सुरज चाचू आग बरसने लगे थे।टोलनाका आया,बैठ गये।केवल पटेलने चाय दिया।आज आठ दस बार चाय हो गया,हरबन्स पटेलने दक्षिणा दे दी।नरसिंहपुर फ्लायओव्हरके बाजुमे हनुमानदादा मंदिरमे दर्शन करके आगे चले। धूपने बेहाल किया था।पैर अक्षरशः खीचते चल रहे थे।एक ढाबेपर दाल-चावल,दही भोजनप्रसाद लिया।
हायवे छोडके नरसिंहपुर शहरमे जाने लगे।रेल्वेक्रॉसिंगसे शहरमे प्रवेश किया।डिस्ट्रिकप्लेस है।रेल्वेस्टेशनके सामनेका कचरा?रास्तेमे कचरा या कचरेमे रास्ता समझमे नही आ रहा था। बहुतही गंदा शहर है।बाजाररोडसे चलने लगे,बहुत थक गये थे।अब रूकना जरूरी था,एक चौराहेपर मेरी नजर एक हॉस्पिटलके बोर्डपर गयी।डॉक्टर चांदोरकर।नामसे वो महाराष्ट्रीय होगे ऐसा लगा,गये अंदर।हमारा परिचय दिया और निवासभिक्षा मांगी।मराठीमे बात करते उन्होने सहर्ष स्वागत किया।नर्मदे हर!
. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-17
चांदोरकर 1927 मे महाराष्ट्रसे आके नरसिंहपुरमे स्थायिक हुए है ।डॉक्टर संजीव चांदोरकर के दादाजी बॅरिस्टर थे,पिताजी डॉक्टर थे और डॉक्टर संजीव चांदोरकर काड्रिऑलॉजिस्ट है।बेटा बहू भी डॉक्टर है।सौ.स्वाती संजीव चांदोरकर पी.एच.डी.है।एक एन.जी.ओ.चलाती है। दोनो पती पत्नी भा.ज.पा.के नेता है।
हॉस्पिटल के साथही डॉक्टर भाईसाब को ऑरगॅनिक खेती करना पसंद है।बंगलेके पिछे सब्जी,फल फूल है।सोलर प्लांट है।रेन वॉटर हार्वेस्टिंग किया है।पहले एक गाय थी अब उससे पांच हो गयी है।दूध दही घी की रेलचेल है।गोबरगॅस प्लांट है।दुसरी खेती भी है।सिर्फ नमक बाजारसे खरीदना पडता है।बडे उत्साह से हमको सब दिखाया।निगर्वी व्यक्तिमत्व है।बोले,आपके आनेसे कोई अपने गांवसे रिश्तेदार आ गए ऐसा लगा।वहिनी(भाभी)भी बहुत प्यारी है।बोली,अपना महाराष्ट्रीयन स्वयंपाक करती हूँ।बहुत दिनसे वैसा भोजन नही किया होगा नं?सच वहिनी पिठलं-भात बनाओ।महाराजपुरमे साठे वहिनीने बनाए पोहे के बाद आज महाराष्ट्रीयन भोजन करेंगे।वैसे मध्यप्रदेशका भोजन भी अच्छाही होता है,मगर तिखा बहुत होता है,अपने खानदेश जैसा।फिर क्या मज़ा आया।
गाडासराईमे डॉक्टर चौरासिया,महाराजपुरमे रितेश राय और शरद साठे,और अब नरसिंहपुरमे डॉक्टर चांदोरकर,और भी सारे मेरे रिश्तेदार है मेरे अपने।मेरा मायका मध्यप्रदेश!
सुबह स्नान पुजा होतेही भाईसाबने खुद ताजे दुधका चाय बनाया।नर्मदे हर।रहो दो-चार दिन,परिक्रमा होती रहेगी,पैर ठीक होने दो बादमे जाना।कह रहे थे।अगली बार रहेंगे।आज जाने दो।नर्मदे हर।
भावपुर्ण अलविदा करके चल पडे तब घड़ी छे बजे दिखा रही थी।शहरसे जाते जाते जिसके नामसे शहर जाना जाता है वो नरसिंह मंदिर आया,दर्शन करके निकले।यहॉं पासमे एक धर्मशाला है,परिक्रमावासी रहते भी है मगर स्वछता नामकी कोई चीज होती है ये मालूमही नही ऐसी है।नर्मदे हर।बहुतही गंदा शहर।
खैरीगांव आया,यहॉंसे छोटा बरमान घाट जा सकते है।मगर प्रशांत आनेको राज़ी नही।चलो आगे!देवलीकलॉं,टेकरीपर बसा छोटासा गांव।श्री.राजकुमार की माताजी ने बुलाया।चाय दिया,रहनेके लिये बहुत आग्रह किया मगर हम नही रहे नर्मदे हर! कठौतियागाव नर्मदामैयाका सुंदर मंदिर है।पाससे सक्करमैया बहती है।ब्रिज है।लिंगारोडसे रेल्वेक्रॉसिंग पाससे पगदंडीसे दुसरे रेल्वे क्रॉसिंग गेटपार करके रेल्वे लाइनके बाजूसे पगदंडीसे रेल्वे कॉलनी पार करके विद्यासागर द्वारसे करेली शहरमे प्रवेश किया।बाजारपेठमेसे श्रीराम मंदिरमे आ गये ।बडा मंदिर है।दर्शन करके बगिचामे बैठे,धूप कड़ी हो रही थी हम बहुत थक गये थे।मगर ये मंदिर अब ट्रस्टके हाथसे सरकारने अपने हाथ लिया है,बारा बजे बंद होता है।किसीको रूकने नही देते,धर्मशाला,बरामदा है।मगर परिक्रमावासी रूक नही सकते।नर्मदे हर।बारा बजतेही हमे निकाल दिया,बडा गेट बंद किया मानो रामजीको बंधक बना लिया हो।नर्मदे हर! खानपानकी दुकानवाला बाजार हम पिछे छोड आये थे।आगे सब हार्डवेअर,गॅरेज ऐसा बाजार था।धूपसे बेहाल हो रहे थे।एक इमलीवाला वर्कशॉप था एक बडे बरगदका पेड भी था।सरदारजीको पुछके बेंचपर बैठ गये।वर्कशॉप था मशिनकी आवाज बहुत थी कैसे बैठ सकते?निकले मैया!बहुत भूक लगी है,थक गए है,क्या तेरे सेवाभावी बच्चे सिर्फ छोटे गांवमेही होते है?मैया बोली,तुमभी ना ऐसी हो थोडी भी तकलिफ नही चाहिये ऐसाभी क्या?परेशान करती हो।लो,देखो!मेरे सेवाभावी बच्चे हर जगह होते है,वो देखो बुला रहा है,चलो।सचमे मेडिकल स्टोअर से एक भैया बुला रहा था।नर्मदे हर!मैया मुझे क्षमा करना,धूप,भूक पैरोंके ब्लिस्टर सबसे परेशान हो गयी हूँ,इसलिये नही तो आपपर पुरा भरोसा है।
संजय गोविंद नेमा बुला रहा था।मैयासे पंधरा मिनीटभी मेरी तकलिफ देखी नही गयी थी।बडे प्यारसे हमे बिठाया,फॅन चालू किया,थंडा पानी दिया।थोडीही देरमें गरम गरम खिचडी उपर बहुतसारा घी,रोटी सब्जी मुरंबा,कढ़ी बडे थाट का भोजनप्रसाद। आराम के बाद थकान तो छुमंतर हो गयी।मैया!तेरी कृपा अगाध है।
निकलते समय संजयजीने दक्षिणा भी दे दी और आज नही रह रहे हो मगर अगली बार रहना पडेगा ऐसा कहा।नर्मदे हर!
चौराहेपर एक भाईसाबने नर्मदेहर कहा और हाथमे बहुत सारे केले थमा दिये।नाम था हमीदखान।मुझे काश्मीर के हमीद भाईकी याद आयी,मैने कहा मेरा काश्मीरमे भाई है हमीद।तो ये बोला अब एम.पी.मे भी आपका भाई है हमीद।नर्मदे हर!
आगे मदनसिंग गुर्जर मिले उन्होने भी केले दिये।और गाडरवाडामे उनके घर बुलाया।नर्मदे हर!इतने केले क्या करे?वजन भारी हो जाता है,चला नही जाता।प्रिंस हॉटेलवाले हरिओम रघुवंशीजीने चाय दिया।नर्मदे हर!कुछ बच्चे मिले उनको केले दे दिये,बच्चोंकी मिठी हँसी देखके लगा लाखो पाए।
करेली चिनी-इथेनॉल कारखाना पिछे छोडके बटेसरा,उसके बाद बंदेसर।करपगांव पहुँचते पहुँचते शामके पावणे छे बज चुके थे।रास्तेपरही हनुमानमंदिर था।कुछ लोग बैठे थे,बोले मंदिरमे रहो,मंदिर एकदम खुला और रास्तेपर था,कैसे रहते?मैने पंडीतजीका घर पुछा,पंडीत अवधेश शर्माजी वही बैठे थे,बोले चलो।गये उनके घर।माताजीने बडे प्यारसे स्वागत किया।अच्छा घर है।आरतीके बाद भोजनप्रसाद लिया।बहुत थक गये आज,टेरेसपर अब आराम।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-18
पंडीतजी और माताजी को प्रणाम करके हम चले हमारी मंज़िल की तरफ तब घड़ी दिखा रही थी समय सुबहके साडेचार बजेका।नर्मदे हर!
मालनवाडा,नारगी,पनारी,पुरगवॉं,ब्रम्होरी,पार करके मनकवारा रेल्वेक्रॉसिंगके गेट पहुँचे तब साडेसात बजे थे और हम पंधरा कि.मि.चल चुके थे।गेट बंद था इसलिये टपरीपर उबले चनेका नास्ता किया,रास्तेमे बहुत बार चाय पिना पडता है यहॉं दूध मिल रहा था इसलिये दूध लिया।गेट खुलतेही चले नर्मदे हर।
बरॉंस के बाद बोहानीमे धर्मालालजीने बुलाया पोहे-चाय लेनाही पडा बडे प्रेमसे देते है ना नही कह सकते नर्मदे हर।थोडे आगे जातेही एक छोटीसी टेकरीपर सुंदर नया मंदिर देखा,गये उपर।राधाकृष्णजी का मंदिर है।पिछे स्वच्छ सुंदर बडा तालाब है।घाट है।पुजारी महाराज जमनाप्रसाद भार्गवजी बडे बुजुर्ग है।उनको पुछके वहॉं स्नान करके कपडे धोके सुखाने डाल दिये।आरती कर रहे थे तब गाडरवाडाके कल मिले मदन गुर्जर आ गये वो करेली जा रहे थे काम के लिये बोले बहुत फास्ट चलते हो।ऐसा नही अगर हायवेसे चलना होता है तब हम जल्दी निकलते है।ठीक है गाडरवाडा पहुँचे की फोन करो आपको लेने आएंगे नर्मदे हर अपना कार्ड देके चले गये।आज समय था अभी थोडा इसलिये थोडी पैरोंकी सेवा की।ब्लिस्टरका ड्रेसिंग किया,प्रशांत स्टिकींग प्लॅस्टर लगानेकोभी डरता है।लेफ्टको मै खुद आसानीसे लगाती हूँ मगर राइट के ब्लिस्टर पिछेकी तरफ है इसलिये थोडा कठीन होता है पट्टी लगाना।बॅंडेज बांध लिया।मैया आपही मेरी डॉक्टर हो जल्दी ठीक करा दो,अभी ओंकारेश्वर बहुत दूर है।
भगवानको भोग लगने के बाद हमने भोजन प्रसाद पा लिया।विश्राम करके 2-30को पुजारी बाबाजीको नर्मदे हर किया।हायवेसे चल रहे थे।कड़ी धूप परेशान कर रही थी।कौडियामे जगदीश चौकसेजीने नर्मदे हर करके चाय दिया।शक्ति शुगर मिल गाडरवाडाके आगे गाडरवाडा-पलोहा रोड चौराहा,सक्करमैयाके ब्रिजके पास पहुँचे तब शामके पांच बजे थे।मदन गुर्जरजीको फोन किया,वो किसीको भेजता हूँ बोले।बैठे रहे।एक घंटे बाद राजू गुर्जर आया मोटरसायकल लेके।हम पैदल आते है बोला तो उनका घर दूर है इसलिये गाडीपर चलो,मगर एक गाडीपर सॅक लेके तीन लोग नही बैठ सकते,राजुने एक मित्रको बुलाया।नर्मदे हर!
उनका घर गाडरवाडामे था ही नही,12कि.मि.अंदर पलोहाबडामे था।पहले मालुम होता तो न जाते,अब नर्मदे हर! रास्ता छोडके गावकी तरफ मुडे और,अरे बाप रे!इतने बडे बडे गड्डे!रास्तेमे गड्डे नही गड्डोंमेसे रास्ता निकल रहा था।ऐसेमे ये दो बहाद्दर ऐसी गाडी चला रहे थे जैसे मॅरेथानमे चला रहे है।हम अपनी जान मानो मुठ्ठीमे पकडकर बैठे थे।लग रहा था शायद उतरनेके बाद एक एक हड्डी गिनके लेनी पडेगी।नर्मदे हर!मध्यप्रदेश की ऐसी भी प्रगती देखने मिली। गांव तो इतना गंदा की पुछो मत।
राजूका घर बहुत सुंदर है।घरके पिछे कमलके फुलोंसे भरा सुंदर तालाब है।राजू नर्मदाभक्त है,हर मंगलवार को मैयाकिनारे जाके स्नान पुजा करनेका उसका परिपाठ है।मैया यहॉंसे दस कि.मि.दूर है।नर्मदे हर!अब कल आगे कैसे जाना ये आपहीको मालूम मैया,सुंदर भोजनप्रसाद पाया है, हम तो अब हमारी हड्डीओंका हिसाब करते करते सो जाते है।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-19
सुबह स्नान पुजारती के बाद चाय लेके राजूके फॅमिली को नर्मदे हर करके दो मोटर सायकल से सौ पचास गड्डोंमेसे उछलते मदन गुर्जर के घर पहुँचे।
मदन गुर्जर की जॉइंट फॅमिली है।शिरा(हलवा),फेण्या(चावल के पापड),दूध ऐसा भरपेट?ओव्हर फ्लो नास्ता हो गया। मदनजी बोले हम आपको गाडरवाडातक छोडते है आगेसे आप पैदल जाना।हां मे गर्दन हिलाने के सिवा हम कर भी क्या सकते थे।पैदल जानेका सोचते तो कल शामतक भी गाडरवाडा पहुँचना असंभव होता।
गांव ऐसा क्युं है पुछा तो,सरपंच राखीवमेसे है गांवके लिये कुछ नही करता।ऐसा जवाब मिला नर्मदे हर!
जान मुठ्ठीमे पकडके बैठ गये मोटरसायकलपर।धडाम धुडुम उपर नीचे उछलते कैसे तो आ गये गाडरवाडा चौराहेपर।सक्करमैया ब्रिजसे क्रॉस करके एक पेट्रोलपंप के पास मोटरसायकल्स रूक गयी।उतर गये।नर्मदे हर!
राजू और मदन को कहा,आप चलो आपको काम है हम जाएंगे,नर्मदे हर!अब हायवेसेही चलना था।दोनो चले गये और हम वही बैठ गये।बाप रे बाप!मैया!कैसा ये गांव?कब होगी प्रगति? सरपंच और बाकी समाज सेवक गांवके प्रति अपना कर्तव्य कब समझेंगे?
थोडे रिलॅक्स होतेही विनोबा एक्सप्रेस को फास्टट्रॅकपर डाल दिया।रास्तेके दुतर्फा वृक्ष है और आज धूपभी नही है इसलिये और आज भोजनकी भी जरूरत नही थी।चलते गये।
गोविंदनगर के बाद पालिपिपरियामे भाऊसाहेब भुस्कुटे स्मृति लोक न्यास पहुँचे।ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघकी निवासी आश्रमशाला है।
भाऊसाहेब भुस्कुटे,और स्वयंसेवक संघ,चलो अंदर।घनी वृक्षराजी,सामनेही एक इमारत थी कोई तो होगाही,गये।नर्मदे हर! एक सफेद लुंगी-बनियान पहने स्वयंसेवक बाहर आ गये,हमारा परिचय दिया,सहर्ष स्वागत हुआ।
बरामदेमें बैठे,प्रथम थंडा जलपान बादमे गरम चाय और बिस्कीट आ गये।हमारा खानपान होनेतक एक रूम मेरे लिये खाली करवाके तैयार किया गया,मेरी सॅक अंदर रख दी।प्रशांतको एक शिक्षक उनके रूममे लेके गये।सारा काम चुपचाप शिस्तबद्ध तरिकेसे।ये है सघ!
श्री.अनिल अग्रवाल पर्यवेक्षक है।श्री.पावन दुबे,श्री.रामगोपाल दुबे,श्री.रामवीर कौरव ये शिक्षक व्यवस्थापक है।
बारावी तक स्कूल है।लडके निवासी है,लडकियॉं सिर्फ स्कूलमे आती है।इको फ्रेंडली गणेश मुर्ति,शिल्पकारीभी सिखाते है।जैविक खाद बनाते है।पशु खाद्य परिक्षण किया जाता है।अमरूद,आम,अनार के बगिचे है।ऐसा बड़ा सुंदर काम चल रहा है।
शादी के बाद आज पहिली बार मैने शाखामे गीत गानेमे भाग लिया-नमस्ते सदा वत्सले मातृभुमे!बहुत बहुत अच्छा लगा।बचपन की याद आयी,हमारी कन्या शाखा थी।लाठी,जंबिया,तलवार चलाना सिखाते थे एम.जी.जोशीमास्तर।मैदानी खेल,मलखांब भी सिखा था।
रातको साधा मगर पौष्टिक भोजन हुआ।सोते समय गायका दूध।नर्मदे हर!बहुत बडा बहुत अच्छा देशकार्य चल रहा है।भारत माता की नयी पिढ़ी तैयार हो रही है।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-20
सुबह 4-30को ही आगे प्रस्थान किया।हायवेसेही चलना है,जल्दी निकलते है तो धूप ज्यादा होनेके पहले 15-20कि.मि.चलना हो जाता है,और फिर दोपहर के बाद और 10-15कि.मि.हो जाता है।ॐकारेश्वर अभी और कमसे कम 400कि.मि. है।जितना ज्यादा चल सकेंगे उतना अच्छा रहेगा।
ठैनी मे श्री.हक्केलालजी के टपरीपर चाय लेके आगे चले।नयाखेडा रेल्वे क्रॉसिंग,बनखेडी,बाचाबानी यहॉ दूध लेके आगे चले।मनोज पटेलने चाय दिया। अंजनीमैया ब्रिजसे पार करके बॉंसाखेडा रेल्वे क्रॉसिंग पार करके आगे रामपुरमे बाबा जय गुरूदेव संत उमाकांतजी आश्रम पहुँचे तब सुबहके 10-30बजे थे और 20कि.मि.हो गये थे,धूपभी कड़ी होने लगी थी,विश्राम करना आवश्यक था।आश्रममे गये,बडा हॉल है।एक कोनेमे बाबा जय गुरूदेव की मुर्ति है।कुछ भक्त अपना सर पुरा ढकके ध्यान कर रहे थे।हम दर्शन करके बैठ गये।
दोपहरको भोजनप्रसाद पाया।पैरके ब्लिस्टरके ड्रेसिंग करके 2-30को आगे चल दिये।
पिपरिया चौराहा पर आ गये।श्री.राजू वर्माने चाय दिया और कहा,पिपरिया गांवमे जानेकी जरूरत नही सामनेके रास्तेसेही परिक्रमा का मार्ग है।आगे थोडी दुरीपर हथवासामे सिताराम आश्रममे परिक्रमावासी रहते है,वहॉं भोजनादि सब सुविधा है।मुझे याद आया,पुनाके सुप्रसिद्ध परिक्रमावासी जिनकी नर्मदे हर हर नर्मदे ये पुस्तक प्रसिद्ध है वो श्री.सुहास लिमयेजी भी इसी आश्रममे रूके थे,मैने डायरी देखी,आश्रम की नोंद थी,लिमयेकाका यही रूके थे।नर्मदे हर!हम आश्रम पहुँचे तब शामके छे बजे थे।
व्यवस्थापकजीने एक खोली दे दी।फ्रेश होकर निचे गये।वहॉं होशंगाबाद के बुजुर्ग पती-पत्नी श्री.एन.पी.दुबे और सौ.सावित्री दुबे मिले।आश्रममे अपना वानप्रस्थ गुजारते है। कितना सुंदर!सारी जिम्मेदारिया पुर्ण हो गयी,अब शांतिसे जीवन बसर करना प्रभुके सानिध्यमे।नर्मदे हर!
श्री.कल्याणसिंग गुर्जरने हमे बड़ी सहायता की।नर्मदे हर!
कर्मशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-21
सुबह पांच बजे नित्यकर्म निपटके श्रीसितारामजीके दर्शन करके आगे चल दिये।टोलनाकेपर कल हमे मदत करनेवाले कल्याणसिंग गुर्जर मिले,नर्मदे हर!उन्होने चायपान करवाया।
रानी पिपरिया,टायरकी दुकानमेंसे नर्मदाप्रसाद कुशवाहजीने बुलाया अभी 3किमि पहले चाय लिया था मगर मैयाके भक्तको ना नही बोल सकते चाय तो लेना पडता है,नर्मदे हर!
शोभापुर,बरिबानी,राधास्वामी सत्संग न्यास सुंदर बगिचा है,बैठे थोडी देर थंडा पानी पिया,चलो आगे।करणपुर,सोहागपुर पहुँचे तब बारा बज चुके थे।बडा गांव है,बाजारपेठ है,भोजनके लिये कोई हॉटेल देख रहे थे,एक भाईसाबने बावडीवाले मंदिर बताया,पिछेकी तरफही था,गये।बडादिंडी दरवाजा है अंदर तीन तरफ बरामदे है बहुत पुराना इतिहासकालिन मंदिर होगा।सॅक रख दी दर्शन नही हो सका,रामजी विश्राम कर रहे थे पडदा लगा हुआ था चार बजे खुलेगा।भोजनकी कुछ व्यवस्था नही थी,महाराजभी विश्राम कर रहे थे।एक सेवेकरी था उसको पुछके सॅक वही रखके बाहर जाके हॉटेलमे गये,दाल चावल या रोटी ऐसा कुछ नही था,प्रशांतने समोसे खा लिये मुझे वो पसंद नही मैने बिस्कीट लिये हो गया भोजन नर्मदे हर!वापस मंदिरमे गये।अगर किसी परिक्रमावासी रूकना हो तो रूकने जैसी जगह है।बडी बावडी है,पिछे पलकमती नदी मैया है मगर गांववालोंने उसको गंदगीभरा नाला बना दिया है।2-30 हो गये हम निकलने लगे सेवेकरी को नर्मदे हर कहा,शायद हमारी आवाज सुनी महाराज उठकर बाहर आ गये,बडे बुजुर्ग महात्मा है।प्रणाम किया,बैठो!चाय ले लो,नर्मदे हर!
तीन बजे आगे।पलकमतीमैया ब्रिजसे पार।गावके बाहर दुर्गामंदिर,शिवमंदिर है परिक्रमावासी रह सकते है ऐसा लगा,बगिचा है।बहुत धूप है,पानी पी पी के पेट भरा है चलना मुश्किल हो रहा है।मैया!नर्मदे हर!
बोदीफाटा,लांघानदी मैया पासमे बाबा बालकदास त्यागी आश्रम,चायपान।लांघा ब्रम्होरी,मढई टायगर रिसॉर्ट फाटा,सेमरी हरचंद शामके सात बजे थे,अंधेरा हो गया था।एक बाबाजी बैठे थे,बोले चलो मेरे साथ,बाजारके बिचमे एक देवी मंदिर था रूकने को कहा और खुद चले गये पंधराएक मिनीटके बाद आये,शायद घरवालोने मना किया होगा बोले,मंदिरके पिछेकी इस जगह रहो,हम देखतेही रह गये,बहुत गंदगी भरी अंधेरी ग्रिल लगी जगह थी,वहॉं रहना मुश्कीलही नही नामुमकीन था।हमने उनको नही बोलके सोचही रहे थे अब क्या करे?सारी दुकानेही थी,हाय वे था बाबाजीके चक्करमे गांव पिछे रह गया था,आगे का गांव कितना दूर होगा मालूम नही।दुकाने बंद होने लगी थी।नर्मदे हर!मैया!कठीण घडी है,आ जाओ!नर्मदे हर! और मैयाने केवल मालवीय को भेजा।उन्होने हमे देखा,आ गये।हमने बताया की यहॉं हम नही रह सकते,बोले चलो हमारे घर।अंधेरे समझ नही आया एक गलीमेसे वो हमे उनके ताऊजी रूपराम मालवीय के घर लेके गये,परिचय करवाया और बोले आप फ्रेश हो जाओ मै भोजनके लिये लेने आता हूँ।नर्मदे हर!
एक बडे हॉलमे उनके बेटेने दरी बिछायी,हमने आसन लगाया,फ्रेश होके आरती की। बैठे आज 35कि.मि.चलना हुआ।सिर्फ चाय और बिस्किट पर।
केवल भाईसाब बुलाने आ गये,थोडी दुरीपर उनका घर है।घरका काम चल रहा है रिन्युएशन का।सुंदर भोजनप्रसाद पाया।दिनभरकी भूक मिट गयी।अन्नदाता सुखी भव!
नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-22
सुबह 4-30को नित्यकर्म,आरती करके चाय लेके विनोबा एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखायि।
ब्रम्होरीकलॉं,गडारिया,बुधवाडा से बाबई पहुँचे तब सुबह के 9 बजे थे और पंधरा कि.मि.हो गये थे।बाबई गांव बडा है,बजारमेंसेही रास्ता जा रहा था,दुकाने खुलने लगी थी,राजहंस भोजनालय खुला था इसलिये गये पुछा तो पराठे मिलेंगे दस पंधरा मिनीटमे। कलका अनुभव ध्यानमें लेके पेटपुजा कर लेनेमेही समझदारी है सोचके बैठ गये ऑर्डर देके नर्मदे हर!
पराठे-दालका पेटभर भोजनप्रसाद पाके चल दिये आगे।दस बज गये थे,धूप अपना कड़ा रूख अपनाने लग गयी थी।एक पिपलपारतले भगवान बजरंगबली बिराजमान थे,जयमातादी मंदिर था,दर्शन करके पिपलकी थंडी छॉंवमे विश्राम करनेका मोह त्याग न सके। 1बजे आगे चल दिए।मठमाता महाकालि बाबई फार्म,जगदीशप्रसाद यादवजी ने चायपान करवाया।नर्मदे हर!
25 कि.मि.आजका चलनेका कोटा पुरा हुआ था,ऑंचलखेडा गांव आया था।हमारे पास एक नाम था,रघुनंदन यदुवंशी।गये गांवमे,पुछते पुछते सारे गांवका चक्कर लगाते हायवेपर आ गये वहॉं उनका बडासा घर था,जहॉंसे हमने गांवमे प्रवेश किया था वहॉंसे सिर्फ सौ-पचास कदम दुरीपर,और हमने कितना लंबा चक्कर काटा था,नर्मदे हर! हमेशा की तरह बडे उल्हास के साथ स्वागत हुआ।आंगनमेही हॅण्डपंप था,कपडे धो डाले।आरतीके बाद सुग्रास भोजनप्रसाद पा लिया। नर्मदे हर!
सुबह पांच बजे चल दिये,आज सिर्फ पंधरा कि.मि.चलना था होशंगाबाद के लिये। दो कि.मि.पर जयस्वाल ढाबेपर चाय लिया।यहॉ मानो जैसा ट्रक टर्मिनसही है इतने ट्रक रातमे रूके थे।थोडे आगे जातेही तवामैयाका लंबा ब्रिज आया।विशाल रूप है,नर्मदामैयासे बडा।वैसे जीवनमे ऐसा बहुतबार देखनेमे आता है की एकही मॉं के दो बच्चोंमे बडा बच्चा छोटेसे कद-वजन के हिसाबसे छोटा होता है।वैसेही नर्मदामैया तवामैयासे छोटी लगती है।असलमे तवामैया पर डॅम है।बॅकवॉटरसे इतना विशाल स्वरूप है।
अरूणोदय हो रहा था,निशा बडी शरमाती उषाकी लाल गुलाबी सोनेरी शाल ओढ़के छिपे जा रही थी।जललहरे रंगीन होती जलचरोंको जगा रही है,उठो!सुरजचाचू आ रहे है,देखो पंछी प्रभातगान गा रहे है,पेड पौधे पत्तोके हाथोंसे तालियॉं बजाबजाके उनको साथ दे रहे है।
सुंदर सुप्रसन्न बहरती सुबह,हम ब्रिजपे खडे खडे ये नजारा ऑंखोंके संपुटमे बंद करके रखना चाह रहे थे।
पुरी पुरी सुबह हो गयी,अब चलो आगे।देवलाखेडी,निमसांडिया,जैसलपुरमे श्री.अंबिका रामदासजी राजपूतजीने मिठा हलवा नास्तेमे दिया,चायपानी हो गया।नर्मदे हर!थोडे आगे होशंगाबादमे प्रवेश करतेही साईकृपासे अखिलेश गौरने नर्मदे हर बोला,चाय-पान कराया।पावणे ग्यारह बजे मंगलवारा घाटके पास लोकनाथतीर्थस्वामी आश्रममे आ गये। ये आश्रम हमारे गुरू नारायणकाका ढेकणेजीने स्थापन किया है।आप महाराष्ट्र सरकारके इरिगेशन डिपार्टमेंट के एक्झीक्युटीव्ह इंजिनिअर थे।आप बालब्रम्हचारी थे।बडे योगी महापुरूष थे हमारे काका!
स्नान पुजा दर्शन के बाद थोडा विश्राम करके शामको शेठानी घाट देखने गये।कितना भव्य है।कल भी यही रहना है श्रीगुरू सानिध्यमे।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-23
सुबह मंगलवारा घाट जाके नर्मदास्नान किया,बहुत दिनो बाद ऐसा लगा मॉंके गले लग गये है।मॉं बडे प्यारसे सरपर हाथ फेरते पुछ रही है।कैसी हो बेटा?चलते चलते थक जाती हो ना?पैरोंके छालोंको अपने गुनगुने पानीसे धोते धोते बोल रही है अभी ठीक हो जाएंगे,बहाद्दुर बेटी हो ना मेरी?बहुत देर तक बैठे रहे मैयाके पास।फिर भगवान सुर्यनारायण को अर्घ्य प्रदान करके वापस आश्रम आ गये।पुजा आरती करके नास्ता चाय लिया।यहॉंके सेवाव्रती व्यवस्थापक धर्माधिकारीभाऊ गांव गये थे,अभी पुणेकर श्री.और सौ.घोसपुरकर सेवाव्रती थे।दोनो बहुत अच्छे है।
शामको जयदीप पाटणकर आये,उनके साथ उनके घर गये।पाटणकर ये महाराष्ट्रीय फॅमिली सालोंसे यहॉं रहती है।शिक्षक है।अच्छे लोग है।मुझे मराठी दुर्गा सप्तशती पुस्तक दिया।नर्मदे हर!
आश्रमके गॅलरीमेसे सामने मैया दिखती है।निले निले अंबर तले नीलश्यामल नर्मदा,विशाल जलस्वरूप।वर्णनातीत सौंदर्यशालिनी।नर्मदे हर!
सुबह जल्दी नित्यकर्म स्नान आरती करके बाहर आ गये,पुर्वा लालगुलाबी सुनहरे रंग बिखरती सबको कह रही थी,उठो!देखो!निराशाकी काली अंधियारी रात अस्त हो गयी,आशाकी किरने बिखेरती नयी चेतना देने उषा दस्तक दे रही है।
लोकनाथतीर्थस्वामी,सद्गुरू नारायणकाका ढेकणे गुरूजीका दर्शन करके चाय लेके घोसपुरकर दादा-वहिनी को नर्मदे हर कहा और आगे परिक्रमा शुरू की।
गांवके रास्ते खैराघाट पहुँचे।शिवमंदिर है,दर्शन किया।सामने बुधनीघाट दिख रहा था।यहॉं महाराष्ट्रीय संत गुळवणी महाराज स्थापित आश्रम है।गर्द वृक्षराजि मंडीत शांत स्थान है।अभी श्री.स्वामी नर्मदामणी और दत्तानंदस्वामी यहॉकी व्यवस्था देखते है।चायपानके बाद दत्तानंदस्वामी हमारे साथ आये और दत्तमंदिर,गुळवणीमहाराजका स्थानके दर्शन करवाये।सफरचंदप्रसाद दिया।और आगे थोडी दुरीपर मैयाकिनारेसे आगेका शॉर्टकट दिखाया नर्मदे हर!
मैया किनारे रेतमे चलना मुश्कील था,कांटे भी बहुत थे।इसलिये रेल्वेब्रिजके पाससे उपर चढ़े,रेल्वेकी जगहमे हिंगलाजमाता मंदिर है।सुंदर वृक्षराजि,बगिचा,निसर्गरम्य स्थान है।दर्शन करके कच्चेरास्तेसे रेल्वेगेट पार करके कच्चे रास्तेसे भोपाल हायवेपर आ गये।एक रास्ता मैयाकिनारेसे रंढाल होते हुए कोकसर जाता है।मगर चलनेमे परेशानि होती है इसलिये हमने हायवेसे जानाही मुनासिफ समझा और चल दिये।रेल्वे ब्रिजके पास सिढ़ियॉं उतरके हरदा रोडपर आ गये।इस सबमे छे-सात कि.मि.का चक्कर पडा था।थक चुके वो अलग।नर्मदे हर!
प्रथम हॉटेलमे पोहे-चाय नास्ता किया,फिर आगे चल दिये।धूपने परेशान करना शुरू कर दिया था।फेफरताल,वटकेश्वर महादेव,खेडला बसस्टॉप के पास टपरीपर दूध लिया।रोहना,यहॉंसे कोकसर गौरीशंकर महाराज समाधिस्थल जा सकते है।हम अभी नही गये।मगर बादमे गाडीसे परिक्रमा करते समय हम गये। रोहनामे अविनाश यादव के आंगनमे जलपान करके थोडा विश्राम किया।आगे रोहनागांवमे एक हॉटेलमे बैठे,आज भोजन मिलनेवाला नही ऐसा लगता है।कचोरी मंगवायी जो मुझे बिलकुल पसंद नही।वहॉं समोसेका नया प्रकार देखा,मिठा समोसा।मंगवाया,अच्छा लगा।नर्मदे हर!
शाम होनेको है,पांच बजे है।पच्चीस कि.मि.से ज्यादाही चलना हो गया है।सॉंवलखेडागांव आ गया,यहॉंके देवीसिंग पटेल का नाम हमारे पास था,गये उनके घर।नर्मदे हर!
सहर्ष स्वागत हुआ।बडे जमीनदार है,आंगनमे तीन ट्रॅक्टर खडे थे,एक जीप,चार मोटर सायकल थी।देवीसिंगजी बुजुर्ग है।अच्छे लोग है।
स्नान कपडे धोना कार्यक्रम किया।आरतीमे माताजी सामिल हो गयी,लोकगीत भजन सुनाया।बहुत अच्छा लगा।गरम गरम चुल्हेपर बनायि भाकरी,बैंगनभरता,बटरा-तूर हुरडा सब्जी,पापड ऐसा सुंदर चविष्ट भोजनप्रसाद बडे आग्रहसे खिलाया।अब विश्राम,नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-24
नर्मदे हर!आज सुबह जल्दी 4-30को विनोबा एक्सप्रेस चल पड़ी।बमुरिया,मुंगवारा,आमपुरा 6-15को पहुँचे चाय लेके आगे चल दिये।मुसरोद फाटा,रतवाडा,सोनखेडी 8-45am पोहोपसिंग तोमरजीने चायपान करवाया,नर्मदे हर!बघवाडामे राज हॉटेलमे दिलीप और संदीप लहुवंशीने कचोरी नास्तेके लिये दिलवायि तो दिपक दुकानवालेने बिस्किट-चाय दिया।धूप बहुत है,चलनेमे बहुत परेशानि हो रही है।मैया!कड़ी परिक्षा ले रही हो।धर्मकुंडी,रेल्वेक्रॉसिंगपर अशोक यदुवंशी का ढाबा है,कचोरी,समोसे थे।मैने कहा,दाल-चावल मिल जाते तो अच्छा होता।अशोकजीने सिर्फ हमारेलिये दाल-चावल बनाए।नर्मदे हर!विश्राम करके आगे चल पडे।
भीलटदेव बहुत सुंदर मंदिर है।सामने मध्यप्रदेश इको टुरिझम सेंटर है,सुंदर रिसॉर्ट,बाग-बगिचा है।भीलटदेव के पास धर्मशाला है कुछ लोगोने बोला रूक जाओ,मगर हम नही रूके,और इसका भुगतान हमे आगे जाके करना पड़ा।सिवनी-मालवा पहुँचे तब शामके छे बजे थे,आज रहनेका कोई ठिकाना नही मिल रहा था,भीलटदेव मे हमने नही माना तो अब सजा मिलनीही थी।अखेर दुर्गा लॉज मे कमरे लिये,बस रात निकालनी थी,आप समझ लिजिये कैसे होगा वो लॉज।आज रातको पुरा थंडा फराळ,लॉजवाली बहनजीने पानीतक नही पुछा।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-25
नर्मदे हर!रात कैसी तो कट गयी,4-15amनिकल पडे आगे।भरलाय,धामनियामे चाय-टोस्ट लेके आगे रावणपिपला,यहॉं गांवमे एक पिपलका पेड है उसके निचे बैठकर रावणने तपस्या की थी ऐसी कहानी सुननेको मिली।आगे बावडियाभाऊ,पगढाल,छिंदवाडामे शिवनारायण राजपुतजी के घर आगमन आज सिर्फ बीस कि.मि.चले है मगर थक गये इसलिये आज यही रहना चाहते थे,और शिवरामजीने सहर्ष स्वागत किया नर्मदे हर!
सुबह स्नान आरती करके चाय लेके राजपुत फॅमिली को नर्मदे हर किया।टीमरनी,यहॉं भुस्कुटे पेट्रोलपंप है।चाय लेके आगे चल दिये।चारखेडा,ऊॅदा,खिडकीवाडा,हरदा-यहॉं महाराष्ट्रीय संत गोंदोवलेकर महाराजजीने स्थापन किया हुआ पट्टाभिराम मंदिर है।आजका चलनेका कोटा पुरा हुआ था इसलिये मुक्काम।
यहॉं श्रीयुत गोडबोले व्यवस्थापक है।सारा वातावरण घर जैसा है।स्नान कपडे धोना सारे काम बढ़िया हो गये।सुंदर महाराष्ट्रीय भोजनप्रसाद मिला,अंतरात्मा तृप्त हुआ।सौ.अनिता गोडबोले मंडलेश्वरके श्रीराममंदिरके व्यवस्थापक श्री.मोडकजी की बेटी है।मै शादीके पहले गोडबोलेही थी इसलिये ये हरदामें मेरा मायकाही हुआ,अनिताभाभीने अपने इस ननदकी खातीरदारीमें कुछ कमी नही छोडी।जेष्ठ गोडबोले काका काकूभी बहुत अच्छे है।इतनी उमर होनेके बावजुद मंदिरके सारे कार्य करते है।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-26
परिक्रमामे चलनेके लिये हम आधिकतर हायवेका उपयोग कर रहे है इसलिये हंडिया हमारे मार्गमे आनेवाला नही है और वो देखना था।गोडबोले काका बोले,आप बससे जाके दर्शन करके आना और कल आगे जाना,इसमे परिक्रमाके किसी नियमका उल्लंघन नही होता।तो स्नान आरतीके बाद नास्ता करके हम बससे हंडिया के लिये निकल पडे।आज अमावास्या है,अमरकंटक से खंबायत तक मैयाके दोनो किनारोंपर स्नान,दर्शनके लिये लोगोंका सैलाब उमडता है।
हंडिया पहुँचे,सुंदर मैया।किनारेपर है पुरातन रिद्धनाथ मंदिर,प्रवाहमे है नाभिकुंड।परिक्रमावासी वहॉ नही जा सकते।सामने दिखता है नेमावरका घाट,सिद्धनाथ मंदिर।हंडिया-नेमावर जोडनेवाला ब्रिज।सारा नज़ारा देखतेही बनता था। खुबसुरत नर्मदा।सुबह स्नान हुआ था फिरभी हमने स्नान किया क्योंकी आगे कब मैया दर्शन होगा मालूम नही था।रिद्धनाथ दर्शन करके,एक आश्रममे गये,महाराजको प्रणाम करके चायपान लेके वापस हरदा आ गये।
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-27
सुबह जल्दी नित्यकर्म निपटके श्रीरामजीकी काकडआरतीमे सहभागी हो गए।बादमे चायपान करके गोडबोले फॅमिलीको नर्मदे हर करके हमारी विनोबा एक्सप्रेस आगे चल पडे तब पांच बजे थे।
कडोला(उबारी),पलासनेर,मसनगांव पहुँचे तब साडेसात बजे थे।पोहे-चायका नास्ता किया।आगे कांकरिया,बारंगीमे श्री.विजय मीना के यहॉं जलपान करके आगे चल दिये।नागपुर रेल्वेमार्गके गेटपर चाय लिया।आगे चल रहे थे तब एक मोटरसायकल हमारे पास आके रूक गयी,मुकेश टेलरने नर्मदे हर किया और बोले,आगे मांदला गांव है मेनरोडपरही हमारा दुकान-घर है,बोर्ड लगा हुआ है।आप आज हमारे घर भोजन ग्रहण किजियेगा।आप पहुँचो तबतक मै काम निपटाके आपकी सेवामें हाजिर होता हूँ।नर्मदे हर!परिक्रमावासीओंके प्रति कितना आदरयुक्त सेवाभाव है रेवाखंडके हरएक व्यक्तिमे।
मांदला पहुँच ही रहे थे की मुकेशजी आ भी गये।तीन भाईयोंका एकत्रित कुटुंब है।माताजी स्वयं हमारे पास बैठकर भोजनमे हमे क्या चाहिये ये देख रही थी,बहुओंको सुचना दे रही थी।स्वादिष्ट भोजनप्रसाद मिला।विश्रांती के बाद चायके साथ गुजिया,नमकीन लेनाही पडा।नर्मदे हर!चलो आगे।मुहाल,चल रहे थे तो दैनिक भास्करके वार्ताहर मिले,उन्होने हमारा इंटरव्ह्यू लिया फोटोभी खिंचा बोले,कल के पेपरमे छपेगा।नर्मदे हर!छिपावड,अपना भोजनालय के संदीप राठौरने नर्मदे हर करके लिमका दिया।शामके साडेपांच बजे थे आजका चलनेका कोटाभी पुरा हो गया था,हमें शंकर राजपूतके घर जाना था।एक दुकानमे पुछा तो वो बोले,हमारे घर पधारोना हमे सेवाका मौका दे दो।नर्मदे हर!मैयाने आज हमारे लिये श्री.दुर्गाप्रसाद राजपूत का घर तय किया था,हमारे इन्कारका सवालही नही हो सकता था।नर्मदे हर!चायपान के बाद स्नान-कपडे धोनेका कार्यक्रम किया,आरतीमें घरके सारे सदस्य शामिल हो गये।सुंदर भोजनप्रसादके बाद अब विश्राम नर्मदे हर!
. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-28
नित्यकर्म,चायपान के बाद राजपूत फॅमिलीको अलविदा किया।5-15बजे थे सुबहके।पोखरनीमे तुकाराम भैसोरजीने चायपान कराया।आगे धनोरा,करूना,चीचमे ढाबेपे चाय लिया,रास्तेपर पेड नही है धूप तेज हो गयी है पानी पितेही पसिना बनके बहे जा रहा है।दगडखेडी,बोथियाखुर्द पहुँचे तब 10-15 बज गये थे मगर कड़ी धूपसे लग रहा था,गुस्सेसे लाल-पिले हुए सुरजचाचू हमे जलाके राख कर देंगे।गांव अंदर था इसलिये यात्री प्रतिक्षालयमे थोडी साफसफाई करके बैठ गये।
22/09/16, 7:57:49 PM: +91 94236 38659: 1-30बजेतक बैठे रहे,हमे धारूखेडीमे महेश शर्माजी के घर जाना था।कोई बताता था की पासही है धारूखेडी तो कोई कहता था आठ-दस कि.मि.है,कितना दूर है क्या पता?
बसस्टॉपके सामने एक टायरवाला था उसके पाससे पानी लिया नर्मदे हर! पैदल धीरे धीरे चलो,मुखसे जय मैया बोलो ! ॐ नमो नर्मदा माई रेवा,पार्वतीवल्लभ सदाशिवा! कहते मार्गक्रमण करते रहे।एक छोटीसी नदीमैया ब्रिजसे पार करके धारूखेडीके यात्रीप्रतिक्षालय तक पहुँचे तब तीन बज चुके थे।गांव थोडा अंदर था,बहुत थक चुके थे।एक आदमी को महेश शर्माजीके बारेमे पुछा और उसके पिछे चलते उनके घर पहुँचे।हमारा परिचय दिया,बडे प्रेमसे हमारा स्वागत हुआ।
महेशजीकी धर्मपत्नी सौ.मीना,बेटा धीरज और दो बेटियॉं रक्षा,शीतल।माता-पिता श्री.रामाधार शर्मा,सौ.यमुना शर्मा।बडा प्यारा परिवार है।आंगनमेही हॅण्डपंप है,कपडे धोनेका बडा कार्यक्रम निपटाया।शाम होतेही रक्षाने तुलसीवृंदावनके पास,भगवानजीके सामने स्तोत्र बोलते दीपक लगाया,हमारे पुजा आरतीके लिये निरांजन-बाती,प्रसाद लाके दिया।सब आरतीमे सहभागी हुए।बच्चोंने हमारे साथही दादा-दादी,माता-पिताके चरणस्पर्श करके प्रणाम किया।बडे संस्कारी है बच्चे।
चुल्हेपे बनाया बिना प्याज-लहसून का स्वादिष्ट भोजनप्रसाद पाया।शीतलको एक कहानी सुनायि अब निद्रादेवीकी आराधना।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-29
सुबह 4-30 बजे शर्मा फॅमिली को अलविदा करके हमारी दो डिब्बोंकी विनोबा एक्सप्रेसने धारूखेडी स्टेशन छोडा।दो कि.मि.पर अन्नपुर्णा ढाबेपर चाय लेके आगे चल दिये।निशानिया,खेरखेडा,बेडियाखाल,साढियापानी केशवके ढाबेपर चाय पिनेके बहाने बैठ गये,दस कि.मि.से ज्यादा चलना हो गया था।दस-पंधरा मिनिट बाद आगे चलना शुरू।नया हरसूद,हरसूद गांव पुनासा डॅममे डूब गया,गांवको यहॉं पुनर्वसित किया है इसलिये ये नया हरसूद।रेल्वे लाइन क्रॉस करके छनेरा गांवमे प्रवेश कर रहे थे,रिकी मालवीयने पुकारा नर्मदे हर!आईये मैयाजी कुछ नास्ता-पानी किजियेगा,नर्मदे हर!
रिकी टेलरमास्टर है।सुट स्पेशॅलिस्ट है।बहू अर्चना लेडीज टेलर है।सुंदर पोहे,चाय भरपेट नास्ता हो गया तबतक रिकी केले लेके आ गया बोला,साथमे लेके जाना।नर्मदे हर!आगे चले तब सुबहके 8-30बजे थे।बाजारपेठमेसे चलते चलते महांकाल चौराहापर आ गये।छनेरा बडा गांव है।मुकेशकुमार संकरे के ढाबेपर बैठे।सुर्यदेवता आग बबुला होने लगे थे।अब आगेकी सफर कठीण होनेवाली थी।
सुरक्तपुर,एक घरके आंगन क्षणिक ठहरे,उधर रहनेवाले युवककी बाईस सालकी पत्नी एक छोटा बालक पिछे छोडके ब्रेन हॅमरेज होके चल बसी,बहुत बुरा हुआ मैया।
चारखेडा मनरंगीबाबा समाधी स्थल आश्रम पहुँचे तब ग्यारह बजे थे।बडे बडे पेड अपनी छत्रछाया दे रहे थे,बड़ा सुख मिला।यहॉं श्री.रामेश्वर यादव,सौ.उमाबाई व्यवस्था देखते है।माताजीने गरम गरम रोटी-सब्जी का भोजनप्रसाद दिया।
यादवजीने मनरंगीबाबा की एक कहानी सुनायी,बाबा के पास दो भैंसे थे।बाबा उनके गलेमे सामानकी लिस्टका कागज़ बांध देते थे और वो भैंसे दुकान जाते थे,दुकानदार उनके गलेमे सामानकी गठडी बांध देता था,वे सामान लेके बाबाके पास आ जाते थे।मनरंगीबाबाजीने समाधी लेते ही दोनो भैंसोंनेभी अपने प्राण त्याग दिये।उनकी समाधी बाबाजीके समाधीके सामने है।
चारखेडा गांवके बाहर तवामैयापर रेल्वेका ब्रिज है उससे तवा मैया पार करनेका दिव्य करना था।नर्मदे हर!जा रहे थे तब मोटरसायकलसे जानेवाले एक पंडीतजी मिले,नर्मदे हर!आपका फोटो और मुलाखत छपी है आजके पेपरमे,उन्होने बताया।परसो छिपावड के रास्तेमे दैनिक भास्करके वार्ताहारने हमारी मुलाखत और फोटो लिया था।नर्मदे हर!
रेल्वेब्रिजपर पहुँचे।बाप रे!निचे पानीका अफाट दरिया दिख रहा था,आधा पाऊण कि.मि. का अंतर होगा ब्रिजका।चलो बोलो नर्मदामैया की जय!तवामैया की जय!पटरी देखके,कोई गाडी तो नही आ रही इसका ध्यान रखते,पीठपरकी सॅक संभलते,नर्मदे हर नर्मदे हर,मैयाजी आपकी जय हो,तवामैया आपकी जय हो कहते कहते ब्रिज क्रॉस हो गया।हम तो पैदल थे मगर उन मोटरसायकल स्वारोंकी सचमे कमाल थी जो ये ब्रिज क्रॉस करके आ जा रहे थे।एक दिन नही,सालोंसे हररोज।नर्मदे हर!
दुसरी परिक्रमामे ये दिव्य नही करना पडा।अब तवामैयापर मोटररोड बन गया है।
पांच बजे सेल्दा पहुँचे।श्री.संतोष गवळीने अपने घर बुलाया।तीन भाई है।बडा घर,खेत-खलियान,गाय-भैंसे,ट्रॅक्टर ऐसा बारदाना है।सहर्ष स्वागत,उत्तम भोजनप्रसाद।
आज 35कि.मि.चलना हुआ था।अब निंदिया रानीके आगमन की प्रतिक्षा थी।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-30
सुबह 5-30बजे चाय लेके गवळी परिवारको नर्मदे हर कहके आगे प्रस्थान किया।रास्ता अच्छा है,दोनो तरफ घना जंगल है।साधारण तीन कि.मि.पर बांए तरफ जंगलमे थोडा अंदर एक आश्रम है,वहॉंके बाबा पिछले कुछ सालोंसे खडे रहकर तपस्या कर रहे है।उनका नाम मालूम नही सब उनको खडेबाबाही कहते है।
आगे मांडला गांवमे राधाकृष्ण,शिवजी,नर्मदामैया,हनुमानजी का मंदीर है।मंदिरके आंगनमे कुआ है।श्री सितारामबाबा बडे बुजुर्ग महात्मा वहॉ रहते है।दर्शन करके हम बैठे,बाबाजीने चायपान करवाया।
बाबाजी गांववालोंपर गुस्सा हो गये थे,गांवमे कल किसीके घरमे पुजा-हवन हुआ था और उसका निर्माल्य,हवन की रक्षासामग्री उन लोगोने कुंवेमे डाल दी थी,सारा पानी गंदा हो गया था इसलिये बाबाजी को गुस्सा आया था।बाबाजीने गांववालोंको एक अच्छी बात कही,निर्माल्य,हवन सामग्री पानीमें डालने बजाय पेड पौधोंके पास जमीनमे गाड देनेसे उनको खाद मिलेगी और किसीके पैरतलेभी नही आएगी,पानी भी गंदा नही होगा।कितना सही विचार है बाबाजीका।नर्मदे हर!
सेजला गांवमेसे सिंगाजी जानेका रास्ता है मगर जंगलसे जाना पडता है,श्री.गंगारामबाबा बडे बुजुर्ग हमे रास्ता दिखाने आए इसलिये हमे दर्शन हो सका।बहुत सुंदर पवित्र स्थान है।
भैंसावांमे चाय-बिस्किटका नास्ता किया।सावनेर रेल्वेक्रॉसिंग के बाद बाजारपेठमे एक हॉटेलमे भोजनके लिये जिलबी(जलेबी?)और कचोरी खायी।नर्मदे हर!आगे जाके दुर्गामंदिरमे माताजी के समीप विश्रामके लिये बैठे।
कड़ी धूप है।हमे मुंदी जाना है और कमसे कम छे-सात कि.मि.जाना है।विश्राम करना बहुत जरूरी था।1-30 बजे आगे चलने लगे।मोहद,मंडी और मुंदी।पहुँच गये।हमारे पास असोक राठोड ये नाम था मगर मुंदीमे तीन असोक राठोड थे।पता नही मिला,बाजारमें चौराहेके मध्यमे दुर्गामंदीर है मगर खुला,वहॉं रहना शक्य न था।नर्मदे हर!
मेरी नजर एक डिस्पेंसरीके बोर्डपर गयी,डॉक्टर अत्रे।नामसे महाराष्ट्रीय लगे,गये अंदर अपना परिचय दिया।डॉक्टर मुंदीमे नही रहते मगर हमारी व्यवस्था करनेवाले है।प्रथम चाय देके उन्होने एक आदमी को हमे नर्मदा धर्मशाला पहुँचानेको बोला और मै दवाखाना बंद होतेही आता हूँ ऐसा कहा,नर्मदे हर!
नर्मदा धर्मशाला ब्राह्मण समाजकी है,दिलीप सोहनी इस मुल महाराष्ट्रीय पर पिढ़ियोंसे मध्यप्रदेशमे रहनेवाले युवकने अपनी दादा-दादीके स्मृति प्रित्यर्थ रूम बांधी है,दुसरे समाज बांधवोंने भी रूम खुला बडा बरांमदा बांधा है,स्वच्छता है।
मेरी भाभी मायकेसे सोहनी है,ये मैने बताया तो हमारी व्यवस्था दिलीपके घरमेंही हो गयी।दिलीप बोला आपकी भाभी सोहनी की बेटी मतलब मेरी बहन,और अपने बहनकी ननद को बाहर कैसे रख सकता हूँ।ऐसे है मेरे मध्यप्रदेशी बांधव बडे दिलवाले।नर्मदे हर!
मेरा गुरूबंधू संजय जोशी जो खांडवा कृषिविस्तार आधिकारी है,मैने उसे आज मुंदी पहुँचने वाली हूँ ऐसे बताया था,शामको हमे मिलने आ गया।डॉक्टर अत्रे भी आ गये।सबको मिलके बड़ा आनंद मिला।दिलीपकी पत्नी गौरी,बच्चे दुर्गा और कृष्णा बहुत प्यारा परिवार है।
आरती,भोजनके बाद थोडीदेर टीव्ही देखा बादमे बच्चोंको कहानी सुनायी।अब नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-31
स्नान आरती होनेतक गौरीने सुंदर अदरकवाली चाय बनायी।हम जानेवाले थे इसलिये बच्चेभी जल्दी उठे थे,आज नही जाना दो-तीन दिन रहो बादमे जाना उनका हठ चल रहा था।मुझे गाडासराईके डॉक्टर चौरासियाजीके पोते पोती की याद आ गयी वो भी ऐसाही हठ कर रहे थे,और मेरे पिछे गाडी लेकर नवीनको बच्चोंको लेके आना पडा था,बहुत समझानेके बादही वो वापस गये थे।ऐसे प्यारे बच्चोंकी वजहसे ही ये खडतर परिक्रमा करना आसान हो जाता है।ऐसा प्यार मिलता है इसलिये घरसे दूर होना भी दूर न होनेका एहसास दिलाता है।मेरे प्यारे बच्चे!नर्मदे हर!
दुर्गा और कृष्णा को फिर आनेका वादा करके उनका तथा गौरी दिलीप का प्रणाम स्वीकारते हम आगे बढ़े।नर्मदे हर!
केनुद,भमौरी,जलवा बुजुर्ग पहुँचे,हनुमानमंदिर के पास मांगिलाल छबुलाल यादवजीने भोजनप्रसादके लिये बुलाया।दसही बजे थे मगर ना कहना ठीक नही होता इसका अनुभव पहले ले चुके थे और धूप भी तेज होने लगी थी,रूक गये।नर्मदे हर!
बडे आदर श्रद्धासे दिया भोजनप्रसाद ग्रहण करके थोडा विश्राम करके देढ़ बजे आगे चल दिये अर्थात यादव परिवार को नर्मदे हर करके।देवला,डूडगांव,खुटला,अटूट,बखरगांव,गुजलीमे श्रीराम मंदिरमे दर्शन करके चायपान करके(जिन्होने चाय दिया उनका नाम मै भुल गयी इसलिये क्षमाप्रार्थी हूँ)आगे कडौली,नेसन हथिया बाबा आश्रममे पहुँचे तब शामके सात बज चुके थे।आज करीब करीब चालीस कि.मि.चलना हो गया था।बहुत थक गये थे।बरगदवृक्ष तले आसन जमाया।नर्मदे हर!
आश्रममे सत्संगकेलिये आये गांववालोंने कॅनॉलके बाजूसे ओंकारेश्वरको जानेवाला शॉर्टकट बताया और ओंकारेश्वर सिर्फ बारा कि.मि.है ऐसा कहा।नर्मदे हर!बडी तेज हवा चल रही थी,शायद ज्यादा थकनेसे निंद नही आ रही थी।
पहिली परिक्रमामे हमको बससे ओंकारेश्वर जाना पडा था,मेरी तबियत खराब थी।नर्मदे हर!
सुबह जल्दी नित्यकर्म निपटाके प्रार्थना करके साडेपांच बजे चलने लगे।आज बहुत दिनोंबाद नर्मदामैयाके दर्शन होनेवाले थे।मनमोर खुशीसे नाच रहा था।आश्रमसे एक कि.मि.आगे जानेके बाद कनॉलके बाजुसे कच्चा रास्ता शुरू हो गया।बहुत दिनसे,होशंगाबाद के पहले पिपरियासेही हम हायवेसे चल रहे थे,कच्चे रास्तेपर चलना थोडा कठीण हो रहा था,पैरोंके ब्लिस्टर पुरे ठीक नही हुए थे।मगर आज मैया मिलनेवाली थी।पैरोंको बोला थोडा सबर करो।नर्मदे हर!
साधारण आठ नौ कि.मि.बाद कॅनॉलका रास्ता छोडके कच्चे रास्तेसे खगवाडा,अंजरूद,धावडी,कोठी गांवके बाहर पक्के रास्तेपर आ गये तो ओंकारेश्वर पांच कि.मि.लिखा पत्थर दिखा,अबतक हम पंधरा कि.मि.चल चुके थे,मतलब हथियाबाबा आश्रमसे ओंकारेश्वर बारा नही बीस कि.मि.था।नर्मदे हर!
एक-देढ घंटेमे ओंकारेश्वरमे गजानन महाराज भक्तनिवासमें पहुँच गये।नर्मदे हर! चार नंबर बिल्डींग मे रूम मिल गयी।स्नान,कपडे धोना वगैरे काम निपटाके गजानन महाराजके दर्शन करके मैयादर्शन करने चले गये।
नर्मदे हर!आंखोंसे आंसूओंकी बरसात हो रही थी,खुशी के आंसू थे।अमरकंटकमे अच्छा शास्त्रोक्त संकल्प नही हुआ था इसलिये मै कल पुनःह संकल्प करनेवाली थी।जितेंद्र शास्त्रीजीको फोन करके हम आ गये है बता दिया।नर्मदे हर!
भक्तनिवासमे आकर मैयाकी शामकी आरती की।प्रसादालयमे जाके भोजनप्रसाद पा लिया। जितेंद्रशास्त्रीजीका भाई देवेन्द्र मिलने आ गया।कल संकल्प पुजा सुबह आठ बजे करनी है।अब विश्रांती।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-32
सुबह काकड आरती के लिये जल्दी उठके मैया स्नान करके तैयार होके मंदिर गये। गजानन महाराजकी मराठी काकडआरती सुननेमे बहुत मधुर थी।झांज,चिपळ्या,टाळ,मृदुंग सारे एक लयमे बज रहे थे,सारा वातावरण पवित्र,शांत,सुरमयी हो गया था।नर्मदे हर!
काकडआरती के बाद चायप्रसाद लेके कपडे धोके टेरेसपर सुखाने डाल दिये ताकी थोडेबहुत सुखे तो भी वजन कम होगा।संकल्प के जाते समय रूम छोडके सॅक लेकेही जाना था,क्योकी परिक्रमामे गोमुखका उल्लंघन नही कर सकते इसलिये पिछे वापस नही आ सकते थे।
आज हमारे साथ श्री.संतराम जाधव,मोरे,कुलकर्णी,गोगटे भी संकल्प विधीमें सहभागी थे।आठ बजे गोमुख घाट पहुँचे।यथावकाश देवेंद्रगुरूजी आ गये।उन्होने कन्या पुजन के लिये हलवा बनाके लाया था,बाकी संकल्पविधीकी सामग्री भी लायी थी।योग्य मंत्रोच्चारसे यथाविधी संकल्प पुजा हमारे हाथों करवायी,मैयाके प्रतिनिधी स्वरूप और गुरू के नाते आशिर्वाद देके हमे परिक्रमा के लिये प्रस्थान करने की आज्ञा दे दी।नर्मदे हर!
पचीस-तीस सिढियोंका घाट चढ़के हम नगरपालिका के ऑफिसमे गये,हमारा पहचानपत्र दिखाने के बाद हमे परिक्रमावासी के तौरपर नगरपालिका का स्टॅम्प हमारे डायरी पर लगाया।अब हम अधिकृत परिक्रमावासी हो गये।नर्मदे हर!
एक हॉटेलमे नास्ता चायपानी करके चलना शुरू किया तब सुबह के साडे दस बजे थे।हमने किनारेसे जाना मुनासिफ नही समझा क्योकी वह मार्ग बहुत कठीण है।हम रोडसेही चलने लगे।एकदम शांतिसे आहिस्ता आहिस्ता चल रहे थे।रास्तेके दोनो तरफ बडेबडे पेड है इसलिये धूप परेशान नही कर रही थी मगर गरम बहुत हो रहा था।
दोपहरके1-15 बजे एक जगह पेड के निचे बैठकर प्रसादका हलवा खाया।थोडा विश्राम करके आगे चल दिये।
रास्तेमे मारूकी चिंचलीका रहनेवाला विजय बिहारीलाल कारोळे मिला उसने उसके घर मुक्काम करनेका आमंत्रण दिया।आगे अंजड के पांडु कदम मिले वो आवली घाट पर हमारी व्यवस्था करनेवाले है।
शाम चार बजे मोरटक्कामे भक्तराज आश्रममे पहुँचे।श्री.नाना घळसासी,सौ.नानीजीं ने बडे प्रेमसे स्वागत किया।एक रूममे आसन लगाया।
आज आश्रममे तुलसी विवाह संपन्न हुआ।मंगलाष्टक,सनई चौघडा,विवाह के बाद मिष्टान्न भोजन सारा महाराष्ट्रीय तामझाम था।बड़ा मजा आया।अब विश्रांती नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-33
सुबह चार बजे उठ गये,नित्यकर्म करके मैयाके घाटपर गये।दूरसे देखके ऐसा लग रहा था,मानो पिघली हुई चांदीका प्रवाह बह रहा है।आकाशमें चंद्रप्रकाश का चांदीका प्रवाह और धरतीपर अपनी नर्मदामैया वही रूपेरी साडी पहनके इठलाती लहरोंरूपी हसीं के फूल खिलखिलाती जा रही है।
हलकी गुलाबी थंड थी।मैयाजल हाथमे लेकर प्रथम उसको प्रणाम किया।पाद स्पर्शम क्षमस्वमे।क्षमा प्रार्थना करके सिढीपे बैठतेही एक थंड शिरशिरी सारे शरीरमे दौडती चली गयी।बाप रे!कितना थंडा पानी,फिर एक दुसरीपर लोटेसे पानी डालतेही थंडी भाग गयी।सचैल स्नान करने लगे,तबतक पुरबसे उषादेवीने दस्तक दे दी,अरूणोदय हो रहा है।महाराजा भास्कर पधार रहे है।फिर उनके सन्मानमे अर्घ्य देके प्रणाम स्वरूप गायत्रीमंत्रपठण करके हम आश्रम वापस आ गये।
पुजा आरती करके श्रीसाईश तथा भक्तराज महाराज का दर्शन लिया।नानीजीने दिया चाय लेके नाना-नानी को नमस्कार करके उन्होने दिया हुआ आशिर्वाद दिलमे संभलके रखा और साश्रू नयनोंसे नर्मदे हर करके हमारी विनोबा एक्सप्रेस परिक्रमाकेलिये चल पडी।नर्मदे हर!
सुबहके सात बजे थे।मैया किनारेसे चलना शुरू किया मगर कल ओंकारेश्वर डॅमसे पानी छोडनेके वजहसे किनारेपर दलदल हुई थी किचडमे चलना कठीण था बूट परदूसरे किचडके बूट तैयार हो गये।इसलिये रेल्वे ब्रिजके पास उपर चढ गये,कच्चे रास्तेसे एक दो बार रास्ता चुक गये आखिर एक छोटीसी चढाई चढके कटारा गांवमें पहुँचे तब साडेआठ बजे थे।श्री.शोभाराम पटेलजीने बुलाया,नर्मदे हर!
चायराम(हर पदार्थ के आगे राम लगाके बोलने की प्रथा है रेवाखंडकी)लेके आगे चले,आशाताई के पास काठीमैया नही थी,पटेलभाईसाबने दे दी,चलनेमे आसानी होती है।
कटारासे एक खाई उतरके अलीबुजुर्ग जाते समय पुनःरास्ता भूल गये,एखाद कि.मि.पिछे आके चलना पडा,रास्ता कठीण था एक दो छोटेखानी खाई,नाले क्रॉस करके अलीबुजुर्ग,टोकसर होते हुए गोमुख आश्रम पहुँचे तब दोपहरके 12-30 बजे थे। आतेही महाराज बोले हाथपैर धोके प्रथम भोजनप्रसाद पावो बादमे बाकी काम।नर्मदे हर!
दाल-बाटीराम,कढ़ी-चावलराम,टोमॅटोराम सुंदर भोजन।यहॉं एक गंमत हो गयी,परोसने वाले महाराज परोसते बोले महापुरण,मुझे लगा पुरणपोळी वाला पुरण बनाया है,मैने मांगा मुझे चाहिये महापुरण।आश्रमवासी महाराज हसने लगे बोले,मैया!महापुरण मतलब आपका मराठी पुरण नही,महापुरण मतलब अब भोजन पुरा हो गया अब और कुछ नही मिलेगा।नर्मदे हर!परिक्रमामे कितना कुछ सिखनेको मिलता है।
एक रूम मिल गयी,आसन लगाके विश्राम किया।शामको मैयाके घाटपर गये।यहॉं मैया विशालस्वरूप है।मंदिर परिसरमे एक कुण्डमे गोदावरी प्रकट है।घरसे इतनी दूर हमारी नाशिक त्र्यंबकेश्वरकी गंगागोदावरीके दर्शन हुए।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-34
सुबह छे बजे आगे चलना शुरू किया।पीतनगर,कांकरिया,जंगल,खेत पार करते रावेर पहुँचे।यहॉं भारतवर्षका एक धारातीर्थ है।यहॉ पहिले बाजिराव पेशवाजी का उत्तरकी मुहिम पर जाते समय लू लगनेसे देहांत हुआ था।The great maratha Shrimant Bajirav Balaji Bhat प॑तप्रधान पेशवा,बीस सालकी उमरमे पेशवा बने,बीस साल पेशवाई निभायी,36लढाईयां लढी सारी जिती,एकभी हार नही,दिल्लीके तख्ततक अपना धाक जमाया।त्रिवार वंदन।
रावेरमे नर्मदातट पर समाधी है।दर्शन करके थोडी देर बैठे राऊजी(पेशवा को सारे राऊ पुकारते थे)को याद करते,सबकी ऑंखे नम हो गयी थी।भगवानने उनको थोडा और समय दिया होता तो भारत का भविष्य उज्वल होता मगर....हम कम नसीबवाले।नर्मदे हर!
आगे खडकमैयामे पानी ज्यादा था इसलिये थोडा दूरसे जाना पडा।खेडी पहुँचते पहुँचते एक बज गया था।भूक बहुत लगी थी।मैया कहॉं किया है भोजनप्रबंध?मनका विचार पुराभी नही हुआ तो कवडाजी पवॉंर की माताजीने पुकारा,नर्मदे हर!आओ मैया,तनीक बैठो कुछ भोजनपानी पाओ,धूप तेज है,विश्राम करो फिर जाना आगे।मैया तेरी लिला अगाध है।एक क्षणभी आप अपने बच्चोंको तकलीफ होने नही देती हो।नर्मदे हर!
भोजनप्रसाद पाके विश्राम किया,दो बजे थंडगार मलईलस्सी पिके पवॉंर परिवार को नर्मदे हर करके आगे चल दिये।
खेडीमे खडकमैयापर छोटा ब्रिज है,पार करके किनारेके शॉर्टकटसे पगदंडीसे चलके सांगवी के बाद एक पेड के निचे बैठे थे।खेतसे काम करके वापस जानेवाली संजूबाई लेवा और उसकी सहेलियां मिली,संजूबाईने बकावॉंमे उसके घर आज रहनेकेलिये बुलाया।नर्मदे हर!आज बहुत सारे परिक्रमावासी बकावॉंमे रूकेंगे,मैया किनारेके सिताराम आश्रममे भीड होगी।मैया ये जानती है इसलिये हमारेलिये उन्होंने संजूबाई को भेजा था।नर्मदे हर!
संजूबाईका बडा परिवार है।बडे प्रेमसे स्वागत हुआ।स्नान,कपडे काम हुआ,आरती के बाद दाल-बाटी का स्वादिष्ट भोजन हुआ।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-35
बकावॉं गावमे नर्मदामैयाके प्रवाहमे मिलनेवाली छोटी बड़ी शिलाओंसे शिवलिंग बनाए जाते है।भारतभरमे शिवमंदिरमे स्थापना केलिये यहींसे शिवलिंग लेके जाते है।इस शिवलिंगकी स्थापना करनेकेलिये विधीविधान की आवश्यकता नही होती क्योंकी भगवानजी स्वयं नर्मदाके हर कंकरमे वास करते है ऐसी मान्यता है।नर्मदे हर!
सुबह नित्यकर्म करके स्नानके लिये मैया घाटपर गये।संजूबाईके घरसे बहुत निचे उतरनेके बाद सिताराम आश्रम,उससेही आगे निचे मैया है।स्नान,अर्घ्यदान करके वापस आकर आरती करके चाय लिया और पुनः पधारनेका आश्वासन देके संजूबाई के परिवार को नर्मदे हर किया।मैने आश्वासन पुराभी किया दुसरी परिक्रमामे मेरी सात सहेलियोंके साथ उनके घर रूकी।सेवाभावी परिवार है।नर्मदे हर!चार कि.मि.आगे मर्दानागांव है।ये ऐतिहासिक मोरध्वज राजाकी राजधानी थी,घरोंके दरवाजे खिडकीयोंपर किया सुंदर नक्षीकाम इतिहासकी धरोहर होनेकी निशानी दर्शाती है।
मर्दानामे रेवाराम मंडलोई दुकानदारने जलपान करवाया और सबको कुछ लिमलेटकी गोली,टॉफी,दी।नर्मदे हर!
यहॉ मेरे भैया(बाबा)को उनके व्होल्टास कंपनीके सहकारी श्री.ओक,श्री.व सौ.वझे मिल गये।मित्रभेट सबको आनंद दे गयी।नर्मदे हर!
मर्दानामे मैया किनारे एक टेकरीपर आश्रम है।शिवजीका छोटासा मंदीर,परिक्रमावासीओं केलिये ठहरनेकी भोजनकी व्यवस्था है।
नगांव के बाद आया भट्यानबुजुर्ग वा तेलिभट्यान।मैया किनारे सियारामबाबा रहते है।बडे बुजुर्ग संतमहात्मा है।उमर सौसाल के उपर होगी,किसीको मालूम नही।सिर्फ एक लंगोटी बांधते है,बारा महिने हर मौसममे ऐसेही रहते है।सारा शरीर विभूतिचर्चित रहता है।त्रिकाल मैयास्नान करते है।स्नान करके जैसे सिढ़ियॉं चढने लगते है अपनेआप शरीर विभूतिचर्चित हो जाता है।अपने कमंडलूसे पिपलसे लेकर सारे पेडपौधोंको पानी देते आते है फिर भी कमंडलू जलसे भराही रहता है।आश्रममे एक बातीवाले बहुत पुराने स्टोव्हपर एक बर्तनमे चाय होती है,जितनेभी परिक्रमावासी हो सबको उनका जो पेला होगा वो भरके चाय खुद अपने हाथोंसे देते है मगर स्टोव्हपरके बर्तनमेकी चाय खतम नही होती।ये दोनो चमत्कार मैने मेरी प्रत्येक परिक्रमामे देखे है।बाबा हरएक परिक्रमावासीको खिचडीकी सामग्री,चिनी,बिस्कीट,असली गायके घीसे भरी एक डिब्बी,अगरबत्ती,माचिस देते है।दक्षिणा के तौर पर किसीने पैसे दिये तो सिर्फ दस रूपयेही लेते है।उनके रजिस्टरमे सबके नामपता लिख लेते है।और एक हमारा अनुभव।हम स्नान करके कपडे सुखाने डालके बाबाजीके पास बैठे थे,आज बहुतसारे फल जमा हुए थे बाबाजीने खद सारे फल काटके एक बडे पाटीमें एकत्र करके सबको भरपूर दिये हमने खा लिये,बाबाजीने वापस सबको दिये हमने एक प्लास्टिक थैलीमे रख दिये बादमे खानेकेलिये।यथावकाश हम आगे चल दिये।3-4कि.मि.जानेके बाद धूपकी वजह पेडके बैठे मुझे फलोंकी याद आयी लगा,केले,पपिता अमरूद वगैरे फल अबतक खराब हो गये होगे।थैली खोलके देखा,सारे कटे फलके टूकडे जैसे के तैसे मानो अभी अभी काटे है ऐसे थे।न केले के टूकडे काले पडे थे न पपितेके टूकडे खराब हुए थे।संत महात्माका हाथ जो लगा था,उनके प्रेमरसमे लिपटे टूकडे थे वो।बडी श्रद्धा खुशीसे हमने वो प्रसाद पा लिया।नर्मदे हर!
2011मे मैयामे बड़ी बाढ़का खतरा था,सायरन बजा था,सबको गांव छोडनेकी चेतावनी मिली थी,लोगोने बहुत कहा बाबा चलो,मगर बाबा नही गये सारा गांव खाली हो गया,बाबा वही पिपल तले रामायणका पाठ करते रहे।सुबह पानी उतरनेके बाद गांववाले वापस आ गये डरते डरते की बाबाजी का क्या हुआ होगा?देखा,बाबा वही खडे पाठ कर रहे थे।हर्षोल्लाससे सारे दौडके बाबाजीके पास पहुँचे।बाबा बोले,मैया आयी रामजीके दर्शन किये और चली गयी।नर्मदे हर!सियावर रामचंद्र की जय!
रामायण रखे झुलेकी दोनो तरफसे पानी ऊपरतक चढ़के उतर गया था घाटकी सिढ़िया दोनो तरफ गिली थी।ये सियारामबाबाजी की तपस्या थी।नर्मदे हर!
हम ससाबड पहुँचे।रहननेका ठिकाना चाहिये था।हमारे नाशिककी एक साध्वी भारती ठाकूर यही आजुबाजुके गांवोंमे सेवाकार्य करती है,उन्होने परिक्रमा की है,उनको फोन लगाया।उनकी एक सहकारी सौ.आरती चौहान ससाबडमे रहती है,उसके घर गये।आरतीका मायका महाराष्ट्र के दिग्रजका है।आरती बहुत खुश हो गयी,उसके मायकेवाले जो आए थे।सहर्ष स्वागत हुआ।
कल रात तेलीभट्यान के आगे गोधारी आश्रममे एक परांजपे नामकेही बुजुर्ग परिक्रमावासी को देवाज्ञा हुई थी,भारती उधर गयी थी।नर्मदे हर!परांजपेजी कैलासवासी हो गये,पुण्यवान आत्मा।वो परांजपे थे रिश्तेदार नही थे मगर सगोत्र थे,मैने आरती के घरके बाहर उनके नामसे स्नान किया।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-36
सौ.आरतीको नर्मदे हर किया और आगे चलना प्रारंभ किया।आरतीके ससुरजी श्री.अमरसिंग चौहान बहुत दूरतक हमारे साथ आये,एक शॉर्टकटके रास्तेसे हमे ले गए,ताप्तीनाला पार करनेमे मदत करके वापस चले गए।नर्मदे हर!
सात बजे अमलाथामे श्रीराम मंदिरमे दर्शन करके पुजारी श्री.संतोष जोशीजीके घर चाय लेके आगे चले।साडेआठ बजे लेपागांवमे दूध लिया।भारती ठाकुरजी इसी गांवमे स्कूल चलाती है,उसके आश्रमका नाम है,रामकृष्ण शारदा मिशन।भारतीजी की यहॉं भेट हो गयी।बड़ा शैक्षणिक,पुनर्वसन कार्य चल रहा है।नर्मदे हर!
मरकटी संगम,वेदासंगम वेदामैयापर बडा ब्रिज है।हायवे पर आनेके बाद आदर्श हॉटेलमे पोहे और मही(गोड ताजे ताक)नास्ता किया,नारायणजीने सिर्फ पोहेके पैसे लिये।उनका बेटा शिवम के साथ कॅरम खेलनेका आनंदभी लिया।
माकडखेडामे घाटकी सिढ़ियोंपर संतश्री डोंगरेमहाराज ट्रस्टकी तरफसे परिक्रमावासीयोंको सदाव्रत दिया जाता है।मैया किनारे खेतोंको पानी देनेवाली मोटरे,वायर्स,पाईप्स की वजहसे किचडमे चलना त्रासदायक रहता है।
नागेश्वर मंदिर कठोरामे दर्शन करके बैठे।यहॉं पुणेमे रहनेवाला सॉफ्टवेअर इंजिनियर लडका गणेश भोकरे और महाराष्ट्रीय संन्यासी संतोषगिरी महाराज मिले संतोषगिरी पुर्वाश्रमी का दादर मुंबईमे रहनेवाला संतोष पवार था।उसने बिनादुधका जिसे वह कालीमहारानी कहते है,दिया।मैयाजलमे थोडी देर खेले।एक घंटा रूककर आगे चलना शुरू किया।माकडखेडासेही मैयाके उत्तरतटपर मंडलेश्वर,राजराजेश्वर,महेश्वर आदि दिखते है।इस सारे परिसरमे मैयाका शांत विशाल नीलश्यामल सुंदर स्वरूप आंखोंको दर्शनसुख देता रहता है।नर्मदे हर!
आगे एक छोटी पगदंडीसे चलके छोटी चढाई चढके तुवरके खेतसे निचे उतरे,वहॉं एक किचडभरा नाला एक दुसरेको सहारा देते कैसा तो पार किया,थोडा पानी था नालेमे उसीसे पैर धोके बुट पहन लिये।चढाई चढी मगर सारा बबूलका जंगल रास्ता क्या पगदंडी भी नही थी।इधरउधर ढुंड़ते रहे।दुसरी ओरसे संतोषमहाराजने हमारी आवाज सुनी और वो आ गया,फिर उसके पिछे पिछे चलते हम बडगांव पहुँचे।श्री.राधेश्याम पाटिदारजी के घर फ्रेश होकर आदरातिथ्य स्वीकार करके आगे चले।बडगांव एकदम स्वच्छ गांव है,गांवकी गलियॉं सिमेंटकॉंक्रीटसे बांधीहुई,नाली एकदम स्वच्छ।वापस मैयाकिनारे आकर हरियालीके गालिचा कालीनपरसे चलनेका लुफ्त उठाते शालिवाहन आश्रमके घाटपर पहुँचे।
सुर्यास्तकी लालिमासे नीलश्यामल मैयाका रूप औरभी निखर रहा था।मानो मैया सुनहरी साडीका पल्लू संवर रही है।उधरसे उठके आश्रममे जानेका मनही नही कर रहा था।आखिर उसको समझाबुझाकर उठ गये।
शालिवाहन आश्रममे आकर बरामदा सदृश हॉलमे आसन लगाया।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-36
परिक्रमा उठानेके बाद आज पहिलीबार बरामदेमें बहुतसारे लोगोंके बिचमे सो रहे थे।सारेही बहुत थकेमांदे थे।और कुछ लोगोंका खर्राटे लेना शुरू हो गया।इतने जोरसे की वहॉं निंद आना तो छोडो लेटना मुश्कील?नामुमकीन था।हमने अपने आसन उठाये और दूर मैयाकिनारे के पास पिपलवृक्षतले बिछाए।नर्मदे हर!
कार्तिक महिना,शरद ऋतु,मौसम बड़ा सुहाना था।हवा शुद्ध सात्विक,सारी सृष्टि हरीभरी प्रसन्न चैतन्यमयी सुंदर थी।
आसनपर लेटे लेटे मेरी नजर उपरकी तरफ गयी।पिपलवृक्ष मुझे उर्ध्वमूल अधःशाखा ऐसा लगा।उसकी ज़डे अनंतमे पसरी पडी है,मेरी दृष्टिक्षेपमे वो नही आ रही।मै इधरसे उधर तक देखने लगी और ऐसे लगा की हरएक शाखापर बहार आयी है।पकके तेजस्वी हुए छोटे छोटे खिरनीके फल सारे आकाशभरमे बिखरे है।आश्चर्यसे भरी दृष्टिसे देखते देखते मेरी नजर निचे आयी तो अहो आश्चर्यम!लगा,निचेभी वैसाही आकाश है।हजारो तारे यहॉंभी चमक रहे थे।अरे!ये तो मैयाका जलदर्पण है।ऐसा दर्पण मैने कभी देखाही नही था।आकाशके तारकापुंज अपना प्रतिबिंब इस जलदर्पणमे निहार रहे थे।पवनका झोंका आतेही जलपर शिरशिरी आ रही थी और वो प्रतिबिंबभी थंडसे थरथरा रहे थे।अप्रतिम प्रभुदर्शन था।
अरूणोदय होने लगा,पुर्वा उषाके स्वागत के लिये सुनहरा केशरी रंग बिखेरने लगी।तब तारकाओंको लगा की सूरजचाचू पुछेंगे,अभीतक यहॉं क्या कर रही हो?इसलिये एकएक चांदनी गायब होने लगी।मुझे पताभी लगने न देते सब प्रकाशके परदे के पिछे चली गयी।
मेरे सामने बह रही थी नर्मदामैया।रातके अंधेरेमे ढ़का हुआ वो अद्भुत रूप सुर्यप्रकाशने सोनेरी भरजरी साडीकी घडी खोलने जैसा खोलके मेरे सामने किया।अब कैसे वर्णन करूं उस रूपका?योग्य शब्द नही सुझ रहे।परंतु इतना समझमे आ रहा था की इस दृश्यका कण कण जाग रहा है।मेरे आजुबाजू के सारे वृक्ष सो के उठकर ताजा हो गये है।उनका हर पत्ता हवामे उड रहा है।हर एक शाखामें नया जीवन पनपने लगा है।
मैयाके अति शुद्ध जलको भी स्फुरण चढा है।प्रत्येक लहर दुसरीको धक्का देते गीत गाते आगे जा रही है।मछलीओंको भी किसीने बताया की सुर्योदय हुआ है,तो वो भी क्षणिक उपर आके देखके वापस मैयाकी गोदीमें छिप रही है।
मुझे लगा,मैयाकिनारेकी रेत का हर एक कण जिवित हो उठा है।अगर मै उनसे बात करूं तो वो भी मुझसे बात करेंगे।शालिवाहन राजाका पराक्रम,उसने मिट्टीके सैनिक पुतलोंमे कैसी जान डाल दी और शक हुणोंका पराभव करके शालिवाहन शक शुरू किया,ये इतिहास बताएंगे।
यहॉंके तपस्वी लोगोंके बारेमे,उनकी तपस्या के बारेमे बताएंगे।साधुमुनियोंके चलनेसे पवित्र हुई ये रेत मुझे उन पवित्र पुण्यात्मा ऋषिओंका नर्मदा पर्यटन वर्णन करके बताएगी।ये मंदिरकी दिवार भी बोलेगी,ये शिखर परिक्रमावासी तापसोंका गीत गाने लगेगा।
ये चैतन्य कैसे निर्माण हुआ?की प्रारंभसेही है?और एकदम संस्कृतके पढ़ाईके वक्त पाठ किया सुभाषित याद आया।
यच्च किश्चित जगत सर्वम दृश्यते श्रूयतेऽपिवा अन्तर्बहिश्यच तत्सर्वम व्याप्य नारायणःस्थितः।हरिरेव जगत।
जो भी अंदर-बाहर दिखता है,सुननेमे आता है वो सब नारायणसे व्याप्त है।हरिसेही सर्व जग भरा है!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-37
आज आगे जानेवाले नही थे।नित्यकर्म,चायपानी के बाद घाटपर स्नान करने चले गए।यहॉं मैया विशाल और स्वच्छ है।सामने महेश्वर दिखता है।वहॉं पहुँचनेमे और एक-देढ महिना तो लगेगाही।सचैल स्नान करके आनेके बाद आज धोबीघाट खोला,सारे कपडे शाल चद्दरेभी धो डाली।आश्रममे काम करनेवाली माताजी को भोजनप्रसाद बनानेमे मदत की।भंडारी भाईसाब मराठी है।सारी बातचित मराठीमे हो रही थी।हसते खेलते भोजन हुआ।विश्राम के बाद आजुबाजुके बच्चोंके साथ लगोरी खेलते बचपन की यादे ताजा हो गयी,बडा मजा आया।बच्चेभी बहुत खुश हुए,कभी कोई बडे,परिक्रमावासी ऐसे उनके साथ खेले नही थे।
शामको मैयामे दिप प्रदान करनेमेभी बच्चोने हिस्सा लिया रातके अंधेरेमे मैया दिपोंकी सोनेरी किनारवाली काली चंद्रकला पहनके ठुमकत चलनेवाली नवयौवना जैसी लग रही थी।नर्मदे हर!
रातको सिर्फ हम लोगही थे।कोई नया परिक्रमावासी नही आया था।तो दोपहरमे बची रोटीके घी और गुड डालके लड्डू बनाए साथमे थोडी खिचडी,हो गया काम।
भोजनके बाद आश्रमकी माताजी शांताबाईने सुंदर नेमाडी लोकगीत गाये,अंजूवहिनी(मेरी भाभी)और स्नेहलने मराठी भजन,गीत सुनाए।ऐसे सुंदर दिनक्रम की सांगता हो गयी।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-38
सुबह 6-30 को सबको नर्मदे हर बोलके आगे चलना शुरू किया।बोथुगांवमे भीमसिंग चौहान के घर चाय-बिस्कीट लिये,उनका बेटा कृष्णसिंग सिव्हील इंजिनिअर हुआ ये समाचार उन्होने बड़ी खुशीसे दिया।नर्मदे हर! भीलगांवमे करणसिंगने खेतमे जलपान करवाया,आगे परिक्रमा पथसे आगे जाके ढालखेडा गांवमे पहुँचे। एक पेड के निचे विश्राम करने बैठे थे वहॉं दिनेश ताटलेजीने चाय लाके दिया।सहस्त्रधारा जानेकेलिये पुछा तो बोले,अभी खेतोंमे पानी भरा होता है रास्ता नही है और उत्तरतटके जलकोटीसे दर्शन अच्छे होते है।इसलिये आगे प्रस्थान किया।साडेदस बजे बलगांवमे भुतेश्वरनाथ मौनिबापू आश्रम पहुँचे।
बापू यहॉं आनेके पहले ये जगह विरान थी।लोग यहॉं आनेसे डरते थे,क्योंकी यहॉं भूत-पिशाच्य है ऐसा लोकापवाद था।
मौनिबापू गुजरातके नवेगांवके बड़े ज़मींदार थे,मगर एक दिन सारा दान करके साधु बनकर यहॉं आ गये।मैया किनारे ये भूतेश्वरनाथका पुराना मंदिर है।बाजूमे एक जगह चार खंबे गाडकर चारपाई जैसा आसन बनाकर बापू उसपर रहने लगे।आजभी वही रहते है,धूप हो या बारिश या थंडी बारा महिने वही रहते है।आ
मैयापर घाट बंधा हुआ है।आश्रमकी गोशाला है,भोजनगृह है,परिक्रमावासी,साधुसंतोंके लिये हॉल,रूम बांधे है।बडे बडे पेड,बाग-बगिचा है।बहुत अच्छी व्यवस्था है।नर्मदे हर!
हमने घाटपर जाके स्नान किया,अर्घ्य देनेकेलिये मैने हाथमे जल लिया तब मेरे हाथमे एक छोटासा लालरंगका कंकर आया,दिखनेमे बैठे हुए हनुमान जैसा है,आज शनिवार है,मारूतीका दिन।मैने ये मैयाका प्रसाद मेरे देवघरमे रखा है।
भोजनप्रसादका समय हो रहा था,एकदमसे बापू कहीसे आ गये,हमे देखकर बोले आज जाना नही यही रहना,अभी भोजनप्रसाद पालो,विश्राम करो शामको आरतीके बाद बोलेंगे।और जैसे आए वैसे झटसे गये भी।हम हक्केबक्के रह गये।एक काली घुटनोंतक लुंगी पहने दाढ़ी जटाभार,तेजस्वी पिंगट नेत्र,हाथमे लंबा मोटा दंडा स्वरूप स्मशानवासी सदाशिव जैसा।प्रणाम करना भी हम भूल गये।जैसे के वैसे खडे रह गये वो गये उस तरफ देखते।नर्मदे हर!क्या दर्शन था!
हम तो भोजनके बाद आगे जानेवाले थे मगर इस आज्ञा का उल्लंघन करना हमारे बस की बात न थी।
आश्रममे एक गाणगापुरके साधु जयंतगिरी महाराज ठहरे हुए थे।गाणगापुर महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमापरका दत्तक्षेत्र है।भोजन प्रसादके बाद जयंतगिरी महाराजके साथ थोडा सत्संग हुआ।उन्होने उनके परिक्रमाके अनुभव बताए।
हमने हमारा सामान एक शेडमे रखा था।एक आदमी आया और बोला आपको बापूने खोलीमे रहनेको बोला है,आप चलो।हम सॅक उठाने लगे तो बोला मै आपका सामान उठाता हूँ,आप उठाएंगे तो बापू मुझे डाटेंगे।नर्मदे हर!आज पुनः प्रत्यय आया,आपका जैसा जीवनमान है(लाइफ स्टाइल)वैसाही मैया आपको परिक्रमामे रखती है।मैया तेरी लिला अगाध है।नर्मदे हर!
शामको गोशाला देखी।एकदम स्वच्छ,हवादार,हरएक गायकेलिये पर्याप्त जगह।घासभी साफसुथरी बारीक कटी हुई।पानी पिनेकी टंकीभी स्वच्छ धुली,स्वच्छ जलसे भरी थी।बाग-बगिचा सुंदर।
आरती भोजनके बाद बापूने सबको बुलाया।एक अकबर-बिरबल की कहानी सुनायी,है है है,है है नही,नही नही है और नही नही नही।इस प्रश्न का उत्तर दो।नर्मदे हर!कौन देगा उत्तर?मै तो कल बताऊंगी ये पुरी कहानी।नर्मदे हर!
. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-39
बलगांवसे सुबह चलना प्रारंभ किया,साथके कुछ लोग आगे चले गये कौनसे रास्तेसे गए समझमे नही आया।एक गांववालेने बताया,मैया किनारेसे शॉर्टकट है,इसलिये हम तुवरके खेतसे जाके मिट्टीके खदानमेसे धूल मिट्टीका स्नान करते करते मैया किनारे पहुँचे।बडे बडे पत्थरोंका खडकाळ किनारा,बबुलका जंगल,उसमेसे एक नाला मैयामे समां रहा था।दोनो तरफ पत्थर थे मुझे लगा मै आसानीसे छलांग मारके पार करूंगी।और जो होना था वही हो गया,मै फिसलकर धडामसे गिर गयी अच्छा हुआ पिठपर सॅक थी नही तो फ्रॅक्चर होना निश्चित था।नर्मदे हर!कपडे सॅक किचडमय हो गये।सम्हलकर थोडे आगे जाके मैयाजलसे सफाई अभियान चलाया।वहॉ एक मराठी हमारे नाशिक त्र्यंबकेश्वरके रहनेवाले बहुतबार परिक्रमा किये हुए महाराज मिले,थोडीदेर हमारी खटपट देखकर आगे निकल गए।मुझे मेरे साथीओंपर बहुत गुस्सा आया था।भला ऐसे कोई जाता है क्या आगे?नर्मदे हर!फिर मनको समझाया,खुदका रास्ता खुदकोही चलना होगा,दुसरोंसे अपेक्षा नही करनी चाहिये।नर्मदे हर!
आगे जाके किनारा छोड उपर खेतमेसे पगदंडीसे चलकर अकबरपुरा गांवसे साटक मैया किनारे पहुँचे।पानी ज्यादा नही था,फिरभी बूट तो निकालने पड़े।पार होके खलघाट(खलबुजुर्ग)गांवके राममंदिर पहुँचे।सॅक रखकर मैया घाटपर जाके प्रणाम करके हाथ-पैर धोतेही सारी थकान भाग गयी।नर्मदे हर!श्रीरामजी के दर्शन करके भोजनप्रसाद पाया।यहॉं सबकी भेंट हो गयी।सचमुच हम आए वह शॉर्टकट था,इतना होकेभी हम सबके पहले पहुँचे थे।थोडा विश्राम करके आगे चल पडे।नर्मदे हर!
गावसे मुंबई-आग्रा हायवेपर आ गये।रास्तेकी दुसरी तरफ बालाजी मंदिर है।सुंदर निसर्गरम्य स्थान है।दर्शन करके जलपान करके आगे चले।बालाजी मंदिरमे धर्मशाला है,भोजनप्रसादकीभी व्यवस्था है।मगर हम नही रूके।खलटाका गांवमेसे चल रहे थे एक छोटीसी घाटी चढके गांवके उपरके भागमे आ गये।रेवाशंकर पटेलके घरके ओटेपर बैठे,उन्होने सहर्ष स्वागत किया,मिठी छाछ पिलायी।
शामके चार बजे थे हम बहुत थक गये थे।पटेलजी बोले,आगे जंगल है कठीण रास्ता है,चिंचली पहुँचते रात हो जाएगी बेहतर होगा आज आप यही हमारे घर रहो हमेभी मैयाकी सेवाका अवसर मिलेगा।हमनेभी मान लिया।आज आसन खलटाकाके रेवाशंकर पटेलजीके घर।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-40
पटेलजी आंगनमे हॅण्डपंप था,स्नान पुजा होने तक भाभीजीने पोहे-चाय नास्ता तैयार किया।कल रातको भी खीर पुरी सह बहुत सारे पदार्थ भोजन केलिये बनाए थे।मैयाकी ऐसी सेवाभावी संतानोंप्रति आदर बढ़ता है।नर्मदे हर!
विनोबा एक्सप्रेस आगे निकली।दो कि.मि.के बाद एक टिलेपर एक बाबाजीने बुलाया,नर्मदे हर!आओ मैया तनीक बैठो,कुछ सेवाका मौका दो।नर्मदे हर!गये,एक चारोंतरफसे खुला आश्रम था,धुनी जल रही थी।आजुबाजूमे सुंदर बगिचा था,तुलसीबन था।नीचे बहती सुंदर नीलश्यामल मैयाका दर्शन हो रहा था।महाराजने एक पेय सबको दिया,बोले ये कालिचाय नही है।पिके बताना कैसा है।सचमे अदरक तुलसीके स्वादका अदभूत एनर्जी ड्रिंक था।नर्मदे हर!
अब शुरू हो गयी हमारी परिक्षा।बबुलके जंगलसे रास्ता धुंडते चल रहे थे।अच्छा हुआ कल शामको नही आये।एक खैरा नामका आदिवासी बंधू मिल गया,लकडी लेने आया था।उसको रास्ता दिखानेकी बिनती की और फिर उसके पिछे दो तीन रूंगलिंग टॉप,एक बुधी टॉप(कैलास यात्रामे चलते इस नामके पहाड चढने उतरने पडते है)चढकर उतरे,एक किचडभरा नाला क्रॉस करनेकी कसरत बादमे एक और थोडा ठीक नाला क्रॉस करके हम मिट्टीके खदानमेसे निकलनेवाले कच्चे रास्तेपर आ गये।नर्मदे हर!खैराभाईको नर्मदे हर कहके आगे बढ़े।नर्मदे हर!
चिंचली पहुँचे तब दस बज रहे थे।शिव,हनुमान,नर्मदा मंदिरमे दर्शन करके बैठे।यहॉं परिक्रमावासी रह सकते है,सदाव्रत मिलता है।एक गांववाले बंधूने चाय बनाके दिया।नर्मदे हर!
आगे अदलपुरमे पुराणकालिन शिवमंदिरमे दर्शन करके बैठे।वहॉं एक बुढ़ि 108साल उमरकी अम्माजी रहती है।शिवजीके दर्शन करने रोज एक नाग आता है,अम्माजीके साथ बातचित करता है,ऐसा लोगोंने बताया।नर्मदे हर!
कठोरामे शांतानंद परमहंस अर्थात भिकारीबाबाजीके आश्रम गये।बाबाजी 1980मे महाराष्ट्रमे कल्याणके पास हाजिमलंगमे रहते थे।उनके गुरू स्वामी लक्ष्मणानंद मराठी थे।बाबाजीने हमसे मराठीमे बातचित की।उनकी शिष्या साध्वी अविधानंदजी ग्रॅज्युएट है।चायपान करके थोडा आगे मैया किनारे नर्मदेहर आश्रम गये।यहॉं मैयाके प्रवाहमे ग्यारह स्वयंभू शिवलिंग है इसलिये इस स्थानको ग्यारहलिंगी कहते है।यहॉंके महाराज नर्मदेहर बाबा खलघाटमे बडा मल्टिस्पेशॅलिटी हॉस्पिटल बांध रहे है।गरिबोंकेलिये मुफ्त इलाज होगा।आगे घाटवडियामे बुराडमैया पार करने बडेबडे पत्थरोंपरसे गुजरना पडा।ये विष्णुनदी है,ब्रम्हाजीकी तपस्थली है।आगे नंदगांवके बाद ब्राह्मणगांवमे मनोज राठोडजीके घर भोजनप्रसाद मिला।यहॉं ब्राह्मणगांवका मावा बहुत प्रसिद्ध है।गरम गरम ताजा स्वादिष्ट मावा खानेको मिला।आगे शॉर्टकटके चक्करमे रास्ता भूल गये।अनेक उजाड टेकरीयोंमे भटकते विश्वनाथखेडा पहुँचे।पुरातन शिवमंदिरमे धीरेंद्र कुमावतने जलपान करवाया,भरपूर प्रसाद दिया।कड़ी धूपसे थकेमांदे हम कैसे तो आगे बढ़े क्योंकी विश्वनाथखेडा डुबक्षेत्रमे आनेसे दुसरी जगह पुनर्वसित हुआ है।
चैनपुरा से मारूकी चिंचलीतक दोनो तरफ गन्ना,केले विविध प्रकारकी फसल खडी थी।खेतोंमे दिये हुए पानीसे हवा थंडी होनेसे थोडा आरामसे चल रहे थे।नर्मदे हर!
मारूकी चिंचलीके विजय बिहारीलाल कातोरे ने ॐकारेश्वर से मोरटक्का चलते समय उसका फोन नंबर दिया था मगर आज क्यो मालूम नही फोन नही लग रहा था।ब्राम्हणगांवके मनोज राठोड ने जयंत पटेल का नाम बताया था।मारूकी चिंचली पहुँचे।प्रथम जयंत पटेल का घर मिला,सहर्ष स्वागत हुआ।फ्रेश होनेके लिये गरम पानी,चाय बिस्किट।इतना होनेतक किसीने विजयको हमारे आनेका समाचार दिया,वो आ गया।फिर कल सुबह उसके घर नास्ता करके आगे जाना तय हुआ।
श्रीराममंदिरमे रामायण पाठ चल रहा था,दर्शन करने गये।वहॉं ताटंबरी बाबाके दर्शन हुए।कल पुर्णाहुति है,भंडारा है,प्रसाद लेके आगे जाना ऐसा बाबाजीका आदेश हुआ।नर्मदे हर!
सुर्यास्तके समय मैयामे दिपदान का कार्यक्रम हुआ।नांवमे बैठकर इस किनारेसे उस किनारेतक दिये छोडे जा रहे थे।बडी सुंदर लग रही थी मैया!सुनहरी किनारी भरजरी साडी पहनके इठलाती मैया आगे जा रही है ऐसा लग रहा था।नर्मदे हर!
रातको भोजनप्रसादमे दाल-बाटी,भरपूर असली घी,खीर,मालपुवे बडे थाट थे हमारे।रातको सोनेकेलिये नये गद्दे,रजई।आराम ही आराम था।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-41
जयंत पटेलजीके घर मैयाने हमारी राजेशाही बडदास्त रखी थी।आज थंड बहुत है।इसलिये गरमपानी की व्यवस्था थी।स्नान होतेही गरमगरम चाय बिस्किट मिले।आरतीके बाद मंदिरमे दर्शन करने गये।इस मंदिरमे अपने चारों वेद,उपनिषद रखे है।
दर्शन करके विजय कातोरे के घर गये।बडे प्यार आदरसे स्वागत हुआ।नास्तेके लिये हलवा,पुरी सब्जी,पकोडे और गरम दूध।ये तो भोजनही हो गया।उपरसे दक्षिणा भी दे दी।नर्मदे हर!
मंदिरमे हो रहे हवनमे हमेभी आहुति अर्पण करनेका मौका मिला।ताटंबरीबाबाजींके सत्संगकाभी लाभ मिला।भोजनप्रसाद लेनेका बहुत आग्रह हो रहा था,मगर सुबह इतना नास्ता करनेके बाद भोजन?हमने नाममात्र प्रसाद ग्रहण किया।नर्मदे हर!
जयंत पटेल,विजय कातोरे और कुटुंबिय,तथा सब गांवलोंको अलविदा नर्मदे हर करके भरे मनसे आगे चलने लगे।
खेडी के बाद डेल(देव)मैया पार करके जाते समय रास्ता भूल गये,अनेक टेकरीओंको चढते उतरते कैसे तो नवलाई पहुँचे।वहॉंसे रास्ता मिल गया और लोहारा पहुँचे तब दोपहरके तीन बजे थे।नर्मदे हर!
रामदुलारी आश्रमके बरामदेमे सिर्फ स्री परिक्रमावासी आसन लगा सकती है।नर्मदे हर!हम सब भगिनीमंडल बरामदेमे और बंधूजन आंगनमे ऐसी व्यवस्था हो गयी।
यहॉं कपिला-नर्मदासंगम है।कपीलमुनिजी की तपःस्थली है।बाजुमे एक और आश्रम है।चारबजे खिचडीका भोजनप्रसाद उस आश्रममे मिला।
घाटपर कपडे धोनेका कार्यक्रम किया। रामदुलारी आश्रममे कुछ तरूण साधिकाँए थी।पढ़ी-लिखी,ग्रॅज्युएट।बातचित के बाद उन्होने बडा सहकार्य किया।उनकी खाजगी जगहमे कपडे सुखाने दिये।नर्मदे हर!
रातमे बाजुके आश्रममे लाऊडस्पीकरपर भजन चलता रहा,निंद आनेसे रही।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-42
लोहारासे दो मार्ग है,हम दोनो मार्गोंसे गये है।प्रथम मै झाडीके बाहरसे जानेवाले मार्गसे आपके साथ चलूंगी।बादमे झाडीसे जाएंगे।नर्मदे हर!
सुबह नर्मदास्नान करके पुजाआरती करके विनोबा एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखा दी।आश्रमसे गांवमे जातेही दांए तरफका रास्ता मोहिपूरा,दत्तबाडा होते जाताहै।मगर अभी हम बांए तरफसे पुनर्वसित नया लोहारासे आगे जाएंगे।तीन कि.मि.पर बावडियामे राममंदिरके पास पुजारी राजेश बैरागी हमे जगदीश पाटिदारजी के घर लेके गए।हम छे लोग थे मगर घरकी माताजी सात ग्लास पानी लेके आयी,सबको देके बोली आपके साथकी एक माताजी किधर गयी?आगे गयी कया?माताजी?हम तो तीनही है,चौथी कोई नही।अरे!क्या बोलती हो?अभी आप अंदर आए तब थी आपके पिछेही खडी थी।सफेद साडी,सरपर पल्लू ओढके थोडी बुढ़ी थी,हमने देखा।अब इसे क्या कहे?घरकी बुजुर्ग माताजी बोली,आपके साथ मैया चल चल रही है,हमारे बहूको दर्शन हो गये।नर्मदे हर!चायपानके बाद आगे चले।
फत्यापुरमे हायवेपर आ गये। तक्यापुर के बाद मंडवाडामे अनिल हॉटेलमे दिलीप धाडिवालने नास्ता-दूध के पैसे नही लिये,बहुत कहने के बाद सिर्फ ग्यारह रूपये लिये।
मंडवाडासे बांए तरफसे जाना है।निहाली और कुंडी दो नदियोंके बिचमे एक सुंदर शिवमंदिर है।दोनो नदियोंमे पानी बिलकूल नही था।नर्मदे हर!
मुंडियापुरा,सुराना ये गांव स्वाध्यायी है।योगेश्वर कृषि करनेवाले,पांडुरंगशास्त्री आठवलेजींके अनुयायी है।
हरीबड के बाद बहुत धूप होनेसे थक गये थे।एक पेडके निचे बैठे,प्रशांतके पास आंवलारस और शहद था सबने पानीके साथ थोडा थोडा लिया,एक गांववाले बंधूने खेतमे जानेवाला पाइपसे सबको पानी दिया।कड़ी धूपसे परेशान हम जलामृत पाके शांत हो गये।आगे सिवई गांवके आंगनवाडीके बरामदेमें विश्राम करने बैठे।वहॉं एक बोर्ड था,उसपर परिक्रमावासीओंको सदाव्रत,भोजन मिलेगा ऐसे लिखा था,मगर आसपास कोई घर वा अन्य व्यवस्था नही थी।नर्मदे हर!
तीन बजे आगे चलने लगे।दमदमी के बाद पांच बजे राजपुर पहुँचे।बाजारपेठमे त्रिवेणीमंदिरमे दुसरे दिन एक शादी होनेवाली थी,सजावटका काम चल रहा था इसलिये वहॉं रहना मुमकीन नही था।इसलिये पवनभाई कुशवाहने श्री.पंडीत राजेंद्र व्यासजीके घर हमारी व्यवस्था कर दी।नर्मदे हर!
व्यास कुटुंब आतिथ्यशील है,सुरेश व्यास,माया व्यास सब बहुत अच्छे है।राजामहाराजाओं जैसी बड़दास्त रखी थी।लड्डू भोजनका पकवान था।मैया जो साथमे चल रही थी,थाट होनाही था।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-43
नित्यकर्म,चायपान के बाद आजकी परिक्रमा शुरू हो गयी। नरावला के बाद शहीद भीमा नायक सागर परियोजना के तहत नहरका काम चल रहा था।दानोदमे उप सरपंच सालकराम धनगरके माताजीने बलाया,नर्मदे हर!बहू धनकुंवर इनको 9बेटियॉं और एक बेटा है। क्या बोल सकते है?नर्मदे हर!सबको ताजा दूध दिया।बडे दिलवाले लोग है।
आगे घाट शुरू होनेवाला था,निचे सुंदर वन नर्सरी है।बडा कुंआ था,बारकू जमरे और उनके दामाद शिवा सोळंकी भारेलाने पानी निकालके दिया,मधुर थंड जलामृत,बहुत बहुत अच्छा लगा।उन्होने प्रशांत और स्नेहलको बांबूकी काठी दे दी।घाट कठीण नही था।प्रथम भैरवनाथजीके दर्शन हुए आगे चुनरीवाली दुर्गामाताके दर्शन हुए।जंगलमे ये छोटासा सुंदर मंदीर है।थोडी देर माताके सानिध्यमे बैठे बहुत शांति महसूस हो रही थी।घाट उतरनेके बाद बाटलीफाटा,उपळामे जयेश गुप्ताजी के दुकानमे रूके,साडेबारा बजे थे।भुक भी लगी थी।दुकानके पिछे हॅण्डपंप था,फ्रेश हो गये।तब तक जयेशभाईसाबने कुकरमे खिचडी बनायी,भोजनप्रसाद पाया।विश्राम करके आगे निकले।जयेश गुप्ताजीने पलसुदके वसंत वर्माका फोन नंबर दिया था।धूप बहुत क़डी हो गयी थी।बिच बिचमे बैठते विश्राम करते चल रहे थे।एकलबारा,सिदडी के बाद शॉर्टकटसे फत्यासिदडी आ गए।गोईमैया ब्रिजपरसे क्रॉस कर दी।यही गोईमैया बावनगजासे पाटी जाते समय मिलती है,आगे उसपर एक डॅमभी है।नर्मदे हर!
साडेपांच बजे पलसुद पहुँचे।वसंत वर्माजीको फोन किया और जैसे बताया वैसे बाजारपेठमेसे श्रीराम मंदिरके पास उनके घर पहुँचे।
आशाताई और अंजूभाभी पिछे रह गयी थी मेरी सॅक रखकर मै एक एक करके उनकी भी सॅक लेकर आ गयी,दोनो आज बहुतही थकी थी।नर्मदे हर!
प्रवेश द्वारसेही सामने दिवारपर फोटोसे मेरे सद्गुरू श्रीनारायणकाका ढेकणे महाराजके दर्शन हुए,अहो धन्यभाग मेरे।हमारी प्रथम परिक्रमा उनका आशिर्वाद लेके हमने प्रारंभ की थी 2011मे।आज नही थे,ब्रम्हलीन हुए थे।मगर ऐसे लगा,हमारा स्वागत कर रहे है।जय गुरूदेव!नर्मदे हर!
वसंतभाऊ खुशीसे फुला नही समा रहे थे,मै उनकी गुरू भगिनी जो आयी थी।
बडे हर्षोल्लाससे स्वागत हुआ।वसंतभाऊ की फॅमिली सौ.जयमाला,विकास,तृप्ति सारे बहुत खुश हुए।
स्नान,कपडे सारा काम निपटाके आरतीमे सारे सहभागी हो गये।वसंतभाऊके बडे भाईसाब रतनलालजी के दुकानसे सनकोट आदि आवश्यक चीजे रास्त दरसे खरेदी की।उनका भतिजा मनोजने अंजूभाभीको एक कुडता भी सिलके दिया।बडे थाटका भोजनप्रसाद मिला।नर्मदे हर!
वसंतभाऊने हमारे आगेके मुक्काम की व्यवस्था कर दी,सारे मेरे गुरूबंधू है।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-44
सुबह छे बजे आगे चलना शुरू किया।वसंतभाऊ हमारे साथ दूरतक आये थे।गांवके बाहर हायवे पर आ गये,चल रहे थे पिछेसे आके एक गाडी हमारे पास रूक गयी,हमभी रूक गये।गाडीका दरवाजा खोलके बाहर आयी मेधा पाटकरजी।नर्मदे हर! वो बडवानीसे नंदुरबार जा रही थी।बडी आस्थासे हमारी पुछताछ की,हमे किसी चीज़की जरूरत है क्या,शाल-ब्लॅंकेट कुछ चाहिये? धन्यवाद!नर्मदामैयाके बच्चे इतने प्यारे आतित्थ्यशील है की सब मांगनेके पहलेही मिल जाता है।उनसेही हमारी परिक्रमा निर्घोर,बिनधास्त चल रही है।नर्मदे हर!
मेधाजी चली गयी।वसंतभाऊ भी घरकी तरफ मुड गये और हम आगे चल दिये।बोराली,उमडदा,वझरफाटा ढाबेपर नास्ता-चाय करके आगे चलने लगे।वझरगांवमे एक नदीमैया किनारे मंदिरके पास धर्मशाला बांधनेका काम चल रहा था,परिक्रमावासी ठहर सकेंगे।गांवके बाहर एक खेतके बांधपर बैठे थोडा विश्राम करके आगे चलना शुरू किया।झाकरगांवमे सुश्री कांताबेन त्यागी समाधी मंदीर और विकलांग सेवा ट्रस्ट है।आगे थोडी दुरीपर एक घरमे शेवंतीबाई राठौरने चाय दिया।नर्मदे हर!
निवाली पहुँचे तब दो बजे थे।आज भोजनका कुछ प्रबंध नही हो सका था।बस स्टॅण्ड के पास नारियलपानी,केले,अमरूदसे आजकी पेटपुजा हो गयी।नर्मदे हर! आगे राजा एक्सप्रेस न्युज के हेमंत शर्मा मिले,पहली परिक्रमाके समय वो हमे बडवानीमे मिले थे,उन्होने मुझे पहचाना और रूक गये।उनके साथ ब्युरो चीफ श्री.दीपक जोशी और मार्केटींग चीफ श्री.दीपक जेमनभी थे।उन्होने हमारा गृप फोटो लिया।और आगे मेडियासागमे सदानंदबाबाके मेकलसुता धाम का नाम बताया वहॉं परिक्रमावासी ठहरते है।नर्मदे हर! धूप कड़ी हो गयी थी।बडी मुश्कीलसे चल रहे थे।तलाव गांव जाना था।रास्तेमे शायद हायवेके टोलनाकेका काम चल रहा था।चार बजे तलावगांवमें सरपंच श्री.गंगाराम मंत्रीजीके घर पहुँचे।हमारा भोजन नही हुआ ये समझतेही सौ.पार्वतीने खिचडी बनाके परोसी।नर्मदे हर!
स्नान कपडे आदि काम निपटाके मैयाकी पुजाआरती कर ली।बच्चे जागृति,अनिल,अश्विन बहुत खुश हुए थे,हमसे घुलमिल गये थे।रातको दाल-बाटी का भोजनप्रसाद पाके अंतरात्मा तृप्त हुआ।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-45
. सुबह साडेपांच बजे पार्वतीभाभीजी को अलविदा करके अंधेरेमेंही विनोबा एक्सप्रेस को ग्रीन सिग्नल दे दिया।रास्ता अच्छा था इसलिये टॉर्चके प्रकाशमे चलते दिक्कत नही हो रही थी। खडीखाम घाट प्रारंभ हुआ,सिमेंट कॉंक्रीट का बना रास्ता था।घाट उतरना था,जल्दी जल्दी उतरनेमे बड़ा मजा आ रहा था।घाट समाप्त होतेही एक हनुमान मंदीर और फॉरेस्ट चेकपोस्ट था।आज शनिवार था,मंदिरके महाराज हनुमानजीको शेंदूर(सिंदूर?)का लेपन कर रहे थे इसलिये दूरसेही दर्शन करके आगे चलने लगे।नर्मदे हर!
खडीखामगांवमे प्रवेश किया तब साडेआठ बजे थे।दयालूबाबा नामके साधुमहात्माने नर्मदे हर कहा और चायपानके लिये बुलाया।श्री.बन्सी छिंगोलियाजी के घर ताजा दूध का गरम गरम चाय जिसकी हमे सक्त जरूरत थी।अमृततुल्य चाय!नर्मदे हर!
मोयदामे श्री.दिलीप जाधव-फुलमाळी मराठी बंधूके हॉटेलमे नास्ता किया।वह पैसे नही ले रहा था,हमारे बहुतबार कहने पर थोडे पैसे लेनेको तैयार हुआ मगर वो बिल भी श्री.अरविंद शर्माजीने दिया।नर्मदे हर!
मोयदा-डोंडवाडा बॉर्डरपर फल्यामावलीमे जंतरभाईने जलपान करवाया।रास्तेमे शहादाके रहनेवाले श्रीकांत चौधरी मिले,दक्षिणा देके शहादामे व्यवस्था करनेका आश्वासन दिया।नर्मदे हर!
बारा बजे डोंडवाडामे ग्रामपंचायत कार्यालयमे खेतियाके कृषिविस्तार आधिकारी श्री.संजय जोशी मेरे गुरूबंधूने प्रथम चाय-नास्ता और बादमे रोटी-सब्जीका भोजनप्रसाद दिलाया।दरम्यान पानसेमलके रहनेवाले मेरे और एक गुरूबंधू श्री.वीरेंद्र शुक्लभी केले,अमरूद,शेवफरसाण ऐसा बहुतसारा लेके आ गए।वसंतभाऊने सबको फोन करके हमारे आगमनकी सुचना दे दी थी।गुरूकृपाका ये असर था।सद्गुरू नारायणकाका ढेकणे महाराज मेरी इन सब गुरूबंधुओंसे भेंट करवाना चाहते थे इसलिये हमे मंडवाडा राजपुर पलसुद मार्गे आनेकी बुद्धि हुई थी।नर्मदे हर!
वीरेंद्रभाऊने हम सबकी सॅक्स टेम्पोसे मेलदानाके वृंदावनवालेबाबाजीके राधाकृष्णधाममे पहुँचा दी।सिर्फ पानीकी बॉटल लेके हम आगे चलने लगे।चार बजे पानसेमलमे वीरेंद्र शुक्लाजी के घर पहुँचे।चायपानी लेके आगे चल दिये।साडेपांच बजे मेन्द्राणामे राधाकृष्णधाम पहुँचे।
राजाराम महाराज नागपुरके रहनेवाले है।हमसे मराठीमे बात करने लगे।खेतियाके शहर भाजप अध्यक्ष श्री.लोकेश शुक्ला मिलने आ गए।नर्मदे हर!
स्नान कपडे पुजा आरती के बाद भोजनके लिये महाराजने श्रीखंड मंगाया था।और क्या चाहिये पुछनेपर स्नेहल मजाक मजाकमे बोली,आइस्क्रिम चाहिये।और फिर रातको सत्संगके बाद आइस्क्रिम।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-46
आज तीन बजे उठकर गरमपानीसे स्नान करके तैयार हो गये।आज राजाराममहाराज हमारे हाथों राधाकृष्ण,रंगनाथ,दुर्गामाता,शिवपिंडी और हम सब की नर्मदामैया सबको एक बडी थालीमे रखवाके पंचामृती पुजा करवायी।हरएक को बडी बडी कटोरीयोंमे दूध,दही,शहद,घी,शक्कर(चीनी),केले,अन्य चार फल,चंदन धूप दीप ऐसी परिपूर्ण तैयारी करके दी थी।विविध फूल,बेलपत्र,तुलसीपत्र बहुत बढ़िया। वेदोक्त मंत्रोच्चारोंसे पुजा आरती हो गयी।बहुत प्रसन्न लग रहा था।नुतन वस्त्रांकित रंगी-बिरंगी पुष्प बेल तुलसीसे सुशोभित देव सुंदर लग रहे थे।नर्मदे हर!
पुजाका पंचामृत फल मिक्स करके बडे बडे ग्लास भरके सबको दिया।मधुर प्रसादामृत पाके अंतरात्मा तृप्त हुआ।
पोहे-चाय का नास्ता करके महाराजको प्रणाम करके विनोबा एक्सप्रेस आगे निकली।महाराजभी आज पैदल शिर्डी जानेवाले थे।नर्मदे हर!
गोकुळग्राम,टेमला,मेलन-नीसरपुर पहुँचे।नदीके एक तरफ मेलन और दुसरी तरफ नीसरपुर है।यहॉं झॉंवरी-उमरी-बडगोनी नदियोंका त्रिवेणी संगम है,और बादमे तापीमैयासे प्रकाशामे संगम होता है। यहॉं दो पुराणकालीन शिवमंदिर है।
ब्रिजके पार एक दुकानमे बैठे थोडा विश्राम करने,दुकानदार नर्मदाभक्तने इलायचीके स्वादवाला गरम दूध दिया।नर्मदे हर!आगे चल रहे थे तो दो बैलगाडीवाले भाईलोगोने हम सबकी सॅक्स अपने गाडीओंमे डालके खेतियातक लेके गये,इसलिये हम जल्दी गायत्रीमंदिरमे पहुँचे।गुरूबंधू संजय जोशी आ गए।मंदिरके एक बाजूके रूम्समे स्कूल चलता है,छुट्टी होनेके बाद हमने उधर अपने आसन लगाए।कपडे धो डाले।
दोपहरको गुरूबंधू श्री.दिलीप आरंभीके घर भोजनप्रसाद लिया।दो दिन पहले आशाताईको उनके घर भेजा था,दिलीपभाऊने उनको डॉक्टरको दिखाके ट्रीटमेंट करवायी नये सॅन्डलभी दिलवाये थे।नर्मदे हर!
शामको संजयभाऊके घर जानेसे पहले बाजारमे जाके मेरे बूट दुरूस्त कर लिये,एव्हररेडीकी अच्छी टॉर्च खरीदली।कल महाराष्ट्रमे प्रवेश करना है,रास्ता देखा।
संजयभाऊके पडोसमे नर्मदाष्टक पठण करके संजयके घर भोजनप्रसाद लिया।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-47
सुबह साडेपांच बजे आगे परिक्रमा चालू हो गयी। पासमेही एक नाला है उसके उपरका ब्रिज क्रॉस करतेही मध्यप्रदेश से हम महाराष्ट्रमे प्रवेश कर गये। कितना अच्छा होगा जब हम इसी तरह एक दुसरेके देशमे जा सकेंगे?हां हम नेपालमे ऐसे जा सकते है।नर्मदे हर!
प्रथम दिलीपजीके रिश्तेदारके घर गये।चायपान हुआ,हमने इतनी जल्दी नास्ता नही करेंगे इसलिये उन्होने बहुत सारे लड्डू,वेफर्स थैलीमे भरके दे दिये।नर्मदे हर!
सुखद थंडी हवा चल रही थी,इसलिये चलनेमे मजा आ रहा था।जल्दी जल्दी चलते रायखेडमे ब्रिजसे सुखी नदी पार कर ली।सुखीनदी जैसा नाम वैसीही थी,पानीकी एक बुंदभी नही थी। सुलतानपुर फाटा के बाद ब्राह्मणपुरीमे एक ढाबेमे चाय दूध लिया साथमे लड्डू वेफर्सका नास्ता किया।
साडेआठ बजे आगे चलना शुरू किया।चाँदसैलीके बाद दर्रा फाटा आया।यहॉंसे दर्रा,धावलघाट,काकरदा,धडगांव मार्गेभी परिक्रमावासी जा सकते है।मगर ये मार्ग कठीण है।
कल मैने मेरे परिचित शहादामे रहनेवाले श्री.ब्रिजलाल पाटीलजीको फोन किया था।उनका फोन आया वो बोले,मै दो गाडियॉं लेके आता हूँ और आपको घर लेके जाके भोजन विश्रामके बाद शामको प्रकाशा पहुँचा दुंगा।मुझे प्रकाशा जल्दी पहुँचनेका मोह हुआ।प्रशांत,अंजूताई सबकोभी पसंद था।मगर संतोषमहाराज गाडीमे नही बैठता इसलिये वो आगे निकल गया।उसके जानेके बाद हमेभी लगा की अबतक गाडीमे कभी नही बैठे अब बैठना उचित नही,पैदलही जानेका तय हुआ।प्रशांत संतोषमहाराजको रोकने आगे गया।और मैयाने हमारी परिक्षा लेने जो प्रलोभन दिखाया उससे हम बाहर निकल आये।नर्मदे हर!
राधे नर्सरीमे गये औरं वॉचमनकी इजाजतसे सबका स्नान हो गया।पाटील भाऊको फोन करके निर्णय बताया,अब वो एक गाडी हमारा सामान ले जानेके लिये ला रहे है।नर्मदे हर!
दर्राफाटा पोलिस चौकीमे बैठे।पाटीलभाऊ आ गये,उन्होने सुत गिरणीके रेस्टहाऊसमे हमारी व्यवस्था की है।सबका सामान और आशाताईको लेके वो रेस्टहाऊस चले गये,और हम पैदल आगे बढ़े।नर्मदे हर!
शहादा शहर पांच कि.मि.दूर था तब रास्तेके दाहिने ओर सुतगिरणीका बोर्ड दिखा,पाटीलभाऊंका बेटा कुणाल हमारी राह देख रहा था।उसके साथ रेस्ट हाऊस गये।आशाताई अपने कपडे धोके आरामसे बैठी थी।एक बडा सूट था दो रूम्सका बडे आरामका।कुणाल वेफर्स,फल लेके आया।आज हमारा व्रत था।सबका कपडे धोनेका कार्यक्रम हो गया।चार बजे चाय,रातको भाऊंके घरसे आयी साबुदाना खिचडी,केले।मैया बहुत लाड करती है हमारे।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-48
सुबह साडेपांच बजे स्नान पुजा करके विनोबा एक्सप्रेस निकली,शहादा शहरमे जानेकी जरूरत नही थी,रेस्टहाऊसके गेट बाहर दांए ओरसे कच्चे रास्तेसे उंटावत,तिखोरेगांवमे श्री.मोहन पाटील मिल गये।परिक्रमावासी सुतगिरणीके पाससे उंटावतमार्गे तिखोरेगांवमे मोहन पाटीलजीके घर,मंदिरमे मुक्काम करें तो प्रकाशा 15कि.मि.पडता है मतलब 10कि.मि.कम।मोहन पाटीलजीने सबको दक्षिणा दे दी।नर्मदे हर!
साडेसात बजे भादे गांवमे सोशल वर्कर श्री.सुधाकर पाटीलजीने चाय-बिस्किट दिये।नर्मदे हर!साडेनऊ बजे मोठे काथर्देगांवमे सरपंच सौ.इंदुबाई उत्तम शंकरके घर जलपान करके थोडा विश्राम करके आगे चलना शुरू।अब रास्ता अच्छा है मगर कही भी एकभी पेड़ न होनेसे कड़ी धूपसे बहुत बहुत परेशान हो रहे है।प्याससे गला सुख रहा है,बॉटलका पानीभी गरम हुआ था।रास्तेके दोनो तरफ कम पानीपर होनेवाला दादरा(ज्वार)की खेती लहरा रही थी,उतनीही आंखोंको हरी हरी थंडक मिल रही थी।
बारा बजे प्रकाशागांवमे श्री.सुभाष शहा के घर पहुँचे।हार्दिक स्वागत हुआ।फ्रेश होके भोजनप्रसाद,खिचडी,फुलगोबीकी सब्जी,अमरूदका सांबार,जिलेबी बडा थाट था।
विश्राम करके धूप कम होनेके बाद चार बजे चाय लेके प्रकाशा तीर्थक्षेत्र केदारेश्वरके लिये चलने लगे।सुभाषजीने भक्तनिवासके दो रूम हमारेलिये आरक्षित किये थे।नर्मदे हर!
तापीमैयाके किनारे पुष्पदंतेश्वर मंदिरमे दर्शन करके शिवमहिन्म स्तोत्र पठण किया।पुष्पदंत नामके गंधर्वने इसी स्थानपर शिवमहिन्म स्तोत्रकी रचना की थी।ये स्वयंभू स्थान है।बादमे केदारेश्वर मंदिरमे दर्शन किये।प्रकाशा तीर्थक्षेत्रको दक्षिणकाशी कहते है।
रातको भक्तनिवासमे खिचडी और करेलीकी सब्जी भोजन प्रसाद था।आज सिर्फ बीस कि.मि.चलना हुआ था मगर कड़ी धूपके कारण बहुत थक गये थे।अब निद्रादेवी की आराधना।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-49
प्रकाशामे तापी-गोमती-पुलंदा नदियोंका त्रिवेणी संगम है।सुबह पांच बजे स्नान आरती करके आगे जाने केलिये भक्तनिवाससे निचे उतरे।एक मध्यप्रदेश की नर्मदापरिक्रमाबस खडी थी।बसके परिक्रमावासी होशंगाबादके डी.एस.राजपूत और कुसुमखेडाके संतोष पटेल से बातचित हो गयी,उनकी बसका चायपान चल रहा था,हमे भी चायप्रसादका लाभ मिला।दोनो भाईसाबने उनके गांव पहुँचते घर आनेका निमंत्रण दिया।नर्मदे हर!
आशाताई प्रकृतिके कारण ज्यादा चल नही सकती थी इसलिये उन्होने घर वापस जानेका निर्णय लिया।नर्मदे हर!
साडेपांच बजे हम आगे चलने लगे।हायवेपर एक ढाबेपर चाय लिया और आगे चले।नर्मदे हर!
पिसावर,उमद,सदगवाण,भमशाल पिछे छोडके प्रकाशासे 12.5 कि.मि.आगे गुजरात राज्यके निंभोरामे खांडसरी शुगरमिलके पास पहुँचे।9बजे थे,ढाबेपर भरपेट नास्ता करके दूध लिया।अब चलो आगे।नर्मदे हर!
अमलाडमे सुनंदा पाटीलके घर जलपान करके आगे निकलही रहे थे इतनेमे श्री.दिनेश राजभोज जो टीचर थे,उनके घर चाय-बिस्किट लेकर आगे चलने लगे।नर्मदे हर!अमलाडमे श्री.काशिनाथ पटेलजी के घर परिक्रमावासीओंके लिये सदाव्रत,निवास व्यवस्था होती है।पहली परिक्रमामे हमने उनके घर भोजनप्रसाद लिया था।नर्मदे हर!
आगे कनकेश्वर मंदिरमे दर्शन करके बैठे।गर्द वृक्षराजीमे सुंदर स्थान है कनकेश्वर।अमलाडके थोडा आगे एक पेट्रोलपंप है,मनोज शहाका उसके पिछे है कनकेश्वर मंदिर।आज तळोदामे योगेश वाणीजी के घर आज हमारा मुक्काम था।
तळोदाके बाजारसे होते उनके घर पहुँचे।सप्रेम हार्दिक स्वागत हुआ। उत्तम व्यवस्थामे स्नानादि करके,स्वादिष्ट भोजनप्रसाद,गादी गिर्दीके साथ अब निद्रादेवी की आराधना।मैयाकी इतनी कृपा है की सिर्फ चलनेके श्रम है बाकी आराम ही आराम।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-50
स्नान आरतीके बाद चाय लेके योगेश और राखीको नर्मदे हर अलविदा करके सिर्फ शबनमबॅग,काठीमैया हाथमे लेके टॉर्चके सहारे सुबह सव्वापांच बजे विनोबा एक्सप्रेसने प्रस्थान रखा।नर्मदे हर!
पांच कि.मि.पर मटावलको गुजरात शुरू हुआ वो अश्रावा,हथोडा,लोभाणिफाटा तक रहा।कलसे ऐसाही चल रहा है हर पांच-दस कि.मि.पर गुजरात फिर महाराष्ट्र फिर गुजरात।गव्हाणी फाटा महाराष्ट्र शुरू।सोमावल बुद्रुकगांवमे हॉटेल देवमोगरामे नास्ता किया।आगे कुकुरमुंडा फाटा,देववारील नदीमैया ब्रिजसे पार,नवलगव्हाण फाटा,शिर्वेफाटा,मेंढवड,मोदलवाडा अंदाजे पंधरा कि.मि.चलना हो गया था।अब धूप बोलने लगी थी।आमलपाडाके बाद आया वाण्याविहीरफाटा,दाहिने तरफ दीड दो कि.मि.पर ये वाण्याविहीरगांव है।उस गांवमे श्री.कन्हैयालाल परदेशी रहते है,वो परिक्रमावासी लोगोंकी सेवा करते है,उनके घर निवास-भोजनप्रसाद की व्यवस्था होती है।नर्मदे हर!
रास्तेमे अक्कलकुवाके फॉरेस्टरेंजर श्री.रहासेसाहेब मिले उनके रेस्टहाऊसमे आज हमारी निवास व्यवस्था वो करनेवाले है।योगेशभी हमारा सामान लेके जाते मिला।नर्मदे हर!
अक्कलकुवा शहर पार करके रेस्टहाऊस पहुँचते पहुँचते कड़ी धूपसे परेशान होनेवाले अपने बच्चोंको दाहिने ओरके शुलपाणि झाडीके पहाड साथ दे रहे थे और उनके पिछेसे मैया धीरज रखो कह रही थी।नर्मदे हर! रेस्ट हाऊस का इर्दगिर्द जंगलवाला परिसर देखतेही सारी थकान छुमंतर हो गयी।
फ्रेश होतेही व्यवस्थापक श्री.सुनिल पवारजीने भोजनप्रसादका इंतजाम किया।पुरी-सब्जी,जिलेबी,सुंदर भोजनके बाद थोडा विश्राम करके कपडे धोनेका कार्यक्रम होनेके बाद जंगल परिसरमे टहलने लगे।सुंदर शांत थंड वातावरण,अनेक रंगीबिरंगी पंछी,उनकी किलबिल,मन प्रसन्न हुआ।नर्मदे हर!
चार बजे चाय लेके रहासेसाहेब स्वतः आ गये।बातचित हो गयी।साहेब सुबह पांच बजे चाय लानेवाले है,और हमारा सामानभी गव्हाळी चेकपोस्टपर पहुँचानेवाले है।
आज दोपहरको देरसे भोजन हुआ था इसलिये रातको थंडा फराळ।मगर सुनीलजी गरम दूध लेके आये।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-51
नित्यकर्म,स्नान,आरती सब तैयारी होही रही थी,रहासे साहेब चाय लेके आ गये।चायपान करके सबको नर्मदे हर अलविदा करके विनोबा एक्सप्रेसको हरी झंडी दिखायी तब सुबह के सव्वापांच बजे थे।आज भी पीठपर सॅक नही थी।एक जगह रास्तेपर बहुतसारे व्हिलवाली ट्रॉली खडी थी उसपर बहुत बडे बडे मशिन्स रखे थे,पंधरा दिन हो गये थे आगे जानेके लिये सरकार की अनुमती नही मिल रही थी।नर्मदे हर!
टॉर्च के प्रकाशमे थंडी हवा के चलते घाट कब उतर गये समझाही नही।कवलामहू,कौलि के बाद आया खापर।नगमा ढाबा बोर्ड देखतेही सुहास लिमयेजी की याद आयी उन्होने इसी ढाबेमे नास्ता किया था।हमने चाय-बिस्किटे ली।नर्मदे हर!
उदेपुर,अंबिका स्टोन क्रशर की जगह जलपान करके आगे चलने लगे सुबह के सिर्फ साडेआठ बजे थे मगर धूप अभीसे लगने लगी थी।डोंगरीपाडा के बाद पेचरीदेवगांवमे गणेश हॉटेलमे नास्ता करके आगे बढ़े तब दस बजे थे।बारा-पंधरा कि.मि.तो आयेही होंगे।नर्मदे हर!
उमरकुवा पार करके गव्हाळी चेकपोस्ट पहुँचे तब 11बजे थे।हमारा सामान पहलेही पहुँचा था।रहासे साबने सामान पहुँचा दिया इसलिये हम पांच घंटेमे 18कि.मि.आ सके थे।नर्मदे हर! गव्हाळीमे पांडुरंगशास्त्री आठवलेजी के स्वाध्यायी परिवारका लोकनाथ अमृतालयम है।घनदाट वृक्षराजी और सुंदर बगिचाके बिचमे बांबू और लकडीसे बना योगेश्वर कृष्ण प्रार्थना मंदिर है,आंगनवाडी,स्कूल सारी व्यवस्था आदिवासी बांधव करते है।नानाजी एक वृद्ध बुजुर्ग व्यवस्थापक है।स्वाध्यायी परिवारका वृक्षमंदिर,योगेश्वर कृषि,भक्तिफेरी ऐसे बहुतसे काम देशभरमे चालू है।नर्मदे हर!
दो दिन बाद पीठपर सॅक लेके चलते कठीण लग रहा था।मनुष्य आराम का आदि कितना जल्दी हो जाता है न?दो दिन आराम क्या मिला पीठ की सॅक उठानेमे कुरकुर शुरू।
जिरामैया पूलपरसे पार करके दाहिने ओर सुनिल चौधरी और राजेंद्र चौधरीका स्वागत हॉटेल है।यहॉ परिक्रमावासीओंके लिये भोजनप्रसादकी व्यवस्था करते है।हॉटेलके पिछे बगिचेमे सिमेंटकॉंक्रीटका ओटा बनाया है।WCभी है।पुरूष परिक्रमावासी मुक्काम कर सकते है।
हम पहले परिक्रमामे यहॉं आये थे,राजेंद्रजीने मुझे पहचाना।नर्मदे हर!भोजनप्रसादमे दाल-रोटी,सॅलड,जीरा राइस मिला।विश्रांतीकेबाद तीन बजे चाय लेके राजेंद्रको नर्मदे हर करके आगे निकले।दस मिनीटमेही गुजरातमे हमारा प्रवेश हो गया।अब संगम पार करके उत्तरतटके रेंधवा छकतालतक गुजरातमेही चलना है।नर्मदे हर!
गुजरात का पहला गांव चिकाली के बाद धनशेरामे गुजरातका चेकपोस्ट है।पांच बजे सागबारागांवमे प्रवेश करतेही प्रथम ढाबेपर चाय लिया।साडेपांच बजे शिव-अंबिका,श्रीराम,जलाराम बाप्पा मंदिरमें आ गये।लक्ष्मीविलास हॉटेलके पिछेसे पगदंडीसे मंदिरमे जानेका रास्ता है।हॉटेल मालिक श्री.विजयभाई पटेल रातका भोजनप्रसाद देनेवाले है।
मंदिर स्वच्छ और सुंदर है।हॅण्डपंपपर फ्रेश हो गये तबतक विजयभाईने चाय-बिस्किट भेजे।तब बाबाके मित्र श्री.मांडके,श्री.अभ्यंकर आ गये।मित्रभेटसे आनंद हुआ।आरती प्रार्थना के बाद गपशप कर रहे थे,विजयभाईने डबा भेजा।सबका भोजन हुआ।आज तीस कि.मि.चलना हुआ था,बहुत थक गये है।अब निंदियारानी जल्दी आ जा।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-52
सुविधा न होनेसे कैसे तो नित्यकर्म करके मंदिरमे दर्शन करके निकल गये।कल हमे भोजनप्रसाद देनेवाले विजयभाई पटेलके हॉटेल लक्ष्मीविलासमे उनका डबा वापस देने गये।उन्होने चाय और बिस्कीट,मुंगदालके पॅकेट्सभी दिये।नर्मदे हर!चलो आगे।कोडबा,नयी फाली,अमियारमे ढाबेपर दूध लेके विनोबा एक्सप्रेस आगे चल पड़ी तब साडेसात बजे थे।चोपडाके बाद मॉं चौकडी को नास्ता करके साडेनऊ बजे आगे चलने लगे।आजसे संतोषमहाराज हमारे साथ नही है।सागबारासे भादलका उसका आश्रम पास था,पहाड जंगलके रास्तेसे वो चला गया।नर्मदे हर!
देवमोगरा फाटा-12कि.मि.हो गये थे।कणगीपिठा के बाद गंगापुरमे शांतिनिकेतन गर्ल स्कूलके प्रांगणमे दो बजेतक विश्राम किया।क्योंकी कड़ी धूप रास्तेके दोनो तरफ जंगल होते भी परेशान कर रही थी।
काल्बी के बाद देडियापाडा दस कि.मि.रहा था,एक जगह बैठे और जलजिरा,ऑंवलारस प्राशन किया थोडा तकवा आया।
मेडियासाग गांव आया।सुहास लिमयेजीके पुस्तकमे इसका उल्लेख है,याद आया।थोडे आगे जातेही मेकलसुता आश्रम आ गया।राजन्यूज के हेमंत शर्माने सदानंद महाराजके बारेमे बताया था।3-45बजे थे सुंदर बगिचेसे होते आश्रममे गये।महाराज झुलेपर बैठे थे।प्रसन्न व्यक्तिमत्व है।उमर ज्यादा नही है।नर्मदे हर!
महाराज बोले,चार बज रहे है अब आज यही आसन लगा लो।सही कह रहे थे,देडियापाडा 10कि.मि.दूर था इतना जाना आज मुश्कील था,आजका मुक्काम मेकलसुता आश्रम-मेडिया साग।नर्मदे हर!
फ्रेश होके खिचडीका प्रसाद पाया।आश्रमके पिछवाडे पानीके नल,लॅट्रीन,बाथरूम,गरमपानीके जलती लकडीपर चलनेवाले गीझर है।सब सुविधा बढ़िया है।
स्नान कपडे काम निपटाके मैयाकी आरती प्रार्थना कर ली।आश्रममे कुछ लोग सेवाकार्य हेतू आये थे।स्वादिष्ट भोजनप्रसाद मिला।महाराजके साथ सत्संग हुआ।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-53
स्नान-पुजाके बाद पोहे-चाय का नास्ता करके सदानंदबाबाजींको प्रणाम करके आगे प्रस्थान किया।कंकाळागांव पार करके आगे निकले थोडी देरके बाद सिताराम आश्रम श्री भीडभंजन हनुमान मंदिर आया,महंत भगवानदास महाराजजीने बुलाया।नर्मदे हर!छोटासा आश्रम है,कुछ विद्यार्थी यहॉं रहके शिक्षा ले रहे है।वैदिक शिक्षाके साथ स्कूल-कॉलेजमेभी पढ़ते है ये आदिवासी बच्चे।खोखरा उमर गांवमे है ये आश्रम।
साडेनऊ बजे डेडियापाडाके जलाराम आश्रममे पहुँचे।थोडे उपरकी तरफ नर्मदाधाम ये परिक्रमावासीओंकेलिये बांधा हुआ बडा हॉल है।पिछे लॅट्रीन,बाथरूम है।सुंदर बगिचा है,निवासी वसतिगृह है।आश्रम बहुत सुंदर है।कपडे धोके सुखाने डाल दिये।कुछ बच्चे बॅटमिंटन खेल रहे थे,हमने भी थोडीदेर खेलने का लुफ्त उठाया।मुख्य महाराज कही बाहरगांव गये थे फिरभी आश्रमकी शिस्त व्यवस्था उत्तम थी।भोजनप्रसाद परोसनेवाले हरएक पदार्थके आगे राम शब्दका प्रयोग कर रहे थे जैसे चावलराम रोटीराम और दाल को वैकुंठराम।नर्मदे हर!
दो बजे आगे चलने लगे।धूप इतनी कड़ी थी मानो शरीरसे सारा पानी खिंचके ले रही है।बाजारपेठमे एक जगह नारियलपानी लिया उतनीही थोडी थंडक।नर्मदे हर!
टिंबापाडा,राखसकोंडी,झापा आदि गांव पिछे छोडे थे।आज ज्यादा चलना नही हुआ था,बारा-पंधरा कि.मि.ही हुए थे मगर आज बहुत थक गये थे।रास्तेमे एक मोटरसायकलसे जा रहे भाईसाबने नर्मदे हर बोला।स्नेहलने उनसे गुजरातीमें बात करके निवासभिक्षा मांगी।उन्होने बडे आनंदसे घर आनोको कहा।थोडा आगे उनका घांटोली गांव है।रमेश वसावा नाम है,शिक्षक है।नर्मदे हर!गुरूजी आगे चले गये और हमभी।
घाट उतरकर निचे आ गये।गुरूजीने सोमू नामके लडकेको रास्तेपर खडा किया था।उसने शॉर्टकटके रास्तेसे घांटोलीगांवमे स्कूलके पास पहुँचाया।गुरूजी खेतमें गये थे वो आनेके बाद घर जाना था।स्कुलके बरामदेमे बैठे।सुकांता और विलासने जलपान करवाया।नर्मदे हर!थोडीही देर बाद गुरूजी आ गये और हम उनके घर गये।
गुरूजीके पिताजी श्री.धवलसिंग,पत्नी मधुबेन,बेटी दिप्ती,बेटा हेमन्त सारे बहुतही प्यारे है।चायके बाद स्नान आरती कपडे धोना सब आरामसे हुआ।भोजनके लिये कोदुधानके घावन(चिले या डोसा) खेतसे लाये ताजे बैंगनका भरता,दाल चावल।बहुत बढ़िया।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-54
आज तड़के पांच बजे कालि महारानी चाय लेके विनोबा एक्सप्रेसने घांटोली स्टेशन छोडा।रमेश गुरूजी शॉर्टकटसे हायवेपर छोडने आये थे।
गाजरगोटाके बाद बाद आया वैदेही कन्या आश्रम,आदिवासी कन्याओंकी निवासी शैक्षणिक संस्था है।सुंदर निसर्गरम्य परिसर है।आगे वन विभाग कुटी है टेकरीपर सामने बहती करझनमैया।परिक्रमावासी निवासायोग्य स्थान है।
कोलिवाडा गांव करझनमैया ब्रिजसे क्रॉस कर ली तब आठ बजे थे।टपरीपर फलाहारी चिवडा,गुजरात स्पेशल भावनगरी गाठी ले ली।चलो आगे।
यालगांवके बाद नेत्रांगफाटा आया।यहॉंसे बांए तरफ का रास्ता राजपारडी हो कर अंकलेश्वर जा सकते है।राजपिपला जानेकी जरूरत नही होती मगर ये रास्ता घने जंगलसे गुजरता है और सुरक्षित है?की नही?नर्मदे हर!
नेत्रांग फाटा ढाबेपर गोटाभजी(पकोडे)-चाय नास्ता करके आगे चल दिये।मोवीगांवके बाद साडेदस बजे खुंटाअंबा।रास्तेके बायी तरफ हनुमान मंदिर है।सुहास लिमयेजी इसी मंदिरमे रहे थे।उन्होने लिखा है वैसा निचे हॅण्डपंपभी है।अब मंदिर बडा करनेका काम चल रहा है,दो-चार दुकानेभी है।परिक्रमावासी रहतेभी है।मंदिरके सभामंडपमे चुला बना है,बर्तन है।एक टोकरीमे बैंगन आलू मिरची रामरस(नमक)रखा मिला हमारे पास दाल-चावल थे काम बन गया।प्रशांतने चुल्हा जलाया तबतक अंजूताई,स्नेहल स्नान करके आ गयी और मैने सब्ज़ी काटके रख दी और स्नान करने गयी।मेरा होतेही बाबा और प्रशांत का स्नान हुआ,हमने सबके कपडे धोके सुखाने डाल दिये।तबतक खिचडीभी तैयार हो गयी थी।आरती करके मैया और हनुमानजीको भोग लगाया।भोजनप्रसाद लेही रहे थे तो पुणेकर कुलकर्णी और एक भाऊ आये,उनकोभी प्रसाद मिला।सच है दाने दाने पर लिखा है खानेवालेका नाम।
पुणेकर बंधुको त्रंबकेश्वरके वही महाराज मिले थे और कुछ बुजुर्ग परिक्रमावासी इनके साथ देके खुद बहाना बनाके निकल गये थे।कुलकर्णी बहुत कुछ बोल रहे थे।नर्मदे हर!
दो बजे टपरीमे चाय पिके चलने लगे।सारा घाटरास्ता है।एक जगह बडे जामुनके पेडमेसे आमका पेड आया था।फुलोराभी आया था।
इको टुरिझम सेंटर विसलरवाडी,आमली यहॉं छोटासा बाजार लगा था।प्रशांतने तुवरकी फली(तुरीच्या शेंगा)खरीद ली।
गाडीदमे आश्रम है ऐसा मालूम पडा इसलिये घाट उतरके गाडीद गांवमे गये मगर वहॉं आश्रम नही था,आश्रमशाला थी।रहनेकी सुविधा नही थी,आगे जाना जरूरी था।
एक बताना तो भूलही गयी थी,हनुमान मंदिरमे कुछ लोग आये थे।लकडीके घोडे लेके नाच-गाना कर रहे थे।
खेतके पगदंडीसे वापस हायवेपर आ गये।बहुत थक गये थे।माडनगांव पहुँचे।बीस कि.मि.आ गये थे।रास्तेपर एक बंद टपरीके बाकडेपर बैठ गये।गांव पासही था,स्कुल दिख रहा था।एक माताजी आ गयी,बोली स्कूलमे जाके देखो।स्नेहल गुजराती बोलती है इसलिये वो और प्रशांत गये।मगर मुख्याध्यापक न होनेके कारण व्यवस्था न हो सकी।मगर बाजुमेही एक झोपडी थी।रमणीबेन वसावाने पुछा,आपको मेरी इस झोपडीमे चलेगा?आप बडे लोग हो मेरी गरीबकी झोपडी।बहन ये क्या कहती हो?आपकी झोपडी नही मानवताका महल है।हमें खुशी होगी,स्नेहल प्रशांतने कहा और हमें बुलाने आ गये।नर्मदे हर!
श्री.कांजिभाई वसावा,रमणीबेन और बेटा राजेश।बडे दिलवाले लोग।चाय लेके बाजुके हॅण्डपंपपर स्नान-कपडे धोना किया।हमने लायी तुवरकी फली रमणीबेनने उबालकर बहुत टेस्टी बनायि और बादमे खिचडीभी बहुत बढ़िया भोजनप्रसाद आरतीके बाद पाया।
एकही रूम थी,कांजिभाई खेतपर सोने जानेवाले थे।रमणीबेन बोली,हम जल्दी नही सोते आप थके हो सो जाओ।उनके लिये जगह छोडके हम सो गये।नर्मदे हर!
गरीब बडे दिलवाले आतिथ्यशिल होते है।जंगलप्रांत था,बहुत थंड थी।हमे अंदर सुलाके वह मॉं बेटा बाहर आंगनमे सो गये।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-55
रमणीबेन और राजेश को नर्मदे हर बोलके हायवेपर आये तब सुबहके पांच बजे थे।आज राजेश अंबाजीको पैदल जानेवाला था।गुजरातमे बहुत लोग पैदल अंबाजीके दर्शन करने जाते है।अंबाजी एक शक्तिपीठ है,माऊंट अबू के पास है।
अभी अंधेराही था,टॉर्चके प्रकाशमे,थंडी हवाके साथ घाट चढ़ना शुरू हुआ।साडे छे बजे बोरिद्रागांव आया।थंडी हवा चल रही थी इसलिये खड़ा घाट चढते भी तकलीफ नही हो रही थी।टॉर्च सॅकमे डाल दिये।चाय चाहिये था मगर कही दुकान या ढाबा खुला नही था।नर्मदे हर!और थोडा घाट चढनेके बाद तीव्र उतारही था।
बहुत बडा खामरघाट उतरनेको एक घंटा लगा।साडेसात बजे घाट समाप्त हुआ।वहॉं ढाबेपर बैठे।अचानक एक गाडी आके रूक गयी,उसमेसे उतरे शहादाके एकनाथ पाटील।उनके बच्चे पैदल अंबाजी गये थे और पाटील फॅमिलीके साथ उनको मिलने जा रहे थे।पुनर्भेटसे सब आनंदीत हुए।भाभिजीने खानदेश स्पेशल भडंगके बडे पॅकेट दिये।सबने चाय पिया।बिल पाटीलभाऊने दिया,नर्मदे हर!वो चले गये।
हमने भडंग,बिस्किट,दूध नास्ता करके सव्वा आठ बजे आगे चलने लगे।खामरगांवके बाद रायपुरा,बस स्टॅण्डमे बैठकर कलकी बची उबली तुवरफली खायी।सव्वानऊही बजे थे मगर धूप बारा बजे जैसी लगने लगी थी।नर्मदे हर!
मोटा लोमटवाडा,छोटा लोमटवाडा के बाद करझनमैया ब्रिजसे क्रॉस करके एक पेडके निचे थककर बैठ गये।बाप रे!डिसेंबरका महिना है मगर धूप मे महिने जैसी बदनको जला रही थी।बारा बजे थे राजपिपला पहुँचे।दाहिने तरफ का रास्ता गोराग्राम जा रहा था,बाए तरफका राजपिपला शहरमे।गोराग्राम पचीस कि.मि.दूर था और हरसिद्धीमाता मंदिर एक कि.मि.हम आज बहुत थक गये थे,हरसिद्धीमाता मंदिरमे माताकी चरणोंमे आज पनाह लेनाही उचित होता।नर्मदे हर!
काठियावाड हॉटेलमे अच्छा काठियावाडी भोजन किया।एक बजे हरसिद्धीमाता मंदिरके भक्तनिवासमे तीन रूम्समे आसन लगा लिया।नर्मदे हर!
थोडा विश्राम करके स्नान-कपडे धोनेका बडा कार्यक्रम करके आरती करके हरसिद्धीमाता,गायत्रीमाता,नवग्रह दर्शन करके बाजारमे गये।कुछ मेडिसीन,फलहारी चिवडा,केलेके वेफर्स वगैरे खरीदकर सुहास लिमयेजी के पुस्तकमे लिखे पुरोहित भोजनालयमे स्वादिष्ट राजस्थानी थाली का आस्वाद लिया।नर्मदे हर!
हरसिद्धीमाता मंदिरमे बहुत सारे मुर्गा-मुर्गियॉं छोडे हुए है।मन्नतमे छोडते है।पहले बलि चढ़ाते थे अब छोडते है।
एक शंका मनमे थी की गोराग्राम जाते वक्त मैया अपने बांयी तरफ तो नही हो जाएगी?पंडीतजीको पुछा,वो बोले,मैया पुरबसे पश्चिमकी तरफ बहती है।आप अभी दक्षिण दिशामे हो और गोराग्राम उत्तर दिशामे है,तो सवालही पैदा नही होता आप गोराग्राम जाके ही आगे बढ़ो।शूलपाणेश्वरका दर्शन लेना चाहिये।नर्मदे हर!
सुबह खडा और लंबाचौडा घाट होतेभी जंगल,थंडी हवा के चलते थकान बिलकुल नही थी मगर घाट समाप्त होतेही धूपने बेहाल कर दिया था।अब निंदियारानी की आराधना।कल दस-बारा दिनके बाद मैयाके दर्शन होनेवाले है।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-56
कल पुजारी पंडीतजी को बिनती की थी इसलिये आज तड़के साडेचार बजे नित्यकर्म,स्नान आरती करके निचे आकर वॉचमन अंकुरको पुकारा तुरंत उठकर उसने गेट खोल दिया।विनोबा एक्सप्रेसने प्रस्थान रखा।नर्मदे हर!
संतोष चौकडीपे टपरीमे चाय लेके आगे चलना शुरू हुआ।साडे छे बजे वाडोलीगांव आया छे कि.मि.चलना हुआ।आठ बजे झंडा हनुमान मंदिर गोपालपुरा,नवा वाघपुरा,चाय लेके अपने पासके पदार्थ नास्तेको लिये।नौ बजे आगे।
हिरापुरा,समारिया,फुलवाडी,भाणाद्रा,बोरिया,मोटा पिपरिया फाटा सारा प्रवास अच्छा रास्ता दुतर्फा बडे बडे वृक्ष शीतल छाया देते,दोपहर एक बजे पच्चीस कि.मि.गोराग्रामके हरिधाम आश्रमे पुरा हुआ।नर्मदे हर!
भारती माताजीने हँसके स्वागत किया।और भोजनप्रसाद लेनेको कहा।बादमे सुंदर बंगलेमे रूम्स दिलवा दी।नर्मदे हर!
बंगलेके सामने सुंदर मैया दर्शन हो रहे थे।बरामदेमे एक झुला भी है।इसी बंगलेका मैने पहिली परिक्रमामे बाहरसे फोटो खिंचा था।नर्मदे हर!
शामको टेकरीपर जाके नुतन शुलपाणेश्वर दर्शन करके आ गये।सुंदर बगिचा,सुंदर मंदिर,सुंदर परिसर।नर्मदे हर!
संध्यारती के बाद भोजनप्रसाद होने के बाद भारतीमाताजीके सत्संगा लाभ हुआ।उन्होने हर किसीको अपने कर्मभोग भुगतने पडतेही है ये बताते भीष्म पितामह की कहानी सुनायी।उन्होने भगवान कृष्ण को पुछा,मुझे मेरे पिछले सोलह जनम याद है मैने कोई पाप नही किया फिर भी मुझे ये शरशय्या क्यो?भगवान बोले,पंधरहवे जनमके बचपनमे आपने एक तितली को कांटा चुभाया था इसलिये ये सजा है।पुर्वकर्म,पुर्वसंचितसे कोई नही बच सकता।ईश्वरी अवतार भी नही।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-57
आज हम फिर एक बार मारू की चिंचलीसे आगे चलेंगे।
स्नान पुजा करके चायपान किया और कारोले परिवारका नर्मदे हर से शुक्रिया अदा करके आगे निकल पडे।गांवके बाहर आतेही हमारी परीक्षा शुरू हो गयी।इस बार हम रास्ता भटक गये,अनेक छोटी मोटी टेकरी,खाई,नाले,किचडभरी पगदंडीओंसे गुजरते पावणेदस बजे हम लोहारा पहुँचे।रामदुलारीमाता आश्रमकी माताजीने सबको बिस्किट दिये।एक सह परिक्रमा बंधु श्री बिडवेजीने सबको चाय दिया।
ग्यारह बजे आगे चलना शुरू किया।साडेग्यारह बजे किरमोही गांवके शिवमंदिरमे पहुँचे,वहॉं कोई नही था मगर स्वच्छ पानीसे भरी टंकी,बकेट और कपडे धोने के लिये बडा अच्छा पत्थर था।हमने धोबीघाट खोल दिया और वस्त्र प्रक्षालन का कार्यक्रम पुरा किया।भोजनका कोई प्रबंध नही हो सका तो अपने पास जो कुछ था उससे पेटपुजा कर ली।और दो बजे आगे चल पडे।
अब सुहाना सफर था।मैयाने किनारेपर मखमली हरियाली की कालिन बिछायि थी।दाहिने तरफसे खुद अपना सुंदर नीलश्यामल जलरूप दर्शाती हमारे साथ चल रही थी।सुंदर पंछी आकाशमे उडते मधुर गीत गाते गाते एकदम पानीमें छलांग लगाकर मछली की शिकार करके थोडी देर शांत होकर पुनः शुरू।बडा नेत्रसुख पाकर हम धन्य हो रहे थे।नर्मदे हर!
नर्मदामैयामे विलीन होकर धन्य हो रही रूपामैया पार करनेमे हमे कोई कठीनाई नही आयी।किनारेपर कपडे धो रही महिलाए,खेलनेवाले बच्चोंके मार्गदर्शन तले हम सहजतासे रूपामैया पार कर सके।नर्मदे हर!
दोपहर के तीन बजे थे।आगे का रास्ता कच्चा मगर अच्छा था।केसरपुरा होके मोहिपुरा पहुँचे तब शामके पांच बजनेवाले थे।मॉं रेवा आश्रमके संचालक श्री.खडकसिंगजी खलखुर्द गांवके हमारे आश्रयदाता बंधु श्री.रेवाशंकर पटेलजीके रिश्तेदार है और हमारे आनेके बारेमें पटेलजीने उन्हे बताया था।हमारी व्यवस्था स्वतंत्र रूममे कर दी क्यों की हम तीन महिला थी।यहॉं स्वामी अमृतानंद पुरी है मगर वो नही थे।श्री.देवकरणजी भंडारी है और शंकरजी सेवक है।
यहॉं अहमदनगर के रहनेवाले श्री.इथापे परिक्रमाबंधुसे भेंट हो गयी।नाशिकके रहनेवाले दो बंधु भी मिलें।बहुत आनंद हुआ,घरके लोगोंसे मिलके।नर्मदे हर!
आरती पुजा के बाद खिचडीका भोजनप्रसाद मिला।अब विश्रांती।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-58
सुबह नित्यकर्म निपटाके मैयाकी पुजा आरती के बाद चाय लेके विनोबा एक्सप्रेसको हरी झंडी दिखायी।नर्मदे हर!
सात बजे दत्तबाडामे मैया किनारे चंगाबाबा आश्रमका प्रसिद्ध पत्थर खोदके बनाया हुआ घाट देखके माधवदास महाराजजी का दर्शन लेके चायपान करके वापस उपर आके रास्तेसे आगे चलने लगे।गोलाटागांव पांच मिनिट विश्राम करके आगे,छोटा बडदामे रणछोडदास पाटिदारजी के घर गये।बडा सेवाभावी परिवार है।उनका बेटा लोकेश सेवा तत्पर है।सारा परिवार सुश्री मेधा पाटकरजी के साथ नर्मदा बचाव आंदोलन से जुडा हुआ है।रहने के लिये आग्रहसे बोल रहे थे मगर आज ज्यादा चलना नही हुआ था इसलिये विनम्रतासे ना कहना पडा।खीर-पुड़ी,चुरमा लड्डू से नानाविध पदार्थ भोजनप्रसादमें बनाए थे।बडा संतोषभरा भोजनप्रसाद पाके थोडा विश्राम करके विनोबा एक्सप्रेस आगे निकली।नर्मदे हर!
आवली,शेगांवा,दही बहेडा आते आते कड़ी धूपसे हम बेहाल हो गये थे।उपर टेकरीपर नाखूनवाले बाबाजीका आश्रम था,सुबह वजनसे हलकी लगनेवाली सॅक अब पीठपर भारी लदी हुई लगने लगी थी,मैया!कैसे जाए उपर बाबाजीके दर्शनको?हमारा मैयासे पुछा सवाल पुरा भी नही हुआ था,तुरंत एक मोटरसायकल आ गयी और उसपर सवार दो बेटोंने हम सबकी सॅक्स लेके जानेकी इच्छा जतायी,और सॅक ले भी गये।नर्मदे हर!
टेकरीपर नाखूनवाले बाबाजीका आश्रम है।उनका नाम मालूम नही,उनकके हाथके नाखून बहुत बढे हुए है।फोटो को मना कर दिया।दर्शनके बाद चायपान करके तीन बजे आगे निकले।
चार बजे पिपलूदमे लोकेशके मौसीजी के घर,श्री.देवराम यादवजीके घर आके आसन लगाया।नर्मदे हर!
बडे प्यारसे स्वागत हुआ।सेवाभावी परिवार,सुश्री मेधा पाटकरजी का सहकारी परिवार है।घरकी सब कन्याए बडी संस्कारी है।गीता,भजन वगैरे मुखोद्गत है।ऐसी सुसंस्कारी कन्याओंका पुजन करके बहुत संतोष हुआ।
भोजनका बडा थाट था,इतना बताना काफि है।आज बस् इतनाही।
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-59
नित्यकर्म,आरतीके बाद चाय लेके निकल रहे थे,बहूने बहुत सारी चिजे बांधके दे दी रास्तेमे खाने के लिये।बहुत प्यार करते है यहॉंके लोग सगे रिश्तेदारोंकी तरह।उनको भुल पाना मुश्कील ही नही नामुमकीन है।नर्मदे हर!
विनोबा एक्सप्रेस आगे निकल पडी।शिव हमे छोडने साथमे आया था।रास्तेमे विठ्ठल यादवजीने चाय के लिये बुलाया,कल भी आते समय बुलाया था।बडा आदरातिथ्य हुआ।नर्मदे हर! आगे चलने लगे,खेतपर गये देवरामजी मिले,बहुत दूर तक हमारे साथ आये।नर्मदे हर!
आठ बजे बजे बगुद गांव आ गया।यहॉंसे बायी तरफ का रास्ता कुंडिया,कालिबेडी होके सिधा बडवानी जाता है।जिनको राजघाट नही जाना वो इधरसे सिधे बडवानी जा सकते है।कुंडियामे सुश्री मेधा पाटकरजीका सह कार्यकर्ता किरण पाटिदार रहता है।पिछली बार जब मिला था तब उसने निमंत्रणभी दिया था।मगर उसके घर जानेके लिये अंदर जाना पडता,और आज उसके घर किसीकी शादी है ये समाचार कल देवरामजीसे मिला था,जाते तो हमे वहॉं रूकना पडता,वह आगे जानेही नही देता इसलिये हमने आगे जानाही उचित समझा।
आगे आया कसरावद,राजघाट।टेंबे स्वामी स्थापित एकमुखी दत्तमहाराजका दर्शन करके बहूने दिया लड्डू वगैरेका नास्ता करके हम बडवानी के लिये चलने लगे।बडवानीमे श्री.रत्नाकर परांजपे मेरे पती आनेवाले थे।नर्मदे हर!
क्रमश:
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-60
बडवानीमे हम नार्मदीय ब्राह्मण समाज धर्मशाला रेवांचल परिसरमे रूके थे।भा.ज.प.उपाध्यक्ष-बडवानी,श्रीयुत सुनिल पाटिदारजी के घरसे बोरलायसे हमारे लिये मकईकी रोटी,साग,दालका भोजनप्रसाद आया था,भाभीजी खुद परोस रही थी,स्वादिष्ट भोजन पाकर अंतरात्मा तृप्त हुआ।नर्मदे हर!
सुबह साडे छे बजे शुलपाणि झाडी सर करनेके मुहीमपर हमारी मैयाके शुरवीर कन्यापुत्रोंकी सेना लेके विनोबा एक्सप्रेस चल पड़ी।
पाटीगांवकी तरफ जानेवाला रास्ता छोड हम बायी तरफ चलने लगे।भीलखेडी फाटा,कल्याणपुरा,नंदगांव पिछे छोड बैडीपुरामे सिताराम बडोलेजीके आंगनमें जलपान करके आगे चलना शुरू किया।
पिछौडी,सिरसानी,झकासपुरा,कटोरा,गणेशपुरा,सोंदुल,पालिया के बाद भामटा में मोहन पाटिदार के घर थंडगार जलपान करके आगे निकले।धूप कड़ी हो गयी चलना मुश्कील हो रहा था,भवती के बाद अमलालीमे शेरसिंग और अनिताके बडे घरके बरामदेमे आके बैठे प्रथम थंडगार जलपान और थोडी देर बाद चायपान।बडा सुंदर घर है निवास व्यवस्था हो सकती है।आगे बिजासनमे हनुमान मंदिरमे विश्राम।मन्साराम दावर सब के लिये चाय लेके आये।
किंग ऑफ शुलपाणि श्रीयुत हिरालाल रावत का भांजा साईसिंग परिक्रमा कर रहा है,हमारे साथही चल रहा है।मोरकट्टामे उसके बुआ,मौसी जैसे बहुत रिश्तेदार है।यहॉं सर्व शिक्षा अभियान स्कूलमे परिक्रमावासिओंकी निवास व्यवस्था होती है।श्रीमती चमेली अवास्या प्रमुख शिक्षिका है।जलपान करके मोरकट्टा तिठा आ गये।बायी तरफ का रास्ता बोरखेडी की तरफ और दायी तरफका मैया किनारे हिरणफाल की तरफ जाता है।कुछ साल पहले हम यही हमारी गाडी पार्क करके बोटसे घोंगसामे लखनगिरी बाबाजीके आश्रममें गये थे।तब ये रास्ता कच्चा धुलभरा था और अब पक्का डांबररोड है।प्रगती हो रही है।नर्मदे हर!
शाम के छे बजे बोरखेडीमे एक नाला पार करके श्रीयुत हिरालाल रावत के घर आगमन।हिरालालजी के बडे भाई,साईसिंग के बडे मामाजीके घर मिलिंदजी शिरगोपिकर,संजय और सरोज मालानि,मै वंदना परांजपे और नर्मदा परिक्रमा की डॉक्युमेंटरी फिल्म करते करते परिक्रमा करनेवाले एपिक चॅनल वाले श्री.देवा(नयी दिल्ली),श्री.कुणाल पाटील(पनवेल) आसन जमाया।नर्मदे हर!
साईसिंगके बडे मामाजीका ये परिवार बडा सेवाभावि है।मामीजीने बाजरी की रोटी,सेव की सब्जी का बडा स्वादिष्ट भोजन प्रसाद खिलाया।मैयाकी बड़ी कृपा है।
कलसे मुख्य झाडीमेंसे प्रवास करना है।हमारे साथ हमारी सॅक लेके आने के लिये कुछ लडकोंकी व्यवस्था हिरालालजी करनेवाले है।अर्थात इसके लिये हमें पैसे देने है।कठीण सफर के लिये ये मदत जरूरीभी है।बहुत थक गये है,अब निद्रादेवी की आराधना।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-61
नर्मदे हर!नोट बंदी के चलते किसी के पास भी ज्यादा पैसे नही थे,तो अकाउंट से अकाउंट पैसे ट्रांसफर करके हमारी विनोबा एक्सप्रेस आगे जाने के लिये तैयार हो गयी।
मेरे साथ रावतजी का भतिजा राजमल,संजय मालानि के साथ पिपलू,सरोज के साथ कान्हा,मिलींद शिरगोपिकर के साथ प्रकाश,और कस्तुरी थत्ते के साथ मांगिलाल।कुछ लोगोंने मदत नही ली।पुणेकी रहनेवाली वर्षा मुजुमदार वैयक्तिक प्रॉब्लेम के कारण घर चली गयी।नर्मदे हर!
चायपान के बाद हमारी पांच डिब्बोंकी गाडीको लगेज के पांच डिब्बे जोडके हमारी विनोबा एक्सप्रेस शुलपाणिकी मुहीमपर चल पड़ी।कुछ लोग आगे चले गये थे।डॉक्युमेंटरीवाले थोडा शुटींग करके बादमे निकलेंगे।नर्मदे हर।
कच्चे रास्तेसे चलने लगे।बिजली के खंबे लगानेका काम चल रहा है,रास्ता बनानेका भी काम चल रहा है।दो-तीन सालके भीतरही इस विभागका विकास निःसंशय हो जाएगा।केंद्र सरकारके रास्ते और सार्वजनिक बांधकाम विभाग (नितिन गडकरी) ये काम कर रहा है।प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना,अटल ज्योति योजना जैसी योजनाओंका काम संतोषजनक चल रहा है।नर्मदे हर!
रोहन्या गांव के बाद आया कुप्रसिद्धी वलयांकित गांव "कुली"।हमारे साथ हिरालाल रावतजी के मार्गदर्शक थे इसलिये हम तो सुरक्षित थे ही मगर दुसरे लोगोंको भी कुछ भी तक़लीफ नही हुई।ऐसे लगता है की विनाकारन ही गरीब आदिवासीओंको बदनाम करके छोडा है,सारे नर्मदे हर बोलके हसकर स्वागत कर रहे थे।कुली मे कामतादास बाबाजी के कुटियामे चायप्रसाद लेके थोडे विश्राम के बाद विनोबा एक्सप्रेसको ग्रीन सिग्नल दिया।कुटी के पाससे बहनेवाले नालेपर ब्रिज बांधनेका काम चल रहा है वो होतेही आगेभी रास्ता बनेगा।फिलहाल हमें तो नाला पार करके पहाडकी पगदंडीसे चढाई चढके उतरके जाना है।नर्मदे हर!
सव्वा बारा बजे पंधरा कि.मि.चलके थकानभरी मुस्कान लेके हम घोंगसा के लखनगिरीबाबाजी के आश्रम पहुँचे।नर्मदे हर!
लखनगिरीबाबाजी जब परिक्रमा कर रहे थे तब उनको आदिवासीओंने उनको पुरा लूट लिया था,तब उन्होने प्रण किया की,परिक्रमामे आगे न जाते यही रहकर इनके लिये काम करके ये लुटमार बंद करवाके आदिवासीओंकी प्रगती केलिये प्रयत्न करता रहुंगा।और उन्होने करके दिखाया।आप यू ट्यूब पर व्हिडीओ देख सकते हो।नर्मदे हर!2011 मे बाबाजी समाधिस्त हो गये। अब नर्मदागिरीबाबाजी उनका कार्य आगे ले जा रहे है।नर्मदे हर!इसलियेही अब लुटमार नही होती।
हम आश्रम गये तब नर्मदागिरीबाबाजी नही थे बाहरगांव गये थे।भंडारीबाबा थे।
कार्तिकस्नान का मौका था,मैया किनारे जाके स्नान किया,कपडे धो डाले।यहॉं जल ऍमब्युलन्स के जरिए दवाखाना मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकारकी तरफसे चलाया जाता है।बहुत दूरतक चलती रहती है ये आरोग्यसेवा।नर्मदे हर!
आश्रमके आंगनमें आसन लगाया।दोपहर को खिचडीका भोजनप्रसाद मिला।शामको चायपान के बाद लखनगिरीबाबाजीं के समाधीके दर्शन करके परिसर दर्शनभी कर लिया।नर्मदे हर!
रातमें टिक्कड और दाल का भोजनप्रसाद मिला,बडा स्वादिष्ट।अब चांदनीभरे नीले गगन के तले,मैया के सानिध्यमे उसकी लहरोंसे गुंजती लोरी का श्रवणसुख पाते पाते निद्रादेवी की आराधना।नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-62
सुबह सात बजे विनोबा एक्सप्रेसने घोंगसा स्टेशन छोड दिया।उत्तरवाहिनी हुई रेवामैया के दर्शनसुख का लाभ उठाते किनारेसे एक देढ़ कि.मि.चलने के बाद पहाड चढना उतरना शुरू हुआ।दो नाले पार करके एक टेकरी चढने के बाद एक वाडी के पास कच्चा रास्ता शुरू हुआ।बिजली लानेकी तैयारी हो रही है।मध्यप्रदेश का ये आदिवासी इलाका प्रगतीपथ की ओर अग्रेसर हो रहा है।नर्मदे हर!
थोडी देर बाद रस्ता समाप्त हुआ और एक सुखे नालेमेसे चलने लगे,कुछही मिनिटोंमे पुनः चढाई शुरू।दो छोटे पहाड चढके उतरकर छांवमें बैठे।पानी पिके थोडा विश्राम किया और फिर सागवृक्ष के घनदाट जंगलसे व्याप्त पहाड चढने लगे,थंडी थंडी छांवमे चलते चढाई के श्रम लगेही नही।पहाड चढतेही बडवानी से सेमलेट जानेवाला पक्का डांबर रोड मिल गया तब सुबह के साडेदस बजे थे।अब घाट उतरना था और माईल स्टोन बता रहा था की सेमलेट तीन कि.मि.है।
झट झट चलते आधे घंटेमेही सेमलेट पहुँचे।बडे बरगद के पेडतले बैठ गये।सरपंच उमरावजीने चायपान का सदाव्रत दिया,मांगिलाल,प्रकाशने चुल्हेपर बढ़िया चाय बनाया।चाय-बिस्किट का नास्ता कर लिया।
भोजनप्रसाद तयार करने के लिये सदाव्रत मिल रहा था मगर अभी बडा पल्ला तय करना था भोजन तैयार करनेमे बहुत समय लग जाता,हमने आगे जानाही उचीत समझा।नर्मदे हर!
थोडी देर सिधी पगदंडी थी।रास्तेमे एक आठ सालका अपने दादाजी के साथ नंगे पैर परिक्रमा कर रहा कुमार अरविंद मिल गया।बडा हिम्मत बहाद्दर लडका।नर्मदे हर!
अब धूप बोलने लगी थी,एक कुंवे के पास रूक गये,जलपान कर लिया।पुनः खडी चढाई चढने के लिये तैयार हुए।नर्मदे हर!
कड़ी धूपसे मुकाबला करते करते पहाड सर कर लिया।ये है मध्यप्रदेश का आखरी गांव खारा भादल (बडा भादल)।एक झोपडी थी कनिका और पिंट्या की।जलपान करके थोडा विश्राम किया।नर्मदे हर!
अब शुरू हो गयी तीव्र उतार न गिरते,न फिसलते उतरने की कड़ी परीक्षा।आधार के लिये मेरा हाथ पिपलूने,सरोज का हाथ कान्हाने और कस्तुरी का हाथ मांगिलालने पकडके बहुत सम्हलके हमें उतारने लगे।मुखसे सिर्फ मैया मैया,मोरया,मोरया का जाप,नज़र पैरोंपर रखकर धीरे धीरे उतर रहे थे।सिरपर धूप मैं मैं बोल रही थी,अखेर उतर गये।नर्मदे हर!सामने बह रही थी शीतल झरकन नदीमैया।
मैया! पादस्पर्शम क्षमस्व मे,जलमे पैर डालने के पहले उसकी क्षमा मांगते जलसे नेत्र स्पर्श किया।झरकन मैया पार करते ही हम अपने महाराष्ट्रमे आ गये।
पुरूषमंडली स्नान करनेमे व्यस्त हो गये हमने मुखप्रक्षालन करके हाथ-पैर धो लिये।थकी-मांदी तनु मैया स्पर्श पा कर सारी थकान भूल गयी।नर्मदे हर!साडेतीन से चार आधा घंटा रिलॅक्स होकर हम पुनः महाराष्ट्र के पर्वतारोहणको तैयार हुए।पहाड चढकर माथेपर महाराष्ट्रके भादलमे श्री कालुराम वर्मा के चंद्रमौली घर पहुँचे।सहर्ष स्वागत हुआ।आंगनमे आसन लगाया।शुलपाणिकी झाडी ये क्या चीज है इसकी जाणीव हो रही है।कल का दिन और भी कठीण रहनेवाला है,मगर इस दर्शन अनुभव के लिये ही तो ये सारा अट्टाहास किया है।नर्मदे हर!
काळुराम वर्मा यहॉं ऐसे दुर्गम स्थानपर रहकर,बडे कष्टमय जीवन बिताते भी वो और उनका परिवार हसते हसते प्रत्येक परिक्रमावासीकी सेवा करनेमे जुटा रहता है।एखाद परिक्रमावासी अगर बिमार हो गया या जख़मी हुआ तो हो सके उतनी सेवा करके उसको अपने सुलक्षणी चेतक जैसे सफेद घोडेपरसे इतनी कठीण पहाडोंको लांध के सेमलेट जैसे सुरक्षित स्थानपर पहुँचाते है।नर्मदे हर!
देने विश्राम थकेमांदे जीवोंको बनायि तुमने ये रात प्रतापी थोर मैया! खिचडी का स्वादिष्ट भोजनप्रसाद इतने थकने के बावजूद हमारे बच्चोने बनायि,वो प्रसाद ग्रहण करके अब निंदियारानी की आराधना।नर्मदे हर! नर्मदे हर! नर्मदे हर!
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-63
चहारूपी इंधन भरून सकाळी सात वाजता विनोबा एक्सप्रेस पुढे निघाली.आज श्री व सौ करनाटकीनीही मदतनीस घेतले.भादलचा डोंगर उतरून झरकन मैया वळणा वळणाने तीन वेळा पार करून भाबरी येथे पोहोचलो तेव्हा सव्वा आठ वाजले होते.
पुन्हा डोंगर चढणे उतरणे सुरू.दहा वाजता धावडी येथे दिपक मालवीय यांच्या घरी चहाप्रसाद घेऊन खापरमाळचा कठीण माथा सर करायला सिद्ध झालो.नर्मदे हर!
कठीण चढाई उतराई केवळ पिपलूच्या मदतीमुळेच मला शक्य होत होती.फक्त सोळा वर्षांचा हा मुलगा माझा मोठा भाऊ किंवा वडील असल्या सारखा मला सांभाळून नेत होता.मोरया मोरया!मैया मैया! चा जप करत जीव मुठीत धरून आमची वाटचाल सुरू होती.
खापरमाळच्या माथ्यावर उन्नती नावांच्या मुलीने जलपान करवले,घरी चला रोटी खा असा आग्रह करत होती.किती दुरून पाण्याचा भरून घेऊन आली होती कोण जाणे.अगदी हसतमुखाने घरी बोलवत होती.माझ्या नातीचे नांव उन्नती आहे,आदिवासी पोषाख केला तर अगदी हिच्या सारखीच दिसेल नातीची फार आठवण आली हिला बघून.नर्मदे हर! तिथे जवळच एका ठिकाणी पैसे देऊन सदाव्रत मिळत होते पण स्वयंपाक करण्यात वेळ मोडला असता आणि अजून भमानाची मुख्य खतरनाक चढण-उतरण बाकी होती त्यामुळे भोजन न करता पुढे जाण्याचे ठरवले.
पुढे जाऊन पुन्हा एका टेकडीच्या माथ्यावर सौ पावराबाईंच्या घरी जलपान करून थोडी विश्रांती घेतली.आता मराठी भाषा सुरू झाली होती.खापरमाळचा उतार उतरून दोन वाजता खाकरीबाईंच्या घरी पुन्हा जलपान थोडी विश्रांती घेऊन सज्ज झालो सर्वात कठीण भमानाच्या चढाई उतराईला.नर्मदे हर!नर्मदामैया की जय!
जेमतेम एक माणूस चालू शकेल अशा मुरबाड पायवाटेवर पिपलू माझा हात धरून पुढे पाऊल टाकत होता आणि मी त्याच्या मागुन अगदी जपून पाऊल टाकत होते पिपलूत मला साक्षात मैयाच दिसत होती,मला धीर देत सावकाश चालवत होती.
आणि आला तो भमानाचा प्रसिद्ध भयंकर तीव्र उतार.आमचे सर्व साथी पुढे गेले होते,मागे होते श्री व सौ जोशी,श्री व सौ कर्नाटकी,श्रीयुत फडणीस.खालच्या बाजुला संजयभाऊ हाताने काही खाणाखुणा करताना दिसले,वंदनाताई अगदी हळू खाली बसून घसरत घसरत उतर असे सांगत होते.कोणीतरी पडले होते,काही समजत नव्हते मला चक्कर आल्या सारखे होत होते,भयंकर तहान लागून घसा कोरडा पडला होता.पिपलू म्हणाला,बहुतेक सरोज माताजी पडल्या आहेत.बाप रे!मैया!पहाडाच्या टोकावर माझे पाय जणू एकाच ठिकाणी रूतले आहेत असे वाटले.खाली सरोज बसली होती आणखी एक बाबा बसले होते.संजयभाऊ उभे होते हातानी खाणाखुणा करून हळू उतरायला सांगत होते.कान्हा आणि राजमलही बसलेले होते.मिलिंद,कस्तुरी,प्रकाश,मांगिलाल कुठेही दिसत नव्हते.काय झालं आहे हेच समजत नव्हतं.साईसिंग पुन्हा चढून वर येत होता आम्हाला आधार द्यायला.नर्मदे हर!
मावळत्या दिनकराचे सोनेरी किरण पडून तो भयंकर उतार वणवा लागलेल्या जंगला सारखा भासत होता पिवळा धमक केशरी.इतका भयानक सूर्य यापुर्वी कधिही वाटला नव्हता.डोंगराच्या त्या टोकावर मी मटकन खाली बसले नर्मदे हर!
माताजी माताजी!पिपलू आणि साई मला हाक मारीत होते.दोघानी दोन्ही कडून मला धरले होते.थोडे बसून घसरत घसरत काही पावले टाकत आम्ही खाली उतरलो.सरोजला काहीही झाले नव्हते ती पडली नव्हती नर्मदे हर!पण खामगांवचे रत्नाकर श्रीराम बाहेकर हे पडले होते,त्यांचे दोन्ही पाय सोलवटून निघाले होते.राजमलच्या रूपाने मैया धावली होती आणि तिने दरीत कोसळण्या आधीच धरून सावरले होते,वाचवले होते नर्मदे हर! राजमलला ही त्या गडबडीत लागले होते.माझ्या जवळ ड्रेसिंगचे सामान होते थरथरत्या हाताने ते सॅकमधून काढून मी त्यांच्या जखमा स्वच्छ करून औषध लावले.मैयाची मोठीच कृपा कुठेही फ्रॅक्चर नव्हते.नर्मदे हर!
थोडावेळ सगळेच शांत बसलो घोट घोट पाणी प्यायलो.मागुन आलेल्या कर्नाटकी,फडणीस यांनाही बसून घसरत उतरायला सांगितलं ते सुखरूप उतरले.जोशीही आले त्यांना त्यांच्या सॅक आधी खाली फेकून मग बसत बसत घसरत उतरायला सांगितलं त्यानीही तसच केलं.अशा प्रकारे सर्वजण भयंकर दिव्यातून मैया कृपेने सुखरूप बाहेर पडलो.नर्मदे हर! नर्मदे हर!
अजून थोडे उतरले की भमाना हे मुक्कामाचे ठिकाण येणार होते.हत्ती गेला होता फक्त शेपूट राहिले होते.पुन्हा चालायला सुरवात केली बाहेकर काकाही न घाबरता न बाऊ करता चालू लागले.नर्मदे हर!
तहानेने जीव व्याकुळ झाला होता.खाली एक नदी मैया झुळ झुळ वाहत असलेली दिसली,म्हणत होती,ये ग माझी बाय ती!पाणी पी,शांत हो.केलेत तुम्ही मोठे दिव्य पार माझ्या लेकरांनो.आलंच तुमचं मुक्कामाचं ठिकाण.मनोमन तिला वंदन करून ती अखेरची उतरण उतरलो.नदीमैयाच्या किनारी आलो जलस्पर्श करून तिला नमस्कार केला.ती होती दोन दिवसा पासून मधे मधे भेटत असलेली झरकनमैया.अगदी मनसोक्त जलामृत प्राशन केलं,ताजेतवाने झालो.नर्मदे हर!मिलिंदजी कस्तुरीताई मांगिलाल प्रकाश यांची भेट झाली ते वाटच बघत होते.झाला प्रकार त्यांना सांगितला.नर्मदे हर!
दरड चढून वर आलो थोडे चालल्यावर एक झोपडी आली पण तिथे निवास व्यवस्था होऊ शकली नाही पुढे जाणे भाग होते.तुरीच्या शेतातून वाट काढत चाललो होतो आणि एकदम युरेका!युरेका!असे ओरडावेसे वाटले,समोर चक्क रस्ता होता.आले भमाना.पायाना एकदम डेक्कनक्वीनचा वेग आला पाचच मिनिटात पोहोचलो मुक्कामाच्या ठिकाणी श्री देवला पावरा यांच्या घरी नर्मदे हर!
सुंदर चंद्रमौळी घर.आजुबाजुला तुरीचे,मक्याचे शेत.पिवळ्या फुलानी बहरलेल्या तुरीच्या मधे मधे राणी कलरची नीळसर जांभळी अंबाडीची बोंडे,सोनेरी मक्याचे तुरे,पार्श्वभागी डोंगर उतारावर हिरवेगार घनदाट सागाचे जंगल.भगवंताचीच चित्रकारी ती,तिच्या सौंदर्याला तोड नाही.नर्मदे हर!
देवलाचे आई वडील हजार वीरसेन पावरा आणि सौ सुमली हजार पावरा म्हणजे मुर्तिमंत सेवाभाव.रात्री सुंदर ओल्या चवळी तुरीच्या दाण्यांची उसळ आणि बाजरीची भाकरी.वा!वा! क्या बात है!नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-64
सुबह चाय लेके साडेसात बजे आगे चलने लगे।कच्चा ही सही मगर अच्छा रास्ता होने से चलनेमे आसानि थी।घाट था इसलिये चढाई-उतराई थी मगर दमछाक नही थी।दूरवर मैया सरदार सरोवर के बॅकवॉटरसे दर्शन दे रही थी बिच बिचमे।वह घनश्यामल रूप जैसे बता रहे हो की जीवनप्रवाहको बंधन तो होंगे ही,कुछ रूकावटे तो आएंगी ही मगर हमने रूकना नही है,परोपकार करते रहना है।परोपकारार्थ सतां विभूतयः।
सव्वा नौ बजे आया सावरियागांव,गांव के बच्चोंने दिया थंड जलामृत प्राशन करके बिस्किट,वेफर्स ऐसा कुछ खाकर आगे बढ़े।बहुत बडा घाट सहजतासे उतरकर आ गये उदय नदी मैया के किनारे।पाद स्पर्शम क्षमस्व मे कहकर उसकी क्षमा मांगकर आंखोंको जलस्पर्श करके मैया पार कर ली।मनमें विचार आया,अभी तक इस रास्तेपर छोटे से छोटे नालेपर भी पुल बांधे मिले फिर इतनी बडी नदीमैयापर पुल कैसे नही? फिर थोडी देर चलने के बाद एक मोडपर मुडतेही पुनः उदय मैया सामने आ गयी।वहॉं उसपर बहुत बडा ऊंचा पुल बांधनेका काम चल रहा है।पीलर खडे हो गये है।सरदार सरोवरका काम पुर्ण होकर दरवाजे लगने के बाद इस पुल के नीचे सिर्फ पांच मीटरपर पानी रहनेवाला है।नर्मदे हर!
उदयमैया पार करके बूट पहनने बैठे थे तब वहॉ ये रास्ता बनानेवाले कॉंट्रॅक्टर,हमारे नाशिकके श्री बाबुलाल पवार मिले।उन्होने बताया की रास्ता नंदुरबार,धडगांव से भादल तक महाराष्ट्र सरकार और मध्यप्रदेश के बडवानी से भादलतक मध्यप्रदेश सरकार केंद्रीय रस्ता बांधणी विभागतर्फे जयस्वाल कंपनी बांध रही है।कठीण परिस्थिती मे जीवन बसर करनेवाले आदिवासीओंकी प्रगती के लिये यह काम प्रधानमंत्री ग्रामसडक योजना के सहकार्यसे ये काम हो रहा है।इस तरह महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश इस दुर्गम विभागसे भी एक दुसरेसे जुड़ जाएंगे।परिक्रमावासी आसानीसे शुलपाणि की झाडी पार कर सकेंगे।सर्व प्रभाग प्रगत हो जाएगा।आदिवासी प्रगत तो देश प्रगत।सिर्फ साल देढ साल दूर है प्रगतीसे ये सब शुलपाणिका परिसर।नर्मदे हर!
बहुत बडा घाट पार करके हम बिलगांव पहुँचे।उदय मैयापर का पुल पार करके आश्रमशालामे गये तब बारा बजे थे।आज रविवार है स्कूलको छुट्टी होने के कारण भोजन दस बजेही हो गया था,बची हुई सारी रोटी हमारे पहले पहुँचे मध्यप्रदेशी परिक्रमावासी ले गये थे।हमारे लिये कुछ नही बचा था।नर्मदे हर!
वेफर्स,बिस्किट खाकर आगे चल पडे।बिलगांव के लोगोंमे परिक्रमावासीओं प्रति आस्था नही है ऐसे ध्यानमें आया।सरपंच के घर तो पानी देनेसे भी इन्कार आया।नर्मदे हर!
चिखली के बाद बोरी गांवमे साईसिंग पावराजी के आंगनमे बैठे।जलपान किया।बाहेकर काकाजी के पास चिनी-चायपत्ती थी,चाय बनवा लिया।नर्मदे हर!
गुडानसापडा के बाद पुनः घाट शुरू हो गया।दो बजे थे,धूप कड़ी हो गयी थी।धडगांव से बिलगांव जानेवाली बस हमे देखकर रूकी।कंडक्टर राजेंद्र पवार(शहादा) और ड्रायव्हर दिपक चरजे(यवतमाळ) ने हमारी पुछताछ की,अपने पासके जारसे थंडा पानी पिलाया।बोले आपको देखके हमे भी लगने लगा है की नर्मदा परिक्रमा करें।नर्मदे हर!
घाट चढने के बाद आया खर्डीगांव।चलते हम देख रहे थे,टेम्पो ट्रॅक्समे ठुस ठुस कर भरकर,टॉप पर बैठकर,दरवाजेसे लटक कर जान जोखिम मे डालकर लोग सफर करते है और आरामदायि सरकारी बस बहुतांशी खाली दौडती है।क्युं?
खर्डीसे बहुत बडे माळरान(पठार)से रास्ता जा रहा था।कल था खप्परमाळ आज है टप्परमाळ।अब घाट उतरना शुरू हुआ।दाहिनी ओर उदयमैया साथ दे रही थी,स्वच्छ प्रदुषण विरहीत जलप्रवाह।नर्मदे हर!
अखेर ठिकाणा आ गया,राजबर्डी।आश्रमशालामे आसन लगाया।आज दो तीन दिन बाद डॉक्युमेंटरी करनेवाले देवा और कुणाल पाटील मिलें खप्परमाळ और भमानामे शुटींग करना उनको भी मुमकीन न हो सका था।
आश्रमशाला के मुख्याध्यापक श्री के एन पटेलजीने अच्छी व्यवस्था कर दी।स्नान कपडे भोजनपानी सब बढ़िया तरीकेसे हुआ।नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-65
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा शुलपाणि झाडी के बाद राजबर्डी के आगे-भाग-65-सुबह सव्वा छे बजे राजबर्डीकी आश्रमशालासे आगे प्रस्थान किया.शेलकुवाँ,तेलखेडी,चिखलीफाटा के आगे श्री.धनाजी मीरसिंग पावराजीने नर्मदे हर कहके घर बुलाया,सुंदर स्वच्छ आंगनमें बैठक बिछायी,हम सब लोग बैठे.प्रथम जलपान और बादमें चायपान करवाया.सुंदर खेती,पेडपौधे,गायबैल और प्यारे बच्चे ऐसा बडा प्यारा परिवार है धनाजी पावराजी का सेवाभावी परिवार.आठ बजे आगे चल दिये.अब धडगांव पासही था.एक नदीमैया के किनारे मंदिर और आश्रम था वहॉं परिक्रमावासी रूक सकते है.हम लोग पुलसे धडगांवमें पहुँचे.बसस्टॅन्डमे हॉटेलमे नास्ता करके हमारे झाडीमे मददगार बच्चे मांगिलाल,प्रकाश,कान्हा,पिपलू और राजमल को अलविदा कर दिया.अब वे बससे शहादा खेतिया होते बोरखेडी जाएंगे.उनका शुक्रिया कैसे अदा करे?वो नही होते तो शुलपाणिकी झाडीका कठीणतम सफर तय करना हमारेलिये नामुमकीन था.मैया!खुश रखना सबको.
धडगांव तालुका है महाराष्ट्रके नंदुरबार डिस्ट्रीकका.बडी बाजारपेठ है.बाजारसे गुजर रहे थे,एक दुकानदार मैयाने तौरबाई देविदास नवेजने पुकारा,नर्मदे हर!उन्होने भाजीवडा और चायपान करवाया.और उनके घर लेके गयी.कबीरपंथी लोग है.थोडी देर विश्राम करके हम आगे निकल पडे.मगर कड़ी धूप के कारण चलना मुश्कील था,वैसे भी शुलपाणिके सारे दिन बडेही कठीण गुजरे थे इसलिये आज धडगांवमेंही रहनेका तय किया.बाजारसे आतेहुए नर्मदा कोल्ड्रींक वाले सोनावणेजीने बताया था की पाटीलबाबा चौकमें श्री.सोमनाथ परमारजीकी मसालोंकी दुकान है वह परिक्रमावासीं को सेवा देते है.नर्मदे हर! गये उनके दुकानमे.सहर्ष स्वागत हुआ.चायपान हुआ.थोडी देर बाद उन्होने एक लडका हमारे साथ भेजा और हम उनके घर पहुँचे.बडा प्रशस्त घर है.स्नान कपडे धोना किया.शामकी पुजा आरतीमें घरके सदस्यभी शामील हुए.बादमे खीरपुरी,दालचावल,पापड अचार स्वादिष्ट भोजनप्रसाद घरमेही भोजन कर रहे है ऐसा लग रहा था,महाराष्ट्रीय भोजनका स्वादही अनोखा.नर्मदे हर!अब निद्रादेवी की आराधना.जय हो मैयाकी. सौ.वंदना परांजपे. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 66
आज एकादशी है.स्नान पुजा आरती के बाद चाय लेके सोमनाथ परमार परिवारको नर्मदे हर करके विनोबा एक्सप्रेस को ग्रीन सिग्नल दिया.हरणखोरी,भुजगांव के बाद सुरवाणी गांवमें श्री.मोतीराम छगन गौडजीने घर बुलाया और चलते चलते प्रथम किसीने बुलाया तो ना नही कहते,अगर ना बोला तो समझ लेना मैया आपकी कड़ी परिक्षा लेगी ही लेगी तरस जाओगे चायपानी खानेको मिलना मुश्कील.नर्मदे हर! मोतीरामभाऊ के घर चायपान करके आगे चल दिये.मोतीरामभाऊ के घर परिक्रमावासीओं के लिये निवासव्यवस्था है.मोठी(बडी)सुरवाणी,खांडबारा,कुंडला,खुंटामोडी श्री.बामण्याने जलपान करवाया.साडेबारा बजे थे धूप बहुत कड़ी हो गयी थी भांग्रापाणी गांव,एक घरके आंगनके छॉंवमें बैठने गये,घर था भांग्राबाबा और दुर्वीबाईका.फरियाली चिवडा खाया माईने थंडापानी दिया.एक घंटा विश्राम करके आगे निकले.काठी गांवमें सौ.विमलाबाई अंतरसिंग पाडवीके घरमे चाय लेके आगे.धूप इतनी थी मानो सुरज आग उगल रहा है,खानदेशमेंसे जो चल रहे थे.रास्तेमें वीरसिंगने थंडा पानी देके प्याससे राहत दे दी.आगे मालपाडा के बाद निंबीपाडामें रतन टाटा काजू प्रक्रिया केंद्र और रोषा एक सुगंधी घाससे तेल निकालनेका कारखाना है,ये तेल वेदनाशामक होता है,व्हेरीकोझ व्हेन की बिमारीमें काम आता है.बहुत मेहंगा है 200रू.1ml इतना मेहंगा.नर्मदे हर!मोलगी चौरस्ता से मोलगी.पिछली परिक्रमामें हम अक्कलकुवामें फॉरेस्ट रेस्टहाऊसमे रूके थे वहॉके फॉरेस्ट ऑफिसर श्री.रहासे साहेब थे उनका घर मोलगीमें था और आज हम वही जानेवाले थे.मोलगीमे रहासेभाभी हमको लेने नाकेपर आयी थी हम उनके घर गये.बरामदेमें बैठे,भाभी चार ग्लासमें पानी लेके आयी हम तीन बहने देखके बोली,आपके साथकी चौथी मैया कहॉं गयी?चौथी मैया?हम तीनही है तो बोली,नही ना मैने नाकेपर देखा आपके साथ सफेद साडी पहनी मैया थी.हम तो साडी नही पहनते.अब क्या बोले?नर्मदे हर! रातको मोलगी नर्मदा सेवा समिती के कार्यकर्ता श्री.भिला भगवान ढोले और मित्र मिलने आए.ये समिती गांवके हनुमान मंदिरमें परिक्रमावासीओंको सेवा देती है.नर्मदे हर!
आज रास्ता अच्छा था,घाट नही था मगर कड़ी धूप और तीस किमि चलनेसे बहुत थक गये थे.सायं प्रार्थना,भोजनप्रसाद के बाद विश्राम.नर्मदे हर!
सौ.वंदना परांजपे.
क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 67
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-मोलगी से वडफळी-भाग67-
रहासेसाब ने खुद चुल्हा जलाके स्नान केलिये पानी गरम कर दिया.स्नान पुजाआरती करके भाभीजीने दिया गरम गरम चायका पेट्रोल भरके हमारी पैरगाडी सुबह छे बजे आगे चलनेको तैयार हो गयी.नर्मदे हर! मोलगी चौरस्ता आके बांए तरफके रास्तेसे चलने लगे.रेटंबापाडा,बिजरीगव्हाण,एक नदीमैया पार करके शॉर्टकटसे सुरगसमें साईसिंगजीने चाय दिया.नर्मदे हर!सारा मार्ग घाटका है चढाई उतराई.पिंपळखुंटा ये गांव तंटामुक्त राज्यपाल पारितोषिक प्राप्त गांव है,सरपंच निर्मला राऊत है.विश्रामकेलिये रूके थे तब चार मराठी परिक्रमावासी आ गये,एक भाऊके पैरमें बडी मोच आयी थी और नीजॉइंटमे बहुत सुजन थी,किसीने उनको मेरे बारेमें बताया था,हमको बैठा देखकर उन्होने हमसेही मेरे बारेमें पुछा.मैने पैर देखा मेरी राय थी उन्होने इस हालतमें चलना नही चाहिये रेस्ट जरूरी है.मेरे पास ज्यादा कुछ दवा नही थी इसलिये उनको गांवके प्राथमिक आरोग्यकेंद्रमे भेजा.और हम आगे चलने लगे.नर्मदे हर!केलिपाडा गांवके पहले उस गांवके स्कूलटीचर श्री.आदम शेख मिले,उन्होने कहा हमारे स्कूलके बाजूसे वडफळी जानेका शॉर्टकट है,आप स्कूलमे भोजन करो विश्राम करके आगे जाना.भोजनका समय था,आज हमने नास्ताभी नही किया था भूकभी लगी थी,तो हम उनके पिछे घाट उतरकर स्कूलमें गये.आसपास जंगल और बिचमें छोटासा स्कूल था.वहॉं श्री.कैलास टेकाटे हेडमास्टर थे.वह शेगांव भंडारा डिस्ट्रीक के रहनेवाले थे तो आदम शेख सोलापुर डिस्ट्रीकके.किसीने सच कहा है पेट केलिये घुमते घुमते घोर जंगलमेभी जाना पडता है.नर्मदे हर.प्रथम पानी,चायबिस्किट बादमे दालचावलका भोजनप्रसाद लेकर दो बजे हम बडे बडे पत्थर पेडके सुखे पत्तोंसे भरे उस शॉर्टकटसे आगे चल पडे.रास्ता भयानक था,मैया!कुछ करो!पुकारा मैया को.वह तो हमेशा तैयारही रहती है अपने साथ बस,पुकारनेकी देरी है,मदत हाजीर.सामने एक टेकरीपरसे किसनने पुकारा मैयाजी उपर आओ मै रास्ता दिखाता हूँ.नर्मदे हर!जय हो मैयाकी!गये उसके पास उसने दुसरी पगदंडीसे एक नदीमैया पार करके दुसरी टेकरी एकेकका हाथ पकडके चढनेमें मदत करके बडे रास्तेपे पहुँचा दिया.नर्मदे हर! मोकस,जांभापाणी के बाद पांढरीमाती गांवके स्कूलमे आके बैठे.अब वडफळी चारपांच किमि रहा था.मै पहलीबार इस रास्तेसे आयी थी रहनेकी सुविधा क्या होगी मालूम नही था,मेरे पास मिलिंद शिरगोपिकरजीका मार्गदर्शक पत्रक था उसमें देखा तो डॉक्टर बि-हाडेजीका नाम मिल गया.नर्मदे हर! पांच बजे हम वडफळी पहुँचे. डॉक्टरसाबका घर नजदीकही था.नर्मदे हर!सहर्ष स्वागत किया डॉक्टरसाब और बहूने.छोटी आस्थाको तो तीन तीन आजी(नानी)मिलनेकी बहुत खुशी हो गयी.पानी भरपूर था अच्छेसे स्नान कपडेधोना हुआ.संध्यारतीके समय आस्थाका कन्या पुजन किया.बहूने घरके बैंगनसे भरवाँ बैगन,दाल चावल रोटी और खीर ऐसा स्वादिष्ट भोजनप्रसाद बनाया था.अंतरात्मा संतुष्ट हो गया.आजभी तीस किमि चलना हुआ है.अब निंदिया रानी जल्दी आ जाओ.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 68
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-वडफळी से झरवानी-भाग 68-
स्नान पुजारती के बाद चाय लेके डॉक्टर बि-हाडे,बहू और बेबी आस्थाको नर्मदे हर करके हमारी विनोबा एक्सप्रेस गुजराथ की तरफ चल पडी. थोडा आगे जानेके बाद दाहिनी तरफ एक आश्रम था बाहर आंगनमे परिक्रमावासी सोये थे इतनी थंडीमें बाहर सोना बहुत कठीण है.मैयाकी बड़ी कृपा है की हमको डॉ.बि-हाडेभाईसाब के घर आसन लगानेको मिला.नर्मदे हर!बायीं तरफ देवगंगामैया बह रही थी,स्वच्छ सुंदर निलजलधारा.अब दाहिनी तरफसे नये बन रहे कच्चे रास्तेसे चलना था.थोडी चढाई उतराईवाला जंगलसे गुजरता रास्ता एक किसानके चंद्रमौली घरके पास ले आया.खेतके बांधकी पगदंडीका रास्ता शॉर्टकट था इसलिये चलो पगदंडीसे.नर्मदे हर!देवगंगामैया के किनारे खडे रह गये.कलकल करती हसते नाचते गाते बहते जानेवाली मैया दोनो किनारोंपे घना जंगल थोडी दुरीपर दिखनेवाला माथासर पहाड किसी चित्रकारकी चित्रकृतिही लग रही थी.सिमेंटसे बने बंधारे जैसे रास्तेपर सॅक उतारके बैठे.जलस्पर्श करके देवगंगामैयाको नमन करके पादस्पर्शम क्षमस्व मे बोलते क्षमा याचना करके पैर पानीमें डालके बैठ गये.मुंह धोया पानी पिया,जलामृत था.और बैठनेका बहुत मन कर रहा था मगर आजका पल्लाभी बडा था इसलिये उठ खडे हुए.देवगंगामैया पार करके पिछे मुडके देखा अब उसपार था हमारा महाराष्ट्र और इसपार था गुजरात.कणजी,गुजरातराज्यका पहला गांव.सुबह के आठ बजे थे.चले चलो आगे रास्ता कच्चाही था.एक आश्रम था मगर दूर था इसलिये एक घरके आंगनमें बैठकर नास्ता किया पानी पिके आगे चलने लगे.बहुत खराब रास्तेसे एक छोटी चढाई पार करके एक नदीमैयाके किनारे पहुँचे शायद यह देवगंगामैयाही थी.उसपार दिख रही थी प्रसिद्ध माथासरकी खडी चढाई,सातपुडापर्वत.मैयाको प्रणाम करके पैर पानीमे डाले.फिसलनभरे पत्थरों परसे बांए हाथमें बूट,दाहिने हाथमे मुझे भक्कम आधार देनेवाली काठीमैया लेके खुदको संभलते मैया क्रॉस करके एक बडे पत्थरपर बैठ गये.बहुत सुंदर परिसर है.शहरकी दिखावटी सुंदरता नही,सृष्टीदेवताकी सच्ची सुंदरता.अब दस बज चुके थे,आगे चलना जरूरी था.धूप चढने लगी थी और चढाई आगे थी.चलो नर्मदे हर! थोडासा चढतेही थोडा रूको फिर आगे ऐसा करते करते माथासरमें विनू के घर आ गये,थंड जलपान करके उसको नर्मदे हर करके आगे चलना शुरू किया.इतने बडे बडे पत्थर देखके समझमें नही आ रहा था की रास्तेमें पत्थर है या पत्थरोंमे रास्ता?नरेंद्र मोदीजीं के विकसित गुजरात का विकास इस दुर्गम पहाडी इलाकेसे कोसों दूर था.नर्मदे हर! एक बहुत बड़ी चढाई चढके कपिलाबेन के चंद्रमौली घर आये तब दोपहरका एक बजा था.कपडे सुखाने डालके आरामसे बैठे,जलपान किया.कपिलाबेन टोकरीमें एक भाकरी लेके आयी और बोली,एकही रोटी है आपका पेट तो नही भरेगा मगर थोडासा आधार मिलेगा.बच्चोने खाया?मैने पुछा,तो बोली रोज स्कूलमें मिलता है मगर आज गुरूजी नही आये इसलिये नही मिला.कपिलाबेन हमने थोडीदेर पहलेही खाया था अब भूक नही है आप ये बच्चोंको देना.हमारे पास बिस्किट थे वो भी दिये.मैया! कितने बडे दिलवाले है आपके बच्चे अपनी गरिबीमें भी अतिथी देवो भव ये अपना भारतीय संस्कृतिका अनमोल उपहार देनेमें पिछे नही हटते.नर्मदे हर!कपिलाबेन और बच्चोंको टाटा बाय बाय करके पुनः चढाई करने चल पडे.हमारे पिछेसे कुछ मराठी परिक्रमाबंधू आ गये,श्री.अरविंद चव्हाण,श्री.इथापे और दुसरे दो तीन थे.आगे एक जगह नया मंदिर और आश्रम बन रहा था,वहॉंके महाराजने सब केलिये कालीमहारानी मतलब काली चाय बनायी.कडक मिठी चाय जिसकी हमको बहुत जरूरत थी,बहुत थक गये थे.तीन बजे थे.जलपान चायपान विश्राम करके आगे.नर्मदे हर!चार बजे एक जगह छगनने थंड जलपान करवाया.आगे बैठते उठते पांच बजे झरवाणीके स्कूलमें पहुँचे.सहपरिक्रमाबंधू पहलेही पहुंचकर भोजन प्रबंध करनेमें जुट गये थे.बोले,मैयाजी आप आराम करो हम बनाते है कुछ.नर्मदे हर! सामने पानीके नल थे हाथपैर धोके नित्यपाठ किया.खिचडी और हलवा भोजनप्रसाद लिया.आज थका देनेवाली तीस किमि चाल हो गयी थी.अब विश्रांति.नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 69
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-झरवाणी से गोराग्राम-भाग-69-यहॉं फोन को रेंज नही थी,रावसाहेब {मेरे पती} गोराग्राम आनेकेलिये कल रातको बसमें बैठे होंगे और सुबह आठ बजेतक गोराग्राममे हरिधाम आश्रम पहुचेंगे उनको फोन करना जरूरी था,और स्नान करनेकी कोई सुविधाभी नही थी इसलिये सुबह छे बजेही चलने लगे गांवमें पहुँचे तब भी अंधेराही था रास्ताभी ठीक नही था अंधेरेमें चलना मुश्कील हो रहा था.एक घरके आंगनमें थोडी देर रूक गये,नर्मदाष्टक वगैरे नित्यपाठ खडे खडे ही बोला और थोडा झुंजूमुंजू हो गया थोडा दिखने लगा तब आगे चलने लगे.सव्वासात बजे झरवाणी गांवके ग्रामपंचायत स्कूल वगैरेपास आये,श्री.सुखरामभाईजी ने चायपान करवाया,उन्होने अपने फोनसे फोन लगाया मगर नही लगा तो उनको नर्मदे हर करके हम आगे चलने लगे.थोडा आगे जानेके बाद रेंज मिली फोन किया रावसाहेब राजपिपला आकर अब गोराग्रामके बसमें बैठे थे.नर्मदे हर!सव्वाआठ बजे एक जगह बैठकर खाकरा खाया.आज डांबररोड है मगर सातपुडा पर्वतकी चढाई तो थी ही.हम सरदार सरोवरके परिसरमेंसे चल रहे थे,मैया हमारे दाहिनी ओर थोडी दुरीपरही थी मगर हमारी नजरोंसे ओझल.दो नदीमैया पुलसे पार करके दस बजे हम गोरा गांव कॉलनी पहुँचे,आज रास्ता अच्छा तो सिर्फ चार घंटेमें हम बीस किमि आ गये थे.नवीन शुलपाणेश्वर मंदिरका बाहरसे दर्शन लेके आगे निकले क्योंकी स्नान नही हुआ था.नर्मदे हर! हरीधाम आश्रममें रूम लेके स्वच्छता करके स्नान कपडे वगैरे खुदका सारा काम निपटाके रावसाहेब हमको लेने आये थे.टपरीपर चाय लेके हम आश्रममें आ गये.पिछली परिक्रमामेंभी हम यही रूके थे इसलिये पहचान थी.स्नान कपडे नित्यपाठ करके श्रीरामजीके दर्शन करके भारतीमाताजी को प्रणाम किया.भंडारीभाईजींकोभी मिलकर आ गये.हमारी रूमके बरामदेमें झुला था और सामने सुंदरमैयाके सुंदर दर्शन हो रहे थे.भोजनप्रसादके बाद विश्राम करके शामको शुलपाणेश्वरके दर्शन करने गये.एक टेकरीपर वृक्षराजी बागबगिचा और सुंदर संगमरवरी मंदिर बनाया है.कहते है पुराने मंदिरसे शिवपिंडी निकालकर लानेकी कोशीश की थी मगर नाकाम रहे इसलिये यहॉं नयीशिवपिंडी स्थापन की है.नर्मदे हर! सायंआरती के बाद हमने हमारा नित्यपाठ किया और भोजनकेबाद भारतीमाताजीने कुछ धार्मिक बाते बतायी सत्संगमे.उन्होने बताया,कर्मगती गहन होती है,जैसी करनी वैसी भरनी.उदाहरणार्थ एक कहानी बतायी भीष्मपितामहकी.जब वो शरशय्यापर पडे थे तब उन्होने भगवान कृष्णको पुछा,मुझे मेरे पिछले कुछ जनम याद है मैने कोई पाप नही कियाफिरभी मुझे ये शरशय्या क्यू?भगवान बोले,आपने आपके पंधरवे जनमके बचपनमें एक किडेको कांटा चुभाया था इसलिये आपको ये सजा मिली है.नर्मदे हर!पुर्वसंचित किसीको नही छोडता सबको भुगतनाही पडता है.अब कलसे मैयाके किनारेसे चलनेका आनंद मिलनेवाला है इसलिये अब विश्रांति.नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 70
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-गोराग्राम से गुवार-भाग-70-
मैया स्नान पुजारती के बाद चायपान के बाद रावसाहेब नाशिक केलिये रवाना हो गये और हम मैयाकिनारेसे चलने लगे.आनंद आश्रयमें स्फटीक शिवलिंग श्रीचंद्रमौलेश्वर के दर्शन किये और बडी बडी खाई उतरने चढने की मानसिक तैयारी करके आगे चलने लगे मगर अहो आश्चर्यम! कच्चा रस्ता था पिछली परिक्रमामे यहॉं बडी बडी खाई थी बारिशके दिनोंमे मैयाका बाढ गुस्सा इतना भयंकर था की सिमेंटका बना घाट तक उसने उखाड फेंके थे और रास्ताभी बहाके ले गयी थी मगर इस वर्ष कच्चाही सही मगर रास्ता तो था.नर्मदे हर! इंद्रवरणमे सौएक सिढियां चढके इंद्रेश्वरमहादेवजीके दर्शन किये.वहॉं आश्रमसदृश बिल्डींग थी पानीका पंपभी चल रहा था मगर कोई आदमी नही था.हमारे पास वेफर्स थे नास्ता करके पाईपसे मैयाजल प्राशन करके तरोताजा होकर नऊ बजे हम वापस वही सिढियां उतरकर मैया किनारेसे आगे चलने लगे.सामने उत्तरतटपर गरूडेश्वरका घाट और स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराजजीके समाधीमंदिरके शिखर दर्शन हो रहे थे.नानीरावल-गरूडेश्वर जोडनेवाले पुलके पाससे वॉंसला गांवके सुर्यमुखी हनुमान विश्वनाथ मंदिरमें दर्शन करके आश्रममें चायपान करके एक अवघड पगदंडीसी उतरण उतरके वापस मैयाकिनारे आ गये.नर्मदे हर!छोटी पगदंडी थोडी दलदल पार करते करते फुलवाडी कब पिछे छुट गया समझाही नही.और फिर शुरू हो गयी हमारी परिक्षा.थोडी देर फलीकी बेलोंसे,मकईके खेतोंसे चलते चलते एक जगह ऐसी आयी की कहॉंसे जाए समझ नही आ रहा था,मैया एकदम पाससे बह रही थी और बायी तरफ पानीसे भरा खेत चले तो कैसे?उपर एक छोटीसी मैयारानी बैठी थी,उसको बुलाया मगर आयी नही. आ जाओ,चॉकलेट दुंगी,नही?अच्छा दोचार चॉकलेट दुंगी,आओ ना मैया रूठो ना,ऐसी बहुत बिनती करनेके बाद वह दुडू दुडू आ गयी और मेरा हाथ पकडके बोली चलो,सिधा तो है रास्ता डरनेकी क्या बात है?और क्या कहूँ?वही थी पगदंडी हम देख नही सके थे.नर्मदे हर!अब सिधे चले जाना रास्ता मिल जाएगा मेरा हाथ छोडके मैया बोली.मैने उसकी एक मिठी पप्पी लेली और उसके हाथमे चॉकलेटस देके नाम पुछा,संगिता!बताके वो एकही क्षणमें भागके नजरोंसे कहॉं ओझल हो गयी समझाही नही.नर्मदे हर!
बाप रे!कितने बडे बडे पत्थर बीचमें छोटी पगदंडी दाहिनी ओर थोडी निचेसे बहती सुंदर निलश्यामल मैया,उसका संथ शांत गहरा रूप,उडते असंख्य रंगीबिरंगी छोटेबडे पंछी हमारी साथ कर रहे थे.नर्मदामें जितने कंकर उतने सब शंकर ऐसा कहते है और हमको उनपर पैर रखकर चलना पड रहा था.मन ही मन उनकी क्षमा मांगते नजर पैरोंतले रखते हम बहुत सावधानीसे चल रहे थे मगर मनमें लवमात्रभी भय नही था. एक जगह तो ऐसा लगा की आगे रास्ताही नही है.मगर एक मोडपर मुडने के बाद देखा,सामने हरियालीका कालिन बिछाया है और बिचमेंसे लाल पगदंडी.सारे श्रम एकही क्षणमें छुमंतर हो गये.आगे गुलाबी बनफुलोंकी क्यारियाँ और उनमेंसे जाती पगदंडी.निचे एक नदीमैया नर्मदामैयामें विलिन हो रही थी.और अहो भाग्यम!किनारेपर बैठी मगर मैने देखी,मैयाका वाहन भूरे रंगकी मगर थी,मैने सबको बुलाया,सबने देखा प्रणाम किया.वह चलके मैयामें गयी और वापस उपर आयी,फिर अंदर गयी.संगमके पास हमने उस नदीमैयाको प्रणाम करके पदस्पर्श केलिये उसकी क्षमा मांग ली और जलमें पैर डाले,रेतका स्पर्श अलगही था एकदम सॉफ्ट मिट्टी थी.नर्मदे हर!पानी बहुत कम था सहज पार करके हम घाटके सिढियोंके पास आये.पचासएक सिढी चढके हम योगानंद आश्रममें पहुँचे.व्यवस्थापक श्री.हसमुखभाई म्हैसुरीलालजीने सहर्ष स्वागत किया.रसोईघरमें हमारे लिये पाकसिद्धी शुरू हो गयी.हसमुखभाईजी को राजपिपला जाना था इसलिये उन्होने प्रथम हमारे डायरीमें सील लगवाया रजिस्टरमें हमारे आनेकी नोंद कर दी.फिर हमको उत्तरेश्वर महादेवजीके दर्शन करवाये.यहॉंसे कुंभेश्वर तक मैया उत्तरवाहिनी है.हमने अभी जो मैया पार की थी उसका नाम है अनड या किडीमकौडी.इस संगमके पास पांडवोंने यज्ञ किया था,उसके जलमें अभिभी यज्ञरक्षा है इसलियेही हमको उसका स्पर्श अलग लगा था.उस रक्षाको शरीरपर लगाके स्नान करनेसे त्वचारोग ठीक होते है. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 71
योगानंदआश्रम से गुवार-उत्तरेश्वर मंदिरमें सुंदर फुलोंसे सजायी शिवपिंडी,पार्वतीमाताके दर्शन हुए.वहॉं ॐपर्वत,कैलासपर्वत के फोटो है.और एक अज्ञात महात्माका फोटो है उनके मस्तकमेंसे एक प्रकाश शलाका निकल रही थी.एक हजारवर्षसेभी ज्यादा आयुवाले ये महात्मा हिमालयके दुर्गम प्रदेशमें आजभी बैठे हुए है,एक व्यावसायिक फोटोग्राफरने बडे झूमवाले कॅमेरेसे ये फोटो खिंचा है.ॐका और कैलासका फोटो हसमुखभाईजींने खिचे है.उन्होने बहुतेक सारा हिमालय देखा है.हर श्रावणमासमें वह केदारनाथमें रहते है.उन्होने बताया गुवारके तपोवन आश्रमके खिडकीके देव मतलब पुर्णानंदस्वामी सिर्फ गुरूवार और पुर्णिमाके दिन अपने रूमसे बाहर आते है.बाकी दिन रातको अपने रूमके खिडकीसे दर्शन देते है और लोगोंसे बोलते है.अहो भाग्य हमारे आज गुरूवार है.नर्मदे हर!भोजनप्रसादके बाद विश्राम करके चाय लेके हम चार बजे आगे निकल पडे.अब मैयाकिनारा नही था रास्तेसे जाना है.मांगरोल के बाद पांच बजे गुवारगांवमें तपोवन आश्रम पहुँचे.नर्मदे हर!
तपोवन आश्रम बहुत सुंदर वृक्षराजी बागबगिचासे सुशोभित है.आसन लगाया.
आजके गुरूवारकी पालखी केलिये महाराष्ट्रके औरंगाबाद,परभणी,हिंगोली डिस्ट्रिकसे बहुत भक्त आये थे.स्वामी पुर्णानंद महाराजजींने एक ज्योतिर्लिंग औंढ्या नागनाथ क्षेत्रमें तपश्चर्या की है.बादमें वह नर्मदा परिक्रमा करते इस स्थानपर आये तब यहॉं उनको बरगद नीम और पिपल ये तीन वृक्ष एकही जगह मिले और बाजूमेंही मूलसेही तीन टहनीवाला औदुंबरवृक्षभी है जिसके तले दत्तभगवानका निवास होता है.परिक्रमा पुर्तिके बाद महाराज इस स्थानपर आके पर्णकुटी बनाके निवास करने लगे.अब उस जगहही आजका भव्य तपोवन आश्रम है.नर्मदे हर!
रातको सब लोग इकठ्ठा हो गये.यथावकाश पहले चांदीकी पालखी और पिछेसे स्वयं श्रीश्री पुर्णानंदस्वामीजी बाहर आ गये.प्रसन्न तेजस्वी वृद्धमुर्ती है स्वामीजी.प्रथम साईनाथ पुजन,देववृक्ष पुजन,औदुंबर पुजन करके स्वामीजी अपने निवासस्थानमें गये.सब लोग हॉलमें बैठे.भजनगान होने केबाद स्वामीजी बाहर आके आसनस्थ हो गये.एकेक जाके प्रणाम करता स्वामी उसको प्रसाद देते.हमारे पुर्वपुण्यसे ये नयन मनोहर कार्यक्रम हमें देखनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ.आजका गुरूवार हमारे जीवनमें सुवर्ण अक्षरोंसे लिखने जैसाही है.नर्मदे हर! वंदना परांजपे. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-72
॥नर्मदे हर॥ नर्मदा परिक्रमा-कुंभेश्वर से नरखेडी-भाग-72-
रामपरा अनड+मैया संगम उत्तरेश्वर योगानंद आश्रमसे यहॉं कुंभेश्वर तक नर्मदामैया उत्तरवाहिनी है,कुंभेश्वर क्षेत्रमें ब्रम्हदेव,विष्णू,इंद्र,कुबेर,वरूण,यमराज,शनिमहाराज,मार्कंडेयऋषि इत्यादि देवऋषिओंने तपस्या की है.ये स्थान सात कल्पवर्ष पुर्वसे विद्यमान है.कुंभेश्वरलिंग ज्योतिर्लिंग समक्ष है.काशीक्षेत्रमें एक लाख वर्ष वास्तव्य और कुंभेश्वरमें एकबार नर्मदास्नान एक समान है.यहॉं शनिमहाराज का अपनी दो रानी मोटी पनोती और छोटी पनोती के साथ वास्तव्य है.आज शनिवार है इसलिये अरूणोदय होतेही हम मैया स्नान करने गये.घाटकी पचीचतीस सिढ़िया उतरने के बाद और थोडा आगे जाके स्नान करना पडता है.कुछ लोग स्नान के बाद अपने पहने गिले कपडे यही छोड जाते है उनका मानना है की ऐसे करनेसे अपने पिछे लगी पनवती यही छूट जाती है.मगर इस अंधविश्वासी गंदी प्रथासे यहॉं गंदे कपडोंके मानो छोटे छोटे पहाडसे बन गये है,जलप्रदूषण हो रहा है.रवि उसकी पत्नी जागृति और अन्य गांववाले इस प्रथाको मिटाने केलिये जी तोड मेहनत कर रहे है पानीसे कपडे अन्य गंदगी बाहर निकालनेकी कोशीश जारी है मगर अंध विश्वासी लोगोंके आगे उनकी मेहनत कम पडती है.इसके लिये सरकारकोभी उपाय योजना करनी चाहिये.नर्मदे हर! स्नान के बाट घाटपर मैयाकी पुजारती करके भगवान कुंभेश्वर,शनिमहाराज,देवी मोटी छोटी पनोती,कालभैरव,श्रीयंत्र दर्शन करके जागृतिने दिया चाय लेके आगे प्रस्थान किया.नर्मदे हर!
निचे आतेही दाहिने बाजुके नर्मदा आश्रमके महाराजने पुकारा और रहनेका आग्रह करने लगे,माताजी बोली,मराठी लोग परिक्रमा नही करते सिर्फ दौडते दौडते परिभ्रमण करते है,शनिवारको कुंभेश्वरमें रहना चाहिये.नर्मदे हर!हमने चायपान केबाद आगे जानाही उचित समझा और हमारी विनोबा एक्सप्रेसको हरी झंडी दिखायि.नर्मदे हर!
साडेनऊ बजे जिओरपाटीसे केलेके बगिचे,कपास,तुवर के खेतोंमेसे शॉर्टकटसे कोठारा वहॉंसेभी ऐसेही शॉर्टकटसे साडेग्यारह बजे कंचनबन आश्रम पहुँचे.स्थानिक लोग इसे दिल्लीवालेका आश्रम बोलते है.बहुत सुंदर आश्रम है.विद्यासागर महाराज उच्च विद्याविभूषित तरूण है.
स्वच्छ बाथरूम सोलरका गरम पानी देखकर फिरसे सचैल स्नान किया,अच्छेसे साबून लगाकर कपडे धोकर नील-टिनोपॉलमे डालके कपडोंको चकाचक करके धूपमे सुखाने डाल दिये.तबतक भोजनप्रसादका समय हो गया.स्वादिष्ट भोजनके साथ देशी गायके दूधसे बने दही और छास भरपूर मज़ा आया.नर्मदे हर! तीन बजे आगे प्रस्थान.हनुमंतेश्वर दर्शन.सुंदर मंदिर,मोरल+मैया संगम सुंदर घाट है.यहॉं हनुमानजींने तपस्या की है.सामनेका रास्ता अक्षरधाम मंदिर जाता है मगर हमने घाट उतरके मैया किनारेसे जाना पसंद किया.संगमके बाद थोडी देर चलने के बाद मैया बहुत दूर कुबेर भंडारी चांदोद ओरसंग+मैया+गुप्त सरस्वती त्रिवेणी संगम दिखती है मगर इधर दक्षिण तटपर बिलकूलही पानी नही है.रेतमे रास्ता बनाया है जीप गाडी चलती है पोयचा से चांदोद.साडेचार बजे पोईचा पहुँचे मगर न रूकते आगे चलने लगे.चलते चलते बडे बडे ऍपलबेर के पेड दिखे सुंदर हरे छोटे सेब इतने बडे ताजे मिठे बेर बहुत अच्छे थे.नर्मदे हर!राजपिपला से चांदोद को जोडनेवाले पुलके पाससे नरखेडी जानेवाले कच्चे रास्तेके पास एक फॉर्म हाऊसमें फ्रीजका थंडा पानी पिया और उधर जानेवाली कुछ महिलाओंके साथ शामके साडे छे बजे रामदेवबाबाधाम आश्रम पहुँचे.फ्रेश होके नित्यपाठ के बाद रोटीसब्जी का भोजनप्रसाद लेके अब विश्राम.नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-73
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-नरखेडी से कांदरोज-भाग-73-स्नान नित्यपाठ करके हमने आज साडेपांच बजे आगे चलने लगे.आश्रमके बांईतरफसे जाना है ये कलही मालूम कर लिया था.नर्मदे हर!रूंडगांव के बाद आयी करझन मैया.आज चलते चलते महाराष्ट्रके परिक्रमावासी मिल गये मध्यप्रदेशके भी मिले थे.हम पंधराबीस लोग करझनमैया कैसे,कहॉंसे पार करें सोच रहे थे.एक भाईसाब आगे गये पैर डाला और वो एकदमसे क़िचडमें घुटनेके उपरतक ध़स गया,मैया!डर गये.फिर काठीका आधार देके बाहर खिंच लिया.सब बैठ गये.कोई दिखायी नही दे रहा था.नर्मदे हर!नर्मदे हर!नर्मदे हर!मैया!किसीको तो भेजो रास्ता दिखाने,कैसे पार करे ये करझन मैया? और एक कुत्ता आया.हमारे सामने खडा रहा टुकूर टुकूर देखता,और फिर थोडा आगे जाके मुडके हमारी तरफ देखके करझनमैया पार करके उपर जाके बैठ गया नर्मदे हर!सबने जयजयकार किया और उठ खडे हो गये.जहॉंसे कुत्तेने पार किया वहीसे एक के पिछे एक पार होते गये मध्यप्रदेशवाले तो आगे निकलभी गये.हमको फिरभी डर लग रहा था और चार बच्चे आ गये.माताजी बाबाजी आपकी बॅग दे दो और हमारा हाथ पकडो हम लेके चलते है आपको,मैया!कितना करती हो अपने बच्चों केलिये.एकेकने हम चारोंके बॅग्ज लेके हमारा हाथ पकडा.चलो माताजी डरनेकी कुछ बातही नही.एक हाथमें बूट और काठी दुसरा हाथ अनिलके हाथमें पानी गहरा नही था घुटनेतकही था पैरोंके निचे कुछ पत्थर घास पेडकी टहनियां डालके बनाया मार्गथा.हो गये पार.नर्मदे हर!अनिल,सतीश,राजू और मंगेश नाम थे बच्चोंके.करझनमैया पार बैठ गये.बच्चोंके साथ बिस्कीट फरसाण का बालभोग लिया बाकी परिक्रमावासी निकल गये मगर हमारा मार्गदर्शक कुत्ता हमारेलिये रूका था.उसको बिस्किट खिलाये.और फिर बच्चोंको नर्मदे हर करके आगे चलने लगे.पाटणा में शिवलाल वसावाजीने जलपान करवाया.के बाद ओरी गांवमें केलेके बागमेंसे चलके कोटेश्वर मंदिर पहुँचे तब दोपहरके साडेबारा बजे थे.सुंदर मंदिर आश्रम है वहॉंकी माताजीनने भोजनप्रसादमे रोटी सब्जी और मिरचीका अचार परोसा मैने बोला अचार नही चाहिये मिरची तिखी होगी.माताजीने कहा,बिलकुल तिखी नही खाके देखो.सचमे बिलकुलही तिखा नही बहुतही स्वादिष्ट अचार था.विश्राम लेके दो बजे आगे चलना शुरू किया.सिसोदरा,भव्य प्रवेशद्वार है,सुंदर डेरेदार वृक्षतले बैठ गये क़ड़ी धूपसे राहत मिली.नर्मदे हर!किर्तनभाई पटेलजीने कैलासकी टपरीपर चाय दिया.भुपेंद्रभाई पटेल मुकुटेश्वर मंदिर लेकर गये.पुरातन मंदिर है.दर्शन लेके कांदरोज केलिये चलने लगे.अब सिर्फ चार किमि चलना था मगर धूप इतनी थी की लग रहा था चालीस किमि जाना है.एक छोटी नदीमैया पार करनेके बाद दाहिनी ओर कार्तिकेश्वर मंदिर और आश्रम था.आधा किमि चलतेही आगया मंदिर आश्रम.सेवेकरी लडकेने धर्मशाला दिखायी,वहॉं मध्यप्रदेशके बंधूलोगोंने आसन जमाया था और उनका धुम्रपानका साथ साथ जोरजोरसे बातोंका कार्यक्रम चल रहा था.वहॉं बैठनाभी हमारेलिये नामुमकीन था.हमने पेडके निचे बैठना पसंद किया,देखेंगे महाराजके दर्शनके बाद.नर्मदे हर!
आश्रमके महाराज कृष्णानंदजीके दर्शन हुए,उन्होने हमने मांगनेके पहलेही सेवकको हमारा सामान रूममें रखनेकी आज्ञा दे दी.नर्मदे हर.आश्रममें मामाजी पुजारी है,और भरतभाई व्यवस्थापक है.सुंदर पुरातन मंदिर निसर्गसंपन्न आश्रम परिसर है.सामने केलेका बड़ा बाग है.उत्तरतटपर सिनोर दिख रहा था.सोलर सिस्टिमसह सर्व सुविधायुक्त आश्रम है.संध्यारती नित्यपाठ भोजनप्रसादके बाद विश्राम.नर्मदे हर! वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 74
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-कांदरोज से भावपुरा-भाग-74-
महाराजने कल कहा था बालभोग लेके जाना,हमने जल्दी जाना है बोला था.आज स्नान नित्यपाठ करके दर्शन लेने मंदिर जाते देखा,महाराज स्वतः बालभोग की तैयारी कर रहे थे,हमको देखके बोले आपको जल्दी जाना है इसलिये जल्दी बालभोग.आप दर्शन लेकर आओ तबतक तैयार हो जाएगा.मैया! ऐसे सेवाभाव के आगे नतमस्तक होना इतनाही कर सकते है हम.नर्मदे हर!
लो आपके मराठी बटाटेपोहे,हसते हसते महाराजजीने खुद बडी प्लेट भरके आलू डालके बनाये पोहे हम सबके हाथमे दिये.प्लेट लेके बाजुमें रखके प्रथम उनको प्रणाम किया फिर खाने लगे बहुतही बढ़िया पोहे मॉं की याद आ गयी,परफेक्ट महाराष्ट्रीय जायका था.चाय के बाद महाराज बोले,फिर आना परिक्रमामेंही आना ऐसे नही कभीभी आना आपहीका आश्रम है.कितनी विनम्रता,कितना अपनापन.ऎसा प्यार यही तो रेवाखंडकी खासियत है.नर्मदे हर! विनोबा एक्सप्रेसको ग्रिन सिग्नल दिया तब सुबहके सात बजे थे.कांदरोज गांवके बाद आया रामपुरा.हमारे साथ एक महात्मा चल रहे थे उन्होने एक दुधवालेसे दूध लिया और बोले माताजी आपको चाय पिलानेका मन करता है तनिक रूको.अब क्या बोले?रूक गये.एक घरमें दूध शक्कर चायपत्ती देकर उन्होने चाय बनवा ली और हमको दे दी नर्मदे हर! परिक्रमा एक अलग अनुभवोंका भंडार है.चलो आगे.नावरा,वराछाफाटा,वाडियातलाव,यहॉं आशा जयश्री गोप आश्रम है.अब सुरजचाचूका पारा चढने लगा था,टपरीपरसे थंडे पानीके पाऊच लिये पानी पीकर थोडा आगे गये बायींतरफ का रास्ता वेलूग्राम और दाहिनी तरफका असा जा रहा था हमको दोनोही जगह जाना था कैसे करे?एक आदमीको पुछा उसने कहा असामें दगडूबापूजीका आश्रम है,भोजन निवास सब व्यवस्था है और वहीसे वेलूग्राम भावपुरा जा सकते है.नर्मदे हर!दगडूबापूजी महाराष्ट्रके नंदुरबार डिस्ट्रीकमे चोपडा गांवके संत है.असा व्यतिरिक्त उनके मध्यप्रदेशमें कोटेश्वर तथा नावघाटखेडी{बडवाह}में मोरल संगमके पासभी आश्रम है.तो उनके दर्शन करनेही चाहिये चलो असा.मैया किनारे थोडा उपर निसर्गसुंदर आश्रम है.शिवमंदिर,बापुजींकी गादी,अन्नपुर्णाभवन,निवासीभवन,वृद्धाश्रम सर्वसुविधायुक्त है.नर्मदे हर!
दर्शन भोजनप्रसाद लेकर आगे निकले.मेरी तबियत कुछ ठीक नही थी बुखार आया था.अब हायवेसे चल रहे थे पाणेथाके बाद वेलूग्राम मुझे चलना कठीण हो रहा था मणिनागेश्वर कैसे पहुँचेंगे?मैया!नर्मदे हर! एक स्विफ्ट कार आके हमारेपास रूक गयी.ड्रायव्हिंग सिटपर एक तेजस्वी महाराज बैठे थे.कहॉं जा रहे हो?मणीनागेश्वर.परिक्रमावासी?हां.आज आप नही पहुँच पावोगे थोडा आगे भावपुरामे विजयकृष्णकुटी है आज वही आसन लगाओ कल आगे जाना बैठो गाडीमें.नही,पैदल परिक्रमा है.ठीक है सॅक गाडीमें रखो मै लेके जाता हूँ.नर्मदे हर!स्वामीजी गाडीसे उतरकर डिकीमें हमारी सॅक्स रखके सामान लेके आगे चले गये.नर्मदे हर!भावपुरा का आश्रम बंगालीबाबाजींका है.स्वामी अभिन्नात्मानंद हिमालयमें रहते है कुछ समयकेलिये आश्रममें आते है.मैया के पास एक टेकरीपर छोटासा दो तीन रूमवाला निसर्गरम्य आश्रम है.शामका नित्यपाठ भोजनप्रसाद केबाद स्वामीजींने वेदांत,योगसूत्रपर बताया नर्मदे हर!मैने कुछ दवा लेली की नही ये बडी आस्थासे पुछा.मैया तेरी लिला अगाध है.अब विश्राम.नर्मदे हर! वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग-74
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-74-भावपुरा से भालोद-चाय लेकर सुबह सात बजे विनोबा एक्सप्रेसने आगे प्रस्थान रखा.थोडा निचे उतरकर मैया किनारेसे चलने लगे.थोडा गिला थोडा सुखा,थोडी हरियाली थोडी पथरिली पगदंडीसे चलते एक मैयाके गले मिलनेवाली नदीमैयाके किनारे पहुँचे,बूट निकाल लेनेका काम करते करते एक लडकेसे उस मैयाका नाम पुछा,गोदावरीखाडी!उसने नाम बताया.गोदावरी?मेरे नाशिकमे है गोदावरी,त्र्यंबकेश्वरक्षेत्रमे ब्रम्हगिरी पहाडपर गौतमऋषि को गोहत्याके पातकसे मुक्ति देने गंगामाता यहॉं पृथ्वीपर अवतरीत हो गयी.गोदावरीमैया भागिरथीगंगासे पहले आयी है पृथ्वीपर.मगर यहॉं गुजरातमें गोदावरी?नर्मदे हर!गोदावरीमैया पार करके सरसाडगांव आ गये नर्मदा महांकालेश्वरके दर्शन किये वहॉं गांववालोंने बताया गुप्त गोदावरी और भगवान त्र्यंबकेश्वर के स्थान के बारेमें.इस वर्ष सिंहस्थपर्व चल रहा है त्र्यंबकेश्वर नाशिकमें हर बारासाल बाद जब सुर्य सिंहराशीमेंसे भ्रमण करता है तब पुरा एकसाल कुंभमेला होता है नाशिक त्र्यंबकेश्वरमें.और यहॉं गोदावरीमाताभी गंगामैयाकी तरह खुदको पवित्र करने नर्मदामैयाके पास आती है इस क्षेत्रमें,हमारे अहोभाग्य दर्शन लाभ हो रहा है.रास्ता पुछते पुछते आ गये उस पवित्र स्थानपर.गोमुखसे गोदावरीकी जलधारा निकल रही थी.सामने भगवान त्र्यंबकेश्वरका छोटासा मंदिर है.साथवाले बंधूलोगोंने गोदास्नान किया हमने हस्तपाद प्रक्षालन किया नेत्रस्पर्श करके प्रणाम किया त्र्यंबकेश्वरभगवानके दर्शन किये.नर्मदे हर! वापस सरसाड गांवमें गये.फिर थोडी देर अच्छे रास्तेसे चलने केबाद बायी तरफके कच्चे रास्तेसे पगदंडीसे वठवाडामें खोडियामाता,क्षत्रीय माथीज महाराज मंदिरमें पहुँचे तब सुबहके साडेआठ बजे थे.दर्शन लेकर बैठेही थे श्री.हरेंद्र मकवानाजी चाय बटर बिस्किट लेके आये.मैयाकी भक्ति और परिक्रमावासीओं प्रतिका सेवाभाव काबिले तारीफ है.नर्मदे हर!आगे आया मणीनागेश्वर.सुंदर तीर्थक्षेत्र है.पचाससेभी ज्यादा सिढ़ियोंवाला घाट है.मणीनागेश्वरभगवान के साथही वैदेहीनंदन{हनुमानजी},पार्वतीनंदन{गणेशजी} के दर्शन हो गये.निवास भोजन व्यवस्था अच्छी है.बालभोगमें उबले चने और चाय मिला.बडी कमानवाले गेटसे निकलकर थोडीदेर डांबररोडसे चलने केबाद एक बडे पेडके पाससे दाहिने तरफसे खेतोंमेंसे केलेके बागमेंसे नर्मदाकुटीया दक्षिणतट.वहॉंसे पगदंडीसे निचे उतरकर पहले कच्चे रास्तेसे बादमें डांबररोडसे भालोद पहुँचे.रास्तेमें कुछ मराठी परिक्रमावासीं की भेंट हो गयी वे कल भालोदमें रहकर आज आगे जा रहे थे.नर्मदे हर!आत्रेय दत्तमंदिर पहुँचे.शरदचंद्र प्रतापेमहाराज हमारे स्वागत केलिये खडेही थे.भालोद दत्तमंदिर हमारा मायका है जैसे.इतना प्यार दुलार मिलता है,बहुत सुखद शांति सुकून मिलता है.नर्मदे हर!श्रीगुरूदेव दत्त. घाटपर जाकर स्नान किया.दत्तदर्शनके बाद प्रतापेमहाराजको प्रणाम करके नित्यपाठ करके अन्नपुर्णागृहमें थोडी मदत करने गये.मुझे कलसे बुखार आया है.महाराज बोले,तुम विश्राम करो.नर्मदे हर!
भोजनकेबाद कुछ लोग आगे निकल गये मगर महाराजके कहनेपर हम रूके.नर्मदे हर! दत्तमंदिरमें शामको मोर आते है उनको महाराज स्वयं दाने डालते है.शामको आरती के बाद कढ़ी खिचडी पापड अचार ऐसा भोजनप्रसाद लिया अब दवा लेके विश्राम.नर्मदे हर! वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 75
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-75-भालोद से जगदीशमढी-दो दिन बुखार की वजह विश्राम करके आज बालभोग लेकर सुबह सातबजे कुछ नये डिब्बे जोडकर हमारी विनोबा एक्सप्रेस निकल पडी.नर्मदे हर!छोटीसी मधुमतीमैया पार करके सौ.मंजुळा और हरीशभाई वसावाजीके आंगनमें बुट पहनने बैठ गये.मंजुळाबेनने मुझे पहचाना और बडी खुशीसे मुझे नर्मदे हर करके बोली,मैया आप इसबारभी महाराजके पासही रूकी हमारे यहॉं रूकनेका वादा किया था नं?मैने बुखारका बताया तो अब रूको कहने लगी.मैया !ऐसा भावभरा प्यार सिर्फ आपके रेवाखंडमेंही मिलता है.नर्मदे हर!उसको समझाके चायपान करके बच्चोंको चॉकलेट देकर आगे चले.गुजरात गॅस स्टेशन केपाससे केलेके बागमेंसे पगदंडीसे अविधागांवके रामेश्वर मंदिर पहुँचे.दर्शन लिया.दुध संकलन करनेवाला टेम्पो आया था,उन्होने सबको दूध दिया.मंदिरके व्यवस्थापक श्री.चुनिलाल भाटिया,रिटायर्ड मलेरिया इन्स्पेक्टर अन्नपुर्णागृह खोलके दूध गरम करके दिया.यहॉं रामेश्वर मंदिरमें परिक्रमावासींको निवासव्यवस्था है और सदाव्रत लेकर भोजन बनानेकी भी सुविधा है.नर्मदे हर!चलो आगे.गांवके बाहर आतेही तरईमढी बोर्ड के बाजुसे दाहिनी ओर पगदंडीसे चलते मधुमतीमैयाके किनारे पहुँचे.चप्पल पहने एकदो भाईसाब पार कर गये हम बूट निकालही रहे थे एकदम एक बुजुर्ग बाबाजी जमीनपर अस्ताव्यस्त लेट गये और रोते रोते मै आगे नही जा सकता मेरा बीपी बढ़ा है मुझे ऍटॅक आया होगा मेरे पैर दक्षिणकी तरफ कर दो ऐसा वैसा,मैया! ये क्या हो रहा है?मै उनके पास गयी,पल्स देखी बिलकुल नॉर्मल थी.फिर सब उनको समझाने लगे.हुआ ये था की आगे गये एक भाईसाब उनको लेके नही गये और अविधामेंभी उन्होने बिस्किट लेनेसेभी इन्कार किया था उनसे बातभी नही की थी.इतनी छोटीसी बात.नर्मदे हर!पार हुए भाईसाब वापस आये उनको बुखार आया था कुछ खानेकी इच्छा नही थी तो बिस्किट नही लिया थकानकी वजह बात नही कर रहे वगैरे वगैरे.समझाबुझाकर सब पार हो गये.नर्मदे हर! जंगलके पगदंडीसे चलके लाडवावड जगन्नाथ मंदिर पहुँचे तब दोपहरके बारा कबके बज चुके थे अब भोजनप्रसादके समय जगदीशमढी पहुँचना ना मुमकीन था.मैया इच्छा सरआंखोपर.नर्मदे हर! दर्शन लेकर शेडमें बैठ गये.बुजुर्ग बाबाजी और बुखारवाले भाईसाब दोनोही ठीक नही थे दोनोने कुछ खानेसे मना किया.नर्मदे हर!बाकी हम लोगोने जो कुछ हमारेपास था मिल बाटकर पा लिया.थोडा विश्रामके बाद बाबाजी के लिये एक मोटरसायकल वाले लडकेको बिनती करके उनको जगदीशमढी भेज दिया.बुखारवाले भाईसाब हमारे साथही चलनेवाले थे.नर्मदे हर!तीन बजे आगे चलने लगे.अब कच्चा रास्ता था.दोनो तरफ केले के बाग,सुखद चलती हवा,धूप कम हो रही थी.पांच बजे जगदीशमढी पहुँचे.प्रथम बाहरकी शेडमें बैठे मगर जगदीशमहाराजजींने हम सबको उपर हॉलमें आसन लगानेको कहा.नर्मदे हर!फ्रेश होकर चाय लेने गये.महाराजजीने बताया हमारे साथवाले बाबाजी उनके रिश्तेदार के साथ गये और अब वह घरही जानेवाले है.नर्मदे हर!भोजनप्रसाद के बाद महाराज खुद हमारेपास आकर बैठे.महाराज अखिल भारतीय पंचश्री रामानंदी निर्मोही आखाडा चित्रकूट बैठक के श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर है.उनके श्री सद्गुरू महंत प्रेमपुजारीनगर है.इतने महान संत हमारे सामने जमीनपर बैठे थे.नर्मदे हर!महाराजजींने सत्संगमे बताया,भगवानके चार पहरेदार होते है आशिर्वाद,शाप,पाप,पुण्य.इनके दायरेमें रहनेवाले मानव और बाहर जानेवाले दानव होते है.आशिर्वाद देनेकी किसीकी पात्रता नही होती,मांगनेकी होती है.नर्मदे हर! महाराज बोले रहो एक दो दिन हमने विनम्रतासे कल आगे जानेकी अनुमती मांगी तो बोले बालभोग लेके जाना हम जल्दी जानेवाले है कहनेपर बोले अगर सुबह सव्वा छे बजे उकाळा {हर्बल टी} लेने हाजीर रहोगे तो जाने दुंगा नही तो दस बजे भोजनप्रसाद लेकेही जाना पडेगा.जय श्रीराम.नर्मदे हर!भाईसाब को दवा दी.अब विश्राम.यहॉ अखंड रामायण पाठ चलता है. सौ.वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 76
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-76-जगदीशमढी झगडिया से सारंगपुर-स्नान नित्यपाठ करके अन्नपुर्णाभवन उपस्थित हुए तब सुबहके छे बजे थे.अंदर कुछ काम चल रहा था शायद चाय बन रहा था हम पेडके निचे बैठकर महाराजजींका इंतजार करने लगे नर्मदे हर!सव्वा छे बजे महाराज आये पिछेसे उकाळा भरा बडा थर्मास.जय श्रीराम!आप आ गये,आज तक इतनी जल्दी तैयार होके आनेवाले पैदल परिक्रमावासी हमने नही देखे.चलो उकाळा ले लो सेहत केलिये अच्छा होता है.हमने उनको प्रणाम किया.उकाळा,शहरी भाषामें हर्बल टी.बहुतही अच्छा टेस्ट एकदम तरोताजा हो गये.नर्मदे हर!साडे छे बजे आगे निकले महाराज हमारेसाथ चलने लगे.मुझे उनके बारेमें पढी एक बात याद आयी,मैने पुछा तब बोले सही है आश्रमको सरकारी अनुदान नही मिलता सबको देनेवाले रामजी है,और राष्ट्रगुरू समर्थ रामदासस्वामीजींका अभंग सुनाया आम्ही काय कुणाचे खातो रे तो राम आम्हाला देतो रे.नर्मदे हर! मतलब हम किसीका क्या खाते है?वह राम हमको देता है.महाराज हमारे साथ दो किमि आये फिर कैसे जाना है इसका मार्गदर्शन करके वापस गये और हम आगे चलने लगे.मोटासांझा,रानीपुरा के बाद हायवे के पाससे दाहिनी ओर मुडके रेल्वेलाइनमेंसे चलने लगे मजा आ रहा था चलनेको,कोई ट्रॅफिक नही हॉर्नके आवाजका ध्वनि प्रदुषण नही.लाइनके दोनो तरफ हरीभरी खेत बागोंका सुंदर सृष्टीका खजिना खुला हुआ था आखोंमे भरके लुट लो जितना लुट सकते हो.पंछी गा रहे है कुदरतका संगीत मधुर मधुर.वा वा!नर्मदे हर! गुमानदेव रेल्वेस्टेशन कब आया पताही नही चला.स्टेशन के बाहर गुमानदेव मंदिरका भव्य कमानवाला गेट था.रास्ता क्रॉस करके गेटसे अंदर पहुँचे तब सुबहके दस बजे थे.नर्मदे हर! भक्तनिवासके हॉलमे सामान रखकर फ्रेश होने चले गये सब बडे तीर्थक्षेत्र जैसाही हाल यहॉंभी था स्वच्छतागृहोंका.बाहरके नलपर कैसे तो हाथपैर धोके दर्शन करने गये लेटे हुए बडे हनुमानजी के दर्शन लिये.नर्मदे हर! बहुत बडा मंदिर आश्रम है.अनुदानकी कुछ कमी नही मगर संपत्ती के साथ आनेवाले दुराभिमानकीभी कमी नही थी,भोजनप्रसाद लेने आये भक्तों परिक्रमावासी लोगोंसे सेवेकरी जैसा बर्ताव कर रहे थे उसमेंसे वो दुराभिमानसे ओतप्रोत भरा था.ए!इधर मत बैठो,समझता नही क्या?कहॉं कहॉंसे चले आते है भीकमंगे.नर्मदे हर!आज बहुत शरम महसूस हो रही थी.कैसे तो पहले जो परोसा गया वही पानीके साथ कैसे तो निगल लिया और उठ गये.नर्मदे हर! हॉलमें आके सॅक उठाकर आगे जाने के लिये बडी श्रीमान कमानके बाहर आये तब दोपहरका देढ बजा था.मनमें विचार आया कहॉं बिना अनुदान वृद्ध अनाथ लोगोंकी सेवा करनेवाले सिधेसाधे तेजस्वी जगदीशमहाराज और कहॉं इधरके पगारदार सेवेकरी.नर्मदे हर!चलो आगे.अब हायवेसे चलना था,कड़ीधूपमें चलना बहुत कठीण हो रहा था.गुजरात बोरोसिल कंपनीके सामने की हरियालीपर पेडकी थंडी छांवमें बैठ गये.एक घंटा विश्राम किया.नर्मदे हर! साडेतीन बजे थे,हेवी ट्रॅफिकवाला रास्ता कड़ी धूप बहुत थक गये थे.जोरिद्रा,गुवालीफाटा मंगेश ओझा एक मैयाभक्त मिलें उन्होने दक्षिणा दे दी. क्रमशः
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 77
नर्मदे हर!अब शाम हो गयी थी और अंकलेश्वर छे सात किमि दूर था इतना चलना असंभव लग रहा था,एक गौशाला थी वहॉं पुछा मगर मालिक के न होनेसे सेवक असमर्थ थे,एक मंदिर था मगर बहुत छोटा.नर्मदे हर!मैया कहॉं की है आपने हमारी निवास व्यवस्था?अब बहुत थक गये है.अगलेही क्षण एक बडीसी गाडी आके हमारे पास खडी हो गयी.नर्मदे हर!माताजी बैठो गाडीमें हमारे यहॉं चलो आज कल चाहिये तो आगे जाना.वह थे श्री.प्रमोद पटेल-भाग्यलक्ष्मी सिमेंट प्रॉडक्टस् सारंगपुर के मालिक.हम गाडीमें नही बैठते इसलिये उन्होने सबकी सॅक्स गाडीमें रख दी और हमको पता समझाकर वे आगे निकल गये.नर्मदे हर!दो किमिपर सारंगपुरमें हमारा ठिकाना आ गया.ऑफिसका फर्निचर बाजू करके हमारेलिये जगह बनायी थी.फ्रेश होने के बाद प्रमोदभाई हम लोगोंको लेके भोजनप्रसाद केलिये एक रेस्टॉरंटमें गये.सबको स्पेशल थाली ऑर्डर की.भोजन प्रसाद अच्छा था.नर्मदे हर!अब निद्रादेवी की आराधना.नर्मदे हर!
सारंगपुर से उतराज-सुबह सात बजे विनोबा एक्सप्रेसको ग्रिन सिग्नल दिया.तीन किमि चलनेके बाद फ्लायओव्हर ब्रिजके निचेसे अंकलेश्वर शहरमें प्रवेश किया और हासोट रोडसे चलने लगे एक जगह टपरीपर चाय लिया फिर आगे रामकुंड गये बाहर पेडोंके निचे बहुतसे परिक्रमावासी ठहरे हुए थे.अंदर धर्मशाला वगैरे है की नही ये पता नही.रामजीके दर्शन लेकर वहॉं एक महाराज थे उनको प्रणाम करके आगे चलने लगे.बलबलाकुंड अच्छी जगह धर्मशाला बगिचा है.एक कुंड है पानीमें बुलबुले आ रहे थे पानी थंड था.वहॉं कोई महाराज नही थे इसलिये चलो आगे.संजोदमें .सिद्धनाथ सिद्धेश्वर दत्त नर्मदामंदिरमें दर्शन अब दोपहर हो गयी थी बसस्टॉपके पास एक हॉटेलमें कुछ खाया और आगे बढ़े मगर धूप बहुत थी रास्तेके बाजुमें एक तुटी झोपडी जैसा था अंदर कोई नही था बैठे थोडी देर तीन बजे आगे निकले हमारे साथकी एक दिदी चलनेको असमर्थ हो गयी इसलिये उसको बससे आगे भेजकर हासोटमें आश्रम वगैरे देखनेको बोला.नर्मदे हर.हम चल रहे थे हासोट पांच किमि था तब दिदीका फोन आया,हासोटमे आश्रम अच्छा नही है इसलिये वह पंचायतसमितीके ऑफिसमें गयी वहॉंके स्टाफसे बातचित करके हासोटके पहले दो किमि पर उतराज गांवमें निवासव्यवस्था कर ली थी और वह उधर आ रही थी.नर्मदे हर!उतराजगांव आया हम रास्तेपर दिदीकी राह देखने लगे.श्री.रमेशभाई पटेल मोटरसायकलसे आये पिछेसे दिदीभी रिक्षासे आ गयी.ग्रामपंचायतके रेस्टहाऊसमें हमारी निवासव्यवस्था कर दी थी.सरपंच अश्विनभाई आये.हमारा नित्यपाठ होनेतक सरपंचजी के घरसे भोजनप्रसाद लेकर भाभीजी और बच्चे आ गये.दालचावल सब्जी पुरी खिर अचार पापड साग्रसंगीत भोजनप्रसाद.साथमें कलके लिये फाफडा,फरसाण लड्डू वगैरे भरपूर पदार्थोंसे भरी थैलियाॉं.नर्मदे हर!मैया तेरी कृपा अगाध है.
वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 78
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग 78-उतराज से सागरसंगमपार अंभेठा-
स्नान नित्यपाठ करके सात बजे आगे चलना शुरू किया.आठ बजे हासोट पहुँचे.चायनास्ता करके आगे चलनेको तैयार हुए,दिदी इतना चल नही सकती इसलिये वह बादमें कोई वाहनसे हनुमानटेकरी आएगी.नर्मदे हर! हम आगे चलने लगे.रोडके दोनो तरफ वृक्षराजी है रास्ताभी अच्छा है.चलते चलते विश्वमंगलम् आश्रम आया जिसका जिक्र सुहास लिमयेजीके पुस्तक नर्मदे हर हर नर्मदेमें है.गेट बंद था इसलिये हम आगे निकले.अब धूप और सागर समीप होनेसे हवा उमसभरी,चिपचिपा पसीना उठते बैठते पानी पिते पिते हनुमान टेकरी पहुँचे तब बारा बजे थे.दिदी हमारे पहलेही आयी थी.सॅक रखकर फ्रेश होकर हनुमानजी और शनिमहाराज के दर्शन लिया.मुख्य महाराज नही थे,पिछली परिक्रमामें उस बहुत बुजुर्ग शांत हसतमुख महाराजजीके दर्शन हुआ था.नर्मदे हर!भोजन विश्रामके बाद तीन बजे कोटेश्वर जाने केलिये निकल पड़े.मेरा एक परिक्रमाबंधू बदलापुरका रहनेवाला श्री.प्रशांत कुलकर्णी आज इधरसे हमारे साथ चलनेवाला है.नर्मदे हर! आश्रमसे थोडा आगे जाने केबाद दाहिनी ओरसे कच्चे रास्तेसे चलकर चार बजे कोटेश्वर पहुँचे.सुंदर मंदिर,सामने कमल के फुलोंसे भरा पुष्करणी तालाब,बगिचा धर्मशाला,गोपालमहाराज का आसन अखंड धुनि.निसर्गरम्य परिसर है.कोटेश्वर तीर्थमे तेहेतीस कोटी देवोंने तपस्या की है और अमरकंटकसे मैयाके दोनो तिरोंपर हजारों संतमहात्माओंने तप किया है अभी भी कर रहे है,उनके तप स्नानसे पवित्र होता हुआ और स्वयं मैया शिवसुता होनेसे तीर्थजननी है इसलिये प्रवाहके साथ आयी पुर्ण पवित्रता यहॉं एकत्रित हो गयी है.नर्मदे हर!गोपालदासमहाराजजी को प्रणाम करके बैठे.हर साल इतने परिक्रमावासी आते है सबको ध्यानमें रखना कितना मुश्कील हमको तो आजकल मिले इन्सानको पहचानना कठीण होता है,और यहॉं मुझे महाराजजीने नामसे पहचाना,आवजो वंदना केम छो?नर्मदे हर!आज रातको बारा बजे के बाद बोट छुटेगी और अगले हप्तेभी रातमेंही छुटनेवाली है.मैया!दिनमें बोटमें चढना चारपांच घंटेका सफर और फिर बोटसे उतरकर चलना इतना भयंकर होता है तो रातमें?सिर्फ विचारसेही हम पानी पानी हो गये.मगर....मराठीमें एक वाक् प्रचार है आलिया भोगासी असावे सादर.मतलब,जैसाभी समय आए हमें उसका स्विकार करनाही चाहिये.महाराजजीको एकबार फिर प्रणाम करके कोटेश्वर भगवानकी सुखरूप प्रवास हो ऐसी प्रार्थना करके हम कठपोर धर्मशाला की ओर चल पड़े.नर्मदे हर! साडे छे बजे कठपोर गांवसे होकर धर्मशाला पहुँचे.गुमानभाईको फोन किया वह रातको जेटी के पास आनेवाले है.उन्होने मुझे आश्वस्त किया.प्रशांत आ गया.सब का नाम रजिस्टर कर दिया.भंडारीबाबाने भी मुझे पहचान लिया.भोजनप्रसाद केबाद दस बजे बॅटरीकी रोशनीमें चलते बोटस्टॅण्डपर आ गये.दो तीन बसवाले परिक्रमावासी और बाकी पैदल परिक्रमावासी मिलके 100/150 लोग होंगे.एक बस मराठी लोगोंकी है.नर्मदे हर!एक दुसरेसे जानपहचान कर ली,फिर भजन गाने शुरू किये.प्रकाश व्यवस्था छोटे दो बल्ब लगाये थे उससे तो अंधेरा औरही गडद काला लग रहा था.भंडारी बाबा बारा बजे आये और सबके गृप बनाने लगे,गुमानभाई आये मै उनसे मिलकर हमारे गृपकी पहचान करवायी.गुमानभाईने भंडारीबाबाको बताया,वंदनाबेन और उनके साथवाले हमारे बोटमें जाएंगे.नर्मदे हर! एक बजे पानी भरना शुरू हुआ.सारी बोट निचे पानी डाल डालके किचड बनाके उसपरसे ढकेलते पानीमें उतार दी.फिर शुरू हो गयी बोटमें चढनेकी कसरत.हमने सबके बुट एक बोरीमें भरे थे,शबनम थैलीमें स्वेटर पानी मैयाजलकी कुपी वगैरे रखकर प्लास्टीक के थैलीमें पॅक करके गलेमें डाल ली,सॅकभी बडी प्लास्टीक थैलीमें पॅक कर दी थी.अंधेरेमे किचडमेंसे चलकर बोटमें जाते जाते पैर बहुत फिसल रहे थे कुछ लोग गिर गये उनको उठाके खड़ा करना बोटवाले लडकोंको बहुत मुश्कील हो रहा फिर भी वह बडे प्यारसे माताजी बाबाजी कहते मदत कर रहे थे.गुमानभाईने अपने लडकोंको बताकर हम सबकी सॅक बुट रखी बोरी प्रथम बोटमे रखकर हमारा हाथ पकडकर बोटके पास लेकर गये,इतनी सहायता होकर भी बोटमें चढना बहुत मुश्कील था.एक बडा टायर सिढ़ी की तरह बोटपर बांधा हुआ था.उसपर चढनेको एक पैर उठाओ तो दुसरा किचडमें फिसल जाता था टायर इतना उपर था की हमारा पैर तो उधरतक पहुँचही नही रहा था.लडकोंने बडी मशक्कतसे थोडा उठाके थोडा खिंचके बोटमें बिठाया.मैया!सब सेवाव्रती बच्चोंको स्वस्थ और सुखी रखो.नर्मदे हर!दो बजे थे,बोटका मशीन शुरू हुआ,एकसाथ गजर किया नर्मदे हर!नर्मदे हर हर!नर्मदे हर हर हर!जय हो रेवा मैयाकी!हर हर महादेव!और हमारी मराठी गणपती बाप्पा मोरया! थोडी देर तो सब ठीक था.बादमें थंड बढ़ने लगी हवा बहुत चलने लगी.डर लग रहा था.मैया,नर्मदे हर जाप चल रहा था.मगर आकाशमें चमकता चांद और चांदनी और निचे उनके प्रतिबिंबीत प्रकाश शलाकोंसे चमकता मैयाजल.लग रहा था,चंदेरी रूपेरी साडी पहनी मैया अपना लहरोंवाला पल्लू लहराती हमारी बोटको आधार देती हमारी बोटके साथ तैरती चली आ रही थी.नर्मदे हर! नाविक लडकोंने बताया,संगम आया है बॉटल दे दो हम जलबदल कर वापस देंगे कोईभी खुद नही करना जलमें हाथ नही डालना पुजाका सामान दक्षिणा हमको देना.सबने वैसाही किया क्योंकी मैयापर पुर्ण भरवसा विश्वास होने के बावजुद अंधेरा होनेसे डर लगही रहा था.क्योकी संगम आतेही लहरोंकी ऊंचाई बढ़ गयी थी और बोट जोर जोरसे हिलती उपरनिचे हो रही थी.दिन के समय कमसे कम सभोवार दिखता है मगर रात के अंधेरेमें कुछ भी दिखाई नही देता.डर तो लगेगाही.और तो और हमको तैरनाभी नही आता.नर्मदे हर! समुद्रमें डुबता सुरज तो बहुतबार देखते है.मगर आज हमने चंद्रास्त देखा.पश्चिमा रूपेरी चंदेरी आभासे चमक रही थी उसीसमय पुर्वा भगवाकेशरी रंग बिखेरती अरूणोदय हो रहा है ऐसा ऐलान कर रही थी.हमने चांदसुरज दोनोंको प्रणाम किया.नर्मदे हर!बोटका इंजिन बंद हुआ आहिस्ता आहिस्ता बोट रूक गयी.एक दुसरेकी मदत करते सब निचे उतर गये.पानी घुटनोंके उपर था मगर रेत होनेसे फिसलन नही थी.सॅक पीठपर लेके एक दुसरेको पकडकर चलने लगे.बुट रखी बोरी बंधुलोगोंने उठायी.एक देढ़ किमि चलके जमीनपर आ गये.और थोडा चलके बुट पहन लिये.रिलायन्स कंपनी के पास आकर टपरीपर चायपान करके मिठीतलाईके आश्रममें आकर बावडीके पानीसे स्नान करके आगे अंभेठाके कृष्णानंद आश्रममें आये तब दस बजे थे.भोजनप्रसाद होने तक कपडे धो डाले.आज इधरही रहना है बहुत थके है.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 79
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-79-
स्नान नित्यपाठ करके सुबह साडे छे बजे हमारी विनोबा एक्सप्रेस उत्तरतटकी परिक्रमा मार्गपर चल पड़ी.गांवमें प्रवीणभाई सोलंकीने नर्मदे हर करके घरमें बुलाया और चायपान कराया.उनके कहनेपर हम रास्तेसे आगे चलने लगे.हायवेसे चलना है,इतनी सुबहमेंभी ट्रॅफिक बहुत है.एक कंपनीके बाहर चायनास्तेकी टपरी चलानेवाले चित्रकूट के रहनेवाले दिनेशसिंग ठाकूर हमें देखकर दौडके हमारेपास आया और हमारे पैर छुकर प्रणाम करते हॉटेलमें आनेका आमंत्रण दिया.नर्मदे हर!नास्ता आग्रह कर करके खिलाया चाय पिने केबाद आगे चलने लगे.अब धूप सर चढ़कर बोलने लगी थी,ट्रॅफिकभी ज्यादा थी.सव्वा बारा बजे आटोली के आश्रमशालामें पहुँचे. वहॉं पाटील नामके शिक्षक थे.उन्होने भोजनप्रसाद लेकरही आगे जानेको कहा.नर्मदे हर! बरामदेमें आरामसे बैठ गये.भैसलीके अजितभाई पटेलजीका फोन आया कहॉंतक पहुँचे,अंकलेश्वरमे मैने उनको फोन किया था तबसे रोज दिनमें दो बार तो फोन करतेही है घर आनेका निमंत्रण देने.पिछली परिक्रमामें हम उनके घर रूके थे.सरपंच है भैसलीके.उनके दादाजीके समयसे परिक्रमावासीओंकी सेवा करते है.ऐसे सेवाभावी बांधवोंकी सेवासेही परिक्रमा करना मुमकीन होता है.नर्मदे हर!दालचावलका भोजनप्रसाद मिला.सेवाकार्यमें आश्रमशाला,पाठशालाभी कतई पिछे नही है समस्त रेवाखंडकी.नर्मदे हर!विश्राम केबाद 2/45pm को पाटील सर उनके सहकारी और बच्चोंको नर्मदे हर करके आगे चलना शुरू.साडेतीन बजे हायवे केबिचमें रहे दयालूबाबाके मंदिर पहुँचे.वहॉंके सेवक बाबाजींने भी मुझे पहचान लिया.कैसे ध्यानमें रखते है ये लोग?मटकेका थंडा जलपान करके पंधरा मिनिट वहॉं शांत बैठकर आगे चलने लगे.पांच बजे भैसलीमें अजितभाई पटेलजी के घर पहुँचे.सौ.नयनाने सहर्ष स्वागत किया.फ्रेश होकर चायपान के बाद कपडे धोनेका कार्यक्रम किया.चि.अक्षय अब दसवींमे है और उसका छोटा भाई जलू{जलाराम} अब स्कूल जाने लगा है.अजितभाई आने केबाद दालचावल,खीरपुरी,पकोडे,आलूमटरकी सब्जी ऐसा स्वादिष्ट भोजनप्रसाद लिया.भोजनप्रसादके पहले संध्यारतीमें घरके सभी सदस्य भी सामिल हुए थे.अब विश्राम.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 80
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-80-
भैसली से कुकरवाडा-स्नान नित्यपाठ करके चायपान के बाद विनोबा एक्सप्रेसने भैसली स्टेशन छोडा तब सुबहके साडे छे बजे थे.केसरोल के बाद नवेठासे दाहिनी ओर के रास्तेसे भाडभूत पहुँचे.श्रीदत्तगुरू रंगावधूतस्वामी दर्शन लिया.बडा परिसर रहनेकी सुविधा है मगर......भाडभुतेश्वरके पुरातन मंदिरके पुजारी वा व्यवस्थापक जो भी थे उन्होने तो हमें दर्शन केलिये भी अंदर आने नही दिया.नर्मदे हर!वही आगे जाने लगे तो श्रीमती बालीबेन ठाकुर,उनके पुत्र श्री.रोहीतभाई ठाकुरजीने बडे आदरसन्मान के साथ घर बुलाया.नर्मदे हर!बोले,दोनो मंदिरोंकी व्यवस्था अब बदल गयी है अब उनको सेवा करनेकी आवश्यकता नही है.मगर हमको बहुत है,मैयाकाही सहारा है हमको.भाडभूतमें मैयापर बांध होनेवाला है ताकी सागरका खारा जल मैयाके प्रवाहमें न आ सके और मैयाजलका उपयोग भरूच अंकलेश्वर को पिने और उद्योग केलिये हो सके.बांधपरसे बडा हायवे जाएगा.परिक्रमावासी उसपर बननेवाले फूटपाथसे ही दक्षिणतटसे उत्तरतटपर आएंगे.बोट के लियेभी ज्वारभाटाका समय देखनेकी जरूरत नही रहेगी.उतराजके सरपंचजीनेभी हमें यही बताया था.बांध होतेही भाडभुतेश्वर मंदिर नही रहेगा.नर्मदे हर! {मध्यंतरी इस बांधका भूमिपूजन होनेकी खबर पढ़ी}नर्मदे हर! बालीबेन ठाकुरजी के घर परिक्रमावासीओंकी बहुत अच्छी सेवा होती है. मंगलेश्वर के ज्योतिबेनकी तरह ये भी बेनतीर्थही है.स्वादिष्ट भोजनप्रसाद पाकर अंतरात्मा संतुष्ट हुआ.नर्मदे हर!एक बजे मैयाकिनारेसे मगर थोडे उपरके पगदंडीसे आगे चलने लगे.सुंदर हवा चल रही थी खेत बागानोंसेही चल रहे थे मगर खारी हवा और धूपसे चिपचिपा पसीना आ रहा था.वडवा के बाद दसानमें बिपिनभाई पटेल के यहॉं जलपान किया.दसानमें मंदिर और मशिदमें एकही कॉमन दिवार है.एकोपा रखते आरती और नमाज़ होते है.हमने दोनो जगह जलपान किया और थोडी थोडी देर विश्राम किया.सब एकही मैयाकी संतान है.दोनों जगह एकही सन्मान मिला.नर्मदे हर!वेरवाडा के बाद आया कुकरवाडागांव.सौ.विद्याबेन उत्तमभाई पटेलजीने बिस्किट और चाय दिया.त्रिगुणातीतधाम जहॉं हमें जाना था वह अभी और दो किमि दूर था.हमारी साथवाली दिदी कलही उधर गयी थी.सात बजे आश्रम पहुँचे.रूममें आसन लगाकर फ्रेश होकर नित्यपाठ किया और फिर शिवजी और स्वामी लोकेशानंदजीके दर्शन करने गये.मंदिरमें मंदार गणेश है.स्वामीजीके एक मुस्लीम भक्त को जंगलमें प्रथम दर्शन हुआ उन्होने महाराजको बताया तब महाराज उसके साथ गये और लेके आए.भोजनप्रसादमें दिदीने पुरणपोळी बनायी थी.स्वामीजी हमारेसाथही भोजनप्रसाद लेने बैठे.भोजनके साथ साथ सत्संगभी हुआ.स्वामी बोले,हर कोई जोभी करता है वह स्वानंद केलिये करता है.मै मेरा काम स्वानंद केलिये करता हूँ,माताजींने पुरणपोळी बनायी क्योंकी उनको उसमें आनंद मिला,आप परिक्रमा कर रहे हो स्वानंद केलिये.नर्मदे हर.अब विश्रांतिका समय.
वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 81
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-81-
कुकरवाडा से भरूच,झाडेश्वर-निलकंठेश्वर मैया का दिव्यदर्शन-स्नान नित्यपाठ करके शिव मंदारगणेश दर्शनके बाद स्वामी लोकेशानंद महाराज को प्रणाम करने गये.महाराज बोले,हर एक व्यक्तिको शांति आनंद मिलना चाहिये सब ईश्वरी अंश होते है.ईश्वर केपास जाओ शांति आनंद मिलेगा.नर्मदा परिक्रमा ईश्वर केपास जानेका योग्य मार्ग है,एक तपस्या है.नर्मदे हर!बालभोग और दूध लेकर विनोबा एक्सप्रेसने कुकरवाडा स्टेशन छोडा तब सुबहके साडेआठ बजे थे.तीन किमि चले और भरूच शहरमें हमारा प्रवेश हो गया.दिदी ऑटो रिक्षासे निलकंठेश्वर गयी आज वहॉं हम रहनेवाले है.नर्मदे हर!भरूच शहरका बाजार देखते देखते जा रहे थे.बहुत बड़ा शहर है.एक मेडिकल स्टोअरसे कुछ मेडिसिन लेने गये वह दुकान श्री.सय्यदजीकी है.उन्होने चाय बिस्किट दियाही उपरसे मेडिसिनके पैसेभी नही लिये.नर्मदे हर! पुछते पुछते शंकराचार्य मठ नर्मदा मंदिर पहुँचे तब बारा बजनेवाले थे.दर्शन लेकर धर्मशाला के लिये पुछा तब वहॉ कोई सुविधा नही ऐसा मालूम हुआ.नर्मदे हर!सिढ़ियां उतरकर मैया किनारेसुे जाने लगे मगर बडा रेतीला मैदान था मैयाका प्रवाहभी बहुत दूर था.मैदानमें बहुत गंदगी थी चलना बहुत मुश्कील था.मुझे बहुत सरदर्द हो रहा था धूप बहुतही कड़ी हो गयी थी हम वापस रोडपर आ गये.मुझे चलना कठीण हो गया.इसलिये मैने ऑटोरिक्षासे निलकंठेश्वर जानेका निर्णय लिया साथके बंधुभगिनीओंके सॅकभी रिक्षामें रखकर मै निलकंठेश्वर पहुँची.नर्मदे हर.एक बडे पेडके निचे सबका सामान रखकर देखा तो ऑफिस बंद था.दिदीने रूम लेली होगी इसलिये उसको देखने मै अन्नपुर्णागृहमें जाकर पुछनेहीवाली थी इतनेमें भंडारीजी आये और एकदमसे मुझपर जोरसे चिल्लाये,खाना बिना कुछ नही मिलेगा कभिभी आओगे हम क्या परोसनेही बैठे है?मैने कहा,भोजन नही चाहिये मेरी परिक्रमावासी दिदी आयी है वो कहॉं है? कोई नही आया चलो निकलो बाहर.भाईसाब!आज हम यहॉं रहनेवाले है दिदीने रूम लेली होगी ऑफिस बंद है इसलिये पुछ रही हूँ मेरी दिदी?हां हां आयी थी,नारेश्वर चली गयी.रूम वगैरे नही मिलेगी पेडके निचे रहो जाओ.बाप रे!एक नौकर तो एकदमसे दंडा लेके मुझे मारनेही आया.नर्मदे हर!मै सामानके पास आके बैठ गयी.संतापसे मुझे रोना आने लगा,सर दर्दसे फटने लगा.दिदी ऐसे कैसे चली गयी होगी?एक फोनभी नही किया.अब मै क्या करूँ?बैठी रही.मैया!मै रिक्षामें बैठकर इधरतक आ गयी गलती हो गयी माफ करो.नर्मदे हर!और अन्नपुर्णागृहसे दिदी बाहर आ गयी.मैने उसको सब बताया.मुझे बहुत रोना आ रहा था.मैया!पहले परिक्रमामें हमने आपको पुकारकर मदत मांगी तो आप तुरंत किसीको भेजकर मदत करती थी,तब मेरे साथ पुण्यवान लोग थे इसलिये?मेरा कुछ नही है क्या?इतना अपमान हुआ मेरा,आप कहॉं हो?मैया!नर्मदे हर!और एक सफेद ऍक्टिव्हा आके एकदम मेरे पास आकर खड़ी हो गयी.एक शुभ्र सफारीसूट पहने माथेपर केशरी तिलक सजाये गोरेपान तेजस्वी व्यक्ति बैठे थे उसपर.मैने प्रणाम किया और फिर दिदीसे बात करने लगी.उन्होने पुछा क्या हुआ?मैने कहा रूम चाहिये मगर नही बोलते है.क्यों पैसे भरके रूम मिलती है.रूको बोलकर वह ऑफिसमें गये.थोडी देर बाद मुझे बुलाया और खुद रूमके पैसे देने लगे मैने कहा पैसे है हमारेपास मैयाकी कृपासे पैसोंकी कुछ कमी नही.तो वह बोले रूमके पैसे मै देता हूँ आप सौ रूपये देना डिपॉझिटके और कल ये वापस लिये बगैर आगे जाना नही.रूम नंबर पांचकी चावी लेकर हम बाहर आ गये.दंडा दिखानेवाले नौकरको चावी देकर उन्होंने सामान उठाकर रूम खोलनेको कहा मगर उसने सामान उठानेसे मना किया और रूम खोलने जाने लगा.अब इन लोगोंका समय आया है ऐसे कहकर हमारे समझमें कुछ आनेसे पहलेही उन्होने एक हाथमें दो और दुसरे हाथमें दो सॅक्स उठायी और तेजीसे रूमकी तरफ बढ़े हम अपनी सॅक उठाकर उनके पिछे दौडे.रूम खुली,उन्होने सामान दिवारकेपास रखा और कोई औरत की तरह बोले,अब मै थोडा बैठती हूँ.हां हां बैठो मैने कहा और पंखा चलाया तब भी मेरे ध्यानमें नही आया था बैठती हूँ का मतलब.उनका चेहरा लाल लाल हुआ था,आंखे नासाग्री स्थिर हो गयी थी और वह कैसे तो कर रहे थे हम डर गये मुझे लगा इतना भारी बोझ उठानेसे उनको ऍटॅक तो नही आया?पसिना पसिना हुए थे.उनको हिलाकर मै झुककर पुछने लगी क्या हो रहा है आपको?तो मेरे सरपर हाथ फेरते बोले,डरो नही मैया हूँ!हम अवाक् हो गये झटसे पैर छुए.मैया? मेरी आंखे बंद होगयी शुभ्रवस्त्रांवृता मैया हस रहीथी.क्षणैक दर्शन.बोली,तीन बार पुकारो आ जाऊंगी.तेरी परिक्रमा पुरी हो गयी.मेरी आंखे खुल गयी.मैया जल पिओगी?दिदीने बॉटल उनके हाथमें दी,बॉटलमें मैयाजलही था आज.मैने कहा,आपही का जल आपही पी रही हो मैया,तब मेरी तरफ देखकर ऐसी मिठी हसी,अपने छोटे बच्चेको देखकर मॉं कैसी हसती है?वैसी सुंदर हसी मै एक क्षणभरभी नही भुल सकती.पॉकेटसे पांच सौ की नयी कोरी नोट मुझे देकर बोली लेलो प्रसाद दर्शन नाम है मेरा.नर्मदे हर!आंखे बंद करके बैठे रहे पांच दस मिनिट और हम उनको हाथ जोडकर उनको देख रहे थे.नर्मदे हर!थोडी देर बाद उठ खडे हो गये.बोले,मुझे एक छोटीसी थैली भी उठाने की आदत नही मुझे नही मालूम मैने इतना बोझ कैसे उठाया? नर्मदे हर!अब वह हमारे पैर छुने लगे हमारे मना करनेपर बोले तब मैया थी अब मै हूँ.और आप परिक्रमावासी माताजी हो,बोलकर हमको प्रणाम किया.नर्मदे हर!चले गये दर्शनका वह रत्नजडीत सुवर्णक्षण मेरे ह्रदय संपुटमें बंद करके.नर्मदे हर!नर्मदे हर हर!नर्मदे हर हर हर! यथावकाश साथी बंधुभगिनी आ गये.संध्यासमयी हम पुजारती साहित्य लेकर घाटपर गये.सुर्यास्त हो रहा था लाल गुलाबी केसरिया रंगोंसे आकाश चमक रहा था और मैया उस रंगोंमे नहा रही थी.अर्घ्य देने हमने कमंडलूमें जल भर लिया और पश्चिमाभिमुख होकर अर्घ्य देने लगे तो उस देखा उस जलधारामेंसे वही शुभ्रवस्त्रांवृता मैया मुस्कुराती दाहिना हाथ उठाकर प्रकाश शलाकारूप आशिर्वाद दे रही थी.नर्मदे हर! यह मेरा वैयक्तिक अनुभव है.
वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 82
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-82-
निलकंठेश्वर से मंगलेश्वरका बेनतीर्थ-सुबह स्नान पुजापाठ करके निलकंठेश्वर दर्शन लेकर कुछ लोग आगे चले गये हम चार लोग रूके क्योंकी कल मैयाने कहा था,डिपॉझिट के पैसे वापस लेकरही आगे जाना.नर्मदे हर!साडेआठ बजे अभीतक ऑफिस नही खुला था,नाईलाजसे डरते डरते अन्नपुर्णागृहमे जाकर सेवकको पुछा उसने कॉर्टरमें जाके पुछनेको बोला.जाके देखा.कल ऑफिसमें जो भाईसाब थे वही थे उनको नर्मदे हर किया उन्होने सौ रूपये दिये और कलके बर्ताव केलिये हमसे सॉरी कहा.नर्मदे हर!रूम की चावी वापस देकर हम बाहर आगये.टपरीपर चाय लेकर हमने प्रस्थान किया तब सव्वा नऊ बजे थे.तवरा,जुना तवरामें गणूमामाके आश्रममें चायपान के बाद आगे चलने लगे श्री.राजूभाई तनछावाला मिलें वह निकोरागांवमें रहते है कल उनके घर बुलाया है.नर्मदे हर! चल रहे थे धूप बोलने लगी थी.एक कार हमारेपास आकर रूकी एक भाईसाब उतरे,उन्होने सबको बिस्किट दिये नमस्कार किया नर्मदे हर.बापा सिताराम मंदिर मढुली दर्शन लेकर विश्राम करने बैठ गये.सफरचंद,बिस्किट वगैरे खाकर पेटपुजा कर ली.शुक्लतीर्थ पहुँचे.गुरूदत्त अमूल पार्लर से आइसक्रिम लिया बसस्टॉपमें बैठकर थंडगार आइसक्रिमका आस्वाद लिया बहुत थक गये थे थंडे आइसक्रिमने तरोताजा कर दिया.इंद्रसिंगजीने हम सबकी सॅक मंगलेश्वरमें ज्योतिबेन के घर पहुंचाने केलिये अपनी गाडीमें रख दी और हम शुक्लतीर्थ दर्शन करने चल दिये.नर्मदे हर!एकही जगह श्रीशुक्लेश्वर,श्रीसोमेश्वर,श्रीपट्टेश्वर तीन स्वयंभू शिवपिंडी है.श्रीशुक्लेश्वरकी पिंडीपर बाबा अमरनाथकी पिंडी अंकीत है,सोमेश्वरकी पिंडीपर ॐ है और पट्टेश्वरकी पिंडीपर त्रिपुड अंकीत है.पुरातन मंदिर है.दर्शन लेकर श्रीओंकारनाथजी के मंदिर गये.भगवान विष्णूको ओंकारनाथ कहते है.शंख चक्र गदा पद्म ब्रम्ह श्रीलांछन भृगुलांछन कमलपुष्प जयविजय इत्यादि श्रीचिन्हांकित भव्य संगमरवरी मुर्ति नर्मदामैयामें मिली है.अप्रतिम सुंदर दर्शन.नर्मदे हर!धीरे धीरे शामके साडे छे बजे मंगलेश्वरमें ज्योतिबेन बोनिबेन कमलाबेन इनके घर जिसको जेष्ठ मैयापुत्र नर्मदाप्रसाद जोशीजीने सार्थ नाम दिया है बेनतीर्थ पहुँचे.मुझे देखकर धनंजयभाईसह सारी बेनको बहुत खुशी हो गयी.सहर्ष स्वागत हुआ.नर्मदे हर!
ज्योतिबेन के घर पिछले पचाससाठ सालसे परिक्रमावासीओंकी सेवा हो रही है.शशीबेनजीने ये सेवाकार्य शुरू किया.सेवाकार्यमें बाधा न हो इसलिये ज्योतिबेन बोनीबेनने शादी नही की है.कमलाबेन आंखोंसे देख नही सकती मगर उनकी दृष्टीहिनतासे उनके किसीभी काममें कोई बाधा नही आती.सब काम सहजतासे करती है,घरमें झाडू लगाती है तो वहभी किसी अच्छी नजरवालेसे सौगुना बढ़िया.कचरेका एक तिनकाभी इधरउधर नही रहता.मैयाकृपा है.मुझे सिर्फ आवाजसे पहचाना मेरा नाम लेकर पुकारा आओ वंदनाबेन.यथावकाश नित्यपाठ भोजनप्रसाद हुआ.ज्योतिबेनने सबको सील दिया.अब विश्राम.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 83
॥नर्मदे हर॥नर्मदा परिक्रमा-भाग-83-
मंगलेश्वर से नारेश्वर-सुबह पांच बजे बेनतीर्थको नर्मदे हर किया.भारद्वाज आश्रममें दर्शन लेकर कबीरवड को इसी किनारेसे नमन कर आगे बढ़े.निकोरामें श्री.राजूभाई तनछावाला के घर गये,कल उन्होंने बहुत आग्रह करके बुलाया था.नर्मदे हर!राजूभाईने शादीके तुरंत बाद मोटरसायकलसे परिक्रमा की थी.उनके घरसे मैया किनारेतक उनकी जमीन है बोले,बाबाजी!यही आपकेलिये कच्ची पक्की जैसी आप चाहो वैसी कुटिया बनवा देता हूँ परिक्रमा पुरी होने केबाद यही आकर रहो.नर्मदे हर!बाबा बस् इतनाही बोले.राजूभाईको एक फ्रेंच महात्मा शिवशंभू और सिल्वी माताजी परिक्रमामें मिली थी उन्होने कहा था,चलना है पहुँचना कही भी नही.sitting quietly,doing nathing when spring comes grass will grows it's self ये झेन पोएम बतायी चलते समय अपना ध्यान पैरोंके उंगलियोंकी तरफ रखोगे तो अवेअरनेस अपनेआप आ जाएगा.नर्मदे हर! बहुतसारा बालभोग और चाय लेनाही पड़ा.उन्होने सोमजके जगदीशभाई का फोन नंबर दिया और उनके घर जानेको कहा.नर्मदे हर! निकोरासे धर्मशिला मिनी शिर्डीधाम पहुँचे.पहली परिक्रमामें इधर हम रूके थे.आज प्रेमावतार साईकी भेंट हो गयी पिछली बार वो नही थे.ये बाबाजी उल्टे पांवसे चलते चलते शिर्डी जाते है.साईबाबा जैसी दाढी रखते है और पोषाखभी वैसाही करते है.सत्संगमे बाबाजी बोले,बडे बडे साधू गुरू महात्मा स्त्रीको पैरोंको स्पर्श करने नही देते,उनको कम समझते है मगर ऐसे गुरू होही नही सकते अगर स्त्री न होती तो अपना जन्म कैसे होता?स्त्रीको वर्ज्य करके आप गुरू नही हो सकते.स्त्री पुरूष दोनो ईश्वर निर्मित है.स्त्री देवीका अवतार है सच्ची त्याग मुर्ती है.अपने मातापिताको छोडकर पतीके घर आकर अपना अस्तित्वही भूल जाती है अपना सर्वस्व अर्पण करती है अपना नामतक भूलकर ससुराल वालोंने दिया नाम अपनाती है.पतीके लोगोंकेलिये अपना सारा जनम देती है ऐसे शक्तिरूप को आप तुच्छ समजते हो?महाराज बड़ी आंतरीक पीडासे बोल रहे थे.हमको बोले,माताजी! अन्नपुर्णा बनो लक्ष्मी बनो.माताजी,स्त्रीको गुरू करनेकी आवश्यकता नही वह तो साक्षात देवी है.गुरूतत्व परमात्म तत्व एकही है,अपने आपमें उसको खोजो.नर्मदे हर!माताजीने उपमा चायका बालभोग दिया.मैने उनके बच्चोंके बारेमें पुछा,बेटी LLM कम्प्लीट करके कलेक्टर होनेकी तैयारी कर रही है और बेटा इंजिनिअरिंग कर रहा है.नर्मदे हर.मिनी शिर्डीधाम बहुतही साधा है उपर पत्रेकी छत और निचे इटोंसे बनी जमीन है दरवाजे खिडकी कुछ नही.थोडा फलफुलोंका बगिचा है.नर्मदे हर!आगे झणोर.शॉर्टकटसे वाग्रा विलायत वॉटर सप्लाय NPTC,ONGC केंद्रसे होकर नांद पहुँचे.वहॉं विजयराज नामका युवक मिला और हमको उसके घर लेकर गया.उसने बोला इसलिये उसके घर स्नान करके नित्यपाठ किया भोजन केलिये तो सोमजमें जगदीशभाईके घरका आमंत्रण था इसलिये थोडे पोहे और चाय लेकर आगे निकले विजय शॉर्टकट दिखाकर ऑफिस चला गया मगर हम रास्ता भटक गये कुछ परिक्रमावासी मिल गये.बबूलके जंगलसे बिकट पगदंडी थी आगे एक जगह तो वहभी समाप्त हो गयी हम एक टेकरीपर खडे थे बिचमें छोटीसी खाई और सामने दुसरी टेकरी.वहॉं एक बर्मुडा पॅन्ट पहने महात्मा खडे थे वह बोले,अच्छाखासा रास्ता छोडकर इधरसे कैसे आ गये?फिर वो निचे उतरकर आये उनकी और दुसरे परिक्रमाबंधुओंकी मदतसे घासपरसे फिसलकर खाईमें उतरे.हमारा डर देखकर बोले,परिक्रमा करते हो और मरनेसे डरते हो?और हमको हाथ देकर वह दुसरी टेकरी चढनेमें मदत की.सब आनेके बाद देखा तो वह कही नही थे दो चार क्षणोंमें कहॉं गये होंगे?दूर दूर नजर डाली मगर वो नही दिखाई दिये.नर्मदे हर.फिर एक कठीण पगदंडीसे नालेमें उतरे पानी न के बराबर था पार करके फिर एक टेकरी चढकर उपर आ गये.एक बेर के पेडतले बैठे,बेर खानेसे खुदको रोक नही सके बहुत अच्छे खट्टेमिठे बेर थे.वापस एक टेकरी चढकर खेतकी पगदंडीपरसे चलने लगे तब बांयी ओर पिछली परिक्रमामें आये थे वह रास्ता दिखायी दिया.इस साल भटक गये ठीक है मैयाने थोडी परिक्षा लेली मगर उसीनेही सही मार्गपर लाया.नर्मदे हर!जगदीशभाईने उनके छोटेभाईको भेजा उसके पिछेसे उनके घर गये.बाकी परिक्रमावासी बंधू चाय लेकर आगे चले गये हम मोबाईल चार्जींग भोजनप्रसाद लेकर थोडा विश्राम करके फिर तीन बजे आगे चलने लगे.जगदीशभाई दिलवाडाके आगेतक हमारे साथ आये.नर्मदे हर!हायवेपर बसस्टॉपपर श्री.हनुमानदास-प्रेमकुटी वृंदावन आश्रम गोरे ताऊजी केपास रामानंदआश्रमका तरूण सुशिक्षित संन्यासी मिल गया वह नागालॅन्डका रहिवासी है.अब हायवेसे चलना था.अर्जुनपुरा,ओज मीराआश्रम यहॉं कुछभी सुविधा नही है.पुनीतपुरा,रारोद यहॉं मैया किनारे मार्कंडेयऋषि महाराजजी की तपस्यास्थली आश्रम है.मोटी कोरल पुनीत आश्रम नारेश्वररोड रेल्वे क्रॉसिंग गेटपर चाय लेकर नारेश्वर रंगावधूतस्वामी समाधीस्थल भक्तनिवासके ऑफिसमें आये.B2 में रूम मिल गयी तब साडेसात बजे थे.भोजनप्रसादका समय हो गया था इसलिये पहले भोजनप्रसाद लेकर बादमें रूममें आ गये.हनुमानदास कोभी बाजूकीही रूम मिली है.कल यही रहना है दर्शन के लिये अब विश्राम जरूरी है.नर्मदे हर!
तीर्थजननी नर्मदा परिक्रमा भाग- 84
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-84-
नारेश्वर दर्शन-आज आगे जाना नही था इसलिये थोडी देरसे उठे.कल रातको कपडे भिगोकर रखे थे इसलिये पहले कपडे धोकर सुखाने डालकर फिर मैयास्नान करने गये.स्नान करके वही मैयाकी आरती उतारके हम घाटकी सिढ़ियां चढने लगे मुझे एकदमसे चक्कर आने लगी मै वैसेही चल रही थी सिढ़ियां खतम होनेही वाली थी,मुझे लगा सारा गरगर घुम रहा है मै गिरनेही वाली थी की एक सफेद बाल दाढीमुछ वाले घुटनेतक लुंगी पहने बाबाजीने मेरा हाथ पकडा और मुझे बेंचपर बिठाया.थोडीदेर मै आंख बंद करके बैठी रही,मुझे लग रहा था वह मेरे बाजुमें खडे है.थोडा ठीक लगतेही मैने उनको धन्यवाद कहने आंख खोलकर देखा तो वह नही थे,मैने इधरउधर देखा वह कही भी दिखायी नही दिये.इतनी जल्दी कहॉं गये होंगे? आस्ते आस्ते चलकर मै रूममें आ गयी मुझे अभिभी ठीक नही लग रहा था शायद शुगर डाऊन हो गयी होगी इसलिये निचे उतरकर नारेश्वर स्पेशल पापडीलोट और गोटेभजिया का नास्ता किया नास्ता करतेही मुझे ठीक लगा नर्मदे हर!फिर गये श्रीरंगावधूत महाराजजी का दर्शन करने एक नीमके वृक्ष तले बने स्मारकमें एक बडी तसवीर थी अरे!यही तो है वह बाबाजी जिन्होने मेरा हाथ पकडकर बिठाया था.नर्मदे हर! हम मंदिरमें गये दर्शन लिया महाराजके सामने माथा टेका और मेरे आंखोंसे आंसू बहने लगे बापजी!आपने मुझे सहारा दिया. सही कहते है सब लोग आपको बापजी,सबके पिताजी बापू हो आप.नर्मदे हर! माताजीका दर्शन लिया.सारा मंदिर परिसर देखा बहुत सुंदर है बडे बडे छायादार वृक्ष,छोटे छोटे ध्यानमंदिर,सुंदर बागबगिचा. कपर्दिकेश्वर मंदिर बहुतसाल पहलेकी बात है मैयाको आयी बाढ़में ये शिवपिंडी बाढ़की मलबेमें दबके रह गयी कुछ साल बाद मराठा सरदार नारोशंकरजीने इसको खोजा,पुनः स्थापित किया उनके नामसे ये पौराणिक कपर्दिकेश्वर हुआ नारेश्वर.फिर मराठा साम्राज्य गया अंग्रेज आये और कालाय तस्मै नमः यहॉं जंगल तयार हुआ बबूल की झाडी हो गयी थी.श्रीरंगावधूत महाराज यहॉं आकर जनसंपर्कसे दूर रहने लगे.इसी नीमके पेड के निचे रहते थे तब मध्यरात्री के बाद मंदिरमें अप्सरा नृत्य गायन करती थी जब बापजी लेटे रहते तब नृत्य गायन चलता था और उठके बैठतेही वह गायब हो जाता था.फिर बापजीकी माताजी उनके पास रहने आयी भक्तगण आने लगे और ये श्रीरंगावधूत का स्थान बनता गया.बापजी ब्रम्हलिन तो हरिद्वारमें हो गये मगर वहॉंसे उनका देह यहॉं लाया और समाधी बनायि गयी.नर्मदे हर!एक बुजुर्ग बाबाजींसे पुछकर परिक्रमा खंडीत नही होगी ये जान लेनेके बाद हम ऑटोसे मोटी कोरल पुनीत आश्रम देखकर आ गये.मुझे अभिभी थोडा अनईझी लग रहा था इसलिये संस्थानके हॉस्पिटल गये वहॉं माधुरी पटेल नामकी मिलिट्रीसे रिटायर सिस्टर थी उन्होने डॉक्टरसाब को कहा रियल परिक्रमावासी आये है.डॉक्टरसाबभी बहुत अच्छे थे,दवा लेकर वापस आ गये.संध्यारती के बाद भोजनप्रसाद लेकर रूमपर आकर दवा लेली.अब विश्राम.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-85-
॥नर्मदा हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-85
नारेश्वर से मालसर-सुबह पांच बजे श्रीबापजी रंगावधूतस्वामीं दर्शन लेकर आगे निकल पड़ी हमारी विनोबा एक्सप्रेस.गेटसे बाहर टपरीपर चाय लेकर आगे चलने लगे.लालोद,बकापुरा,हीरजीपुरा,कहोणा,यहॉं मैयाकिनारे रामानंद आश्रम है.फत्तेपुर पार करके डेरोली गांवमें सौ.जोत्स्नाबेन ठाकूरके घर गये नर्मदे हर! मुझे तुरंत पहचान लिया और सहर्ष स्वागत हुआ.सबने हमारे पैर छुकर प्रणाम किया.ज्योतिबेन अब सरपंच नही है ये सीट अब आदिवासी केलिये रिझर्व हो गयी है.गरम गरम पकोडे चाय लेकर हमने ठाकूर परिवार को नर्मदे हर किया तब आठ बजे थे.अब कच्चे रास्तेसे पगदंडीसे चलना है.रास्तेमें एक आश्रमका काम चल रहा था.आगे एक सुंदर बंगला है,निचे सुंदर नीलश्यामल मैयाप्रवाह,दक्षिणतटपर हरीभरी वृक्षराजी नितांतसुंदर परिसर है.कोठिया जाते पिछली परिक्रमामें जिनके घर चायपान किया था वह अशोकभाई पटेल मिले,नर्मदे हर घर जरूर जाना पिताजी है बोले.प्रथम इंदिरा आवास योजना के घर लगे गरीब लोगोंकी बस्ती है.बादमें कोठिया गांव हम रूके नही आगे वसुधा नामकी लडकी हमारी मराठी बात सुनकर बाहर आ गयी उसका मायका महाराष्ट्रके बुलढाणा का है.नर्मदे हर! गटर व्यवस्थापन गेटमेंसे बाहर आकर थोडीदेर पगदंडीसे चलकर फिर कच्चे रास्तेसे राणापुर पहुँचे.तब नौ बजे थे.रणछोडरायजी के मंदिर गये पहली परिक्रमामें यहॉं हमने सदाव्रत लेकर खिचडी बनायी थी.एक पंजाबी परिक्रमावासीभी मिले थे.आज मंदिर बंद था बाहरसे दर्शन लेकर चल पडे और श्री.भुपेंद्र दवे पंडीतजीके घर गये.उनके घरमें दोसौ सालसे सत्यनारायण मंदिर है वह दो बार मैयाके बाढ़में बह गया था मगर लक़डी के खंबे वगैरे खींच निकालकर फिर मंदिर बनवाया उसकेलिये उनके पिताजीने जमीन बेची थी.दर्शन लेकर गरम दूध पिया और चोळाफळी,शेव,चिवडा,मोरी पापडी खरीद ली.दस बजे आगे निकले.कच्चा रास्ता,थोडी कठीण चढाई उतराई पगदंडी कपास तूवरके खेत केले के बागमेंसे चलते ग्रामीण बंधुभगिनीओंकी मदत लेते दिवेरमें रोडपर आ गये और वालेश्वर हनुमान मंदिर आश्रम पहुँचे.स्नान करके कपडे धोकर सुखाने डाल दिये.निर्माणाधिन आश्रम है बहुत सुंदर बगिचा है.निचे थोडी दुरीपर मैया है.विजयमहाराज आश्रमका कारोबार देखते है.बैंगनकी सब्जी,तुवरके दानेकी सब्जी,दालचावल,भाकरी,चुरमाके लड्डू और छाछ बढ़िया भोजनप्रसाद विश्रांति केबाद 2-30 बजे आगे चलने लगे कभी गुलमर्ग जैसी हरियाली कभी कठीण पगदंडी कभी गरम रेतका वाळवंट कभी खेतमेंसे जाती पगदंडीसे मांडवा के पहले एक पीरबाबाके दर्गेकेपास चाय लेकर शॉर्टकटसे आगे निकले ऐसे करनेसे सुरसामल मांडवा एक बाजुही रह गया.अब मैयाने हमारे साथ थोडी मज़ाक किया.थोडी ही देरमें हम केले के बागानमें खो गये.शाम हो रही थी बागमें बंदरोंके झुंड चिल्लाते इधर उधर दौड रहे थे,किधरभी मुडो बबुलके कांटे लगे कंपाऊंड मिल रहा था रास्ताही नही मिल रहा था.मैयापर पुरा भरोसा होते हुए भी मन सोचे वो बैरी भी न सोचे आधा पाऊण घंटा हुआ होगा एक आदमीका गाना सुनायी दिया बाबा बोले,वंदना तुम दौड उसके पिछे और उससे बात करती चल हम तुम्हारे आवाजके अनुरोधसे पिछे पिछे आते है.नर्मदे हर!उस आदमी का नाम था मंगलसिंग.वह बहुत फास्ट चल रहा था और मै बाते करते उसके पिछे अक्षरशः दौड रही थी इतनी थकानमें मैयाका वह नीलश्यामल संध्यारानीनें बिखरे सुनहरी किरनोंसे सजाधजा सुंदर रूप हमारी थकान को थंडी हवाके झोकोंसे छुमंतर कर रहा था.मंगलसिंगने हमको योगानंद आश्रममें पहुँचा दिया.नर्मदे हर!डरे हुए हमको इस सुंदर आश्रममें लाकर मैयाने खुश कर दिया.रूम नंबर पांच मिली डनलप मॅट्रेस स्वच्छ बेडशिट स्वच्छ बाथरूम.एकदम व्हीआयपी.फ्रेश होकर योगेश्वर महादेवजीका दर्शन लेकर योगानंदमहाराजजी को प्रणाम करने गये.प्रसन्न शांतमुद्रा के महाराजजीने हमारी पुछताछ की,आशिर्वाद दिया.नर्मदे हर!गरम गरम खिचडी सब्जी रोटी भोजनप्रसाद लेकर हम रूममें आ गये,पिछेसे एक सेवक हम सबकेलिये नये ब्लॅंकेट लेकर आया.नर्मदे हर!मैया तेरी लिला अगाध है.
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-86
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-86-
मालसर से बद्रीनाथ आश्रम.स्नान आरती के बाद शिवदर्शन करके सॅक लेकर कल हमको ओढ़ने दिये नये ब्लॅकेट वापस करने महाराज के पास गये,नर्मदे हर!प्रणाम किया महाराजने बैठनेको कहा.ब्लॅकेट आपकोही दिये है अब आगे बहुत थंड रहेगी काम आएंगे.नर्मदे हर!महाराजने कहा शांतिसे चला करो हड़बड़ी गड़बड़ीसे चलना नही,नामस्मरण करते करते चला करो.मैया अपने साथ चलती है उसके साथ बाते किया करो कही बैठे तो उसको पुछा करो मैया!थक गयी हो,आराम करो थोडा.नर्मदे हर!चाय लेकर आगे चलने लगे.पंचमुखी हनुमान,श्रीरामजी,भगवान जगन्नाथ सुभद्रा बलभद्रजी के दर्शन लिये पिछली परिक्रमामें यही हम रहे थे नर्मदे हर! सत्यनारायण मंदिर जाकर भगवान सत्यनारायण और डोंगरेमहाराजके दर्शन करके सातबजे मालसरसे प्रस्थान किया.नर्मदे हर! हिरामोती फार्म,गुजरात वीज मंडळ कंपनी के सामनेसे सिनोरमें प्रवेश किया.एक दूधवाले लडकेने हम सबको ग्लास भरके दूध दिया नर्मदे हर! आगे बसस्टॅन्डमें चाय पिने बैठे वहॉं श्री.नारायण रबारी ग्वालाभानूजीने पैसे दिये.नर्मदे हर!बाजारपेठमें SBI ATMसे थोडे पैसे विड्रॉल किये फिर घाट उतरकर किनारेसे थोडा चलकर उपर चढकर कृष्णकांतमहाराजके नर्मदाआश्रम पहुँचे.उनको नेकफिमर फ्रॅक्चर हुआ है.मगर उन्होने ऑपरेशन नही करवाया वैसेही वॉकर लेकर चल रहे है.कृष्णकांतमहाराज बहुत पढ़ेलिखे है,रामकृष्णमिशनसे जुड़े है.नर्मदामंदिरमें दर्शन लिया इधर एक निंबूका पेड है नीचे गिरे हुए पककर पिले हुए निबू सबने लिये.चाय केबाद महाराजको नर्मदे हर बोलके प्रणाम करके कंजेठा केलिये आगे बढ़े.कंजेठामें सौभाग्यसुंदरीमाता के मंदिरमें दर्शन लेकर घाट उतरकर मैया किनारे आ गये.यहॉं मैयाका रूप बहुतही सुंदर है डार्क निला शांत गंभीर विस्तीर्ण.अनेको प्रकारके पंछी उडते उडते एकदमसे छलांग लगाकर पानीसे मछली पकडकर किनारेपर आकर पेडकी टहनीपर बैठते है तब उनके रंगीबिरंगी पंखोंका सौंदर्य बस् सिर्फ देखते रहो.आप यहॉं घंटो यूंही बैठे रह सकते हो इतना सुंदर.सौंदर्यशालिनी मनमोहिनी मैया उनसे बाते करने लगे और समय कैसे निकल गया समझ ही नही आया.आगे तो जानाही चाहिये.छोटीसी टेकरी चढकर बबूलकी झाडीसे बचते बचाते एरंडी+मैया संगमपर आ गये.पहली परिक्रमामें बहुत किचड था खाई उतरकर बडी मुश्कीलसे पार हुए थे.मगर इसवर्ष पानी किचड कुछ नही था सहजतासे पार हुए एरंडीमैयाको प्रणाम करके.देखा तो मैया मुस्कुरा रही थी.प्रणाम करके एरंडीकी थंडी बागसे पगदंडीसे चलकर एक खेतमेंसें अनुसयामाता मंदिरके मार्गपर बने नये शिवजी और नर्मदा मंदिरमें दर्शन लेकर क्षणभर विश्राम करके अनुसयामाता मंदिर पहुँचे.इसी स्थानपर माता अनसुयाने ब्रम्हा विष्णू महेश तिनों देवोंको अपनी पतिव्रताके पुण्याईसे बालक बनाया था और स्तनपान देकर उनकी माता हो गयी थी.धन्य है भारतीय पतिव्रता नारी.नर्मदे हर!दर्शन केबाद दत्ताश्रममें भगवान दत्तात्रय के दर्शन लेकर भोजनप्रसाद पाया नर्मदे हर! दो बजे आगे चलने लगे.रास्तेमें पुणेका रहनेवाला IT इंजिनियर लडका जिसने कठोरासे बलगांव होते शालिवाहन आश्रम जाते समय हमारी बहुत मदत की थी वह मिल गया.नर्मदे हर! जनकेश्वर फाटा,शेरवील शुगर फॅक्टरीसे आगे चलते चिनी बनाने केलिये गन्नेका रस निकालने के बाद गन्नेके छिलके कैसे पिसकर बारीक टूकडे करते है,गन्नेके रससे गंदगी निकालते समय उडनेवाले गरम पानीके फव्वारे देखनेको मिल गये.नर्मदे हर!बरकाल कॉलनी के बाद मोलेथामें सुरेशभाईने भेळ दे दी नर्मदे हर! आगे दो ट्युबवेल पंम्पींग स्टेशनके बाद दाहिनी ओरके बैलगाडीके कच्चे रास्तेसे पपिता,केले,कपासके दुतर्फा खेतोंमेसे जाकर आगे बायी तरफके जंगलकी पगदंडीसे चलकर हायवे पर प्रवेश किया मगर इस मार्गपर जो गुप्तेश्वर महादेव का स्थान जिस शिवपिंडीसे अविरत जलप्रवाह बहता है वह पौराणिक देवस्थान कहॉं था ये समझमें नही आया और दर्शन नही हो सका.हायवेपर श्रीरंगसेतू के पाससे बायी तरफ निचे उतरकर बद्रीकाश्रम पहुँचे तब शामके छे बजे थे.रूम मिल गयी.सामान रखकर करीब करीब सौ सिढ़ियां उतरकर मैया के पास जाकर प्रणाम करके हाथ मुंह पर जल प्रोक्षण किया तो तुरंत सारी थकान छुमंतर हो गयी.उपर आकर मंदिरमें दर्शन लिया और सायंनित्यपाठ के बाद भोजनप्रसाद.खिचडी और मख्खनसे भरपूर ताजा मिठा छाछ.वा!!अंतरात्मा तृप्त हुआ.महाराजजीने हमको हमारी थाली उठाने और साफ करने नही दी.नर्मदे हर!अब विश्राम.
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-87
॥नर्मदे हर॥
बद्रिकाश्रम से कुबेर भंडारी-सुबह छे बजे विनोबा एक्सप्रेसको ग्रिन सिग्नल दिया.किनारेसे जानेका मार्ग नही है इसलिये सडकमार्गसे चलने लगे बिथली,नंदेरिया यहॉं नंदीने तप किया,किनारे मंदिर है दर्शन केबाद वापस सडकमार्गसे अंदर जाकर गंगनाथमहादेव दर्शन करके वापस,भीमपुरा,चांदोद.दो परिक्रमामें यहॉं गांवमें श्री.उमेशगिरीमहाराज के घर आसन लगाया था.यहॉं कुछ महाराष्ट्रीय रहते है.नर्मदे हर!ऋणमुक्तेश्वर महादेव दर्शन करके घाटपर आ गये.पहली परिक्रमामें मांडला गांवके राजवाडा के बाजूसे निचे उतरकर ओरसंगमैया पार करली थी,दुसरी परिक्रमामें इस घाटपर बहुत जलभराव था तब नावसे ओरसंगमैया पार हुए थे.आज घाटकी तेढीमेढी पहाडके मिट्टीसे बनी बहुतही संकरी सिढ़ियां पिठपर लदी वजनदार सॅक बाये हाथमें बूट दाहिने हाथमें हमारी आधारदेती काठीमैया लेकर जान हथेलीपर और होंठोपर दिलसे निकलता नर्मदे हर!मैया!जाप लेकर जैसे तैसे उतर गये.ओरसंगमैयामें जलस्तर घुटनोंके निचेही था मगर प्रवाह वेगवान था,मानो उसको मैयासे मिलनेकी बहुत जल्दी थी.एक शिक्षिका भगिनीकी सहायतासे पार हो गये.कर्नाली,महाराष्ट्रीय कोकणस्थ ब्राह्मण वस्तीसे कुबेरभंडारी तीर्थक्षेत्रमें शक्तिपीठ देवस्थानाश्रममें पहुँचे.आश्रमकी संचालिका मीरा पुरी माताजी पदवीधर है.छोटे बच्चोंका स्कूलभी चलाती है.स्वच्छ सुंदर आश्रम है.उपरकी मंज़िलपर रूम मिल गयी.नर्मदे हर!सामान रखकर स्नान करने गये.चालीसपचास सिढ़ियोंका पक्का कालेपत्थरोंसे बनाया सुंदर घाट है.यहॉं नर्मदा+ओरी+गुप्तसरस्वतीका त्रिवेणी संगम है.यह देवोंके भंडारी कुबेरजीने यहॉं तपश्चर्या की है.इस पुण्यस्थलमें पौर्णिमा अमावास्याके एकादशी पावनपर्वपर स्नानदानका महापुण्य है.और आज सफलाएकादशीके पर्वपर हमें स्नान करनेका योग आया ये मैयाकृपा.हमारी पुर्वपुण्याई.नर्मदे हर!कुबेरभंडारीजीके दर्शन लेकर महाकालि मंदिरमें दर्शन लिया.माता महाकालि मेरी कुलस्वामिनी है और आज मंगलवार माताजीका दिन दर्शनका अलभ्य लाभ हुआ.मैयाकृपा.नर्मदे हर!इधर जमीन के निचे एक गुंफा है.आधुनिक कालके योगि अरविंदजीकी तपस्यास्थली है.जिनका प्रसिद्ध आश्रम पद्दुचेरी{पॉंडेचरी}में है.मीरापुरीमाताजी अमेरिकासे भारतमें आकर कुछही महिने हुए थे और उनके पैरोंमें बहुत दर्द होने लगा,बहुत उपचार किये मुंबई जाकर स्कॅन वगैरे हो गये डॉक्टर बोले ये असाध्य व्याधी है,ठीक नही होगी.कर्मभोग मान्य करके माताजी आश्रममें वापस आ गयी और अपनी साधनामें मग्न रहने लगी.उनको शिर्डी चली जाओ,ऐसे आदेश आने लगे पहले तो उन्होंने हम तो दत्त उपासक कपिलाश्रमके चेले शिर्डी कैसे जाए?ऐसा सोचती रही मगर वारंवार आदेश आने लगे तब वह शिर्डी चली गयी.वहॉं साईबाबाके दर्शन लेकर वो बाबांके सामने बैठ गयी और दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा का जप करने लगी तब एक कुत्तेका बच्चा उनके गोदीमें आकर पैरोंपर खेलने लगा.जप पुर्ण होतेही बच्चा गायब हुआ और उनके पैर दुखना एकदमसे बंद हो गया.शिर्डीसे वापस आनेके बाद सारे रिपोर्ट नॉर्मल आ गये,डॉक्टरभी आश्चर्यचकीत हो गये.और किसीने उनके गुरूगद्दीपर बालदत्तका पालनेमें बैठा फोटो रखा था.कपिलमुनी और अनुसयामाता रिश्तेमें भाईबहन है इसलिये बालदत्त कपिलमुनिजींका भांजा हुआ इसलिये मीरामाताजी उनको पुत्रस्वरूप देखती है.अब बालदत्तही गुरूगादीपर विराजमान है.नर्मदे हर! शामको आश्रमसे थोडी दुरीपर एक जगह परमहंस परिव्राजकाचार्य सदगुरू वासुदेवानंद सरस्वती स्वामीमहाराजका साधनास्थान है एकदम मैयाके प्रवाहको सटके पुरानी इमारत है निचेका भाग मिट्टीमें दब गया है.उधर जानेको जगहही नही है.मै पिछेकी तरफसे सम्हल समल्हके थोडीसी निचे उतर गयी वहॉं एक खिडकी है उसमेंसे देखा निचे शिवपिंडी है.फोटो खींचना मुमकीन नही था.नमस्कार करके उपर आ गयी.वहॉं इतनी पवित्र जगहपर मन दुखी करनेवाली शर्मसार चीज़ देखनेको मिली बडे वृक्षतले दारूकी छोटी छोटी खाली थैलियोंका खच पडा था.नर्मदे हर! कल आगे जानेका शॉर्टकट देखकर आ गये. नित्यपाठ आरती के बाद आश्रमके सेवकका विपूलका बर्थ डे था इसलिये छोटीसी पार्टी थी उसके मित्रभी आये थे.पावभाजी मिठाई थी.अब आराम.
नर्मदे हर!
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-88
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-88-कुबेर भंडारी से तिलकवाडा-सुबह पांच बजे इंजिनमें चायका इंधन डालके हमारी विनोबा एक्सप्रेसने प्रस्थान किया.नर्मदे हर! कल जो शॉर्टकट देखा था उस कच्चे रास्तेसे टॉर्चके प्रकाशमें चलते चलते एक किमि जानेके बाद एक जगह एक बड़ा पेड गिरा था उसके बाजूसे आगे निकले दाहिनी तरफ चंद्रप्रकाशमें चमकती मैया बहुतही शांतस्वरूप दिख रही थी.हम बहुत खुशी खुशी मार्गक्रमण कर रहे थे और अचानक सामने एक खाई आ गयी वहॉं रास्ता समाप्त हो गया था.साडेपांच बजे थे मगर द्वादशीकी चंद्रकोर वह घना अंधेरा दूर करनेमें असमर्थ थी.हतबुद्ध होकर हम वही खडे रहे समझमें नही आ रहा था कहॉं जाए,कैसे जाए?भाभिजीने रास्ता ढुंडनेकी थोडी कोशिश करने लगी मगर आसपास खेत थे और अंधेरा मैने और बाबाने उनको रोका.वही बैठ गये.सामने मैयाका सुंदर स्वरूप था.नर्मदाष्टक,आरती प्रार्थना करके वही स्वस्थ बैठे रहे.मन थोडा शांत होने केबाद जिस मार्गसे आये उससे पिछे जाकर देखनेका निर्णय लिया.कपासके खेतसे जाने लगे मगर हमें आया रास्ता नही मिल रहा था.एक बडे पेडके निचे खडे हो गये.अभीभी अंधेरा था और एकदमसे थंडभी बढ़ गयी थी फिर वही पडी टहनिया सुके पत्ते छोटी लकडी जमा करके आरती की बाती और घी से आग (शेकोटी) जलायी और सेंकते सेंकते सोचने लगे.नर्मदे हर! अरूणोदय हुआ थोडा दिखने लग गया फिर मार्ग ढुंढने लगे वह गिरा हुआ पेड मिल गया वापस आये मार्गसे चलने लगे अब सवेरा हुआ था,छोटी छोटी टेकरीओंसे चढते उतरते सामने पक्का रास्ता दिखायी दिया उसपर पहुँचे तब सुबहके सव्वासात बजे थे और कर्नाली 1 किमि दिखाता पत्थर सामने था,नर्मदे हर.तिलकवाडाकी तरफ चलने लगे.साडेसात बजे पीपलिया गांव आ गया.कुछ खाना चाहिये इसलिये बसस्टॉपमें बैठ गये.एक होंडासिटी आकर हमारे पास खडी हो गयी,विपुल गाडी चला रहा था और अंदर बैठी थी शक्तिपीठ की माताजी स्वामिनी मीरा पुरीजी.शांत सुंदर तरूण प्रसन्नदर्शन.नर्मदे हर! पीपलियामें सलाह मिला की मोरया जाकर जाना ठीक रहेगा नर्मदे हर! आगे पुरूषोत्तम नारायण आश्रम बोर्डसे दाहिनी तरफ तनुभाई के घरकेपास आ गये.वह रास्ता दिखाने साथ आये,उन्होने दो खाई पार करनेमें मदत की इसलिये मोरयागांव जल्दी पहुँचे.नर्मदे हर! एक घरके आंगनमें बैठे,फरसाण बच्चोंको दिया हमनेभी खाया जलपान करके आगे चलकर बटुमहाराजजीके हनुमान मंदिरमें आ गये.फिर नको पुछके आगे चलने लगे.नडगांव,मोरागांवमें मेहरूनिस्साके आंगनमें बैठे जलपान किया,उनका बेटा बिमार है उन्होनेंकहा,आप मैयासे उसकेलिये दुवा मांगना.हां जरूर प्रार्थना करेंगे मैया जल्दही ठीक करेगी.नर्मदे हर!मेहरूनिस्साने हम सबको हमारे पैर छुकर नमस्कार किया और बोली नर्मदे हर.मैया सबकी है.गांव पार करके कच्चे रास्तेसे अश्विनीमैयाके किनारे पहुँचे.पादस्पर्शम् क्षमस्व मे बोल पार करके खडी चढाई चढकर मुस्तफा के आंगनमें बैठकर जलपान करके चुडेश्वरगांवके प्रायमरी स्कूलमें बैठे वहॉंके शिक्षक श्री.विनीत पटेल,अनिला पटेल,जयश्री पटेलने थंडगार जलपान करवाया.अब बारा बजे थे और धूप कड़ी हो गयी थी.आगे एक टेकरीपर एकही घरमेंसे श्री.झवेरभाई और सौ.काशीबेनने बुलाया पहले जलपान और बादमें अमृततुल्य चायपान.बढ़िया!वैसे आज सुबहसे वैसा कुछ खाया नही था इसलिये उस चाय की मिठास कुछ औरही थी.झवेरभाई पहले खा पिके दस रूपये मजदुरी केलिये पैदल बडोदा जाते थे.अब सरकारने आवास योजनाके अंतर्गत जमीन और घर दिया तो अब खेतीबाड़ी करते है.उन्होने बताया,इधर रातमें बाघ आता है गाय बैल बाड़ेमें बंद करके रखने पडते है.थोडीदेर पहले एक आदमीने पैरोंके निशान दिखायेभी थे.बाप रे!नर्मदे हर! साडेबारा बजे आगे चलने लगे.कड़ी धूपमें चलना बहुत कठीण हो रहा था.एक जगह कनात लगाकर बंदिस्त लाइट कनेक्शनवाला मंडप दिखायी दिया,अंदर गये.विश्राम करने बैठ गये.धूपसे राहत मिली.नर्मदे हर! दो आदमी पानी के दो कॅन लेकर आ गये,बोले,वहॉं उनका जुगार खेलनेका अड्डा है बडोदासे लोग आते है पत्ते खेलने,दोपहर दो बजेसे रातको बारा बजेतक चलता है.धन्य!मगर उनकी प्रामाणिकता अच्छी लगी झूट नही बोले वह.आगे चलकर जैसे तैसे दो बजे तिलकवाडा नर्मदेहर अन्नक्षेत्र पहुँचे.पहले कॉमन हॉलमें जगह दे दी दवेदादाजींने मगर हमारी स्वच्छता देखकर और हम पंडीत है इसलिये रसोईघर और सात नंबरका सेल्फ कन्टेंड वेल फर्निश हॉल हमारे सुपुर्द कर दिया.नर्मदे हर! पहले स्नान करके भाभी और स्नेहल रसोईमें गयी और मै और बाबा हमारा सामान हॉलमें रखना,कपडे धोना करके सबने भोजनप्रसाद लिया.आश्रमका भोजन तयार करनेवाले महाराज गांव गये थे इसलिये रातका भोजन अंजूभाभी और स्नेहलने बनाया.उन्नीस परिक्रमावासी थे भोजन केलिये.नर्मदे हर!आज मुलुंड मुंबईकी शोभाताई जोशी हमारे साथ है.स्वामी आत्मकृष्ण जिन्होने नर्मदा परिक्रमा मार्गदर्शिका लिखी है,स्वामी कृष्णानंद,दवेदादाजीसे वार्तालाप हुआ.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-89
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-89-
दवेदादाने बोला आज बालभोग और दोपहरका भोजनप्रसाद बनानेकी सेवा देदो शामको भंडारीबाबा आ जाएंगे इसलिये हम रूके.शोभाताई जोशी आगे चली गयी नर्मदे हर! बालभोग केलिये भाभिने पोहे बनाये.आत्मकृष्ण स्वामी कृष्णानंद स्वामी दवेदादाजी बहुत खुश हुए भाभिको बोले,इतने सुंदर पोहे इसके पहले कभी नही खाये थे.नर्मदे हर! स्नान नित्यपाठ करके भाभी स्नेहल भोजनप्रसादकी तैयारी करनेमें जुट गयी मै सब्जी काटने की मदत करके बाबा और मै हमारा कुछ सामान लाने और आगेका रास्ता देखकर आने केलिये बाजारमें गये.नर्मदे हर!भोजनप्रसादमें स्नेहलने सत्यनारायण की पुजा केलिये बनाते है वैसा गायके असली घी में ड्रायफ्रुट डालके सुजीका हलवा बनाया था,बहुत स्वादिष्ट भोग लगाने केबाद भगवानभी प्रसन्न हुए होंगे.सब बहुत खुश हो गये.नर्मदे हर! नर्मदे हर अनन्नक्षेत्रका सारा परिसर निसर्गरम्य है.फलफुलोंके पेडपौधे,ध्यानकुटीर,थोडी निचे बहती नीलश्यामल नर्मदामैया और उसके पाससे उडते चहकते रंगीबिरंगी छोटेबड़े पंछी.आदि शंकराचार्य रचित नर्मदाष्टक साक्षात सामने दिखता है.मै एक क्षुद्र स्त्री क्या बोलूं?शब्द नही मेरे पास.नर्मदे हर! स्वामी आत्मकृष्णजीने उनके परिक्रमाके अनुभव कथन किया.स्वामी कृष्णानंदजीने विपश्यना केबारेमें बताया.नर्मदे हर!संध्यारती के बाद हमारे नित्यपाठमें दोनो स्वामीभी सहभागी हुए.स्वच्छ स्पष्ट शब्दोच्चारवाला हमारा रामरक्षापठण उनको बहुत अच्छा लगा.नर्मदे हर! रातको नौ परिक्रमावासी थे भोजनप्रसाद लेने.स्वामीजींने दोपहरकी सब्जी और हलवा बचा है का पुछा और है कहनेपर बडे प्रेमसे खायाभी.नर्मदे हर! कल गरूडेश्वर केलिये प्रस्थान.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-90
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-90-
स्नान नित्यपाठ करके विनोबा एक्सप्रेसने गरूडेश्वर केलिये प्रस्थान किया तब सुबहके साडेपांच बजे थे.मेनरोडपर आकर पहले पैरगाडीके पेट्रोल टंकीमें पेटमें चायरूपी इंधन डाल दिया. आगे पोलिस स्टेशन केपिछे वासुदेव कुटीर ये परमहंस परिव्राजकाचार्य परम सद्गुरू वासुदेवानंद सरस्वती थोरले स्वामीमहाराजका चातुर्मास साधना स्थल है,वहॉं समर्थ रामदासस्वामी (शिवाजी महाराजके राष्ट्रगुरू) स्थापित हनुमानजीका छोटासा मंदिर है. श्री.विष्णुगिरीमहाराज वहॉंकी व्यवस्था देखते है.दर्शन लेकर गांवमेंसे चलकर मेणमैया पार करके उपर चढकर देखा मेणमैया नर्मदामैयाके गले लगती इतनी सुंदर दिख रही थी की वहॉं खडे रहकर देखते ही रह गये.नर्मदे हर.सात बजे मणीनागेश्वर मंदिर पहुँचे.सुंदर स्थान है.कश्यपमुनिकी कद्रु और विनिता ये दो पत्नीयॉं है.कद्रु के पुत्र नाग और विनिता का पुत्र गरूड.एकबार विनिता और कद्रुमे पैज लगी की इंद्रदेवका घोडा उच्चैश्रवाका रंग कैसा है?विनिता बोली,शुभ्र सफेद तो कद्रुका कहना था काला.जिसकी बात सच होगी दुसरीको उसकी दासी होना पडेगा ऐसा तय हुआ.दोनो घोडा देखने जानेवाली थी,कद्रुने अपने नाग बेटोंको कहा की वह सब घोडेकी शेपको ऐसे चिपके रहे की वो संपुर्ण काली दिखे.सब नागोंने वैसाही किया.दोनो घोडा देखने गयी तो घोडेका शरीर शुभ्रसफेद था मगर उसकी शेप काली थी.विनिता पैज हार गयी उसको कद्रुकी दासी होना पडा.कद्रुका एक बेटा मणीनागने अपनी मॉंका कहना नही माना था वह घोडे केपास नही गया था इसलिये मॉंने उसको घरसे बाहर निकाल दिया तो मणीनाग इस स्थानपर नर्मदातटपर तपस्या करने आया उसने स्थापित किया ये शिवस्थान मणीनागेश्वर नामसे प्रसिद्ध हुआ.नर्मदे हर! यहॉं महंत श्री.साहेबजी महाराज वृद्ध पॅरालेसिस हुए रूग्णोंकी सेवा करते है चिक्तित्सालय चलाते है.रूग्णसेवा ही ईश्वरसेवा मानते है.नर्मदे हर! मणीनागेश्वर दर्शन लेकर महंतजीको प्रणाम करके चाय लेकर आगे निकले.वाडिया,वीरपुर,रेंगण यहॉं गंगाबेन तडवीजी के आंगनमें बैठकर साथ लाया कलवाला हलवा खाकर जलपान किया.आगे वासणा,सांजरोली,अक्तेश्वर यहॉं अगस्तिऋषिने तपस्या की थी.आगे हायवे आ गया,वहॉं एक मंदिरके प्रांगणमें बैठे.दर्शन केबाद वही बैठकर टरबूज खाया.फिर एक शॉर्टकटके रास्तेसे दस बजे गरूडेश्वर पहुँचे.नर्मदे हर! क्रमशः
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-91
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-गरूडेश्वर- परम सद्गुरू वासुदेवानंद सरस्वतीमहाराज समाधीमंदिर ट्रस्टके ऑफिसमें गये वहॉं श्री.गोडबोलेजीसे बात करके परिक्रमावासी पहचानपत्र और अपना आय डी प्रुफ देकर भक्तनिवासमें रूम नं.7 मे आसन लगाया.और मैयाका साधारणतः तीस चालीस सिढ़ियोंवाला घाट उतरकर स्नान करने चले गये.आज मार्गशीर्ष अमावस के पर्वणीमें मैया स्नान करनेका पुण्यप्रद अवसर मिला था.नर्मदे हर! एक पत्थरपर बैठकर मै स्नान कर रही थी और एकदमसे एक भगिनीमंडल आया और मेरे सिरपर पानी डालकर मुझे नहलाने लगी,मैने पुछा तो बोली इस पर्वणीके शुभअवसरपर एक ब्राह्मण पंडीत सुवासिनीको स्नान करानेका पुण्य मिल रहा है.देखते देखते पचीस तीस महिलाओंने मुझपर पानी डाला और बादमें मुझे हरिद्रा कुमकुम लगाकर किसीने साडी किसीने ब्लाऊजपिस किसीने पैरकी उंगलीमें पहननेके चांदीके बिछुए और नारियल दक्षिणा देदी.इस आस्थाके आगे मै नतमस्तक हो गयी.नर्मदे हर! स्नान के बाद वही घाटपर बैठकर नित्यपाठ आरती करके हम समाधी मंदिरमें जाकर दर्शन लिया,थोडी देर नामस्मरण करके भगवान दत्तगुरू मंदिर जाकर दर्शन नामस्मरण किया.यहॉंकी दत्तमुर्ति बहुतही सुंदर है ऐसा लगता है अपनी ओर हसकर देखते कह रहे है,डरो नही हम है आपके पास.नर्मदे हर!
गरूडेश्वरमें गरूडने अपनी माता विनिता को सौतेली मॉं कद्रुकी दासीपनसे छुडाने केलिये स्वर्गसे अमृत लाने केलिये तपस्या की थी.उन्होने गरूडेश्वर महादेवकी स्थापना की है.एक टेकरीपर पुराना मंदिर है. लेकिन अब ये स्थान परमहंस परिव्राजकाचार्य वासुदेवानंद सरस्वती स्वामी महाराजजीके समाधीस्थान के तौरपर प्रसिद्ध है.नर्मदे हर! आज हमारा भाग्योदय दिन था,भालोदके शरदचंद्र प्रतापे महाराजजी आये थे दर्शन मिला,सत्संग हुआ.नर्मदे हर! दोपहरको भोजनप्रसाद मिला.थोडा विश्राम करके गरूडेश्वरमे इधर उधर घुमकर घाटके सिढ़ियोंपर बैठकर सुर्यास्तका नजारा देखा.लाल पिले केशरिया रंगोंकी चित्रकारी निले आकाशपर इतनी सुंदर की थी संध्यारानीने.गाना याद आ रहा था,ये कौन चित्रकार है?कौन चित्रकार?नर्मदे हर! दत्तगुरू,स्वामीमहाराजजी के सायं आरतीमें सहभागी होनेका सौभाग्य मिला.रातको अन्नपुर्णागृहमें भोजनप्रसाद नही होता इसलिये गांवमें जाकर कुछ हलका खाकर आ गये.अब निद्रादेवीकी आराधना.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-92
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-92-स्नान नित्यपाठ करके पावणेपांच बजे कानाबेडासे आगे चलना शुरू किया.देवत,मोतिशानबाग,माथाडुंगरी,चापडियामें जयस्वालजी का बेटा प्रवीण परिक्रमावासीओंकी सेवा करता है.चाय लेकर आगे चलने लगे.आठ बजे कवांट पहुँचे.बसस्टॅन्ड केपास नसवाडी चौकडीमें श्री.विनोदभाई डबगरजीने पोहे दूधका नास्ता दिलवाया,हमने जो मेडिसिन लिया उसके पैसेभी उन्होने दिये नर्मदे हर! कामनाथ महादेव मंदिरमें गये,दर्शन लेकर महाराजजीको प्रणाम किया.आशिर्वाद देकर वह बोले,आज रहो इधर.हमने कहा अभी तो नौ ही बजे है पुरा दिन क्या करेंगे?तो महाराज बोले हापेश्वर जाके दर्शन करके आना,पुरातन मंदिर तो डुब गया मगर नया मंदिर है एक अनोखा शिवदर्शन है देखके आओ.यहॉं आसन लगाकर दर्शन लेकर वापस यहॉंही आकर आगे जानेमें परिक्रमा खंडीत नही होती हम बता रहे है न?जाओ.नर्मदे हर!ये मैयाकी आज्ञा है.इसलिये सॅक वही मंदिरमें रखकर हम बसस्टॅन्डपर गये.वहॉं एक जीप मिल गयी और भी परिक्रमावासी थे हापेश्वर जानेवाले.नर्मदे हर! हमीरपुरा,वजेपुर,वाव,टीमडी,लीमडी,रायसिंगपुरा,झुंजर,मोडियावाली,कॉलनी,कडीपानी अब आगे कच्चारोड शुरू हुआ,हापेश्वर.मंदिर केपासही जीप रूकी.नर्मदे हर! गोराग्राममें बने नये शुलपाणेश्वर मंदिर जैसाही येभी मंदिर है.पुराने मंदिरसे शिवपिंडी तो निकालकर लानेमें सफलता मिली मगर वह नये गर्भगृह के दरवाजेसे अंदर लेके जानेमें असफल होना पडा,तब नयी शिवपिंडीकी गर्भगृहमें स्थापना कर दी.और पौराणिक शिवपिंडी बाहर सभामंडपमेंही विराजमान है.यहॉं एक शिवपिंडी और है उसमें एक बरगदका पेड बडा हो रहा है,देखके लगता है की मानो नागदेवताने शिवजीके गलेको लपेट लिया है.नर्मदे हर!भगवान आपकी लिला अगाध है.दर्शन लेकर वहॉंके महाराजजीको प्रणाम करके सरदार सरोवरका बॅकवॉटर देखने गये.मैया! कितना भव्यस्वरूप है!सुंदर नीलश्यामल,बीच बीचमें हरेभरे वृक्षराजीसे परिपुर्ण टापू है अभी कुछ आदिवासी वहॉं रहते है मगर बांधकी उंचाई बढ़तेही ये सब जलमग्न हो जाएंगे.इश्वरेच्छा बलियसी.नर्मदे हर!
मंदिरकेपास धर्मशाला है.भोजनप्रसादकी सुविधा है.परिक्रमावासी यहॉं रहकर कडीपानीसे आगे जाते है.मगर हमारा सामान कवांटमें है इसलिये हम भोजनप्रसाद लेकर उसी जीपसे कवांट वापस आ गये.नर्मदे हर!
कवांट बडा गांव है,बडी बाजारपेठ है.थोडा इधर उधर घुमकर कामनाथमंदिरमें वापस आ गये.फ्रेश होकर महाराजजी केपास बैठे.महाराजजी बहुत बुजुर्ग तपस्वी है.उन्होने बताया यहॉं कामदेवने तपस्या की है इसलिये कामनाथमहादेव.नर्मदे हर!
महाराजजी थोडे गुसैल स्वभावके है.मगर हमसे प्यारसे बात की.हमने सब्जी काटने?सॉरी सॉरी काटना नही बोलनेका सब्जीकी तैयारी करनेमें मदत की.शामकी आरती के बाद हमारा नित्यपाठ किया.रामरक्षा,भगवद्गीता पठण सुनकर महाराजजी बहुत प्रसन्न हुए.नर्मदे हर!टिक्कड सब्जी खिचडी कढ़ीका भोजनप्रसाद पाया.अब विश्राम.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-93
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-93-इस मंदिरके पास बिलकुल जगह नही है की सोय सुविधास्थान बना सके इसलिये उठकर ऐसेही चल पडे.कहामैया पुलसे क्रॉस करके आगे हमीरपुरफाटा,वजेपुरफाटा,आमसाटाफाटा,नवलजा पार करके चिचवा आनेतक हमारी दमछाक हो गयी.कल रात निंदियारानी हमसे रूठी थी और आज सुबह तीन बजे उठे थे क्योंकी प्रातर्विधी करने बहुत दूरतक जाना पडा था.कवांटमें एक कामनाथमहादेव मंदिर के सिवा परिक्रमावासीओं केलिये कुछ भी व्यवस्था नही है.नर्मदे हर! चिचवाकी आश्रमशालाकी कोकिलाबेनजीने पहली परिक्रमामें भोजनप्रसाद दिया था मगर आज मकरसंक्रांति की छुट्टी है.बारा बज चुके थे.सामने रहनेवाली नानकी राठवा,उर्मिला राठवा केघर ॐ भवति भिक्षां देहि किया.नर्मदे हर! बेनजीने दालचावल,छाछ ऐसा भोजन प्रसाद दिया.आज संक्राति है डीजे का हंगामा कान फट जानेवाला था मगर इतने थक गये थे की थोडा आराम जरूरी था.दो बजे आगे चलने लगे.कड़ी धूप हमको परेशान करनेसे पिछे हटनेको तैयार नही थी.रास्तेमें विनोद राठवाने पपिता दिया.मनमें विचार आया,आज संक्रांत है मगर बेर खानेको नही मिले और सामने बेर के पेड दिखायि दिये.भरपूर खट्टे मिठे बेर खाये.विचार आया और मांग तुरंत पुरी यही तो मैया की खासियत है.नर्मदे हर!सींगलदा पार करके चेकपोस्ट के बाद रेंणदामें हनुमानमंदिर नर्मदे हर अन्नकुटीर पहुँचे.महाराजजीने सहर्ष स्वागत किया.हॅन्डपंपपर स्नान किया कपडे धोकर सुखाने डाल दिये.यहॉं बंधोईमैया के किनारे एक सिद्धबाबा स्थान है,पत्थर की मुर्तिको हर सोमवारको ११ सिगरेटका भोग चढ़ाया जाता है,वह मुर्ति सिगरेट पिती है ऐसा महाराजजींने बताया.शामका नित्यपाठ होतेही महाराजजींने दाल रोटी और खिचडी का भोजनप्रसाद दिया वह खुद भी हमारे साथ प्रसाद पानेमें शामील हुए.नर्मदे हर!आश्रममें बिजली नही है मगर चांदनी रात है चंद्रमौली आश्रममें चंदामामा प्रकाश देने समर्थ है.बहुत थके है अब विश्रांति.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-94
नर्मदा परिक्रमा-भाग-94-स्नान नित्यपाठ के बाद हनुमानजी के दर्शन करके महाराजजी को प्रणाम करके कालीमहारानी{कालीचाय}पान करके सुबह छे बजे विनोबा एक्सप्रेसने गुजराथ राज्यका आखरी स्टेशन रेंणदा छोडकर मध्यप्रदेश की ओर प्रस्थान किया.महाराजजी बंधोईमैया के ब्रिजतक हमको विदा करने आये थे.नर्मदे हर! साडे छे बजे गुजराथको अलविदा करके मध्यप्रदेशके छकतालमें प्रवेश किया.अब यहॉंसे परिक्रमा पुर्तितक मध्यप्रदेशही होगा.बसस्टॅन्ड केपास चायकी दुकान थी,हम चाय पिने गये.श्री.योगेशभाई वाघेलाजीने चाय के पैसे दिये.नर्मदे हर!चलो आगे.रास्ता अच्छा है दोनो तरफ घना जंगल है.भुपालियामें श्री.कुंजू चौहानजीने बुलाया,नर्मदे हर! चौहानजी माध्यमिक शिक्षक है.उनकी बेटी दसवी और बेटा नववी कक्षामें है दोनो टॉपर है.चाय लेकर आगे चलने लगे.हल्की गुलाबी थंडीहवा,वृक्षराजीसे आती फुलोंकी सौंधी सौंधी खुशबू.घाटरास्ता है मगर चलते चलते पंछीओंकी मधुर किलबिल सुन रहे थे तो थकान मानो जैसे छुमंतर हो गयी थी.आगे कठवाड,मधुपल्लवीमें कमरू मोरीजी की दुकानमे गये कुछ वेफर्स खरीदकर नास्ता किया तबतक कमरूजी चाय लेकर आ गये और बोले चाय तो मैया केलिये है,उसने सेवाका मौका दिया.नर्मदे हर!पुवासा के आगे एक जगह छोटासा नाला और उसपर ब्रिज था.घनी वृक्षराजीसे परिसर बहुत शांत लग रहा था.ब्रिजके कठडेपर आंख मुंदकर बैठे रहे.बहुत शांति मिल रही थी.यही रहनेका मन कर रहा था मगर आगे जानाभी तो जरूरी था.नर्मदे हर! सिलोटा पहुँचे तब साडे ग्यारह बज चुके थे.रास्तेपरही शिलाईमशीन रखकर श्री.राजेशकुमार सोनी कपडे सिलाई कर रहे थे,उन्होने बुलाया नर्मदे हर! भोजनप्रसाद विश्राम के बाद सोंडवा पहुँच सकेंगे की नही इसका विचार कर रहे थे तभी आंगनबाडी जा रही कार्यकर्ता सौ.उमा वर्माजी आयी और बोली,दो बजे मै वापस आती हूँ आप आज हमारे घर रहिये.सोंडवा पंधरा किमि है,जंगलका रास्ता है जाना ठीक नही.नर्मदे हर! स्वादिष्ट भोजनप्रसाद मिला.स्नेहलकी कॅरीमॅटको कव्हर चाहिये था,सामने कपडेकी दुकान थी वहॉंसे कपडा लिया,राजेशकुमारजीने कव्हर सिलके दिया.नर्मदे हर!उमाजी आने केबाद उनके घर गये.सोंडवाके BEO परमानंद धाकडसाब को फोन करके हम कल सुबह आ रहे है ऐसा कह दिया.वह बोले,सहर्ष स्वागत है.शामको उमाजीने खिचडी का भोजनप्रसाद दिया.नर्मदे हर!कल रेंणदाके चंद्रमौली आश्रममें शांत निंद आयी थी और आज चलनाभी ज्यादा नही हुआ था,इसलिये आज थकान बिलकुलही नही.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-95
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग95-सुबह साडेपांच बजे उमा वर्माजीको अलविदा किया.रास्ता अच्छा था सव्वा छे बजे मोरजा फाटा आया.दाहिनी तरफसे चलना शुरू किया रास्ता अच्छा था आठ बजे मोरजा गांव आया अब कच्चा रास्ता शुरू हुआ पावणेनऊ बजे हायवेपर आ गये.खाखरिया,बथडिया के बाद साडेदस बजे सोंडवा पहुँचे.लक्ष्मीनारायण मंदिरमें दर्शन किया.पहली परिक्रमामें हमने यहॉं मुक्काम किया था मगर तब यहॉं कुछ सुविधा नही थी हम लक्ष्मीनारायणजीके अगलबगल और सामने सोये थे.मगर अब धर्मशाला बनायी है.पुजारीजी है उन्होने अच्छी साफसफाई रखी है.बोले रहो आज इधर मगर हमने BEO श्री.परमानंद धाकडजीको कलही फोन करके हमारे आनेकी सुचना दे रखी थी इसलिये नर्मदे हर.चाय लेकर उनके सरकारी क्वार्टरमें गये.उधर जाने केबाद मालुम हुआ की वह यहॉं अकेले रहते है परिवार मलसरमें है.नर्मदे हर!मगर हमारी व्यवस्था के लिये दो अटेंडंट देकर वह ऑफिस चले गये.रामसिंगजी और लालसिंगजीने बाहरसे पानी लाकर दिया हमारा सबका स्नान कपडे धोना होनेतक दोनोने भोजनप्रसाद तयार किया.नित्यपाठ करके भोजनप्रसाद पाया.दाल चावल रोटी सब्जी दही अचार सब बढ़िया.थोडा विश्राम करके तीन बजे दोनोंको नर्मदे हर करके आगे निकल पडे.रास्ता अच्छा था.खामटगांव केबाद साडेपांच बजे वालपुर पहुँचे.सुबह रास्तेमें इस गांवके श्री.अंबाराम पाटिदारजी मिले थे,उन्होने दक्षिणा देकर शिवमंदिरमें निवास व्यवस्था है ऐसा कहा था मगर देखा तो मंदिर छोटा था और बंदिस्तभी नही था.अंबाराम पाटिदार घरमें नही थे और उनकी अनुपस्थितीमें माताजी व्यवस्था करनेमें असमर्थ थी.नर्मदे हर!मैयाने हमारेलिये तय किया घर हमें ढुंडना था.और डॉक्टर अनिमेश विश्वासजी का घर देखा,सौ.वंदनाजीसे निवासभिक्षा मांगी और उन्होने सहर्ष स्वागत किया.नर्मदे हर!उपर प्रशस्त हॉलमें आसन लगाया.फ्रेश होकर प्रथम चायपान हुआ.वंदनाजीका मायका डहीमें है.वैद्य जितेंद्र चव्हाण मुल महाराष्ट्रीय परिवार है.वंदनाजीने उनको फोन करके हमारे आनेकी सुचना देदी.मैया तेरी लिला अगाध है.भोजन प्रसाद पाकर बैठेही थे की सोंडवासे धाकडसाब मालवीयजी को लेकर आ गये हमारा हाल पुछने.इतना बडा क्लासवन ऑफिसर अपनी बिझी शेड्युलसे समय निकालकर केवल हमारेलिये आये थे.डॉक्टर अनिमेश विश्वासभी बहुतही मिलनसार है.बहुत देरतक बाते करके भाईसाब सोंडवा वापस चले गये.नर्मदे हर!मैया!ऐसे प्यारे लोगोंसे हररोज हमको मिलवाकर आप मानवताका जो आविष्कार दिखाती हो.मोरया!तेरी दिदी ग्रेट है.जय हो मैया की!नर्मदे हर! अगली परिक्रमामेंभी हम तीन सहलियॉं वालपुरमें डॉक्टर अनिमेश और सौ.वंदना विश्वासजी के घरही ठहरे थे.अब सारा रेवाखंडही मायका है.बस् सॅक उठाओ और चल पडो.हरएक गांवमें मेरी मैया घरका द्वार खुला रखकर मेरा सहर्ष स्वागत करने तैयार है.नर्मदे हर!नर्मदे हर हर! मैया!!
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-96
नर्मदा परिक्रमा-भाग-96-
स्नान नित्यपाठ करके वंदनाजीने दिया चाय का इंधन पेटरूपी इंजिनमे डालकर हमारी विनोबा एक्सप्रेसने वालपुरसे प्रस्थान किया,डॉक्टर अनिमेश विश्वास और वंदनाजी हमे अलविदा करने दुरतक आये थे.नर्मदे हर! कुकलट गांव केबाद हथिनीमैया नये ब्रिजसे क्रॉस कर ली तब घड़ीमें सुबहके सात बजे थे.छोटी हथनी गांवमें श्री.मुकेश डोडवाजीने घर बुलाया.ये सैनिक छुट्टीपर आये थे,बकरीके दुधकी चाय पिलायी,हमने जिंदगीमें पहलीबार ये चाय पी,अच्छी लगी.इस छोटी हथनी गांवसे विंध्यपर्वत लांघकर महाराष्ट्रके नंदुरबारमें आदिवासी बांधव हररोज आते जाते रहते है.वो भी पैदल.नर्मदे हर!
आगे उन्हाला गांवके अंबामाता मंदिरमें एक मैया मधुर स्वरमें आरती गा रही थी मै मंत्रमुग्ध होकर सुनती वही खडी रही.बाकी साथी आने केबाद वही एक पेडके निचे बैठकर नास्ता किया और आगे चलने लगे.बोडगांवमें श्री.विजय मंडलोईजीने जलपान कराया.थोडा विश्राम करके आगे निकल पडे.ये सारी राह घने जंगलसे जाती है,उत्तरतटकी शुलपाणिकी झाडीमेंसे हम चल रहे है.सारे परिसरको निसर्गदेवताका बडा सुंदर वरदान मिला है.बडे बडे हरेभरे वृक्ष,रानफुलोंकी बहारसे प्रफुल्लीत लताबेल इन वृक्षोंको लिपटकर उपर उपर चढती आसमानको छुना चाहती बहुत सुंदर लग रही थी.सव्वा दस बजे टेमरिया पार करके आगे जा रहे थे तब एक वनसुंदरी कन्या मिली.मीना नामकी गांव की छोरी सुंदर पारंपारिक चांदीके गहने पहनकर डही के बाजार जा रही थी.उसका फोटो खिचे बगैर मुझसे रहा नही गया,उसको पुछकर मैने अलग अलग ऍंगलसे उसके फोटो खिंचे.ठुमक चलत रेवारानी देख मुक हुई मेरी बानी.नर्मदे हर!सारा परिसर सुंदर है मगर रास्ता बहुतही खराब.कितने पहाड चढे और उतरे,शुलपाणिकी झाडी जो पार कर रहे थे.खेडापुरा के बाद आ गया डही.आज बाजारका दिन है इसलिये बहुत भीड थी.जैसे निकलकर आ गये,कुछ फल खरीद लिये.थोडीही देरमें हम वंदना विश्वासके बडे भाई वैद्य जितेंद्रराव चव्हाणजी का घर-दवाखाना आ गया,वह मिल गये,वंदनाजीने उनको हमारे बारेमें बताया था.उन्होने हनुमान मंदिरमें सब व्यवस्था है मगर नही होगी तो मै डबा लेकर आता हूँ ऐसा कहा क्योंकी उनके घरके रिन्युएशनका काम चल रहा था.अगली परिक्रमामें हम उन्हीके घर रहे थे.नर्मदे हर! कोटेश्वरके संतमहात्मा कनकबिहारीदासजी का ये हनुमानमंदिर बहुत बडा है,धर्मशाला भी है.भोजनप्रसाद मिलता है मगर हम देरसे पहुँचे थे,मुख्य महाराजभी कुंभपर्व के लिये प्रयाग गये थे,सदाव्रत मिल रहा था मगर हम बहुत थक गये थे इसलिये हमने जितेंद्रभाईसाबको फोन करके बताया.उनके आनेतक हमने फलाहार लिया.दो बजे भाईसाब और भाभिजी भोजनप्रसाद लेकर आ गये.सब्जी रोटीका स्वादिष्ट प्रसाद पाकर अंतरात्मा तृप्त हो गयी.नर्मदे हर!सव्वातीन बजे आगे निकल पडे.रास्तेमें विश्व हिंदु परिषद के कार्यकर्ता श्री.निलेश राठोड मिल गये उन्होने जामदा के रामुसिंग मालवीयजी का नाम बताया और उनके यहॉं जानेको कहा बादमे आगे जानेपर मोटरसायकलसे आकर जामदा के स्कूलटीचर श्री.वर्मासर का फोन नंबरभी दिया.नर्मदे हर!पांच बजे ठेंगचा गांव आया,सब बहुत थक गये थे मगर जामदा सिर्फ दो किमि रह गया था इसलिये आगे चलते रहे.रास्तेमें दोनो तरफ खजुर के पेड फुलोंसे भरे दिखायी दिये.साडेपांच बजे जामदा पहुँचे.रास्तेपरही रामुसिंग मालवीयजी का घर-दुकान था मगर उनके रिश्तेदारीमें दुःखद घटना घटी थी इसलिये वह असमर्थ थे.हमने वर्मासर को फोन लगाया फिर उनके सुचनानुसार स्कूलकी एक रूम खोलकर दे दी.आसन लगाया.हॅन्डपंपपर स्नान कपडे वगैरे काम पुर्ण किया.नित्यपाठ कर रहे थे तब शेरला नामका स्कूल कर्मचारी खिचडी बनाकर लेकर आ गया.मैया पुत्रोंके इस सेवाभाव के आगे हम नतमस्तक हुए.नर्मदे हर!अब विश्राम.
वंदना परांजपे.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-97
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-97-हॅन्डपंप का पानी अच्छाखासा गरम था इसलिये स्नान किया.नित्यपाठ करके साडेपांच बजे आगे निकले.शेरलाजी का घर स्कूलके सामनेही था,उनको पुकारकर कलके बर्तन लौटा दिये और नर्मदे हर!बोलकर चलना शुरू किया.डाकनकुंडी के बाद कुऑं धरमराय गांवमें प्रवेश किया तब सुबहूके सात बजे थे.सुंदर हनुमान मंदिर है,प्रवेशद्वारपर गरूड विराजमान है.धरमराय और धर्मीकोट एकही है. यहॉं प्राचीन धर्मेश्वर महादेव मंदिर है.यहॉं अवधूतधाम आश्रम है वहॉं महाराष्ट्रीय महाराज है.आश्रम मैया किनारे है,मगर आगे जाने के लिये वापस पिछे आना पडता इसलिये हम गये नही.नर्मदे हर!एक दुकानसे पोहे मिक्स फरसाण खरीदकर नास्ता करके कच्चे रास्तेसे आगे चलने लगे.पुनर्वसित धरमराय,किकरवासगांवमें गुलाबसिंगजी बुलाया नर्मदे हर!चायपान करके आगे चलने लगे तब सुबहके साडेनऊ बजे थे.डेहेल केबाद पिपरीपुरामें दुर्गामंदिर है.सुंदर प्रशस्त परिसर है,परिक्रमावासी निवास करते है.बाजूमें सौ.पिराबाई सिताराम इस्केजीका घर और दुकान है वह सदाव्रत देती है मगर हम लोगोंको घर बुलाया और आलूमटर सब्जी,लच्छा पराठा और दाल,ये दाल हमारी स्नेहलने महाराष्ट्रीय पद्धतीसे बनायी हम उसको आमटी बोलते है.बढ़िया भोजनप्रसाद.नर्मदे हर! एक बजे आगे चलना शुरू.धूप बहुतही कड़ी हो गयी थी रास्ता भी कच्चा था.चंदनखेडी,नबाबपुरा फाटा,केबाद सव्वा तीन बजे नीसरपुरमें एक बडी नदीमैया तुटे फुटे बिना कठडेवाले हेवी ट्रॅफिकवाले ब्रिज क्रॉस करके प्रवेश किया.बहूत थक गये थे,कल यहीसे आगे जाना था इसलिये रूकना चाहते थे,मेरे पास पहली परिक्रमामें मिली सुशिलाजी का नाम था मगर मुझे उनका सरनेम ठीकसे याद नही आ रहा था,मुकाति या दुसरा कुछ?एक हॉटेलमें चायदूध लेकर अंजूभाभि केलिये मेडिसिन खरीदते समय उनका ध्यान मुकाति टेलर्स बोर्ड की तरफ गया,फिर उनसे सुशिलाजी के बारेमें पुछताछ कर ली.उन्होने बताया की शिवमंदिर के पास उनकी पुरानी हवेली है.नर्मदे हर!प्रथम मैने जाकर घरके बरामदेमें बैठी माताजी को मेरा परिचय देकर पिछले वर्ष सुशिलाजी मुझे बसमें मिली थी और घर आनेका निमंत्रण दिया था ये बताया.सुशिलाजी बाहर आयी उन्होने मुझे तुरंत पहचान लिया और सहर्ष स्वागत किया मैने बाबा,भाभी,स्नेहल को बुलाया और घरमें आसन लगाया.फ्रेश होकर चायपान कर रहे थे तब सुशिलाजीने कहा की आप गाडीसे कोटेश्वर जाकर स्नान दर्शन करके आना.हमें भी वो उचित लगा.हमने कपडे सर्फमें भिगोकर रखे ताकि वापस आकर धोनेमें आसानि होगी.गाडीसे कोटेश्वर पहुँचे.घाटपर मैयाकी लहरे ऐसे धडक रही थी जैसे की सागरकी लहरे.प्रचंड जलसाठा आंखोंमें नही समा रहा था.अस्ताचल जाते सुर्यप्रकाशसे मैया अप्रतिम सुंदर लग रही थी.श्री कोटेश्वर,पुराना कोटेश्वर,श्रीरामजी,संत दगडूबापूजी के दर्शन करके कमलदास बाबाजींको प्रणाम करके गोशाला,संस्कृतपाठशाला देखकर वापस नीसरपुर आ गये.घर आकर देखा तो सुशिलाजीके बहुने हमारे कपडे स्वच्छ धोकर नील लगाकर सुखाने डाल दिये थे.नर्मदे हर!क्या कह सकते है ऐसे सेवाभाव के बारेमें?पिछले साल बसमे हो गयी सिर्फ जानपहचानपर उन्होने किया हमारा शाही आगतस्वागत,ये सिर्फ मैया किनारे रहनेवाले उनके पुत्र और कन्याही कर सकते है.कितनी ये मैया प्रति श्रद्धा.नर्मदे हर!नर्मदे हर हर!नर्मदे हर हर हर!वन्दे नर्मदाम्.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-98
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-98-सुबह जल्दी उठकर बहूने स्नानका पानी गरम करके दिया.स्नान नित्यपाठ के बाद अदरक वाली मसालाचाय दो बार लेकर सुशिला मुकातिजी और फॅमिलीको अलविदा करके हमारी विनोबा एक्सप्रेसने नीसरपुर स्टेशन छोडा तब सुबह के सात बजे थे.नर्मदे हर! आगे पुनर्वसित नीसरपुर के आगे एक निर्माणाधीन साईमंदिर के बाद कडमाल,खापरखेडामें श्री.मोहन पाटिदारजीने बुलाया,नर्मदे हर! गाजरका स्वादिष्ट हलवा बडे बडे कटोरे भरके दिया,आग्रह इतना की ना नही बोल सके खानाही पडा.चाय लेकर आगे चलने लगे तब साडेआठ बजे थे.गेहेलगांव यहॉं संतगुरू कबीर सत्यनाम गुरू हरीदास भाथीजी आश्रम है,आश्रममें भोजन-निवास व्यवस्था है और राजघाटपर रखा सामान लानेकी भी व्यवस्था है.नर्मदे हर!एक नर्मदापुत्रने पपिता दिया.आगे आया चिखलदा.महाराष्ट्र के क्रांतिवीर दामोदर चाफेकरजी के वंशज परपोते यहॉं रहते है.उनके घर गये.नीलकंठेश्वर,हरिहरेश्वर,नर्मदामाताजी का दर्शन किया.यहॉं प.पुज्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजीं ने चातुर्मास किया था.नर्मदे हर!आगे बसस्टॅन्ड के पाससे मोबाईल टॉवरके पाससे कच्चे रास्तेसे रेत के खदानसे मिट्टीभरे रास्तेसे चलना बहुतही मुश्कील हो रहा था हवासे उडती रेतमिट्टी नाक आंखमें जा रही थी उपरसे कड़ी धूप बहुतही परेशान करता ये रास्ता समाप्त हुआ तब दोपहरके साडेबारा बजे थे.हाय वे आ गया,सोडलबाबा शिव मंदिर है छोटासा.चाय की टपरी थी,बैठ गये बहुत थक गये थे.एक नर्मदापुत्रने बड़ा पपिता और अमरूद दिये.बहुत सुंदर मिठे फल पाकर आत्मसंतुष्टी मिली.चाय लेकर आगे चलने लगे.यहॉं एक पेड के निचे एक बाबाजी दो तीन सालोंसे खडे है.बाराही महिने खडेही है,एक लुंगी पहने और गलेमें थैली लटकाए खडे है.सिर्फ चाय और फरसाण लेते है.किसीने दिये तो पांचदस रूपये लेते है,ज्यादा दिये तो लेते नही.मौन रहते है.नर्मदे हर!मैया परिक्रमा करते वक्त कितनी महान विभूति,संतमहात्माओंके दर्शन होते है.पुर्वपुण्य मैयाकृपा है.मलवाडा-श्री गजानंदजी स्नानघाट बहुत सिढ़ियोंवाला है एक नये मंदिरमें दर्शन लेकर आगे जाने लगे.मंदिर के पास धर्मशाला है,भोजनप्रसादकी व्यवस्था है.कच्चे रास्तेसे बोधवाडामें शिवपंथलिंग तीर्थस्थान पहुँचे.यहॉं महाराष्ट्रके धुलियासे आये रमादास त्यागी ये महंतजी है.आसन लगाया.महाराष्ट्र के सेवाभावी प्रसिद्ध परिक्रमावासी श्री और सौ.पागेजी आजही आगे गये थे.भेंट का योग नही था.नर्मदे हर. शिवपंथलिंग बारवी शताब्दीका और अठारहवी शताब्दीमें जीर्णोद्धार हुआ पुरातन मंदिर है.मंदिरके तलहटीपर रूद्रयंत्र है और महादेव के गर्भगृह के छतपर श्रीयंत्र है.मंदिरके तलहटीपर चारों दिशाओंमें शिवपिंडी और माता पार्वतीके विग्रह है.मुख्य पिंडी की शाळुंका संगमरवरी है.इसी तीर्थस्थानसे सब तेहेतीस कोटी देवताओंने,यक्ष किन्नर सबने नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ की थी ऐसी आख्यायिका है.सारा परिसर बड़ी वृक्षराजीसे व्याप्त है.यहॉं मैया शांत पर विशालस्वरूप है.आज महंतजी केसाथ हम याने सिर्फ महाराष्ट्र है.सबने मिलके मराठी भोजनप्रसाद बनाया नैवेद्य भगवान को अर्पण करके प्रसाद पा लिया.नर्मदे हर!अब विश्राम.
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-99
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-99-सुबह स्नान नित्यपाठ हुआ,महंतजीने यहॉं 2500 सालसे जल रही अखंड ज्योति के दर्शन करवाए.वहॉं मारूतिराय भी विराजमान है.शिवदर्शन लेकर सबने चाय लिया और महंतजीको प्रणाम करके विनोबा एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखायी.नर्मदे हर! गोपालपुरा के बाद गांगलीफाटा आ गया वहॉंसे एकलबाडा के लिये शॉर्टकट था इसलिये गांगली न जाते आगे चलने लगे.श्री.मोहनलाल धनगर खेतमें काम कर रहे थे साथमें उनका पोता वेदांत भी था.नर्मदे हर! मैया पधारो गरीब के घर कुछ बालभोग पाओ.बडी विनम्रतासे प्यारसे बुलाने पर ना नही करते गये पोहे चाय लेकर आगे चलने लगे.नर्मदे हर! कच्चे रास्तेसे एक थोडे पानीवाली नदीमैया पार करके एकलबाडा गांवके श्रीराम मंदिरमें आ गये.दर्शन लिया.यहॉं परिक्रमावासी रह सकते है.ओंकार तोमरजी भोजनप्रसादकी व्यवस्था करते है.उनके घर एक परिक्रमामें हम रूके थे.बडा आगत्यशील परिवार है.इस गांवमें सुबह होने के पहले भोर समय राम फेरी आती है उनके स्वागतमें घर के दिंडीदरवाजेमें दिपक जलाते है और रामभक्तोंकी झोलीमें कुछ न कुछ जैसे धान आटा वगैरे डालते है.बहुत पवित्र वातावरण होता है.हमारे महाराष्ट्रके गांवोंमे भी आते है सफेद कपडे पहने गलेमें कवडीयोंकी माला सिरपर मोरपंखकी टोपी पहने आदमी रामनाम अंबामाता के गीत गाते है उनको वासुदेव भोपी कहते है.नर्मदे हर!निर्मलाताई के घर चाय लेकर आगे चलने लगे.कच्चे रास्तेसे नाला पार करके अछोदा के बाद सेमलदाके सदाव्रत आश्रम पहुँचे,आगे मॉ रेवा कुटी आश्रम नावघाट आ गये.यहॉं छोटा बडदासे लोकेश पाटिदार हमारे कुछ मेडिसिन बडवानीसे लाकर देनेवाले थे.आश्रम के जगबीरबाबाजीने एक पपिता प्लेट चाकू सब दिया और खुद मैया स्नान करने चल पडे.नर्मदे हर!थोडीही देरमें वह हमारा सामान लेकर वापस आ गये.लोकेशने नाविक के हाथों सिर्फ मेडिसिन ही नही भोजन भी भेजा था.नर्मदे हर! मैया,आपके बच्चोंके इस श्रद्धा भक्ति प्रेम के आगे हम सिर्फ नतमस्तक हो सकते है.आगे पेरखडमें सौ.सुमन धर्मेंद्र डोडवाजी के घरमें लोकेश पाटिदारने भेजा भोजनप्रसाद ग्रहण किया और थोडा विश्राम करके आगे निकल पडे.भगवा झंडा देखकर उसके अनुशंग से एक टेकरीपर भोगेश्वर महादेव मंदिरमें गये.छोटासा पुरातन मंदिर है.बहुत सारे साधू वहॉं भोलेबाबाकी स्पेशल आराधना करने बैठे थे कुछ गांववाले भी थे(आप समझे न स्पेशल आराधना)हम तुरंत निकल पडे.मिट्टी के खदानसे कच्चे रास्तेसे दो नदीमैया का संगम पुलसे क्रॉस करके उडदाना,शरीफपुरा के बाद बडा बडदा पहुँचे तब शामके छे बजनेवाले थे.कुलदेवी मंदिरमें गये मगर वहॉं सुविधा नही थी इसलिये गांवमें निवास भिक्षा करने जा रहे थे पहला घर था नर्मदा सदन.ॐ भवति भिक्षां देहि.नर्मदे हर!घर था श्री.छत्तरसिंग लक्ष्मणसिंग मंडलोई-तोमरजींका.सहर्ष स्वागत हुआ.स्नान हुआ कपडे धोनेहीवाले थे तो कामवाली बाईजी बोली मै धोऊंगी कपडे आप आराम करो मैया की सेवा होगी मेरे हाथोंसे कितना सेवाभाव नर्मदे हर!नित्यपाठ होने तक बहू शिवकन्याने दाल-बाटी,खीर सुंदर भोजन प्रसाद बनाया.तोमरभाईसाब का पोता राजबहाद्दुर राजा है.होशियार लडका है.नर्मदे हर!अब विश्राम.
नर्मदे हर!
नर्मदा परिक्रमापरिक्रमा-भाग-100
॥नर्मदे हर॥
नर्मदा परिक्रमा-भाग-100-स्नान नित्यपाठके बाद चायका इंधन विनोबा एक्सप्रेसके इंजिनमें डालकर आगे जाने को मंडलोईजी के घरके स्टेशनसे हमारी गाडीने बडा बडदा स्टेशन छोडा.तब सुबहके साडे छे बजे थे.नर्मदे हर!आधा किमि जाने के बाद तोमरजीने बताया शॉर्टकट आया.दाहिनी तरफका कच्चा रास्ता मिर्झापुर जानेका था.साडेसात बजे मिर्झापुरमें श्री.भरत पाटिदारजीने गरम गरम दूध दिया.नर्मदे हर!आगे चलो,जलखेडा गांवके बाहर थोडे पानीमेंसे मानमैया पार करके एक टेकरी चढके उपर आ गये.कच्चा गाडी रास्ता था,किस तरफ जाना है?अंजूताई बोली मांडवगड मैयासे दूर है इसलिये बायीं तरफसे जाना चाहिये मगर हम तीनोंको लगा मैया पुरबसे आती है इसलिये दाहिनी तरफ जाना चाहिये.हम पुरबकी तरफ चलने लगे और वह गलत था.एक विजय नामका लडका बोला आप बहुत दूर निकल आये मगर मै आपको हायवेपर छोडता हूँ.नर्मदे हर!एक टेकरी चढके उतरे,मंडवतीमैयामें पानी नही था,बडे बडे पत्थरों परसे पार करके किशनपुरखेडी गांवमें आ गये.श्री.शोभाराम छगन कनेलजीने वेफर्स और चाय दिया.ग्यारह बजे आगे चलने लगे.ठनगांव आ गया हमको तीन चार किमि ज्यादा चलना पडा था.बायखेडासे लुन्हेराके श्री.सुनील शर्माजीको फोन किया.सव्वा बजे लुन्हेरा बुजुर्ग आया.विशाल राठोडजीने बहुत आग्रह किया इसलिये सामान उनके घर रखकर भोजनप्रसाद के लिये सुनील शर्माजी के घर गये.दालबाटी का स्वादिष्ट भोजनप्रसाद ग्रहण करके चार बजे वापस विशाल के घर आ गये.नर्मदे हर!अल्पेश,रितेश,लोकेश सहर्ष स्वागत हुआ.बडे हॉलमें नये गद्दे,दुलई बडे थाट थे.नित्यपाठ के बाद भोजनप्रसाद.अब विश्राम.नर्मदे हर!
वंदना परांजपे.